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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 133

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक नए अनुभव को लेंगे जो कि। एक व्यक्ति ने कुछ प्रश्नों के माध्यम से पूछे हैं और जो प्रश्न हैं वह साधक प्रश्न और उत्तर श्रृंखला में शामिल किए जा रहे हैं। पढ़ते हैं इनके पत्र को और मूल रूप से इन के प्रश्नों को।धर्म रहस्य के गुरु जी सूरज प्रताप को चरण स्पर्श। गुरु जी मैं आपका एक पुराना दर्शक हूं। मैं आपकी वीडियो को जनवरी 2019 से देख रहा हूं। गुरु जी मेरे कुछ विशेष पर अलौकिक अनुभव है जिसे मैं आपके चैनल पर भेज दूंगा। पर आप केवल मेरे साधक प्रश्न उत्तर श्रृंखला को शामिल कर इन के उत्तर देने की कृपा कीजिए।

उनके कुछ प्रश्न है वह इस प्रकार से हैं। कुछ आत्माएं बुरी होती हैं किंतु शक्तिशाली वह क्यों होती हैं?क्या पवित्र हृदय वाले लोगों को आत्माएं कुछ नुकसान नहीं करती हैं? क्या हमारे आस-पास अच्छी आत्माएं होती हैं? अगर हां तो उनसे संपर्क कैसे करें? अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से किसी भी शक्ति जैसे अप्सरा यक्षिणी नायिका जैसी शक्तियों की मदद मांगता है तो क्या वे उस व्यक्ति की मदद करेंगी अगर उस व्यक्ति का हृदय पवित्र हो? अगर किसी व्यक्ति को हमने मित्र रूप में सिद्ध किया है और वह हमें संभोग के लिए बार-बार कहता है, पर हमारा मन नहीं करता है तो क्या संभोग ना करने से वह शक्ति नाराज हो सकती है? गुरु जी इस पर वीडियो हम जल्दी बनाइए और अनुभव में आपको जल्दी भेज दूंगा। मेरी उम्र केवल 17 वर्ष है।

आपका धन्यवाद गुरु जी!

यहां पर इन्होंने कुछ प्रश्न पूछे हैं जिनके उत्तर मैं आप लोगों को देता हूं। सबसे पहले इन्होंने प्रश्न पूछा है कि कुछ आत्माएं बुरी होती है और वह इतनी शक्तिशाली आखिर क्यों होती है?

देखिये जो भी शक्ति चाहे वह प्रेत हो पिशाच हो या किसी अन्य तरह की कोई तामसिक शक्ति। अपनी मुक्ति को प्राप्त नहीं कर पाई लेकिन उसके अंदर! पहले से कोई तब ऊर्जा या? बदला लेने की बहुत बुरी भावना इत्यादि ऐसी कोई शक्ति उसके अंदर मौजूद है और उसने भी। बहुत समय व्यतीत कर दिया है। किसी कारणवश? उस वक्त अपनी मुक्ति की ओर ना सोच कर केवल। रिवेंज को सोच रही है तो वह बहुत अधिक शक्तिशाली होती चली जाती है। ऐसी आत्माएं बुरी होती हैं क्योंकि वह किसी का भला नहीं सोचती। सिर्फ अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए तेजी से दौड़ती हैं। यह बहुत अधिक शक्तिशाली होती हैं और इन को सिद्ध करके व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरी कर सकता है। लेकिन यह स्वयं किसी के काबू में जल्दी नहीं आती है और ज्यादातर तामसिक शक्तियां होती हैं जो श्मशान या किसी विशेष। स्थान पर विराजमान होती हैं।

अगला प्रश्न है क्या पवित्र हृदय वाले लोगों को आत्मा है, कुछ नुकसान नहीं करती हैं।इस प्रश्न का उत्तर यह है कि हृदय के पवित्र होने से आत्माओं का कोई लेना देना नहीं होता है।
आत्माएं उनकी खुद की सोच से।अपने!उद्देश्यों को पूरी करने के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं इसलिए! पवित्र हृदय होने पर भी, कोई आत्मा आप को नुकसान पहुंचा सकती है। क्योंकि उसका उद्देश्य स्वयं की इच्छा पूर्ति है। आपके हृदय को देखना नहीं है ।जैसे दुनिया में अच्छे लोगों को केवल अच्छे लोग ही मिले यह आवश्यक नहीं होता। अच्छे लोगों को बुरे लोग भी मिलते हैं और अच्छे लोग भी। ऐसा ही आत्माओं के साथ में भी है।अब अगला प्रश्न आपने पूछा है कि क्या हमारे आस-पास अच्छी आत्माएं होती हैं। अगर वह होती हैं तो उनसे संपर्क कैसे किया जाता है? तो देखिए! कोई भी आत्मा अच्छी है, यह तभी पता चलता है जब वह शक्ति आप के संपर्क में आएगी और फिर वह आप को नुकसान पहुंचाने के बजाय आपकी सहायता करने की कोशिश करेगी। लेकिन मैं स्पष्ट रूप से बता दूं ज्यादातर जो आत्माएं अच्छे हृदय की होती हैं, वह इस लोक में निवास नहीं करती हैं वहीं शक्तियां। देवी देवता योगिनी शक्तियां भैरवी, भैरव इत्यादि। के स्वरूप को धारण कर चुकी होती हैं क्योंकि वह स्वयं पवित्र हैं और हमेशा पवित्र आत्मा ही अधिक ऊंची श्रेणी को प्राप्त करती है। इसलिए अच्छे और बुरे की कैटेगरी यहां पर समाप्त हो जाती है। सीधी सी बात यह है कि जो आत्मा अच्छी है, वह अधिक शक्तिशाली हो कर मृत्यु लोक में निवास करने के बजाय किसी लोक में निवास करती है। इसीलिए उनसे संपर्क करने की विधि उनको पूजित करना पूजना। उनकी सेवा करना उनकी साधना करना होता है।तभी उनको आप अपने संपर्क में प्राप्त कर सकते हैं।

अब अगला प्रश्न आपने पूछा है कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से किसी भी शक्ति जैसे अप्सरा यक्षिणी नायिका की मदद मांगता है तो क्या वह उस व्यक्ति की मदद करेंगे अगर उस व्यक्ति का हृदय पवित्र हो।

अगर आपको किसी की हेल्प चाहिए? तो आपको उसके पास जाना पड़ता है। उससे बातचीत करनी पड़ती है फिर उसे प्रसन्न करके उसको अपने कार्यों में मदद लेनी पड़ती है। यही दुनिया की रीति है। ऐसा ही यहां पर भी होता है। आप सीधे किसी से मदद मांगेंगे तो वह आपकी बात क्यों सुनेगा? वही आपसे अगर प्रसन्न कर लेते हैं चाहे वह साधना के माध्यम से हो। सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा से हो। या आपने उनकी थोड़ी बहुत पूजा की हो? तब जवाब इन शक्तियों से मदद मांगेंगे तो अवश्य ही आपकी मदद करने की कोशिश करेंगे। जितनी अधिक आपकी और उसके बीच में प्रेम संबंध स्थापित होंगे। उतना ही अधिक वह शक्ति आपकी मदद करेगी। इसमें हृदय पवित्र होने से वह शक्ति भी प्रसन्न होती है लेकिन कोई नकारात्मक! या? अपवित्र हृदय वाला व्यक्ति भी ऐसी शक्तियों को प्रसन्न करके अपनी मदद मांग सकता है।

आप समझ गए होंगे कि किसी व्यक्ति के हृदय का पवित्र होना किसी शक्ति के सहायता के संदर्भ को नहीं दर्शाता है केवल इष्ट देवता।

गुरु मंत्र! और परमात्मा! ही! केवल पवित्र हृदय की पुकार को सीधे सुनते हैं और मदद भी करते हैं। इसके अलावा अन्य शक्तियों को आप को प्रसन्न करना ही पड़ता है।

इसी तरह आपका एक प्रश्न और आया है कि आपने पूछा है अगर किसी शक्ति को मित्र रूप में सिद्ध किया और वह संभोग के लिए बार-बार कहती है और आप अगर नहीं करते हैं तो क्या वह शक्ति आपसे रुष्ट हो जाएगी?

यहां पर आपको एक बात समझने की चेष्टा करनी है। आपने कौन सी शक्ति को किस उद्देश्य से सिद्ध किया है? आपने अगर संभोग देने वाली किसी शक्ति को सिद्ध किया है तो वह संभोग के लिए तो बार-बार कहेगी ही।

और उसका स्वभाव संभोग देना है तो फिर आप को उसके साथ संभोग करना चाहिए। लेकिन अगर ऐसी शक्ति जिसके? स्वभाव में यह चीजें नहीं है। वह कभी आपसे इस मांग को रखेगी ही नहीं। और फिर जब आपसे कोई मांग रखेगा ही नहीं तो फिर ऐसी चीजें आपके जीवन में घटित होगी ही नहीं। रही बात ऐसी शक्तियों को आपने पहले जिस रूप में पुकारा है वह उसी रूप में अधिकतर आपके साथ रहती हैं। वैसे तो शक्तियां जब तक कि वह तामसिक ना हो जबरदस्ती नहीं करती हैं। लेकिन? दूसरी तरह की शक्तियां आपसे पूछती हैं पहले और आपको केवल प्रसन्न रखने की कोशिश करती हैं। इसलिए ऐसा कुछ नहीं है कि अगर आपने उसके बार-बार निवेदन को नहीं स्वीकारा तो वह नाराज हो जाएगी। केवल तामसिक शक्ति ही नाराज हो सकती है। तामसिक शक्ति। नाराज इसलिए हो जाती है क्योंकि वह अपनी इच्छाओं में पहले से ही बहुत ज्यादा फंसी हुई है।

राजसिक और आपकी सात्विक शक्ति कभी भी आपसे इस कार्य के लिए नाराज नहीं होती है उसकी। इच्छा! आपकी इच्छा होती है क्योंकि जैसा व्यक्ति का स्वभाव होता है। वैसा ही वह स्वयं होता है।

सात्विक शक्ति आपकी इच्छा अधिक सोचेगी और उसी अनुसार कर्म करेगी।राजसिक आपके लिए क्या अच्छा है, वह अपनी इच्छा से आपको देने की कोशिश करेगी। तामसिक शक्ति स्वयं क्या चाहती है वहीं आपसे करवाने के? सदैव प्रयत्न करती रहती है। लेकिन? इन्हीं में अंतर यह देखने को मिलता है कि तामसिक शक्ति सबसे जल्दी सिद्ध होती है। राजसिक उसके बाद और साथ में सबसे देर में सिद्ध होती है। क्योंकि वह उत्तम है। उत्तम शक्ति को प्राप्त करना सदैव कठिन माना जाता है। इसलिए कोई भी साधना आप करते हैं तो उसमें आप पहले से ही मन में एक भावना स्थापित कर ले तो शक्तियां उसी अनुसार आचरण करती हैं और वैसे ही रूप और स्वरूप धारण करती है।

तो इस संसार में अच्छी आत्माएं भी हैं और बुरी आत्माएं भी है। अच्छी आत्माएं देवताओं की श्रेणी को पकड़े हुए हैं। बुरी आत्मा भूत प्रेत पिशाच। इत्यादि निम्न श्रेणियों को पकड़े हुए हैं।

जैसे देवता को सिद्ध करना अधिक समय लेता है और बहुत कठिन भी माना जाता है। किंतु भूतनी प्रेतनी पिशाचीनी को सिद्ध करना सरल माना जाता है और आराम से व सिद्ध हो जाती है।

इसी कारण! उसमें क्योंकि आपको प्राप्त करने की तीव्र इच्छा है । देवता! को प्राप्त करने की इच्छा आपके अंदर हो सकती है। उस देवता को आपको प्राप्त करने की इच्छा नहीं होती है। इसी कारण से सिद्धि में समय का अंतराल भी हम देखते हैं। तामसिक शक्तियां जल्दी सिद्ध होती हैं और सात्विक शक्तियां देर से सिद्ध होती हैं।

और यही अंतर बढ़ता है।बुरी आत्माओं और अच्छी आत्माओं के बीच में। लेकिन किसी भी साधना में पवित्र हृदय कोई महत्व नहीं रखता है।

महत्त्व रखता है आपका किया गया कर्म आपका प्रयास!जैसा प्रयास आप करेंगे वैसा ही आप रिजल्ट लेगे। केवल गुरु मंत्र।

ईष्ट साधना और परमात्मा की साधना में।आप का पवित्र हृदय सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है और बिना साधना किए भी। यह सभी आपके हृदय को समझते हुए आपकी सदैव मदद करते हैं और आपके लिए कल्याणकारी होते हैं।

तो यह थे आज के कुछ प्रश्न! अगर आपको यह वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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