साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 214
प्रश्न १ :- माता जगदंबा ने ही अनंत कोटि ब्रह्मांड और त्रिदेव की रचना की है तो फिर माता ने मनुष्य और अन्य प्राणियों में केवल पुरुष को ही नारी से बलशाली क्यों बनाया, स्त्री को क्यों नहीं बनाया?
उत्तर:- पहली बात तो यह एक प्रकार से स्वयं को गलत धारणा में रखना है कि दोनों में से कौन ज्यादा बलशाली होता है | व्यक्ति बलशाली मन से होता है और अपने कार्यों से होता है, अगर आप एक छोटे बच्चे को जिसकी उम्र 10 या 12 साल है उसे एक वास्तविक बंदूक पकड़ा दे और उसे कहिये की तुम गोली चलाना सीख लो तो कुछ समय के बाद वह सीख जाएगा और कल्पना करे की उसके सामने एक बलशाली पुरुष हो जो कि अखाड़े में लड़ता हो और जो एक ही हाथ से दो लोगों की गर्दन दबोच सकता हो, वह तेजी से दौड़ता हुआ उस बालक को मारने के लिए आए और बालक को यह कहा जाए कि तुम गोली चला तो ऐसे में जीत किसकी होगी निश्चित रूप से बलवान पुरुष की जीत नहीं होगी जीत होगी उस बालक की क्योंकि वह गोली से तब तक उसके शरीर को इतने छेद देगा कि वह व्यक्ति मारा जाएगा |
हमारे यहां जो अधिक बलशाली है वो हमेशा स्त्री ही रही है क्योंकि जीवन देने का कार्य स्त्री का ही होता है, पुरुष कभी भी किसी बालक या बालिका को जन्म नहीं दे सकता है| लेकिन हमारे यहां एक परंपरा चली आ रही है, सिर्फ हमारे ही देश में नहीं पूरे संसार में है इसलिए उनको घर के कार्य सौंपे गए क्योंकि स्त्री के पास बालक रहेगा या बालिका रहेगी तो उसे उसकी रक्षा, सुरक्षा से लेकर सारे कार्य करने हैं इसको देखते हुए ही घर के सारे कार्य स्त्रियों को सौंप दिए गए | घर के कार्य बहुत सरल होते हैं लेकिन घर के बाहर के कार्य हमेशा कठिन होते हैं क्योंकि वहां पर अधिक परिश्रम करना होता है|
समय के साथ में धीरे-धीरे इसी कारण से पुरुष अधिक बलशाली होता चला गया शरीर के रूप से क्योंकि बाहर के काम कठिन कार्य थे और घर के कार्य बहुत छोटे-छोटे और हालांकि वह संख्या में उतने ही होते हैं लेकिन वह सरल होते हैं तो इस वजह से शरीर की जो शक्ति का विकास है वह स्त्रियों में कम होता चला गया और फिर घर में रहने के कारण स्त्रियां धीरे-धीरे नाजुक होती चली गई | जन्म लेते समय जब कोई बच्चा लड़का या लड़की के रूप में पैदा होता है तो आप खुद ही देखिए कि एक लड़की और लड़का दोनों बराबर बलशाली पैदा होते हैं यहां तक कि कुछ जगह तो देखा गया है कि लड़कियां जब छोटी होती हैं तो ज्यादा एक्टिव शक्तिशाली होती हैं लेकिन समय के साथ में उनमें बदलाव होता चला जाता है तो इसलिए यह कहना कि स्त्री को बलशाली नहीं बनाया गया ये गलत है |
प्रश्न २ :-अगर हम किसी जरूरतमंद इंसान को धन या किसी प्रकार से मदद करें तो क्या उनका पाप हमें अपने ऊपर लेना होता है?
उत्तर:- अगर आपने किसी व्यक्ति की मदद की है और सच में उसे आवश्यकता थी तो निश्चित रूप से आपको पुण्य प्राप्ति होगी लेकिन अगर आपको कोई व्यक्ति मिलता है सड़क पे जो कह रहा है कि मुझे कुछ रुपए दे दो, मेरे पास कपड़े नहीं है, मेरे पास धन भी नहीं है, मैं कुछ नहीं कर सकता हूं और तब आपने उसे कुछ पैसे उधार या सीधे-सीधे दान कर दिए और वह पैसे लेकर के सीधे शराब की दुकान पे चला गया और उसने शराब पी ली उसके बाद से अपने परिवार में झगड़ा किया या मार पिट किया तो इस अवस्था में आपके उस धन का पाप आपके ऊपर भी लगेगा इसलिए कहा जाता है दान सोच समझ कर के देना चाहिए | दान अपने आध्यात्मिक गुरु को और ऐसे जीवों को जिनको भोजन की आवश्यकता है उनको देने से कोई पाप कर्म नहीं लगता है |
प्रश्न ३ :-जब भगवान शिव जी ने सभी मंत्र और साधनाओ के ऊपर प्रतिबंध लगाया हुआ है तो साधना में कुछ लोगों को सिद्धि क्यों मिलती है?
उत्तर:- भगवान शिव ने सभी मंत्रों के ऊपर किलक लगाया हुआ है केवल जो योग्य है, जो उस लायक है, जिसका उद्देश्य जनता का कल्याण हो, जो स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि जनमानस के कल्याण के लिए उन कार्यों को करेगा ऐसे लोगों को अवश्य ही भगवान शिव सिद्धि का वरदान प्रदान करते हैं और वो किलक को खोल देते हैं | लेकिन यह सिर्फ उसी के लिए खुलता है जो वास्तव में हर प्रकार से उनकी परीक्षा में सफल होता है काम, क्रोध, मोह, लोभ इत्यादि समस्त विकार से रहित होता है, देश और समाज के लिए कार्य करना चाहता है और सबका कल्याण करना चाहता है और लोगों को वास्तविक राह दिखाना चाहता है उसके लिए किलक हट जाता है | हमारे यहां आश्रम व्यवस्था थी तो आश्रमों में निवास करता हुआ व्यक्ति मोक्ष की ओर जाने वाला ऐसे मार्ग को बताने वाला ऐसे लोगों के ऊपर निश्चित रूप से ईश्वर की कृपा रहती है और उन्हें सिद्धियों की भी प्राप्ति होती है | जो भी इन चीजों का गलत उपयोग करेगा या गलत लोगों को देने की कोशिश करेगा तब भी उसकी सिद्धि नष्ट हो जाती है|
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