नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक बहुत ही गोपनीय साधना लेकर उपस्थित हुए हैं। यह माता काली की एक उग्र स्वरूप रोढ़का काली साधना के नाम से जाना जाता है। रोढ़का काली एक अलग तरह की सिद्ध शक्ति है जो माता काली के स्वरूप में जगत का कल्याण करते हैं और इनकी साधना और उपासना बहुत ही गोपनीय तरीके से गुरु की आज्ञा से और एकांत स्थल में करनी चाहिए। आखिर इस साधना का रहस्य क्या है? आज इस वीडियो के माध्यम से हम लोग जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं। रोढ़का काली देवी, अच्छे और बुरे दोनों तरह के कार्यों को सिद्ध करने के लिए मानी जाती है यह साधना। साधक के सिद्ध हो जाने पर देवी से विभिन्न प्रकार के तांत्रिक कार्य करवाए जा सकते हैं। देवी का यह स्वरूप ऐसा है कि अगर आप इन से गलत कार्य करवाएंगे तो भी यह बहुत ही तीव्रता से उस कार्य को करेंगी और चाहे आप अच्छा कार्य करवाएं या फिर बुरा करें। यह दोनों को ही करने में पूर्ण सक्षम मानी जाती हैं। इसीलिए यह किसी प्रकार से साधक के लिए कोई संकट पैदा नहीं करती हैं। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोई भी तांत्रिक साधना हो वह हमेशा तीव्र होती है और उसे सिद्ध करने के लिए साधक में बहुत आत्म बल और सामर्थ होनी चाहिए तभी उन्हें मंत्र की सिद्धि होती है।
यह साधना मूल रूप से जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में की जाती थी और वहां के ऋषि मुनि और संतों ने माता काली के इस रूप और स्वरूप को सिद्ध किया था। इनकी साधना से जम्मू क्षेत्र की सदैव रक्षा भी होती रही और पूरी तरह से सनातन धर्म की रक्षा के लिए देवी का इस्तेमाल कई साधु और संतों ने किया। जम्मू में इस देवी की साधना से उनके विभिन्न लौकिक और पारलौकिक शक्ति स्वरूपों को देखने में कई रूपों में प्रकट हुआ और इस प्रकार के विभिन्न प्रकार हमें देखने को भी मिलते हैं। जहां पर देवी की शक्ति से कई तरह के साधकों के बुरे और अच्छे दोनों ही तरह के कर्म पूरी तरह सिद्ध हुए थे। देवी काली के कुछ रूप सौम्य माने जाते हैं। वहीं कुछ उग्र रूप माने जाते हैं। देवी रोढ़का काली मां काली का एक उग्र रूप है इसलिए यह तीव्र साधना कहलाती है। इस साधना के लिए आपके पास अच्छी प्रकार से एक योग्य गुरु होना अति आवश्यक है। अन्यथा आपके साथ परेशानी हो सकती है और बिना गुरु से इनके मंत्र की पूर्ण शिक्षा प्राप्त किए इस साधना को ना करने की कोशिश करें क्योंकि साधक इनकी तीव्र ऊर्जा और वेग को आसानी से नहीं संभाल सकता है। जो भी माता काली के उग्र रूप होते हैं। वह दंड देने में बहुत ही तीव्र होते हैं। इसलिए साधना में गड़बड़ी होने पर या साधना में साधक भयभीत हो जाता है। तो भी? उसकी प्राणों पर संकट आ सकता है। इसीलिए इस तरह की साधना ओं के लिए पहले गुरु मंत्र का अनुष्ठान पूरा कर लेना चाहिए .
जिनके भी गुरु महामंत्र नहीं प्रदान करते हैं, उन्हें दसमहाविद्या में किसी भी विद्या की संपूर्ण विधि विद्वत तरीके से साधना अवश्य कर लेनी चाहिए ताकि उनके जीवन में कोई समस्या साधना के दौरान उपस्थित ना हो और अगर किसी प्रकार व साधना में असफल भी हो जाते हैं तो भी उनके जीवन पर किसी प्रकार का कोई संकट ना आए। ना ही साधना बिगड़ने पर उनकी साधना पर कोई प्रभाव पड़े ना इस जीवन पर कोई अलौकिक संकट आए। इस प्रकार से इस साधना के विषय में अब बात करते हैं। हमें इस साधना के लिए एक श्मशान भूमि ढूंढनी पड़ती है। श्मशान भूमि ऐसी होनी चाहिए जहां पर सूरज का प्रकाश अच्छी तरह आता हो लेकिन रात्रि के समय पूर्ण विराम हो शांति हो और आसपास जन शून्यता पूरी तरह मौजूद हो जन शून्य स्थान होना इसके लिए आवश्यक माना जाता है। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि शमशान वही चुनना है जिसके बगल से नदी होकर बहती हो क्योंकि बिना नदी से देवी के विभिन्न स्वरूप बाहर आते नहीं दिखाई पड़ेंगे। इसलिए साधना अधूरी रह जाएगी। भूत प्रेत पिशाच और अन्य प्रकार की शक्तियां सभी नदी से निकलकर साधक के पास आएंगे। तब उसे सावधान रहना होगा। इसीलिए ऐसे शमशान के पास ही यह साधना की जाती है। जहां उसके बगल से नदी होकर गुजरती हो, अब इसके विधान के लिए आप 21 दिन का संकल्प लेंगे और नदी के किनारे बैठ कर के रोजाना 11 माला मंत्र का जाप करना है। इस में रात्रि के समय आपको यह मंत्र जाप करना हो।
इसकी विधि कुछ इस प्रकार से है कि नियमित रात्रि के समय साधक नदी में स्नान कर अपने नियमित श्मशान भूमि में जाकर बैठे मांस, शराब, आटे का पेड़ा भोग के लिए रख के जाप करें और इस प्रकार लगातार 21 दिनों तक उस साधक को मंत्र जाप और साधना करते रहना चाहिए। 21 दिन में कहते हैं, सिद्धि हो जाती है और उसके बाद सारा सामान आपका उसे नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। आप जॉप के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप काले रंग के ऊनी आसन अथवा भेड़ की चर्म जो काले रंग की हो उस पर बैठकर साधना कर सकते हैं। इसमें आपको रोढ़का काली की एक मूर्ति को एक बाजोट पर श्मशान भूमि में स्थापित कर इनका पूजन करना चाहिए। इसके बाद देवी रोढ़का काली अगर सिद्ध हो जाती हैं। तो फिर आप जो भी सामग्री है उसे नदी में प्रवाहित करने के बाद उनके भोग के लिए इसी प्रकार मांस शराब और आटे का पेड़ा उन्हें प्रदान कीजिए और अपना कार्य बोल दीजिए। आप? देवी से कार्य करवाते रहेंगे और वह कार्य करती रहेंगी। इस प्रकार जो भी आप उन्हें कार्य सौंपेंगे वह अवश्य ही पूरा वह कर देंगी। इनकी सिद्धि होने पर साधक श्मशानी विद्मेंया बहुत निपुण हो जाता है। लेकिन इसके लिए बिना गुरु की आज्ञा से और उच्च स्तर के तांत्रिक बने बिना इन साधनों को नहीं करना चाहिए क्योंकि यह तामसिक साधना है और विभिन्न प्रकार की भूत प्रेत पिशाच इत्यादि से आप का सामना होता है।
उन्हीं के माध्यम से आप कार्य भी करवाते हैं। अब इनके शाबर मंत्र के बारे में जान लेते हैं।
इस प्रकार इस मंत्र के जाप से आप सिद्धि प्राप्त करते हैं। इसी मंत्र कि आपको रोजाना 11 मालाएं 21 दिनों तक करते रहना है। यह एकल में बिना किसी की नजर पड़े योग्य गुरु के निर्देशन में की जाने वाली साधना है। गुरु जैसा बताएं उसी हिसाब से अपने चारों तरफ रक्षा, कवच इत्यादि का भी निर्माण करें। अन्यथा इसमें आपका सामना विभिन्न प्रकार की प्रेत आत्माओं से होगा और जिस प्रकार भी वह आपकी साधना भंग करने की कोशिश करें, आपको सचेत रहना है तभी आपको इस कार्य में सफलता मिलेगी। रोढ़का काली मां काली का एक उग्र रूप है जो विभिन्न प्रकार के अच्छे और बुरे दोनों कार्यों को करती है। इसीलिए इनकी साधना और प्रयोग सूझबूझ के तरीके से ही करना चाहिए। प्रत्येक दिन की भोग की सामग्री बहते नदी के जल में प्रवाहित कर देनी चाहिए जिसे वह ग्रहण कर लेती हैं और सिद्धि के बाद उनसे जो भी कार्य होते हैं, उसके बाद उन्हें भोग अवश्य ही देना चाहिए ताकि वह संतुष्ट हो सके और आपके कार्य करती रहे। यह थी रोढ़का काली की साधना अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।