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शेषा नागिन की प्रेम कहानी भाग 2

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शेषा नागिन की प्रेम कहानी भाग 2

नमस्ते गुरुजी,

अब आगे की कहानी मैं आपको लिख कर भेज रहा हूं। साधु ने यह बात जान ली थी कि अनंत नामक नाग को शेषा के पास लाना होगा। इसके लिए वह एक तांत्रिक से मिला, जो सर्व विद्या में पारंगत था। उसके पास बहुत सारे इच्छाधारी नाग और नागिन थे, लेकिन उनकी शक्तियां तपस्या के कारण कम थीं। उनमें से एक सबसे शक्तिशाली काला नाग था।

तांत्रिक ने कहा, “सुनो, मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं, लेकिन इसके बदले मुझे क्या मिलेगा? मेरे पास एक काला नाग है जो रूप बदलने की क्षमता रखता है। तुम कहो तो मैं इसका प्रयोग कर सकता हूं, लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा, यह बताओ।”

साधु ने कहा, “तुम और मैं मिलकर इस दुनिया पर राज कर सकते हैं। मैं जानता हूं कि एक नागिन ने अपनी नागमणि शिवलिंग के पास रखी थी। उस मणि में बहुत शक्ति है। यह कोई साधारण नागिन नहीं है, इसने 1000 वर्षों की तपस्या की है। यदि हम उसकी मणि प्राप्त कर लेते हैं, तो हमारे लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा।”

तांत्रिक ने कहा, “मैं समझ गया। नागिन निश्चित रूप से बहुत शक्तिशाली है। 1000 वर्षों की तपस्या के बाद ही नागमणि मिलती है। ऐसी मणि को हासिल करना सौभाग्य की बात होगी। लेकिन मणि का बंटवारा हम पहले ही कर लेते हैं, अन्यथा बाद में विवाद हो सकता है।”

साधु ने कहा, “ठीक है, 24 घंटे में 12 घंटे मणि मेरे पास और 12 घंटे तुम्हारे पास रहेगी। तुम दिन में इसे रखो और मुझे रात को दे दो।”

तांत्रिक ने कहा, “ठीक है, मैं रात्रि में मणि रखूंगा और तुम दिन में।” उसने अपनी पिटारी में से एक शक्तिशाली काले नाग को बाहर निकाला। काले नाग ने मनुष्य का रूप धारण कर कहा, “स्वामी, आज्ञा दें, ताकि मैं कार्य कर सकूं।”

तांत्रिक ने कहा, “काला नाग, तुम्हें एक महत्वपूर्ण कार्य करना है। तुम्हारा नाम अनंत होगा और तुम्हें शेषा नामक नागिन को वश में करना है। उसकी मणि को लाकर मुझे देना है। अब तुम साधु के साथ जाओ और अपना मायाजाल बुनो।”


प्रेम में तड़पती शेषा नागिन भगवान शिव की आराधना करने लगी। सावन के महीने में उसने श्री रूद्राष्टक का पाठ शिवलिंग के सामने किया और अपने गायन से भगवान शिव को प्रसन्न किया-

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥ चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥ प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् । त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥ कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी । चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥ न यावत् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् । न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ ७॥ न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् । जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥ ८॥

गायन समाप्त कर जब उसने मुड़कर देखा तो सामने वही साधु एक व्यक्ति के साथ खड़ा था। यह देखकर नागिन बहुत प्रसन्न हो गई और साधु को प्रणाम करते हुए कहा, “साधु महाराज! क्या आपने मेरी अनंत को ढूंढा?” साधु मुस्कुराते हुए बोले, “देखो, यह तुम्हारा प्रेमी है, इसका नाम अनंत है।”

नागिन बड़े गौर से उस पुरुष को देखने लगी।


आगे की कहानी अगले भाग में जानेंगे। यदि यह कथा आपको पसंद आई हो, तो लाइक करें, शेयर करें, और सब्सक्राइब करें। आपका दिन शुभ हो। जय मां पराशक्ति।

शेषा नागिन की प्रेम कहानी भाग 3

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