शक्तिशाली जिन्न का प्रकोप जिन्न सिला का अनुभव भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम पिछली बार के अनुभव को आगे बढ़ाते हुए शक्तिशाली जिन के प्रकोप सिला के अनुभव को और इस पत्र को पढ़ते हैं।
जैसा कि पिछली बार उन्होंने भेजा था कि इनके दादा जी के साथ कुछ अप्रत्याशित घटनाएं घट रही थी। जब से वह कुवे से उस लड़की को बाहर निकाले थे। आगे क्या हुआ जानते हैं इस भाग में?
गुरुजी! आपको मैं आगे की बात बताता हूं।
तब मेरे दादाजी ने सभी को समझाने की कोशिश की कि वह यह सब नहीं कर रहे हैं, पर कोई भी उनकी बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं था। सब उन्हें शक की नजर से देख रहे थे। सभी को लगता था कि शायद दादाजी का मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। इसी वजह से सभी लोग इनसे थोड़ा दूरी बनाकर रहते थे अगली रात को। दादी जी ने कहा, आज से इस बिस्तर पर मैं सो जाऊंगी और तुम दूर जाकर सो जाओ और भूल से भी मेरे पास मत आना। तो उन्होंने कहा ठीक है। रात को वह वहीं पर लेट गई और इनको एक दूसरी जगह पर लिटा दिया गया था। रात के लगभग 2:00 या 2:30 बजे का समय रहा होगा। मेरी दादी ने देखा कि वह अपने बिस्तर से उठकर इनके पास आकर लेट गए हैं। तो वह कहने लगी। तुम? इस बिस्तर पर क्यों आ गए हो जबकि मैंने तुमसे कहा था कि तुम्हें यहां नहीं आना है। तुम फिर कोई गलत हरकत करोगे तो मैं अब तुमसे नाराज हो जाऊंगी और अपने मायके चली जाऊंगी। सच में मैं कसम खाकर कहती हूं। उन्होंने कुछ नहीं बोला और वह पीछे उनके आकर लेट गए थे। थोड़ी देर बाद जब यह गहरी नींद में थी, फिर किसी ने इन्हें उठाकर बिस्तर से नीचे पटक दिया।
इससे यह बहुत ज्यादा घबरा गई। पीछे मुड़कर देखा तो वह वहां पर नहीं लेटे हुए थे बल्कि वह अपने बिस्तर पर लेटे हुए दिखाई दिए जो उनके बिस्तर से दूर था। इस बात से अब वह गुस्से में आकर उनके पास आती हैं। और उनसे कहती हैं। सुनिए जी आपने फिर वही हरकत की है। आप मेरे बर्दाश्त से बाहर है? अब मैं! कल सुबह ही अपने मायके जा रही हूं। जब दिमाग ठीक हो जाए तब मुझे बुला लेना और वह अपना सामान पैक करने लगी, क्योंकि दादाजी को अच्छी खासी नींद आ रही थी। इस वजह से वह कुछ भी नहीं बोले और फिर सो गए। सुबह के वक्त उन्होंने देखा कि उनकी पत्नी तैयार है। मायके जाने के लिए तो वह कहने लगे। कोई प्रोग्राम है क्या जो तुम इतनी सुबह सुबह वहां जाने के लिए तैयार हो गई हो? तब वह कहने लगी। तुम्हारी हरकतों से परेशान होकर मैं आज जा रही हूं। तुमने कल फिर वही किया मेरे मना करने के बाद भी तुम मेरे बिस्तर पर आ कर लेट गए और मुझे उठा कर गिरा दिया। और उसके बाद चुपचाप अपने बिस्तर पर जाकर लेट भी गए, ताकि मैं तुम्हें कुछ ना कहूं। शायद तुम जाग गए होंगे। अपने सोने वाली और सपने में ऐसी हरकतें करने वाली आदत जल्दी छोड़ दो नहीं तो मुझसे बुरा और कोई नहीं होगा। इसलिए अब मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके जा रही हूं।
उन्होंने दादाजी के समझाने पर भी उनकी कोई बातें नहीं सुनी और चली गई। वहां से इस प्रकार दादाजी अब उस घर में अकेले रह गए थे।
रात को उन्होंने स्वयं ही भोजन बनाया और खाने ही बैठे थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई। तो उन्होंने दरवाजा खोला देखा उनकी पत्नी दरवाजे पर खड़ी है। वह कहने लगी। तुम तो मुझे ऐसे ही छोड़ आओगे? और मुझे? इसी प्रकार परेशान करते रहोगे लेकिन फिर भी मैं तुम्हारा साथ नहीं छोड़ सकती। मेरा मन बदल गया है।
ऐसा करती हूं कि तुम्हें अपने हिसाब से ढालने की कोशिश करती हूं। शायद तुम धीरे-धीरे समझ जाओ। मेरे दादा जी इस बात से खुश थे कि कम से कम यह। वापस तो आ गई है! और?
इसकी वजह से मुझे खाना भी नहीं बनाना पड़ेगा और वहां जाकर अंदर बैठ के बिना कुछ बोले। सीधे अपना सामान रखने के बाद किचन में चली गई और उन्होंने बहुत ही सुंदर और स्वादिष्ट पकवान! उन्हें ला कर दिए और कहा, मैं तुम्हें आज से बहुत अच्छा भोजन दूंगी। लेकिन शर्त है कि अब तुम कोई बुरी हरकत नहीं करोगे। तो मेरे दादाजी ने कहा, मैं तो पहले से कहता आ रहा हूं कि मैं कुछ भी गलत नहीं कर रहा हूं। पता नहीं सारे लोगों को मुझ से क्या दिक्कत है? इस बात को कोई भी समझना ही नहीं चाहता। कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूं। खैर तुम्हारी बुद्धि आ गई। यही बड़ी बात है इसलिए। आपके द्वारा लाए गए इस भोजन को मैं जरूर ग्रहण कर लूंगा और उन्होंने वह खाना खा लिया। खाने के बाद वह कहने लगे। आज तो तुमने कमाल ही कर दिया। इतना ज्यादा स्वादिष्ट भोजन कैसे बना लेती हो। अभी तक तो कभी तुमने इतना अच्छा खाना नहीं बनाया था। मैं यूं ही तुम्हारी तारीफ नहीं कर रहा हूं। क्योंकि सचमुच में तुमने बहुत ही अच्छा भोजन बनाया है तो वह मुस्कुरा कर कहने लगी आज मेरे मन में अजीब सी हलचल है। मन करता है जिस दिन हमारी शादी हुई थी, बिल्कुल वैसी ही रात मनाई जाए। क्या आप इस बात के लिए तैयार हैं? तो वह कहने लगे क्या मतलब?
वह कहने लगी कि जैसा निकाह के दिन हुआ था। बिल्कुल सब कुछ हम लोग वैसे ही करके देखते हैं।
तो उन्होंने कहा, अच्छा ऐसी भी क्या बात है तो वह कहने लगी। मेरी बात मान लीजिए, आज मन हो रहा है तो उन्होंने कहा, ठीक है सब कुछ वैसा ही करेंगे। लेकिन मैं कोई खर्चा करने वाला नहीं हूं। तुम्हारे पास अगर कुछ है तो अवश्य ही कर सकती हो? तब उसने कहा कि ठीक है आप? कुछ मत कीजिए, चुपचाप बैठे रहिए और देखते जाइए। थोड़ी देर बाद वहां सजावटी फूल लगाने वाला एक आदमी आया। बिस्तर सजाने वाला एक आदमी आया।
पूरे कमरे को सजा सजा दिया गया। पूरा कमरा महकने लगा। और सुंदर सेज सजा दी गई।
उस पेज पर बैठकर! वह कहने लगी आइए मेरे बगल में आकर बैठिए।
और मुझे देखिए मैंने बहुत अच्छा मेकअप किया है। आप आज मुझे देखकर दंग रह जाएंगे। क्योंकि उन्होंने! पूरी तरह से हिजाब पहन रखा था और आंखों के अलावा कुछ और दिखाई नहीं पड़ रहा था। जब मेरे दादाजी उसके बिस्तर पर जाकर बैठे तब उन्होंने अपने! चेहरे पर से कपड़ा हटाया और उन्होंने देखा कि उनकी पत्नी इतनी ज्यादा खूबसूरत हो गई है जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। यह देखकर दादाजी दंग रह गए। वह घबरा से गए उन्होंने कहा। यह कैसा मेकअप तुमने किया है, कहां से करवाया है? अगर ऐसा मेकअप रोज करो तो मैं तुम्हें जितनी भी मेरी दौलत है, वह दे सकता हूं। तुमने तो अपनी उम्र भी कम कर ली। तुम्हारे चेहरे पर क्या रौनक है। एक कमसिन नई लड़की की तरह दिख रही हो, ऐसा कैसे हो गया? और? तुमने इतना सारा यह जो सजावटी बातें की है, इन सब का क्या मतलब है? कहां से तुमने यह सब सीखा? और? इसमें तो मुझे लगता है काफी खर्चा भी हो गया होगा। पर यह तो अचरज भरी बात है। आज सच में मुझे जवानी के वह दिन याद आ रहे हैं, मन करता है आज सच में तुमसे प्यार करूं? और फिर दोनों लोगों ने बहुत ही खूबसूरती के साथ वह रात बिताई।
पति और पत्नी। दोनों बहुत ही ज्यादा खुश थे। सुबह के वक्त अचानक से सूरज की रोशनी मेरे दादाजी के चेहरे पर पड़ी और जब उन्होंने चारों ओर का नजारा देखा तो पहली बार उनका दिल! ऐसे जोर-जोर से धड़कने लगा जैसे कि किसी ने कोई खौफनाक चीज देख ली हो।
गुरु जी आपको यकीन नहीं होगा कि उनके साथ क्या हुआ था। अगले भाग में मैं इसके आगे की बात आपको बताऊंगा। इसके अलावा इस जिंद सिला की
सिद्धि होती है वह मेरे दादाजी ने एक डायरी में लिख कर रखी थी। वह भी आपको मैं आपको अवश्य ही भेजूंगा। अगर दर्शकों को मेरी कहानी पसंद आती है तो मैं वह भी आपको अवश्य ही बताऊंगा। कि आखिर इस जिन्न सिला को कैसे सिद्ध किया जा सकता है? अगली पत्र तक,मैं सभी दर्शकों को बधाई देता हूं और आपको! दिल से शुक्रिया करता हूं। नमस्ते गुरुजी!
सन्देश- तो देखिए यहां पर इन्होंने जिन्न सिला के इनके दादा जी के अनुभव को लिखकर भेजा है और आगे आने वाले शायद एपिसोड्स में यह उसकी साधना भी आप लोगों को देंगे। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।