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शक्तिशाली जिन्न का प्रकोप जिन्न सिला का अनुभव 4 अंतिम भाग

शक्तिशाली जिन्न का प्रकोप जिन्न सिला का अनुभव 4 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है जैसा कि हम लोग पिछली बार शक्तिशाली जिन का प्रकोप सिला के अनुभव 3 तक के भाग को जाने थे। आज चौथे अंतिम भाग के विषय में साधक महोदय के माध्यम से जानेंगे। चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को

नमस्ते गुरुजी। आपको मैंने पिछली बार बताया था। उसी को आगे बढ़ाते हुए अब दादा जी इस बात से अचंभे में आ गए थे कि कैसे उन्हें इतनी दूर उठाकर इसने फेंक दिया है। उन्हें लगा इससे लड़ाई करना उचित नहीं होगा यह उसके पास गए और कहने लगे। तुम बहुत ज्यादा शक्तिशाली इंसान हो, तुम्हारी शक्ति अद्भुत है इसलिए। तुम यहां पर क्यों आए हो अपनी बात को बताओ। आखिर तुम मेरी पत्नी को इस प्रकार से प्राप्त करने की बात क्यों कर रहे हो, तब कहने लगा। अब आया तेरा दिमाग ठिकाने पर मैं अपने गुरु के कहने पर यहां आया और उन्होंने कहा है कि जाओ उस इंसान के पास एक औरत है। उस औरत को किसी भी सूरत में लेकर आओ मैं एक जिन हूं और मैं इस औरत को लेकर तुझ से छीन कर अपनी गुरु के पास लेकर जाऊंगा तब मेरे दादाजी ने कहा, यह तो गलत बात है तेरा गुरु कितना बुरा इंसान है जो दूसरे की औरत को अपने पास बुलाना और रखना चाहता है और जिन होकर कि तुझे इतने गलत काम करने पड़ रहे हैं तब यह सुनकर वह शक्तिशाली इंसान हंसने लगा और कहने लगा। तुझे तो कुछ भी नहीं पता। अरे यह तेरी पत्नी नहीं है। तेरी पत्नी तो मायके में बैठी हुई है। यह तेरी पत्नी का रूप धरकर जिन सिला कि तेरे घर में रह रही हैं जो। तेरे साथ अपनी हवस रोजाना मिटाती है और एक दिन तुझे अपने साथ लेकर चली जाएगी। तू बेमौत मारा जायेगा।

मेरे जाने का वक्त आ चुका है थोड़ी देर बाद गुरुजी का एक शिष्य आयेगा, जिन ने कहा ठीक है। मेरे गुरु का शिष्य यहां पर आ जाएगा और उनके साथ ही तू आ जाना मेरे गुरु के स्थान पर इस प्रकार वहां से वह विशालकाय एक शक्तिशाली आदमी हवा की धुंध की तरह गायब हो जाता है। मेरे दादाजी अपना सर! पकड़ कर बैठ जाते हैं।

यह पहली बार देख रहे हैं कि अभी तक!

इतनी रातों को जिन्होंने अपनी पत्नी समझकर प्रेम किया, वह तो कोई और ही निकली। इतना सुख और प्यार उसने इतने दिनों में दे दिया जिसकी कल्पना करना भी उनके लिए कठिन था। अब वह करें भी तो क्या? जो कुछ होना था, वह तो हो चुका था तब उन्होंने उस बाबा के पास जाना ही उचित समझा। लगभग शाम के बाद एक आदमी उनके दरवाजे पर दुबारा से आया। आपको मेरे गुरु जी ने बुलाया है। तब उन्होंने कहा ठीक है। मैं चलने के लिए तैयार हूं। उन्होंने अपना सामान बांधा और चल दिए। लगभग 2 घंटे के बाद वह उस अड्डे पर पहुंचे। जहां पर वह गुरु साधना कर रहा था। श्मशान में बैठे एक अघोरी गुरु उसे दिखाई दिया तब उन्होंने सोचा, यह तो कोई गंदा इंसान है जो कब्रिस्तान में बैठकर ऐसे पूजा करता है। इसकी बातें मैंने क्यों मानी उधर मेरी पत्नी भाग गई। क्या हुआ लेकिन पता करना भी तो जरूरी है इसलिए वह उनके पास जाकर बैठ गए और पूछने लगे।

तो उसने हंसते हुए कहा, मैं जानता हूं। तेरे मन में यह बातें आ रही होंगी कि मैं झूठ बोल रहा हूं या सच बोल रहा हूं। और जो जिन मैंने तेरे पास भेजा था ऐसे कई शक्तिशाली जिन मेरे पास है। मैं जान गया था कि तेरे पास 1 दिन तुझे सिला मिल गई है। तुझे शायद नहीं पता लेकिन जिस कुवे पर तू पानी पीने के लिए जाता था मेरे गुरु ने उसी तरह पर जिन सिला को सिद्ध करने के बाद। उसे उस कुएं के अंदर बंद कर दिया था जब तक कि कोई इंसान खुद ब खुद उसे बाहर नहीं निकालेगा तब तक वह बंद रहेगी। अब मुझे जिन्न सिला का वह कपड़ा दे दे जो तेरे पास है। मेरी दादा को याद आया अरे मैं जब उस औरत को उस कुएं से बाहर निकाल रहा था तब उस औरत का जो कपड़ा था, वह मेरे पास ही रह गया था और वह कपड़ा उन्होंने उस तांत्रिक को दे दिया उसने कपड़ा अपने पास रख लिया। पर कहा देख तुझे मैं दिखाना चाहता हूं। तू कल्पना भी नहीं कर सकता। क्या होगा? लेकिन इससे पहले मैं तुझे वह विद्या सिखा देता हूं जिससे सिला को सिद्ध किया जाता है और उसे स्थित किया जाता है। तब उन्होंने मेरे दादाजी को वह विद्या सिखाइ ताकि उन्हें विश्वास हो जाए। वह कहने लगे कि मेरे पास बहुत सारी शक्तियां है, लेकिन एक ऐसी औरत का होना जो कि खुद सिला हो, बहुत बड़ी बात होती है। मेरे गुरु को इसे सिद्ध करने में

बहुत समय लग गया था। अब मैं तुझे इसकी सिद्धि के विषय में बता चुका हूं। पर अब तू चमत्कार देख तूने मुझे यह कपड़ा दे दिया है। अब देख मै क्या करता हूं। उन्होंने एक मिट्टी का पुतला बनाया। उसे कपड़ा पहना दिया और उसके बाद।

बने हुए आकृति को भेदने लगे। जब सिर पर सुई को मारा तो कहने लगे। अब वह दर्द से चीख रही होगी। ज्यादा देर वह रुक नहीं पाएगी। उसे मेरे पास आना ही पड़ेगा। थोड़ी देर बाद फिर उन्होंने देखा कि वह सिला नहीं आई है तो वह कहने लगे। अब देख दुनिया में कोई भी औरत अपनी एक चीज से हार जाती है और वह होती है उसका स्त्री तत्व। अब मै उसकी योनी बनाता हूं और उसने वहां सुई चुभो दि वह तड़पते हुए वह वहां आ गयी पर एक तरफ और देखने लगी। मेरे दादाजी को और कहने लगी। मैंने तो तुम्हें अपना शौहर बना लिया था। तुमने मुझसे दगा बाजी की है तब मेरे दादाजी कहने लगे। जबरदस्ती किसी को कोई अपना नहीं बना सकता। यह तुम्हारी गलतफहमी है तब अघोरी उसे लेकर अंदर चला गया और उसे अपनी पत्नी की तरह बना कर रखा । मेरे दादाजी ने वह विद्या अपने पास लिख कर रखी थी। उन्होंने यह बात मेरी दादी जी को बताई और धीरे-धीरे यह बात मुझ तक पहुंची है।

अब इस दुनिया में मेरे दादा जी और दादी दोनों नहीं है लेकिन? जिन को सिद्ध करने की जो विद्या है वह मैं आपको दे रहा हूं। गुरु जी इस साधना को आप चाहें तो अपने इंस्टामोजो दर्शकों के लिए उपलब्ध करवा सकते हैं। बस आपसे एक छोटी सी प्रार्थना है। इसकी एवज में आप मुझे अष्ट चक्र भैरवी साधना दीजिये और यकीन मानिए साधना में दे रहा हूं। यह पूरी तरह गोपनीय और सच्चाई से भरी है। सिला का एक चमत्कारिक सोने का सिक्का आज भी मेरे घर में मौजूद है। सिक्का हम लोग किसी को नहीं दिखाते हैं क्योंकि उसने खुश होकर मेरे दादाजी को दिया था। वह 50 ग्राम का सिक्का है इससे अनुमान लगा सकते हैं कि वह कितना ज्यादा महंगा होगा। गुरु जी इस साधना को आप प्रकाशित कीजिए और मुझे मेरे! खुशी के लिए यह साधना विधि प्रदान कीजिए। आपका बार-बार धन्यवाद! नमस्ते गुरुजी!

सन्देश- इनके हिसाब से साधना भेज दे रहा हूं और आप लोगों के लिए साधना को instamojo पर उपलब्ध करवा दिया है। जो लोग साधना प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दे दिया गया है और आप यहां क्लिक करके अपने इंस्टामोजो अकाउंट में पहुंच कर वहां से इसे खरीद सकते हैं। आप सभी का दिन मंगलमय हो धन्यवाद!

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