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शमशान डाकिनी साधना अनुभव भाग 2

नमस्कार गुरु जी। भाग-1 मैंने अभी तक आपको बताया है वह सब लोगों को पता हो गया है। मैं धन्यवाद देना चाहूंगा सभी दर्शकों का जिन्होंने इस वीडियो को बहुत ही अधिक पसंद किया है। अब मैं आगे की कहानी आपको बताता हूं। मेरे गुरु जी ने जब डाकिनी की साधना में कई दिन बिताने के बाद उस साधना में उग्रता स्वरूप जाप करते हुए डाकिनी के संभावित दर्शन किए तब वह सामने प्रकट हो गई उसके हाथ में एक किताब थी। डाकिनी किस प्रकार से विभिन्न रूप धरकर भिन्न भिन्न प्रकार की परीक्षाएं लेती हैं। श्मशान डाकिनी ने भी ऐसा ही किया था। गुरुदेव वह मेरे गुरुजी के सामने प्रकट हुई और कहने लगी तुम्हें इस पुस्तक को संपूर्णता के साथ पढ़ना होगा, इस किताब को पढ़ते जाना l इस किताब को तुम्हें तब तक पढ़ना है जब तक कि मेरी साधना समाप्त ना हो जाए इस पर मेरे गुरु ने कहा कि यह कैसे संभव है उसने कहा मैं तुम्हें सिद्धि तभी दूंगी जब तुम इस पूरी पुस्तक को पढ़ डालोगे। मेरे गुरु ने कहा- मैं तो तुम्हारे मंत्रों का जाप कर रहा हूं। अब ऐसे में जब मैं तुम्हारे मंत्रों का जाप कर रहा हूं तो यह कैसे संभव हो पाएगा कि मैं पुस्तक को पढ़ जाऊं। शमशान डाकिनी मुस्कुराने लगी। उसने कहा अभी पहली ही परीक्षा में तुम डर गए हो। डरने की आवश्यकता नहीं है मैं तुम्हें ऐसी शक्ति देती हूं कि तुम मंत्र जाप करते रहोगे साथ ही साथ पुस्तक भी पढ़ पाओगे यह विद्या मैं तुम्हें अभी देती हूं। और उसने पता नहीं मेरे गुरु की आंखों में कौन सी ऊर्जा डाल दी? इसी के साथ उसने कहा यह तो मेरी सिर्फ पहली परीक्षा है। दूसरी परीक्षा भी मैं इसी के साथ ही लूंगी l मेरे गुरु ने कहा अब आप कौन सी परीक्षा लेना चाहती है? उसने पूछा सबसे पहले तो यह बताओ कि मैं तुम्हें किस रूप में सिद्ध होवूंगी? उन्होंने कहा कि मैं आपको किसी भी प्रकार से पत्नी या फिर प्रेमिका या बहन नहीं बना सकता। क्योंकि इतनी उर्जा मेरे अंदर नहीं है। आप सारे शमशान की डाकिनी हैं। आप मां काली की सेविका शक्तियों में आती हैं। इसलिए मेरी क्षमता इन रूपों में आपको ग्रहण करने की नहीं है। अब बचता है सिर्फ एक रूप वह है मां का, क्या मैं आपको मां के रूप में सिद्ध कर सकता हूं। जैसे ही माँ नाम से संबोधन किया, श्मशान डाकिनी जोर जोर से हंसने लगी। उसने कहा मैं तैयार हूं लेकिन तूने अपनी चतुराई कितनी भी दिखाई हो पर इतनी भी चतुराई ना दिखा कि तू मेरे प्रयोजनों से बच जाये। सुन तुझे शायद पता नहीं मेरी सेविका शक्ति तेरे साथ सदैव विद्यमान रहेगी। वह भी तेरी प्रेमिका के रूप में, पत्नी स्वरूप में यद्यपि तूने मुझे माँ कहा है लेकिन वह तुम्हारे साथ पत्नी रूप में ही व्यवहार करेगी। उन्होंने अपने बाएं हाथ में जोर से कंपन किया और बाएं तरफ से उनके एक बहुत ही सुंदर स्त्री प्रकट हो गई। श्मशान डाकिनी ने कहा मेरी सिद्धि के लिए यह तुम्हारी गोद में तब तक विराजमान रहेगी जब तक यह पूजा संपन्न नही होती है। यह किसी को दिखाई नहीं देगी लेकिन सदैव तुम्हारे गले से चिपटी रहेगी। ठीक उसी तरह जैसे डाकिनी विद्या में साधक भैरवी को भोगता है। यह भी तुझे भोगती रहेगी पर याद रखना अगर तेरा वीर्य क्षरण हुआ या यह तेरा मन भटका तो यह तुझे मार डालेगी l मेरी सिद्धि से पहले मैं तेरी सुरक्षा नहीं करूंगी। अब मेरे गुरु को भय होने लगा उन्होंने कहा मैंने तो आपको माता मान लिया है फिर आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हैं? शमशान डाकिनी ने कहा अभी मैं तेरी मां हुई कहां हूं जब तक तुझे पूर्ण सिद्धि नहीं हो जाती तब तक मैं तेरी मां नहीं हूं। मेरी सेविका शक्ति तेरी परीक्षा लेगी। गुरु ने कहा कि मैं बहुत अधिक भयभीत हो गया हूं देवी मैं अगर अपना वीर्य खो देता हूं तो उस अवस्था में क्या मेरी मृत्यु हो जाएगी क्या एक भक्त अपनी माता को सिद्ध भी नहीं कर पाएगा। शमशान डाकिनी हंसते हुए बोली जब तक तेरा मन भटकेगा नहीं, मैं तुझे वरदान देती हूं। तेरा वीर्य भी तेरे शरीर से बाहर नहीं आएगा। अद्भुत वरदान पाकर मेरे गुरु को कुछ सांत्वना हुई। उन्होंने सोचा ठीक है अगर डाकिनी कह रही हैं तो बस मुझे अपने मन को भटकने नहीं देना है। शमशान डाकिनी ने कहा अब से तुझे गोपनीय रूप से निर्वस्त्र होकर के ही साधना करनी है। मेरी यह छोटी सी शक्ति सदैव तेरे शरीर से चिपकी रहेगी वह भी नग्न अवस्था में। लेकिन किसी को भी है दिखाई नहीं देगी। इस अवस्था में तू तब तक मत उठना जब तक तेरी साधना संपूर्ण नहीं हो जाती l रोज जब तेरी साधना इसी प्रकार से होगी तो तू सिद्धि को प्राप्त कर लेगा। शमशान डाकिनी के कहे अनुसार उन्होंने अपनी साधना को शुरू करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि तुझे इस स्त्री को गले नहीं लगाना है। बल्कि किताब पढ़नी है। शक्ति स्वयं शरीर के साथ खिलवाड़ करने वाली थी और मेरे गुरु को वह किताब पढ़ने के साथ ध्यानपूर्वक शमशान डाकिनी के मंत्रों का जाप भी करना था। यह साधना में विशेष तरह की। परीक्षाएं होती हैं। मेरे गुरु तैयार थे उन्होंने सोचा जो कुछ भी होगा अब देखा जाएगा अगर बड़ी सिद्धि करनी है तो यह सब तो झेलना पड़ेगा ही। उन्होंने अपने मन को तैयार किया और देवी को प्रणाम करते हुए कहा अब आप जैसा चाहती हैं वैसा करें। एक बार फिर से मेरे गुरु उसी आसन में बैठ गए और सामने पूजा संपन्न करने लग गए। डाकिनी शक्ति से प्रकट हुई रूपवती स्त्री आकर उनकी गोद में बैठ गई उसने मेरे गुरु को जकड़ लिया। मेरी गुरु की गर्दन और उसकी गर्दन आपस में लगी हुई थी। शरीर पर पूरी तरह से वहां चिपकी हुई थी। शारीरिक अंग एक दूसरे से टकरा रहे थे। आप सोचिए कि कितनी गंभीर अवस्था होगी किसी साधना के लिए कि उसका मन भटक जाए। इधर मन ना भटके। उसका उपाय भी शमशान डाकिनी ने किया था। क्योंकि शमशान डाकिनी का संबोधन मां काली के स्वरूप से किया गया था। इसलिए वह अपनी उग्रता और तामसिकपन बहुत ही कम दिखा रही थी। मैं आप लोगों से यह बात कहना चाहूंगा कि जब भी आप शमशान डाकिनी की साधना करें उन्हें माता काली का स्वरूप मानकर पूजा करेंगे तो उनका काम रूप शांत होता जाता है। हालांकि जिसका जैसा स्वरुप होता है वह सदैव वैसा ही रहने वाला है। लेकिन जब हम किसी विशेष शक्ति से किसी विशेष शक्ति को जोड़ लेते हैं तो उस अवस्था में उसकी बुरी शक्तियां कम से कम हम को नुकसान पहुंचाती हैं और वह कम से कम बुरे तरीके से हमारी परीक्षा भी लेती है। उन्होंने यहां पर इस बात में सफलता प्राप्त कर ली थी। उनके हाथ में एक पुस्तक प्रकट हो गई। उस पुस्तक को वह पढ़ने लगे पता नहीं कैसे-कैसे उसमें मंत्र लिखे हुए थे वह पुस्तक पढ़ते जा रहे थे और इधर उनके शरीर को वह डाकिनी की शक्ति रतिक्रिया सी कर रही थी। उसने अपने नाखून इनके शरीर में हर तरफ इस प्रकार फेरने शुरू कर दिए। जैसे कि कामदेव रति क्रिया में तल्लीन हो। आप लोग समझ ही सकते हैं कि कितनी भयंकर परीक्षा मेरे गुरु की हो रही थी ऊपर से शमशान डाकिनी ने सीधा कहा था। अगर तुम्हारा मन भटका तो सिद्धि तो जाएगी और तुम्हारे प्राण संकट में भी आ सकते हैं मेरे गुरु किसी प्रकार से अपने आप को और अपने शरीर में हो रही सिहरन को लगातार दबाए रखें। इस प्रकार उनकी साधना चलती रहे। यहां पर मैं अपने गुरु को प्रणाम करता हूं और कहता हूं कि सचमुच उन्होंने वहां पर जितेंद्रीय होकर अपने आप को जीत लिया था। इसके बाद जैसे जैसे साधना संपन्न होती जा रही थी। वैसे वैसे वह स्त्री इनके साथ खिलवाड़ करती जा रही थी। पर उन्होंने इस बात की ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया उनके शरीर से पसीना ऐसे चू रहा था जैसे कि वह नहा गए हो। लेकिन उन्होंने इस बात की और तनिक भी ध्यान नहीं दिया वह अपनी किताब को लगातार पढ़ते जा रहे थे। किताब में ऐसे ऐसे रहस्य लिखे हुए थे कि उनको समझना आसान नहीं था। इस प्रकार वे धीर गंभीर हुए जा रहे थे जैसे कि उन्हें कोई रहस्यमई किताब मिल गई है। सचमुच में उन्हें जो किताब पढ़ी थी वह इस लोक की नहीं थी। उसके अंदर भिन्न-भिन्न प्रकार की शक्तियां मौजूद थी। इतनी अधिक शक्तिशाली किताब थी कि जब वह उसे पढ़ते थे तो जो शक्ति को वह देखना चाहते थे वह किताब के मध्य में उन्हें वैसे ही दिखाई देने लगती थी। कभी-कभी शक्तियां। प्रकट होकर चारों ओर घूमने लगती थी। मैं वर्णन भी नहीं कर सकता कि कैसी कैसी शक्तियां और कैसे-कैसे भयंकर प्रेत शक्तियां उनके सामने प्रकट हुई होंगी? इस प्रकार से वह साधना करते चले जा रहे थे। साधना का आखिरी दिन होने पर उस शक्ति ने एक बार फिर से इनके शरीर पर अपने। नाखून गड़ाने शुरू कर दिए बुरी तरह नाखून गड़ाने से अब उन्हें दर्द होने लगा था। इस बात से वे घबरा रहे थे कि कहीं उनका संयम टूट ना जाए। आगे क्या हुआ मैं आपको अगले भाग में भेजूंगा प्रणाम गुरु जी नमस्कार। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद।

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