शिवरात्रि विशेष शिवमल्लिका (शिवलिंगी) योगिनी साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का जो यह वीडियो है यह शिवरात्रि पर होने वाली 1 दिन की एक शुभ और गोपनीय योगिनी साधना से संबंधित है, जिसे हर व्यक्ति कर सकता है। यह साधना की मांग की थी कि उन्हें शिवरात्रि पर कोई तांत्रिक और छोटी साधना जो 1 दिन में संपन्न हो जाती है, उसके विषय में बताया जाए। वह सर्वथा गोपनीय हो और व्यक्ति उसे कर पाए। शिवरात्रि के दिन क्योंकि यह दिन न सिर्फ भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से संबंधित है। इसी कारण से स्वर्ग से लेकर के पाताल लोक तक सभी भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना कहते हैं। इसी कारण से लगभग सभी प्रकार की शक्तियां आ जाती हैं। पृथ्वी लोक में क्योंकि इनका विवाह पृथ्वी पर हुआ था। इसी कारण से भगवान शिव को प्रसन्न करने की यह अद्भुत रात्रि है। माता की और भगवान शिव की सेवा में उपस्थित होने वाली सभी शक्तियों को इसी रात्रि में सिद्ध किया जा सकता है तो आइए जानते हैं। शिवरात्रि विशेष की शिवमल्लिका योगिनी साधना के विषय में कहते हैं। एक बार जब भगवान शिव और माता पार्वती शिवरात्रि के शुभ दिन पृथ्वी भ्रमण के लिए निकलते हैं क्योंकि हम हमेशा जानते हैं कि वर्ष में एक बार माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया है। कि 1 दिन में जगत के लिए अपने नेत्र खोल कर रख लूंगा और स्वयं शिवरात्रि के दिन उनकी नजर अपने समस्त प्रकार के भक्तों पर होती है। चाहे वह दानव हो, मानव हो या देवता हो, इसीलिए एक बार भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी भ्रमण के लिए निकले हुए थे और वह शुभ दिन शिवरात्रि का था ताकि वह किसी भक्तों का कल्याण कर सकें। तभी माता पार्वती की नजर एक स्त्री पर पड़ जाती है जो बहुत जोर जोर से विलाप कर रही थी और वह शिवलिंग के सामने रो रही थी। माता पार्वती कहती हैं कि इसके जीवन में क्या कष्ट है तो भगवान् शिव कहते हैं। अगर आपको इसकी समस्या को समझना है तो उसके पास तो जाना ही पड़ेगा। इसलिए आपकी इच्छा अगर आप उसके पास जाना चाहे तो तब माता ने कहा, आपकी यह भक्त आज के दिन आपसे रो रो कर प्रार्थना कर रही है। इसलिए अवश्य ही इसकी सहायता करनी चाहिए।
क्योंकि आपका अपने भक्तों पर ऊपर बड़ा ही करुणामय स्वरूप है। सभी आपको अपनी अपनी समस्याओं के लिए पुकारते हैं। भगवान शिव कहने लगे कि इसका पूर्व जन्म का पाप का बड़ा है। इसी कारण से इसे जल्दी उस कार्य में सफलता नहीं मिल पा रही है। माता पार्वती एक स्त्री का वेश धारण करके तब उसके पास पहुंच जाती हैं। मंदिर की घंटी बजाती हैं। यह स्त्री पीछे मुड़कर देखती है। तब यह स्त्री के रूप में माता पार्वती उस स्त्री के पास पहुंचती हैं और उसकी परेशानी का कारण पूछती हैं तो वह बताती है कि वह मां नहीं बन सकती है और इसी कारण से परिवार के सारे सदस्य कह रहे हैं कि वह हमें ससुराल से बाहर निकाल देंगे। मुझे अपना ससुराल छोड़ कर जाना होगा। मेरा पति मेरे ससुर मेरी सास सभी के सभी तब।
जब मैंने इस बात को नहीं माना तो उन्होंने एक वैद्य और एक ज्योतिषी को भी दिखाया और दोनों ने कहा है कि तुम्हारे भाग्य में संतान का सुख नहीं है। अब मेरे सामने कोई उद्देश्य नहीं बचा। मेरी तो यही इच्छा है कि मैं अपना सर शिवलिंग पर पटक पटक कर यही मर जाऊं। शायद मुझे मुक्ति की प्राप्ति हो जाए। इस संसार से मुझे कुछ भी नहीं मिलने वाला है। मैं बांझ ही मर जाने वाली हूं। तब माता पार्वती ने कहा, ऐसा नहीं है। पुत्री तुम्हारे जीवन को तुम स्वयं बदल सकते हो। मनुष्य जीवन इसीलिए दिया गया है कि अपने प्रारब्ध को भी मनुष्य अपनी मेहनत से बदल सके लेकिन? तुम्हें इसे बदलने के लिए कुछ विशेष करना होगा। रुको मैं अपने पति को बुलाती हूं और उन्होंने कहा, हे स्वामी नीचे आइए और दरवाजे जोकि मंदिर का द्वार था। वहां से भगवान शिव एक वैद्य के रूप में वहां पर आ जाते हैं और तब माता पार्वती भगवान शिव से कहती हैं कि यह स्त्री बहुत परेशान है। इसके जीवन में पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही आप कोई। दुर्लभ उपाय बताइए। तब भगवान शिव जो कि उस वक्त वैद्य के रूप में मौजूद थे, उन्होंने कहा, अरे इसका तो एकमात्र शिवलिंग ही उपाय है। ठीक है मैं इन्हें इसका मार्ग बताता हूं।
तब वो कहते हैं हे पुत्री बाहर मंदिर से निकलो। मैं तुम्हें इस वन में एक दुर्लभ औषधि के बारे में बताता हूं तब वह उसे लेकर बाहर आए और उन्होंने एक जंगल में।
एक शिव मल्लिका (शिवलिंगी) नाम की औषधि के विषय में बताया और कहा कि भगवान शिव के मंत्रों के साथ इसका पूजन और विधान मैं तुम्हें बताता हूं। इसका भक्षण तुम्हें किस प्रकार से करना है, इसकी सारी विधि बताता हूं और आज से 1 वर्ष के भीतर तुम निश्चित रूप से। मां के रूप में एक सुंदर और सुयोग्य पुत्र को उत्पन्न करोगी। इस प्रकार भगवान शिव ने उसे सारी विधि बता दी। वह स्त्री अपने पति के पास जाकर कहने लगी। मैं आज से अपने घर के पास ही के वन में रहूंगी और आपके पास भगवान की आज्ञा से विशेष दिनों में आऊंगी तब आपको मुझे। पत्नी के रूप में रति सुख देना होगा। इसके बाद में फिर चली जाऊंगी और मैं आपको वचन देती हूं कि 1 वर्ष में अगर मैं संतान उत्पन्न नहीं कर पाई तो हमेशा कि आप लोगों के जीवन से चली जाऊंगी। इस प्रकार दृढ़ निश्चय अपनी पत्नी को देखकर उस व्यक्ति ने कहा ठीक है। वन में मैं तुम्हारे लिए कुटिया का निर्माण कर देता हूं।
और? तुम्हारे अनुसार जब भी तुम आती रहोगी तब तक मैं तुम्हें प्रसन्न रख लूंगा। पत्नी का समस्त सुख दूंगा। स्त्री एक विशेष तरह की आराधना में चली जाती है। विशेष दिनों में वह अपने पति के पास सहयोग करने के लिए आती रहती है और फिर एक दिन जब वह अपने पति के पास आती है तो उसका बढा हुआ पेट देखकर पति बहुत प्रसन्न होता है और कहता है सच में तुमने तो चमत्कार करके दिखाया है। अपनी जन्मपत्री को जिसमें पुत्र योग नहीं था, उसको नष्ट कर दिया और भाग्य को भी बदल दिया है। इस प्रकार वह स्त्री 1 वर्ष के बाद एक सुंदर पुत्र को जन्म देती है। ज्योतिषी जी भी अपने सिर को खुजाते हुए कहते हैं। यह तो किसी चमत्कार से कम नहीं है। भाग्य में परिवर्तन तुमने कैसे कर दिया तब उसने कहा, यह सिर्फ भगवान शिव की कृपा और शिव मल्लिका योगिनी की कृपा से हुआ है।
तब उसके पति ने कहा, मैंने तुम्हारा अपमान किया। शायद इसी वजह से मेरा व्यापार पूरी तरह बैठ गया है। घर में भोजन की भी समस्या उत्पन्न हो रही है। क्या देवी शिव मल्लिका मुझ पर भी प्रसन्न होंगी तब वह कहती है जो प्रक्रिया मैंने की है। वही प्रक्रिया आप कीजिए और देवी को माता के रूप में सिद्ध कीजिए। आप यह प्रयोग बार बार शिवरात्रि पर कीजिए। आपकी हर प्रकार की समस्या को वह हल करती रहेंगी। तब उस व्यक्ति जो कि उस स्त्री का पति था, उसी वन में जाकर बताई गई प्रक्रिया को उसने भी किया और फिर शिवरात्रि के दिन शिव मल्लिका योगिनी साक्षात प्रकट हो गई उन्होंने। बहुत ही सुंदर स्वरूप धारण कर रखा था और कहने लगी। मैं तुमसे प्रसन्न हूं। क्या तुम मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हो तब वह व्यक्ति घबरा कर कहने लगा देवी मैंने तो केवल आपको माता के स्वरूप में ही जाना है। मेरी पत्नी भी है। इसलिए आप मुझे माता के रूप में ही नजर आती हैं तब वह देवी शिव मल्लिका प्रसन्न होकर कहने लगी। मैं भगवान शिव की शक्ति के कारण पृथ्वी पर उत्पन्न हुई थी। तुम्हारी पत्नी के दुख को देखकर भगवान शिव ने मुझे इस पृथ्वी पर पैदा कर दिया था।
मैं शिवरात्रि के दिन जागृत हो जाती हूं। मैं तुम्हारी परीक्षा ले रही थी कि वास्तव में तुम मुझे प्राप्त करने योग्य हो या नहीं। तुम्हारा विवाह हो चुका है। इसलिए तुम्हारा कर्तव्य तुम्हारी पत्नी के प्रति है। इसी कारण से तुमने सही अनुमान लगाया। मैं तुम्हें मां या बहन के रूप में ही चयन कर सकती थी। तुमने मेरा चयन मां के रूप में किया है इसलिए मैं तुम से प्रसन्न हूं जाओ। आज से तुम्हारा व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि से बढ़ेगा और तुम्हारे पास धन की कोई समस्या नहीं होगी। इस पूरे नगर में तुमसे ज्यादा धनाढ्य कोई और नहीं होगा। मैं स्वयं तुम्हारे मन में विचार डालती रहूंगी। जिन विचारों के आधार पर तुम्हारा व्यापार बहुत तीव्रता के साथ बढ़ जाएगा इस प्रकार! भगवान शिव और माता पार्वती की शिवरात्रि की यात्रा के कारण देवी शिव मल्लिका योगिनी पृथ्वी पर अवतरित हो पाई और उसके बाद उन्होंने एक स्त्री का संतान सुख देकर कल्याण किया। उसके बाद उसके पति का कल्याण किया। उसे सिद्धि प्रदान कर और धन का अभाव हमेशा के लिए दूर करके।
साधना को हर व्यक्ति कर सकता है और यह भगवान शिव को प्रसन्न करने वाली साधना मानी जाती है। माता की यह योगनी शक्ति है और दोनों के ऊर्जा स्वरूप को धारण करती है। यह एक शुभ साधना है और शिवरात्रि पर करने से निश्चित रूप से लाभ प्राप्त अवश्य होता है तो इस साधना को मैंने आपके इंस्टामोजो स्टोर पर उपलब्ध करवा दिया है। इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक है। वहां से क्लिक करके आप इंस्टामोजो स्टोर पर जाकर इस साधना को खरीद सकते हैं और शिवरात्रि पर करके देवी शिव मल्लिका को प्रसन्न कर सकते हैं। आज का वीडियो आप लोगों को अगर पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।