साधिका की रतिपति गंधर्व साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का अनुभव है। यह रति पति गंधर्व साधना से संबंधित एक अविवाहित साधिका का है। उनके जीवन में इस साधना से जुड़े हुए कुछ अनुभव और प्रश्न है तो आइए पढ़ते हैं इनके ईमेल पर को और जानते हैं इनके अनुभव!
नमस्ते गुरुदेव,
गुरुदेव, मैं 26 वर्षिय अविवाहित कन्या हू
आपके चैनल से पिछले 7-8 महीनों से जुड़ी हुई हूँ। और यकीन मानिए गुरुजी, आपके चैनल से जुड़ना मेरे जीवन की किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। जब से मुझे आपका यह चैनल मिला है लगता है सालों की खोज मेरी पूरी हुई क्योंकि आप हर प्रश्न का इतने सही और प्यार से उत्तर प्रदान करते हैं मनो लगता है हम सच में आपसे जुड़े हैं।
बचपन में ही मैंने बहुत से पुराणिक किताबें और ग्रंथ पढ़े थे।
बचपन से ही मुझे तंत्र मंत्र पुराण को पढ़ने का तथा उसकी गहराई को समझने का बहुत शौक है और मैं हमेशा इन सभी चीजों के लिए कौतुहल से भरी रहती हूँ।
गुरु जी मैं अपने घर से बहार रह कर जॉब करती थी पिछले साल मैंने मेरी जॉब बदलने की सोची और वह जॉब छोड़ दी जो मैं कर रही थी और घर वापस आ गई। नया जॉब ज्वाइन करने से पहले 4-5 महीने में खाली ही बैठती रहती थी । इन्ही खाली समय में मैंने कुछ ऑनलाइन क्लासेस भी ज्वाइन की और साथ-साथ जॉब भी ढूंढने लगी, क्लासेस के कारण मैं फिर व्यस्त हो गई। गुरु जी एक दिन अचानक यूट्यूब पर स्क्रॉल करते हुए मैंने भारवी साधना के विषय में देखा और उसके बाद तो जैसे मेरे लिए कोई अलग दुनिया ही खुल गई और इन सब के बीच मुझे आपका चैनल भी मिला। मैंने और पता किया तो मुझे यक्ष किन्नर भैरव अप्सरा गंधर्व सबके बारे में पता चला !!
गुरु जी मैं कहि से भी दीक्षित नहीं हु किन्तु हा बचपन से ही पूजा पाठ ध्यान जप आदि करती ही हु ।
इसी बीच मैंने शक्तियां और साधनाओ के बारे में जानना शुरू कर दिया । इन्ही साधनाओ के बिच मुझे रतिपति गंधर्व साधना के विषय में पता चला पहले तो मैं यक्ष साधना का सोची फिर पता चला कि ये शक्ति नकारात्मक प्रभाव भी दिखा देती है इसलिए मैंने गंधर्व साधना चुना क्योंकि ये कभी कोई नुक्सान नहीं करता ऐसा सुना था मैंने ।
गुरु जी जब मैंने नौकरी छोड़ी थी तब
मुझे किसी ने कहा कि पंचमुखी हनुमान कवच का रोज पाठ किया करो इस्से जीवन में साकारात्मकता आती है। गुरु जी मैं बचपन से ही हनुमान जी महाराज की अपने बड़े भाई के रूप में नियमित पूजा करती हूँ जिसमें हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक शामिल है। मैं उनसे बिल्कुल वैसे ही बात करती हूँ जैसे कोई अपने बड़े भाई से करता है । तो मुझे डर तो लगता नहीं था किसी भी चीज़ से। मैने रोज कवच पाठ शुरू कर दिया मुझे पाठ करते हुए 1-2 महीने हो गए थे.
जिग्यासा के कारण
अब मैंने साधना शुरू करने की सोची। ज्यादा लम्बी नहि बस एकात महीने वाली, मुझे पता था कि दर्शन तो होंगे नहीं क्योंकि
।
इसमे तो बहुत समय लगता है और मैं कोई साधक साधिका तो हूं नहीं । मैं किसी शुभ दिन के इंतज़ार में थी, तभी अक्टूबर में एक चंद्रग्रहण था, सुना था कि ऐसे समय की साधना जल्दी फल प्रदान करती है
गुरु जी मैंने कोई एक वीडियो या एक ब्लॉग फॉलो नहीं किया था बहुत सारे वीडियो देखे थे और अलग अलग ब्लॉग पढ़े थे तो मैं आपको सटीक क्या विधि लिखी थी ये तो नहीं बता पाउंगी पर हा जो मैंने किया वो बता रही हूं
चंद्रग्रहण वाले दिन माई सुबह स्नान कर के घर के ही मंदिर में 11 माला महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया और भगवान शिव से आज्ञा मांगी उन्हें पुष्प चढ़ाए उसके बाद जैसी मेरी दिनचर्या थी वैसी ही चली, ठीक फिर रात को 10 बजे के बाद मैंने अपने रूम में अपनी साधना शुरू की, गुरु जी मैं मुंह हाथ धो के, लाल रंग का आसन पर, स्फटिक की माला जिसमें 21 मोती थे बैठ गई, गुरु जी चुकी मेरे घर वालो को यह ना लगे कि मैं जग रही हूँ मैं लाइट बंद
कर देती थी। गुरु जी हर दिन 21 माला जप करती थी .
गुरु
जी
साधना शुरू करने से पहले ही मैंने गणेश जी को याद किया और
उनसे आज्ञा मांगी, शिव जी से आज्ञा मांगी.
और फिर मैंने हनुमान जी से कहा कि भैया मुझ तक कोई नकारात्मक शक्ति न पहुंच पाए और मुझे कोई स्पर्श भी न कर पाये, मैं आपसे मेरी रक्षा की प्रार्थना करती हूं
और फिर सबसे आखिरी में रतिपति गंधर्व का आह्वान किया और कहा कि रतिपति गंधर्व जी आज से आपकी साधना शुरू कर रही हूं मुझसे भविष्य में होने वाली मेरी गलतियों के लिए माफी मांगती हूं। मैं आपकी किसी भी प्रकार की सिद्धि नहीं चाहती और न ही किसी भी प्रकार की कोई मनोकामना पूर्ति के लिए ये साधना कर रही हूं। मुझे बस आपके एक बार दर्शन करने हैं अगर आप सत्य हैं तो एक बार दर्शन दीजिएगा और आप अगर मेरे आस पास आते हैं तो कृप्या मित्र रूप में पधारियेगा और मेरे शरीर को स्पर्श नहीं किजियेगा । और यदि आपको मेरी कोई भी बात क्रोधित कर रही है तो मुझे नसमझ मन कर मुझे शमा दीजिएगा देव ।
गुरु जी ना तो मैंने दिया जलाया और ना ही मैंने कोई फोटो अपने सामने राखी और ना ही भोग में कुछ चढ़ाया, मैंने मंत्र जाप शुरू किया, गुरु जी मैं रोज इसी तरह सबसे आज्ञा लेती और मंत्र जप की आज्ञा लेती और मंत्र जप पूर्ण होन पर फिर से शमा मांगती और धन्यवाद देती
शुरू में 3-4 दिन तो कुछ नहीं हुआ फिर मैं जब भी मंत्र पढ़ती थी कुछ माला जाप के बाद मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे और मेरा दिल
बहुत तेजी से धड़कने लग जाता था । मुझे लगा मंत्र पढ़ते हुए हमारी ऊर्जा बढ़ती जाती है शायद इसीलिये ।
फ़िर गुरु जी ठीक पन्द्रवे दिन के आस पास मुझे सोते हुए झटके लगने शुरू हो गए। जैसे कि जब मैं सोती थी कोई उठा देता हूँ और मैं झटके के साथ उठ जाती थी ऐसा मेरे साथ दोपहर में भी होता था मैंने यू ट्यूब में देखा तो पता चला कि तनाव के कारण ऐसा होता है। मुझे लगा क्लास और पढ़ाई और साथ-साथ नौकरी का थोड़ा तनाव है मुझ पर इस कारण ऐसा होगा
गुरु जी धीरे-धीरे हमेशा मेरे रोंगटे खड़े रहने लगे और मुझे लगता है
मानो हमेशा मुझे कोई देख रहा हो.. कभी कुछ नकारात्मक नहीं लगा लेकिन किसी के आस पास होने का मुझे गुरने का एहसास जरूर होता था धीरे-धीरे ये चीज मेरे साथ 24 घंटे होने वाली है मुझे लगा कि मैं पागल तो नहीं हो रही, गुरु जी मेरे घर में अकेली ही
रहती थी फिर भी किसी मजबूत ऊर्जा के आस पास होने की अनुभूति होती थी, अचानक कहीं से हवा का झोक आ जाना, ऐसा लगना की कोई मुझे पुकार रहा है पायल और घुंघरू की आवाज आना हर समय मेरे रोंगटे खड़े रहना हर समय किसी न किसी के होने का आभास होना, मेरे कान तेज हो गए गुरु जी मुझे छोटी से छोटी आवाज भी सुनाई दे रही थी ऐसा लगता था. मुझे ये सारी परेशानी मेरे तनाव के कारण ही है, लग रहा था गुरु
जी फिर एक दिन मैं सोई थी गुरु जी कोई नहीं था घर में, मुझे उस दिन
ऐसा लगा मानो मेरे साथ कुछ गलत हो रहा है, मेरी आंखे खुली थी गुरु जी लेकिन मेरा शरीर हिल नहीं पा रहा था कि मैं कुछ सोच रहा था अपने अपर महसुस क्र पा रही थी लेकिन दिमाग में कोई काम नहीं आ रहा था.. फिर पता नहीं कैसे मेरी नींद टूटी और एसबी सपना जैसा लगा
गुरु जी मेरे 30 दिन पूर्ण होने वाले थे और आख़िरी के 15-20
दिन मेरे लिए बहुत विचित्र थे और भयानक भी, जैसा कि मैंने बताया था कि मुझे डर नहीं लगता था पर अब मैं डर रही थी थोड़े खौफ में थी कि ये क्या है पर बार बार खुद को लगता कि तनाव का कारण है। इसी बीच एक रात मेरी साधना में बैठी थी गुरु जी मेरे नेत्र बंद थे। गुरु जी हमसे दिन जप करते हुए बंद आंखो में ही मुझे लग। कहीं जा रही हूं केवल अंधकार था और कुछ नहीं और सोचने वाली बात ये है कि मुझे और अंधकर में डॉक्टर भी नहीं लग रहा था और फिर चलते हुए एक बहुत तेज रोशनी सी दिखाई दी रोशनी सुनहरी रंग का था जैसे ही उस रोशनी में प्रवेश की मैं एक उपवन जैसे स्थान पर पहुच गई हरि हरि घास पेढ़ फूलो के पौधे और एक झरना भी था गुरु जी मैं बाउचक्की रह गई ये आई कहा हू करके
गुरु जी माई इधर उधर देखने लग गई और चलने लग गई, तभी मैंने एक तरफ देखा तो वहां 5-6 पुरुष थे जो बिल्कुल देवताओ की
तरह ही थे और आभूषण पहने हुए थे उन्होन सब सफेद रंग का पहनना हुआ था 6 फीट से ज्यादा ऊंचाई, गोरा रंग चौड़ी छाती ऊपर से नीचे सफेद रंग में उनकी ज्वेलरी भी सफेद कलर की थी वो सब गोल बना कर कुछ बोले रहे थे मुझे 2-3 लोगो की पीठ
दिख रही थी जो मेरी तरफ पीछे करके खड़े थे और बाकी के 1-2 लोग वही खड़े थे पर मुझे किसी का चेहरा नहीं दिख रहा था वो काफी दूर से मुझसे
उनको मेरी उपस्थति का एहसास हुआ वह बात करते करते रुके और मेरी तरफ देखा और उनमें से एक मेरी तरफ आये… उनकी हाइट 6 फीट के आस पास या उससे ज्यादा ही रही होगी,
गुरु जी
क्योंकि मैं खुद 5 फीट से ऊपर हूं और मैं खुद को छोटा महसस
कर रही थी. बहुत ही मनोहर चेहरा कोई देखे तो बस देखता ही
जाए
उनका चेहरा इतना सुंदर था गुरु जी की नजर ही नहीं हट रही थी वो धीरे-धीरे चल कर मेरे पास आये
और मुझे देख कर हंसने लगे जोर जोर से उनकी हंसी बिल्कुल
वैसी ही थी जैसी जब कोई बड़ा किसी बच्चे की शैतानी या उसकी गलतियों को देख के हंसते हैं ना ठीक वैसे ही मैं अवाक रह गई
उनकी सुंदरता देख मैं वैसे ही मंत्रमुग्ध हो रही थी पर उनके हंसी के कारण मुझे बुरा लग रहा था जैसे मुझे चिढ़ा रहे है मेरी सूरत थोड़ी रोने वाली बन गई वो फिर भी हस ही रहे थे। कुछ
देर हंसी के बाद वो शांत हुए और मुझे स्नेह के भाव से देखा और
मुस्कुराए और बस उनके मुस्कुराते ही मेरी आंखें खुल गईं और मैंने खुद को अपने कमरे में मंत्र जप करते हैं देखा।
मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैंने फिर से आंख बंद कर ली, शायद
फिर से वही सब कुछ दिख जाए.. लेकिन गुरु जी फिर से कुछ नहीं दिखा मुझे फिर से वहां का कोई स्पना नहीं आया। मुझे लगा शायद मैंने ये सब खुद से ही इमेजिन किया है, मैं फिर से इमेजिन करने की कोशिश भी की पर हुआ ही नहीं । और इसी तरह मैंने अपने 30 दिन पुरे किये किये और अंतिम
दिन उन्हें पुन: क्षमा याचना की
गुरु जी साधना ख़त्म होने के बाद मेरी नींद के झटके, आवाज़
आना, खुद का नाम सुना देना जैसे कोई पुकार रहा हो ये सब अपने आप ही बंद हो गए। हा झटके अब अचानक कभी भी आ जाते हैं। पर गुरु जी मुझे अभी भी ऐसा लगता है कि कोई पास है और सबसे ज्यादा जब मैं हनुमान जी का कवच पाठ करती हूं। मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
गुरु जी मेरे अनुभव पर कृपा प्रकाश डालिए और मेरी कुछ शंकाएं
हैं उन्हें हल कीजिए
गुरु जी क्या यह सब मेरी कल्पना मात्र थी? मुझे जो भी कुछ लग रहा है वो सब? मुझे जिनके दर्शन हुए वो सब भी
और अगर ये सब मेरी कल्पना नहीं थी तो उन्होंने मुझे ऐसे दर्शन कैसे दे दिए मैंने तो कोई नियम भी सही से नहीं किया था
वो हँस क्यों रहे थे? और मेरा जो नाम पुकार रहा था वो कौन था?
और वो पायल की आवाज किसकी थी क्योंकि कभी-कभी ऐसा लगता था कि कोई स्त्री भी पुकार रही है
क्या मैं उनसे दोबारा मिल सकती हूं? क्योंकि अगर वो सत्य में है तो
मुझे अपना मित्र बनाना है
और मुझे अब पूजा करते हुए भी थोड़ा भय जैसा क्यों लगता है और अभी भी किसी के होने का एहसास क्यों होता है। और जो शक्ति मेरे साथ गलत करने को कोशिश कर रही थी वो
कोन थी क्योंकि मैंने तो प्रार्थना की थी
गुरु जी क्या मैं हनुमान मंत्र की दीक्षा ले सकता हूं शादी के बाद
कोई दिक्कत नहीं होगी
गुरु
जी
कृपया मेरी यह आपबीती जरूर यूट्यूब पर डालियेगा
यदि आपको ये डालने लायक लगे और कृप्या गुरु जी मेरे सवालो
का उत्तर भी दीजियेगा। अगर मुझसे कोई गलती हुई तो उसके लिए
माफ़ी मांगती हूँ गुरु जी और मेटी हिंदी टाइपिंग अच्छी नहीं है तो उसके लिए भी माफ़ी माँगती
गुरु जी मेरा नाम और पता लिख रही हूं कृपा इसे पब्लिक ना करे
धन्यवाद
आपका आशीर्वाद की कामना है गुरु जी नेहा (Engineer)
भिलाई छत्तीसगढ़
सन्देश- निश्चित रूप से आपको जो अनुभव हुआ है, वह पूरी तरह सत्य है और इसी तरह के अनुभव होते हैं। यह गंधर्व महाराज ही थे और जिन्हें देखकर आप बहुत खुश भी है कि सुंदरता देखकर आप उस में स्त्री के रूप में जो चीजें थी कि वह अप्सरा थी क्योंकि उनके साथ जो अक्सर आ रहती हैं, वह सभी वहा आती है, जहां साधना होती है क्योंकि जब ऊर्जा आपके शरीर की ऊर्जा से जोड़ती है तो हमारे शरीर को। दूसरी शक्तियों का आभास होता है जिसकी वजह से डर लगना स्वाभाविक सी बात है। यह आपकी कोई कोरी कल्पना नहीं की बल्कि ध्यान में आपने रति प्रति गंधर्व महाराज को देखा था और उन्हीं को देखकर कि यह सब आपको इस तरह का अनुभव हुआ था। आप सबसे पहले गुरु मंत्र की दीक्षा लीजिए। उसके बाद ही कभी आप सफलता प्राप्त करेंगे और इससे आपकी पूजा का लेवल भी बढ़ जाएगा ताकि आपको डर भी ना लगे और कोई शक्तियां हावी ना हो। हनुमान जी की वजह से आपकी रक्षा हुई, लेकिन हनुमान जी की वजह से ही सिद्धि में भी संकट है क्योंकि हनुमान जी और प्रेम प्रसंग के देवता गंधर्व के बीच में एक दूसरे से विपरीत गुणों का आचरण देखने को मिलता है तो आप गुरु मंत्र की दीक्षा लीजिए। उसके बाद आप चाहे तो हनुमान जी की भी मंत्र दीक्षा ले सकती हैं। लेकिन गुरु मंत्र की दीक्षा से हनुमान मंत्र का प्रभाव वैवाहिक संकट नहीं पड़ेगा।वे ब्रह्मचारी हैं और यह सभी आपके लिए नुकसानदेह होंगी क्योंकि यह भी प्रेम और श्रृंगार रस प्रधान साधना हैं और इंसानों से हर प्रकार के पारिवारिक और जीवन साथी से मिलने वाले सुखों में वृद्धि होती है। इनसे अगर आपको मित्रता करनी है तो आप विधिवत तरीके से इनकी साधना करिएगा, लेकिन वह भी पहले पूर्व मंत्र क्योंकि ऐसा अगर आप नहीं करेंगी तो किसी वक्त भी कोई बुरी शक्ति जिसकी नजर आप पर पड़ गई। वह आपके साथ कुछ गलत तरीके से जुड़ सकती है क्योंकि आपके साथ आपकी रक्षा की शक्ति गुरु मंत्र नहीं है और हनुमान जी! जहां तक? हनुमान जी रक्षा करेंगे लेकिन ब्रह्मचर्य! उनकी प्राथमिकता होती है और वह श्रृंगार से बिल्कुल दूर रहते हैं।
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