शेषा नागिन की प्रेम कहानी भाग 3
नमस्कार दोस्तों, धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है।
शेषा नागिन की प्रेम कहानी में आगे आप जानेंगे कि क्या घटित हुआ था। गुरु जी, नागिन प्रसन्न हो गई और साधु को प्रणाम करते हुए कहती है, “क्या सच में यही मेरा प्रेमी अनंत है?” तब साधु कहता है, “हां, बिल्कुल यही तुम्हारा सच्चा और वास्तविक प्रेमी है, जिसके लिए तुम न जाने कितने वर्षों से तड़प रही हो। अगर तुम इससे विवाह करोगी तो यह तुम्हारे लिए नागलोक का विधिवत द्वार खोल देगा। इसीलिए तुम्हारा इससे प्रेम और विवाह करना बहुत ही आवश्यक हो जाता है।”
नागिन ने कहा, “साधु महाराज, सच में आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। मैं आपसे अति प्रसन्न हूँ और आपको कुछ देना चाहती हूँ।”
साधु ने कहा, “अरे, इसमें मेरे लिए कुछ करने की क्या आवश्यकता है? मैं तो पहले से ही लोगों की भलाई करता रहता हूँ, बिना किसी स्वार्थ की चाहत में।”
नागिन ने कहा, “नहीं महाराज, आपने मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य मुझे प्रदान किया है। इसलिए मैं आपको एक गोपनीय सिद्धि प्रदान करती हूँ। आप इस मंत्र का उच्चारण करके जब चाहेंगे रूप बदल सकेंगे। यह विद्या आपके कभी काम आए तो मैं अपने आप को भाग्यशाली मानूंगी।” और उसने वह विद्या साधु को प्रदान कर दी, बिना यह जाने कि साधु ही उसका सबसे बड़ा शत्रु है।
नागिन को इस बात का पता नहीं था कि वास्तव में क्या घटित हो रहा है। उसने कभी नहीं सोचा था कि जो चीजें सरल नजर आ रही हैं, उनके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र काम कर रहा है। साधु ने इशारे से काले नाग को यह बात समझा दी कि उसे नागिन के साथ कैसा व्यवहार करना है। और काला नाग उसके सामने जाकर खड़ा हो गया। इधर साधु वहां से निकल गया, क्योंकि वह अब बिल्कुल तैयार था कि जिस दिन काला नाग और शेषा की शादी हो जाएगी, उसके बाद उसकी मणि पर भी काले नाग का पूरा अधिकार होगा और तब मणि प्राप्त करना बहुत ही आसान हो जाएगा।
साधु गोपनीय तांत्रिक के पास चला गया। इधर नागिन काले नाग के गले लगती है और कहती है, “मैं बरसों से तड़प रही थी। मैं चाहती थी कि मुझे मेरा सच्चा प्रेम मिले। भगवान शिव की कृपा से आज तुम मुझे मिल गए हो। आओ चलो इस जंगल में अपनी खुशियों का प्रदर्शन करते हैं।” और वह काले नाग के साथ जंगल में नाचने और गाने लगी और एक अद्भुत और सुंदर गाना गाया।
1 दिन काले नाग के पास एक हिरण आता है और उसे डराता है। काला नाग क्रोध में भरकर उसे काट लेता है और उसी क्षण उसकी मृत्यु हो जाती है। यह देखकर नागिन कहती है, “मैं अप्रत्याशित रूप से देखती हूँ कि तुम्हारे अंदर क्रोध की मात्रा बहुत ज्यादा है। हम देवी और देवता की तरह होने वाले हैं। हमें विनम्र होना चाहिए। अगर तुम्हें डर लग रहा था तो तुम्हें उसे फनकार कर भगा देना चाहिए था, पर तुमने तो क्रोध में आकर उसे मार डाला। मैं ऐसा व्यवहार अपने पति से बिल्कुल भी नहीं चाहती। इसलिए मैं चाहती हूँ कि आप अपना व्यवहार बदलें।”
काला नाग यह बात सुनकर असमंजस में आ जाता है क्योंकि उसे पहले ही बताया गया था कि किसी भी प्रकार से नागिन को रुष्ट नहीं करना है। लेकिन काला नाग स्वभाव से ही क्रोधी था और उसे अपने स्वभाव पर नियंत्रण रखना आवश्यक था। अन्यथा शेषा जल्दी ही सब कुछ जान जाती।
1 दिन शेषा काले नाग के साथ जंगल में भ्रमण कर रही थी कि तभी वह कहने लगी, “अरे, बहुत सारे नाग किधर जा रहे हैं?” तब काले नाग ने कहा, “लगता है किसी ऐसी जगह जा रहे हैं जहां पर सारे नागों का जमावड़ा लगा होगा।” शेषा नागिन अपनी सिद्धि का प्रयोग करती है और मणि से पूछती है। मणि उसे सारा दृश्य दिखा देती है। प्रतीक्षा के बाद धरती में अपने आप नागद्वार खुल जाता है।
नागद्वार इतना अद्भुत होता है कि 1 दिन के लिए नागलोक जाने का मौका सभी सिद्धियों और साधकों को मिलता है। यह गुप्त नाग मंदिर का द्वार पृथ्वी पर खुल जाता है। इसलिए कोई भी नाग जो भी सिद्धिवान है, यहां जाकर भगवान शिव की आराधना करना चाहता है ताकि उसे वरदान प्राप्त हो और उसकी शक्तियों और सिद्धियों में बढ़ोतरी हो। गुप्त नाग मंदिर में प्रवेश करने की योजना, शेषा नागिन और काले नाग दोनों मिलकर बनाते हैं।
तब शेषा कहती है, “चलो, मैं भी गुप्त नाग मंदिर में चलती हूँ।” फिर शेषा और काला नाग दोनों गुप्त नाग मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं। वहां पर बड़ा भारी उत्साह दिखाई देता है। भगवान शिव के विशालकाय दिव्य मंदिर के चारों तरफ लाखों-करोड़ों नाग-नागिन बड़ी खुश होकर नृत्य कर रहे थे। तभी शेषा प्रसन्न हो जाती है और कहती है, “यह अद्भुत और दुर्लभ है। यहां पर तो बहुत शुभ कार्य हो सकते हैं।” तभी वहां पर नाग ऋषि शेषा को देखकर कहते हैं, “तुम्हारे अंदर तो बड़ा तेज दिखाई पड़ता है। तुम तो नाग शक्ति नगरी आती हो, तुम्हारा स्थान पृथ्वी पर नहीं होना चाहिए। तुम तो नाग देवी बनकर नागलोक में वास करने योग्य हो। तुम्हारी दिव्य वाणी को देखकर मैं स्पष्ट रूप से समझ सकता हूँ।”
नाग ऋषि की इस प्रकार की बात सुनकर शेषा बहुत खुश हो जाती है और कहती है, “ठीक है, तो फिर मुझे क्या करना चाहिए?”
नाग ऋषि कहते हैं, “तुम्हारा विवाह करना चाहिए। इससे अच्छा है कि अभी मैं तुम्हारा छोटा सा विवाह तुम्हारे प्रेमी के साथ करा दूं।”
तब नाग ऋषि ने कहा, “अच्छा, मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा।” नाग ऋषि भगवान शिव के उस मंदिर में गुप्त रूप से इन दोनों का विवाह संपन्न कराने की तैयारी करने लगे।
नाग ऋषि ने कहा, “मैंने अभी तक कभी बेमेल विवाह नहीं कराया है। नागिन ने 1000 वर्ष की तपस्या के बाद दिव्य मणि प्राप्त की है। पर तुम्हारे पास तो कोई मणि भी नहीं है। तुम इससे कैसे प्रेम कर रही हो और यह भी स्वीकार क्यों कर रही हो? तुम्हारे पास भी तो कोई नागमणि होनी चाहिए तभी तुम्हारा विवाह उपयुक्त रीति से हो सकता है।”
काला नाग ने कहा, “मेरी मणि गोपनीय रखी है। आपको थोड़ी देर में दिखा दूंगा।”
नाग ऋषि कहते हैं, “विवाह के लिए दोनों का अपनी मणियां उतार कर भगवान शिव के शिवलिंग के सामने रखना आवश्यक है। तभी तुम दोनों का विवाह हो सकता है।” तब शेषा अपनी मणि निकाल कर रख देती है और काला नाग की तरफ देखती है।
तब काला नाग कहता है, “पहले तुम स्नान करके आओ। यूं ही विवाह नहीं करना चाहिए।” और नागिन उसकी बातों में आ जाती है। वह बने कुंड में जाकर स्नान करने चली जाती है।
जब नागिन वापस आती है तो नाग ऋषि घायल अवस्था में पड़े थे। वह कहते हैं, “तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है। तुम्हारी नागमणि लेकर वह नाग भाग गया है जिससे तुम विवाह करना चाहती थी।” यह सुनकर शेषा ऊपर से नीचे तक हिल जाती है। उसने कभी नहीं सोचा था कि जिससे वह विवाह करने वाली है, वह उसे धोखा देकर उसकी नागमणि लेकर चला जाएगा। शेषा क्रोध में भर जाती है।
इधर काला नाग नागमणि उठाकर साधु के पास पहुंच जाता है। काला नाग साधु को देने से पहले कहता है, “मैं इस नागमणि को अपने पास रख लूंगा।” तब साधु उस पर क्रोधित हो जाता है।
इस कथा में आगे क्या होगा? जानेंगे हम लोग अगले भाग में। अगर यह जानकारी और कहानी आप लोगों को पसंद आ रही है तो लाइक करें, शेयर करें, और चैनल को सब्सक्राइब करें।
आप सभी का दिन मंगलमय हो। जय माँ पराशक्ति।
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