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सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 5

सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 5

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। पिछली बार की कहानी को आगे बढ़ाते हुए। अब हम जानेंगे कि आखिर उस राजकुमार ने उन दो कुमारी कन्याओं को अपने वशीकरण में लेने के लिए क्या किया था? तो जैसे कि आपको पता ही है उसने अपनी तांत्रिक माया पद्धति का उपयोग करके वहां के वातावरण को सूर्य के प्रकाश के माध्यम से गर्म कर दिया। सूरज की तेज किरण जब इन कन्याओं के शरीर पर पड़ने लगी तो इन्हें प्यास लगने लगी। अपनी साधना को पूर्ण करने के बाद अचानक से इन्होंने अपनी साधना बंद कर दी क्योंकि प्यास के कारण अब बहुत ज्यादा तकलीफ इन्हें हो रही थी। ऐसे में उनके। पास अब कोई अन्य विकल्प नहीं था क्योंकि उन्हें किसी भी तरह से पानी प्राप्त करना था। कि तभी राजकुमार ने।

एक!व्यक्ति का रूप लेकर। पानी के बर्तनों के साथ इनके पास से गुजरना शुरू कर दिया। ऐसा इसलिए कर रहा था क्योंकि वह यह बात समझता था। कि जैसे ही कन्याओ

अर्थात!

दोनों कुमारी कन्या। उन्हें देखेंगी। प्यास के कारण अपने पास अवश्य बुला लेंगी।

ऐसा ही हुआ जैसे ही उन दोनों ने इस व्यक्ति को। पानी के साथ देखा। तुरंत ही दोनों। कन्या इसके पास पहुंच गई और कहने लगी कि हमें पानी पिला दीजिए क्योंकि हम पानी के बिना नहीं रह सकते हैं। बहुत तेज प्यास लगी है। राजकुमार! जो कि वहां पर एक साधारण व्यक्ति बन कर आया था। उसने कहा, वह सब तो ठीक है लेकिन मैं आपकी सेवा के बदले कुछ चाहता हूं। तब कुमारी अर्थात!

दोनों कन्याओं ने कहा।

कि हमें तुम्हारी हर शर्त मंजूर है क्योंकि हमें बहुत तेज प्यास लगी हुई है। पहले हमें पानी पिलाओ हम तुम्हारी सारी बात मानने का वचन देती हैं। और राजकुमार ने उन्हें पानी पिला दिया। तब कन्याओं ने पूछा, तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो इस पर्वत शिखर पर आने का क्या कोई विशेष कारण है? तब राजकुमार ने कहा।

मैं तो यहां सिर्फ इसलिए आता हूं क्योंकि यह तपस्या स्थली है मेरे पूर्वजों की मैं उनकी। उस! शिला पर जाकर पानी रख देता हूं ताकि उनकी आत्माये। मुझसे प्रसन्न रहें।

और? मेरे पिताजी ने भी मुझसे कहा था कि? आत्माओं की सेवा सत्कार अवश्य करना किंतु अब वह तो मौजूद नहीं है, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आप और आपकी बहन दोनों यहां पर तपस्या कर रहे हैं। इसलिए मुझे सेवा करने का मौका दीजिए। मैं आपको वचन देता हूं कि मैं आपके लिए भोजन और पानी दोनों की व्यवस्था करके रखूंगा।

आपके रहने के लिए कुटिया भी बना दूंगा।

ताकि आप दोनों को कोई परेशानी ना हो। आपकी तपस्या में विघ्न भी उत्पन्न नहीं करूंगा जब तक आप तपस्या करती हैं, आपकी रक्षा भी करूंगा। क्योंकि इस पर्वत शिखर पर। कोई भी व्यक्ति? जो तपस्या करने आएगा, मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उसकी हर प्रकार से सहायता करु। ऐसा ही आदेश मेरे पिता ने मुझे दिया था। कन्या दोनों बहुत प्रसन्न हो गई। उन्होंने कहा, ठीक है अब से तुम हमारे साथ ही रहोगे। हां, तुम्हारी कुटिया अलग होगी और हमारी कुछ दूर। जब हम तपस्या करेंगे तब तुम हमारे लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करना। क्योंकि यहां से दूर ही है पानी और भोजन तो काफी दूर मिलेगा।

इस प्रकार राजकुमार उन दोनों कन्याओं की सेवा में रहकर उनके लिए रोजाना भोजन और पानी की व्यवस्था करने लगा। उसके इस व्यवहार के कारण दोनों कन्याये, उसे पसंद करने लगी।

बड़ी कन्या उस पर ज्यादा ही मोहित हो रही थी। और यह साधना का भी असर था।

साधना के समय बीतता चला गया।

बड़ी कन्या बड़े ही प्रेम पूर्वक उस व्यक्ति से वार्तालाप करती थी। इसी प्रकार एक दिन अचानक से ऐसी घटना घटी जिसकी वजह से एक बहुत बड़ा परिवर्तन आने वाला था।

उस दिन? हल्की हल्की बारिश हो रही थी। दोनों कन्या अपनी तपस्या में लीन रही। उन्होंने बारिश पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया। लेकिन बारिश के कारण!

भोजन सामग्री लाने में अब परेशान होने वाली थी राजकुमार का उद्देश्य! कठिन हो रहा था। लेकिन राजकुमार ने अपने पिता के आदेश का पालन करना ही उचित समझा और उस स्थान को छोड़कर नीचे भोजन सामग्री लेने के लिए जाने लगा। कि तभी अचानक से एक जंगली भालू ने राजकुमार के ऊपर हमला कर दिया। जो की भोजन सामग्री लेकर आ रहा था। उस भोजन सामग्री में शहद और विभिन्न प्रकार के फल और सामग्री थी जिसके कारण भूखे भालू ने राजकुमार पर हमला कर दिया।

राजकुमार उससे लड़ने लगा।

इसी समय राजकुमार इतनी जोर से चिल्लाने लगा। उसे लगा कि उसका अंतिम समय आ चुका है।

जंगली भालू उसे जान से मार देगा।

उसकी चिल्लाहट को सुनकर साधना समाप्त होते ही।

उन कन्याओं ने उधर जाना उचित समझा। लेकिन आवाज किधर से आ रही है, यह समझ में नहीं आ रहा था। बड़ी कन्या ने कहा, मैं नीचे जाती हूं। और तुम? बाई तरफ! जाकर देखो!

छोटी कन्या दूसरी तरफ गई और बड़ी कन्या जिधर से आवाज आ रही थी। उधर ही सही दिशा का उसने चयन किया था। इधर राजकुमार लड़ते-लड़ते काफी ज्यादा परेशान हो गया था राजकुमार! क्योंकि शरीर के ऊपर। लोहे का कवच पहनता था। इसी कारण से अभी तक वह जीवित था। अन्यथा कब का भालू उसे मार देता?

तब? बड़ी कन्या ने जैसे ही दोनों को लड़ते हुए देखा पास ही पड़े हुए एक।

लकड़ी के बड़े टुकड़े को लेकर उसने भी भालू पर हमला शुरू कर दिया और इस लड़ाई में?

जिस स्थान पर यह लड़ाई हो रही थी उस स्थान पर बहता हुआ एक झरना था। लड़ते -लड़ते।

राजकुमार और बड़ी कन्या उस झरने में पानी से सराबोर हो गए और आखिरकार भालू के सिर पर।

कन्या ने जब लकड़ी उसके सिरपर मारी उसके कारण भालू वहां से भाग गया।

कन्या और राजकुमार दोनों बहते हुए झरने के नीचे खड़े थे। पानी में एक दूसरे के आलिंगन करते।

और दोनों एक दूसरे को देखने लगे।

बहुत समय से स्थापित नियंत्रण आखिरकार टूट गया और राजकुमार और उस कन्या के बीच शारीरिक रूप से सम्बन्ध बन गया।

वे बड़ी देर तक एक दूसरे को प्रेम करते रहे।

एक दूसरे के शरीर के इस आकर्षण के कारण।

काफी देर तक।

वहां से नहीं निकले। इधर छोटी कन्या चारों तरफ ढूंढती रही लेकिन ना तो वह पुरुष ना ही उसकी बहन कहीं दिखाई दिए, इस प्रकार कुछ देर बाद एक दूसरे को संतुष्ट कर दोनों झरने के नीचे से। ऊपर पहाड़ पर चढ़कर आने लगे। दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करने लगे थे। लेकिन तक राजकुमार ने कहा, मैं आपसे एक बात कहूं? आप इस बात को अपनी बहन को नहीं बताइएगा?

राजकुमार की इस बात को तुरंत ही बड़ी कन्या ने मान लिया और कहा कि अब हमें साधारण व्यक्तियों की तरह ही बर्ताव करना चाहिए। छोटी कन्या दोनों को देखती है और सारी बात को सुनकर अपनी बहन को गले लगा लेती है। उस व्यक्ति को प्रेम पूर्वक देखते हुए शुक्रिया करती है।

उसे लगता है कि वह व्यक्ति अगर नहीं होता तो आज वह अपनी बड़ी बहन को।

नहीं प्राप्त कर पाती।

तब वह कहती है आपने अपनी शक्ति का प्रयोग क्यों नहीं किया?

बड़ी बहन को याद आता है उसके पास तो बाघ की शक्ति मौजूद है।

जो कि श्वेत भैरव ने दी थी। लेकिन यहां पर तो वह पूरी तरह भूल ही चुकी थी।

तब याद आता है और कहती है अबकी बार ऐसी गलती नहीं होगी।

इस प्रकार एक रात्रि अचानक से राजा के कुछ सैनिक राजकुमार से मिलने आते हैं जो कि दूर उन कन्याओं की कुटिया से। कुछ दूरी पर उसकी कुटिया जो कि उसने अलग से बनाई थी, वहां पर रहा करता था। राजकुमार को सन्देश राजा की तरफ से था।

कुछ देर गंभीर वार्तालाप वहां पर हुआ। शायद! किसी विशेष प्रकार की आज्ञा राजा ने उसे दी थी।

इस आज्ञा की वजह से राजकुमार सोच में पड़ गया। उसने अपना सर पकड़ लिया था। आखिर वह इतना ज्यादा परेशान क्यों हो गया था? अगले दिन ही यह पता चलने वाला था।

राजकुमार पूरी रात नहीं सोया। वह बहुत ज्यादा परेशान था, लेकिन राजा का जो आदेश था, वह तो उसे पूरा करना ही था क्योंकि राजा को पल-पल की खबर वह देता था।

और कोई बात नहीं छुपाता था, इसीलिए प्रतिदिन की प्रत्येक घटना राजा के पास पहुंच रही थी।

अगली सुबह! साधना से। कुछ समय पहले।

राजकुमार उस बड़ी कन्या से कहता है कि? चलो कहीं दूर चलते हैं। तुम्हारी छोटी बहन को यहां पर कुछ कार्य करने को दे दो। हम दोनों थोड़ी दूर जाते हैं।

बड़ी कन्या समझ चुकी थी कि यह उसका प्रेम प्रस्ताव ही है। इसलिए उसने अपनी छोटी बहन को कुछ काम में लगा दिया और राजकुमार के साथ सैर करने निकल गई।

थोड़ी देर बाद राजकुमार और उस बड़ी कन्या में एक बार फिर से शारीरिक रूप से संबंध बन गए। और जैसे ही वह कन्या प्रेम पूर्वक राजकुमार के गले लगती है और कहती है मैं तुमसे बहुत प्रेम करती हूं। मैं तुम्हीं से विवाह करूंगी कि अचानक से राजकुमार उसके कानों में कहता है। शायद अगले जन्म में तुम्हारी इच्छा पूर्ण हो। अभी के लिए तो तुम्हें जाना होगा। राजकुमार के पास रखा चाकू बड़ी तेजी के साथ वह उस कन्या के हृदय के आर पार कर देता है।

अचरज भरे तरीके से यह सब होता देख वह कन्या कुछ भी समझ नहीं पाती है। कि आखिर उसके सबसे प्रिय!

और उस पर? प्राण न्योछावर करने वाले। उस व्यक्ति ने आखिर ऐसा आत्मघाती हमला उसके ऊपर क्यों किया है?

कुछ ही क्षणों के बाद। अचानक से।

छोटी कन्या। दौड़ते हुए उधर की तरफ आती है। चारों तरफ बिखरा हुआ खून। एक तरफ रोता हुआ राजकुमार और दूसरी तरफ अपनी बहन! का शरीर देखती है। जिसकी छाती में। एक बड़ा सा चाकू घुसा हुआ था।

वह दौड़ कर अपनी बहन के पास पहुंचती है। जो कि अब शायद इस दुनिया में नहीं थी।

आगे क्या हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में तो अगर यह जानकारी और कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 6

 

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