साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 111
१. गुरुजी किस प्रकार पता करे की गुरु मंत्र सिद्ध हुआ कि नहीं ?
उत्तर :- गुरु मंत्र सिद्ध हो गया है यह कहना सही नहीं होगा क्युकी गुरु मंत्र की केवल कृपया प्राप्त की जा सकती है | इस प्रकार के महा मंत्रो को सिद्ध करना संभव नहीं हो पता है और बहुत कठिन तपस्या और साधना के द्वारा ही सिद्ध किया जा सकता है | अगर गुरु मंत्र सिद्ध हो जाए तो तीनो महाशक्तियो की शक्ति साधक में स्थापित हो जाती है और उस व्यक्ति की पुरे ब्रह्माण्ड में गति हो जाती है फिर वह कुछ भी कर सकता है | इसलिए गुरु मंत्र को सिद्ध करना मुश्किल है लेकिन आप जितना इस मंत्र की शक्ति को इसकी ऊर्जा को प्राप्त करेंगे उठना ही आप अपने जीवन में आगे बढ़ते जायेंगे साधना में छलाँग लगाते जायेंगे |
२. गुरु जी वैराग्य और संन्यास में अंतर क्या है ?
उत्तर:- वैराग्य का अर्थ होता है की आप किसी भी चीज़ में राग न ढूंढे या जिन भी चीज़ो से जीवन में राग उत्पन होता है उनका त्याग करना, जिससे किसी भी भावना का या कोई स्थिति का प्रभाव हमारे पे नहीं हो सके | संन्यास का अर्थ होता है अपने आप को भौतिक जीवन से काट लेना किसी के प्रति कोई मोह नहीं रहे अगर मूल रूप से देखा जाए तो वैराग्य और संन्यास में कोई अंतर नहीं होता है क्युकी वैरागी को संसार का मोह नहीं होता है और सन्यासियों को भी संसार का मोह नहीं होता | लेकिन इन दोनो में अंतर हो सकता है एक सन्यासी वैरागी ही हो जरुरी नहीं क्युकी कुछ के मन में मान प्रतिष्ठा का मोह हो सकता है और कई सन्यासी ऐसे भी होते है जिनको किसी भी चीज़ का मोह नहीं होता, उन्हें किसी भी बात की चिंता ही नहीं रहती | उन्हें इस बात की भी चिंता नहीं होती की अगर आज भोजन प्राप्त नहीं हुआ तो क्या होगा उनके मन में किसी प्रकार का कोई विचलन नहीं होता बस वह अपनी मस्ती में बैठे रहते है और उनका एक ही लक्ष होता है किसी प्रकार वह ब्रह्म को प्राप्त हो जाए और ऐसे सन्यासी सभी प्रकार के मोह से विरक्त रहते है | लेकिन कुछ कुछ सन्यासी सन्यास ग्रहण करने के बाद में राग में लीन रहते है मोह को प्राप्त रहते है |
३. गुरुजी ब्रह्म ज्ञान क्या होता है क्या ये ज्ञान केवल सन्यासियों को प्राप्त होता है ?
उत्तर:- ब्रह्म ज्ञान किसी भी व्यक्ति को प्राप्त हो सकता है जरुरी नहीं की केवल सन्यासी ही इसको प्राप्त कर सकते है | ब्रह्म ज्ञान का मतलब होता है किस प्रकार से परमात्मा को प्राप्त किया जाए या किस प्रकार से ब्रह्म में लीन हुआ जाए | ब्रह्म ज्ञान के माध्यम से एक बूँद अपने आप में समुद्र में मिल जाती है और जब वह समुद्र में अपने आप को विसर्जित कर देती है तो बून्द स्वयं समुद्र बन जाती है | ब्रह्म ज्ञान किसी को भी प्राप्त हो सकता है, साधारण व्यक्ति को भी प्राप्त हो सकता है और महा तपोनिष्ठ व्यक्ति को भी प्राप्त हो सकता है | ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति व्यक्ति के पूर्व जन्म के शुभ फलों के कारण या साधना के माध्यम से या योग्य गुरु के माध्यम से प्राप्त होता है |
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