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राकिनी साधना अनुभव भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज का जो अनुभव प्राप्त हुआ है। यह विशेष प्रकार की राकिनी साधना अनुभव है। पढ़ते इनके पत्र को और क्या क्या घटित हुआ। इनके साथ राकिनी साधना अनुभव के दौरान, इसको उनके पत्र के माध्यम से जानेंगे।

नमस्ते गुरुजी, अगर मेरे इस अनुभव पर वीडियो बनाते हैं तो कृपया मेरा नाम एवं ईमेल आईडी गुप्त रखिएगा। धन्यवाद! गुरु जी यह राकिनी साधना का अनुभव है जो मेरा द्वारा संपन्न की गई थी। यह केवल 3 दिनों की साधना थी। यह साधना मैंने शिवरात्रि से शुरू की थी। इसके लिए मैंने श्मशान में 3 फीट गहरा गड्ढा खोदा था। इसमें बस मेरा एक हाथ और गर्दन ही बाहर रहती थी। मैंने सुरक्षा मंत्र के प्रयोग के साथ अपनी सुरक्षा के लिए एक शक्ति का आवाहन भी किया था। जब मैंने साधना शुरू की तब प्रथम दिन से ही मुझे अनुभव होने लगे थे।

पहले ही दिन एक खोपड़ी मेरी सुरक्षा घेरे के इर्द-गिर्द घूमने लगी। लेकिन मैं अपना जाप करता रहा। मेरी सुरक्षा शक्ति करती रही जिसका आवाहन मैंने किया था। खोपड़ी बॉल की तरह बार बार मेरे पास आ रही थी। मैं संकल्प के हिसाब से अपना जप करता रहा, मेरे सारे शरीर पर भस्म लगी थी। मैं हड्डी की माला से जाप कर रहा था। मेरे सामने माला भी घूम रही थी और खोपड़ी भी उड़कर मेरे पास आ रही थी। मैं बिल्कुल भी इस बात से नहीं डरा क्योंकि यह मेरी पहली साधना नहीं थी। रात में एक अलग ही तरह की शक्ति होती है। मैं कुछ भी विचार कर अपने में नहीं लाया था। एक शक्ति नदी से बाहर आई जिसके तीन मुख थे ।

पिशाच उसके पीछे पीछे चल रहे थे। मुझे लगा कि यह राकिनी है। पर मैंने जाप किया तो फिर मैंने देखा कि यह एक माया ही है। यह कोई बड़ी शक्ति है जो मेरी परीक्षा लेने आई है कि मैं क्या कर रहा हूं? पिशाच शक्ति मेरे आस-पास घूमने लगी। और जो सुरक्षा कर रही थी, वह भी बराबर में मेरे खड़ी रही थी जो पिशाच लोग आ गए थे और सुरक्षा करने वाली शक्ति और 3 मुंह वाली शक्ति आपस में एक दूसरे से लड़ने लग गए l सुरक्षा करने वाली शक्ति ने 3 मुंह वाली को गला ही पकड़ कर उसने फेंक दिया ।

जब फेंका तो उसका रूप तब पता चला कि वह कोई भूतनी थी। वह घोड़े की तरह दोबारा भाग कर आई लेकिन सुरक्षा करने वाली शक्ति ने बंदिश कर दी थी। जिसकी वजह से वह सफल नहीं पा रही थी, ना ही चल पा रही थी। मैं बस जाप करता रहा क्योंकि यह मेरी पहली साधना नहीं थी। इतने सड़े हुए चेहरे भूत-प्रेतों के दिखाई दे रहे थे। अमावस होने के कारण कोई पिशाचिनी सुंदर रूप में भी आ जाती थी, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया। साधना दूसरे दिन ही खत्म होने के बाद, फिर मैं नदी में जाकर के नहाया। जब मैं घर लौट रहा था तो मेरे मन में एक ख्याल विचार आया और यह बार-बार आ रहा था कि 2 दिन तो अच्छे से बीत गए हैं। तीसरे दिन काफी भयानक होने की संभावना है। लेकिन निडरता के भाव भी आए की जान भी चली जाए तो क्या कोई बात नहीं?

उन पिशाचों के चेहरे। इतने सड़े हुए थे साधना में आंखें बंद थी, फिर भी उन्हें देख पा रहा था। मैं जाप करता रहा जब रात के 3:10 हुए तो एक सुंदर सी कन्या मेरे पास आ रही थी और देखते ही देखते। वह मेरे पास आ गई। वह बोली तुम जिसकी साधना कर रहे हो, मैं वही हूं। मैंने बोला, मुझे मालूम है। तुम पिशाचिनी ही हो। उसने फिर अपना सर खुद उखाड़ कर नीचे रख दिया और वहां सर मुझसे बातें करने लगा। मैंने मन में बोला, यह सब झूठ है। मुझे जाप ही करना है और मैंने जाप की स्पीड बढ़ा दी। मेरे हाथों में निशान बन गए। स्पीड बढ़ाने की वजह से, जब खत्म होने वाला था तो मैंने भोग रख दिया। शराब रख दी और मिक्स कलर की मछलियां भी। मैंने उसे साधना में भोग हेतु रख दी थी।

इस प्रकार से मैं उस साधना को करता रहा। उसके तुरंत बाद मैं बाहर आ गया और जिस शक्ति का आवाहन मैंने सुरक्षा के लिए किया था। मैंने उनको प्रणाम करके कहा कि धन्यवाद आपने मेरे प्राणों की रक्षा की है। मुझे माया से बचाया है तो वह शक्ति हंस कर बोली कि अब तुम काफी निडर बन गए हो। तुम पर किसी माया का असर नहीं होता। पहले अलग बात थी। अब तुम पक्के हो गए हो। मैं उस शक्ति को भी भोग देता हूं। मैंने उनसे बोला, आप कल फिर आओ! फिर मैं सीधे नदी में गया, क्योंकि शरीर पर भस्म लगी थी। मैं नहाकर शिव मंदिर में गया।

मैं महादेव जी को प्रणाम करके बोला हे प्रभु, यह सब माया रहती है। मैं इस माया से बाहर निकलना चाहता हूं। आप ऐसा कुछ करें कि मैं साधना में ना हारू । सुबह के 5:30 बजे थे। घर आ कर के सो गया था । मैं नॉनवेज खा रहा था। शिवरात्रि पर घर पर कोई नहीं था। मैं अकेला ही था। अगले दिन भी थका हुआ था पर आंखों से पानी आ रहा था। आंखें लाल थी। हड्डियां अकड़ी हुई थी। अगले दिन साधना पर मैं गया तब अमावस्या थी। मैं खड्डे में बैठ गया। मैंने उस सुरक्षा करने वाली शक्ति का आवाहन कर लिया। मैं साधना! मैं बैठने में भी नहीं डर रहा था कि आगे क्या होगा। बस जाप करता जा रहा था। इस बार साधना में बात ही अलग थी।

इस प्रकार से मेरे साथ। बहुत कुछ घटित हो रहा था और यह सब इसी प्रकार चल रहा था। साधना में इस तरह के अलग अलग तरीके के अनुभव होते हैं। मैं यह सोचता था कि मुझे सिद्धि पानी है। कोई भी विचार, मैं मन में नहीं लेकर आया। मैं जानता था। अगर यह साधना सफल हो गई तो एक अद्भुत शक्ति मुझे मिलेगी, मोह माया से अलग शक्ति मुझे प्राप्त होगी। जाप करते वक्त एक ऐसी शक्ति आ गई जिसका सब उल्टा था। उसकी जीभ से वह भूत पिशाच को खा रही थी और जिस। शक्ति से मेरी रक्षा हो रही थी। उसने जो पिशाच लोगों ने मेरा घेराव कर लिया था तो उसने उन्हें फेंक दिया था।

मैं हिल भी नहीं पा रहा था। मेरी आंखें बंद थी, फिर भी मैं देख पा रहा था। मेरी ही शक्ल के लोग आकर बैठ रहे थे। वह लोग अश्लील हरकतें भी कर रहे थे। मुझे बोल रहे थे आओ मेरे पास! वह शक्तियां नग्न भी थी और मुझसे बोल रही थी। वह शक्ति भी देंगे। मुझको वह काफी कह रहे थे। मैं जहां बैठा था, वहां पास में ही नदी बीच में चिंताएं जल रही थी। दो चिता जल रही थी। चिता के आसपास शक्तियां घूम रही थी। इतनी गंदी बदबू आ रही थी कि सांस लेना मुश्किल हो रहा था। लेकिन यह बात अच्छी थी कि कोई भी सुरक्षा घेरे के पास नहीं आया था और मेरी सुरक्षा करने वाली शक्ति भी पूरी तरह से मेरी रक्षा कर रही थी। मेरा हाथ बाहर होने के कारण और माया के कारण लगा कि मेरा हाथ जल चुका है। मुझे भी बदबू! रही थी। मुझे मालूम था क्योंकि यह मेरी पहली साधना नहीं थी। मैंने किसी पर भी ध्यान नहीं दिया। क्योंकि इस तरह की घटनाएं घटती ही रहती हैं।

इस प्रकार बहुत सारी घटना है, उस रात घटित हुई। इस तरह के बहुत सारे अनुभव आते ही रहते हैं और आपके साथ बहुत कुछ होता रहता है। मैं जानता हूं कि यह शरीर तो वैसे भी झूठा है।सब पंचतत्व है। मैं खाना तो नॉनवेज का खा रहा था, क्योंकि जैसी साधना की शक्ति होती है। वैसा ही खुद को रखना पड़ता है। मैंने पूरा दिन निकाल दिया और रात की तैयारी कि मैं साधना स्थल पर पहुंचा। वहां जाकर चिताभस्म लगाई। मैंने सुरक्षा करने वाली शक्ति का आवाहन कर लिया था। वह आकर बोली आज साधना का आखरी दिन है। मैंने तुम्हारी सुरक्षा ली है, लेकिन आज नहीं कर पाऊंगी क्योंकि कुछ पाना है। तुमने मेरी सिद्धि प्राप्त की है, तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी। तुम्हारे प्राणों को कुछ नहीं होगा। तो दौड़ी चली आऊंगी बुलाने की जरूरत भी नहीं है, लेकिन आज मैं हेल्प करती हूं तो कोई अर्थ नहीं होगा।

भगवान को मंजूर नहीं होगा और वह शक्ति भी सिद्ध नहीं होगी। मैंने बोला, ठीक है जो भी होगा देख लेंगे देवी से मैंने प्रार्थना कर ली। इस बार मेरे प्राणों के संकट आ सकता है और जब बड़ा संकट आए तब आप आना ।फिर वह शक्ति चली गई। मेरे मन में कुछ नहीं था सिर्फ रक्षा मंत्र था। भगवान से प्रार्थना की और जाप शुरू कर लिया । जब एक माला पूर्ण हुई तो मैं गिन भी नहीं सकता था। मेरे सुरक्षा घेरे के पास घेरे के बाहर! चक्र बना दिया गया था।उन शक्तियों ने चिल्लाना शुरू कर दिया जैसे कान फट जाएंगे। मेरे ऊपर गंदी जैसी चीजें डाल रहे थे। ऐसा मुझे महसूस हुआ लेकिन घेरे के अंदर वह लोग नहीं आ सके। प्रेत सब कुछ हंसते-हंसते कर रहे थे। गुरुजी अगला भाग आपको कल भेज दूंगा।

यहां पर आपने देखा किस प्रकार इन्होंने राकिनी साधना की है और उसमें उनको भयंकर अनुभव हो रहे हैं और उन पर बहुत सारी शक्तियां हमला भी कर रही हैं। इसी प्रकार के अनुभव होते हैं जब आप कोई विशेष तरह की तामसिक साधना करते हैं। उनके अनुभव बहुत ही ज्यादा भयानक होते हैं। अपने मन को स्थिर करके ही ऐसी साधनाएं करनी चाहिए। वरना निश्चित रूप से शक्तियां आप पर हावी हो जाती हैं और आपके यह प्राणों को संकट में डाल सकती हैं अगले पार्ट में हम लोग जानेंगे कि आगे इनके साथ क्या घटित हुआ तो अगर आज का पोस्ट आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

राकिनी साधना अनुभव 2 अंतिम भाग

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