यक्षिणी तो अप्सरा से भी ज्यादा ताकतवर होती है और जो मैं आपको आज जानकारी देने जा रहा हूं वह इंटरनेट पर भी ज्यादा उपलब्ध नहीं है फिर भी जितना भी कुछ जानता हूं वह सब आपको बताऊंगा । आज तो मैं जिस यक्षिणी की बात कर रहा हूं वह है शंखनी यक्षिणी ।।एक साहित्य है कामुक पाठ है जिसको 15 वीं से सौलहवी शताब्दी मैं कल्याण मल्ला नामक एक कवि ने लिखा था। इस को ईरोटीक इंडियन सेक्स मैनुअल भी कहा जाता है और इसका नाम है अनंग रंग, यह साहित्य काम साहित्य से काफी मिलता-जुलता है जैसे कि हमारे देश में काम सूत्र उसी से मिलता जुलता है ।इस शास्त्र में कहा गया है कि सेक्स की जो इंपॉर्टेंट इसमें बताई गई है वह अनंग रंग के अनुसार ही है । औरतें भी चार क्लास में बाँटी जाती हैं जिसमें सबसे अच्छी पद्मिनी मानी जाती है ।
दूसरी शंखिनी काफी सुंदर होती हैं और इंग्लिश में इन्हे कौंच वूमेन भी कहा जाता है उनका शरीर देखने में शंख की तरह होता है ।शंख की तरह आपका मुख होता है इनको भी चार क्लासेस में बाटा गया । यहां पर जो शंखनी उनका शारीरिक विश्लेषण शंखिनी जाति की औरतों से काफी मिलता-जुलता है । शंखिनी का तंत्र है उसमें साफ-साफ लिखा गया है कि जो भी शंखनी यक्षिणी की साधना करता है उसे शंखिनी जाति की औरतें स्त्रियां पत्नियां गर्लफ्रेंड मिलती हैं । पत्नी रुप मे मिलने वाली स्त्रियां उत्साहित होती हैं चमत्कारी होती हैं उनका विशेष भाव होता है मै यहां पर मैं शंखिनी यक्षिणी की मंत्र के जाप के प्रकार के बारे में बात करता हूं ।
इसके मंत्र का जाप आपको सूर्योदय के पहले बरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर करना होता है 10,000 यानी कि साधक एक दिन में दस हजार यानी 100 माला कर सकता है मंत्र समाप्त होने के बाद साधक को दादाँश हवन घी से करना चाहिए अगर साधक यह साधना कर लेता है और शंखिनी यक्षिणी को प्रसन्न कर लेता है तब वह उसके सामने प्रकट हो जाती है और उनके दर्शन प्राप्त होते हैं। उस समय साधक कोई भी एक वरदान उनसे मांग सकता है। यह यक्षिणी साधना बाकी यक्षिणी की साधना से अलग है क्योंकि इसमें सूर्योदय के समय की जाती है और बाकी यक्षिणी की साधना रात के समय होती है । एक बात मै यहां पर मैं यह कहना चाहूंगा कि मैं किसी को भी नहीं कह रहा हूं कि वह यह साधना करें मैं बस जानकारी प्रदान कर रहा हूं क्योंकि यह अप्सरा की तरह सौम्य शक्ति नहीं है ।
क्योंकि अप्सरा कभी भी अपने साधकों भयभीत नहीं करती पर यक्षिणी अपने साधकों डराती है और बहुत सारी परीक्षा लेती हैं क्योंकि यह अप्सरा से काफी शक्तिशाली होती है और इनका स्वभाव उग्र होता है इसलिए सामान्य साधकों इस शंखनी यक्षिणी की साधना से सफलता नहीं मिलती और ना ही दर्शन होते हैं। क्योंकि ऐसी साधना में सफल होने के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा होनी भी बहुत जरुरी होती है । मैं किसी को भी भ्रमित नहीं करना चाहता किसी को भी बेवकूफ नहीं बनाना चाहता हूं । इसलिए सामान्य साधक अगर शंखनी यक्षिणी साधना करना चाहता है तो उसे सबसे पहले एक योग्य और शक्तिशाली गुरु ढूंढना होगा जिसे इसका ज्ञान हो और साधकों एक बरगद के पेड़ के नीचे साधना करनी होगी ।
अगर साधक किसी मंदिर में यानी कि जो मंदिर का प्रांगण होता है वहां पर मंदिर में बरगद का पेड़ तो बहुत थी ज्यादा अच्छा है अगर साधकों मंत्र का प्रेक्टिस करना है तो वह घर पर भी कर सकता है बशर्ते 3 चार महीने करें । आप जाप करके इस मंत्र को सिद्ध करना होगा और हवन तर्पण मार्जन इत्यादि क्रियाएं करनी होती है । यह छोटी सी साधना करनी होती है तभी उसे सफलता मिलती है यह एक ऐसी सच्चाई है जो बताना जरूरी है ताकि किसी का भी पैसा और समय समाप्त ना हों शंखनी यक्षिणी का मंत्र इस प्रकार है-
ॐ शंख धारिणे शंखा भरणे ह्रीं ह्रीं क्लीं क्लीं श्रीं स्वाहा’
जब भी आप यक्षिणी साधना करेंगे तो आपको भगवान शिव और कुबेर जी की एक महीने तक साधना करने होगी । इससे पहले और शुभ मुहूर्त भी देख लीजिए ऐसे ही यह साधना नहीं करेंगे शुभ मूहूर्त होते हैं । एक विशेष महीना होता है जो खास तौर पर यक्षिणी साधना के लिए ही होता है और यह महीना आषाढ़ है और तांत्रिक साधना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है ।यह महीना गुरु दीक्षा के लिए भी एक उपयुक्त समय होता है । आप एकांत स्थान का चुनाव करिए साधना के लिए और लोगों से दूर रहे क्योंकि साधनाओं से जो उर्जा उत्पन्न होती है वह इसीलिए नष्ट हो जाती है क्योंकि वह सब जगह फैल जाती है जन सामान्य से दूर इसीलिए रहा जाता है । आप ऐसे लोगों से मिल रहे हो जिनमें कोई भी ऊर्जा नहीं है । वो ऊर्जा उनमें भी फैल जाती है जो आपकी साधना से मिली है ।साधना शक्ति चाहती हैं कि वह ऐसे लोगों से दूर रहे जो साधक न हो । इसीलिए जो साधक होते हैं वह जन सामान्य से हमेशा दूर ही रहते हैं । उन्हें यह पसंद नहीं की किसी व्यक्ति विशेष की वजह से उनकी साधना असफल हो जाए । लोग भी उन्हीं शक की नजर से देखते हैं लोगों का मन आप पर लगा होता है । इसलिए कहा गया है कि जितना भी आप जन सामान्य से छुपकर एकांत होकर साधना करेंगे आपको उतना ही प्रभाव और शक्तियां आपको प्राप्त होगी और जितना आप शोर मचा कर साधना करेंगे उसके निष्प्रभावी होने की संभावना पूर्ण रुप से बढ़ जाती है । इसलिए साधकों को कहा गया है कि वह सबसे छुपकर एकांत स्थान में साधना करें । एक साहित्य का भी नाम जो कल्याण मल्ला ने लिखा था अनंग रंग नाम और भी जो गोपनीय किताबें हैं उनसे जानने को काफी कुछ मिलेगा, अगर आपको यह जानकारी पसंद आई है तो धन्यवाद।।