सुंदरवन की आदमखोर सुंदरियाँ भाग 6
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। सुंदरबन की आदमखोर सुंदरिया भाग 6 में आज इस कथा को आगे बढ़ाते हैं। जब छोटी कन्या ने अपनी बड़ी बहन को इस प्रकार से मृत्यु।
तक पहुंचते हुए देखा तो उसका। क्रोध जागृत हो गया। वह गुस्से से कहने लगी। इसे किसने मारा है? राजकुमार मुझे तुरंत बताओ आखिर मेरी बहन का हत्यारा कौन है? मैं किसी भी कीमत पर उसे मार कर अपना बदला लूंगी।
जब से हम लोगों ने होश संभाला, तबसे एक साथ रहे और आखिरकार हमें भागते हुए यहां तक आना पड़ा। यह सब क्या था?
मुझे लगता है कि निश्चित रूप से यह उसी राजा का काम है। उसने हमें बंदी बनाया था। उसका महल यहां से कुछ ही दूरी पर है। मैं वहां जाकर उन सब को समाप्त कर दूंगी।
तब राजकुमार ने कहा, इस प्रकार वहां जाना ठीक नहीं है। और हो सकता है। तुम गलत सोच रही हो? राजा का इस हत्या में कहीं तक कोई हाथ ना हो। मैं तो उस राजा को जानता हूं।
उसकी राज्य में भी गया था। अब उसका कब्जा इस राज्य पर भी है और इसी राज्य में वह रहने लगा है लेकिन?
मैंने कभी उससे ऐसे कर्म करते नहीं देखा। तब उस कन्या ने कहा। तुम बहुत भोले हो तुम्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता है। इसलिए तुम ऐसा सोचते हो, अगर तुम राजा के राजकुमार होते तो शायद तुम्हें सब कुछ पता होता। यह सुनकर राजकुमार मंद मंद मुस्कुरा रहा था क्योंकि वह यह सोच रहा था कि यह लड़की कितनी भोली है। मैं सच में राजकुमार हूं और राजा के ही निर्देश पर यहां तक आया हूं। कन्या कहती है अब मेरी दीदी के शव को चारों ओर से पत्थरों से ढक कर रख दो। मैं इनका अंतिम संस्कार नहीं करूंगी जब तक मैं बदला नहीं ले लेती।
वह राजकुमार बना।
व्यक्ति।
जो की सहायता के लिए कन्याओं के साथ वहां उपस्थित है। इस बात को सोचता है और यह मन में विचार करता है कि?
इस कन्या की बात मानने में ही। हर प्रकार से फायदा है, कहीं यह मुझ पर शक ना करने लगे।
तब कन्या के कहने पर। उसकी बहन के शव को पत्थरों से चारों ओर से ढक कर रख दिया जाता है।
कन्या रात्रि के समय। राज्य पर आक्रमण करने निकल पड़ती है।
राजकुमार।
इसके पीछे पीछे जाता है। और दूसरे रास्ते से राजा को इसकी खबर दे देता है तब तक उस राज्य में प्रवेश कर चुकी थी और उसने सैनिकों को मारना शुरू कर दिया था। बड़ी भारी मात्रा में तब तक उसने सैनिकों को मार दिया। कि जैसे ही वो राजा के सामने पहुंची अचानक से वह बेहोश होकर गिर पड़ी। ऐसा राजा की वजह से हुआ था क्योंकि राजा को उसके ही बेटे उस राजकुमार ने सारी खबर दे दी थी जिसकी वजह से तंत्र प्रयोग के कारण और समय समाप्त होने पर कन्या बेहोश हो गई।
कन्या को पकड़कर जेल में बंद कर दिया गया। अब राजकुमार ने जेल में ही उसके साथ।
रुकने का निर्णय लिया। जब कन्या को होश आता है तब सामने वह राजकुमार रूपी उस व्यक्ति को देखती है और कहती है तुम यहां कैसे आ गए? तब वह कहता है मैं तुम्हारे पीछे पीछे आया। मुझे तुम्हारी चिंता थी।
इसीलिए! जब तुम राजा के सामने पहुंची तब? मैं भी वहां पर राजा को मारने आ चुका था। लेकिन तब तक तुम पता नहीं कैसे बेहोश हो गई? और राजा के सैनिकों ने मुझे और तुम्हें पकड़ कर जेल में बंद कर दिया है। कन्या ने कहा, तुम मेरे लिए इतनी दूर आए। सच में तुम्हें मेरी बहुत चिंता है। राजकुमार! तुरंत तेजी से उस कन्या की तरफ बढ़ा और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर कहने लगा। मैं आपसे प्रेम करता हूं। आपसे विवाह करना चाहता हूं।
आप मेरा यह प्रणय निवेदन स्वीकार कीजिए। मैं आपके अतिरिक्त किसी अन्य कन्या से विवाह नहीं करूंगा।
यह सुनकर कन्या को बड़ा अचरज हुआ। उसने कहा? मैं भी आपको पसंद करती हूं, लेकिन जीवन का उद्देश्य कुछ अलग है, मैं नहीं चाहती। मेरे कारण आपको कोई समस्या हो।
इसलिए आप मुझसे दूर रहें। पर वह राजकुमार कहता है कि मैं आपसे सच्चा प्रेम करता हूं। आप अगर समय लेना चाहती हैं तो अवश्य लीजिए, किंतु मुझसे ही आपको विवाह करना है।
मेरा प्रेम सच्चा है। तब वह कन्या कहती है ठीक है।
लेकिन जब तक मेरा उद्देश्य पूर्ण नहीं होता तब तक हम विवाह नहीं करेंगे और ना ही एक दूसरे से। किसी भी प्रकार से नजदीकी रखेंगे।
यह सुनकर राजकुमार मन ही मन गुस्सा हो जाता है लेकिन वह! बनावटी रूप बनाकर कहता है। तुमसे सच में विवाह करने की इच्छा और भी ज्यादा प्रबल हो गई है। तुम्हारे जैसी पवित्र कन्या नहीं मिलने वाली। तब राजकुमार कहता है मैंने जब तुम बेहोश थी, जेल से भागने के लिए एक योजना बना ली है। चलो यहां से भाग जाते हैं। और वह एक व्यक्ति को बुलाता है जो कि सैनिक था। उससे कहता है। द्वार खोल दो तब कन्या से पूछती है क्या यह सैनिक तुम्हें जानता है? तब वह व्यक्ति कहता है हां, यह मेरे दूर का रिश्तेदार है। अब हमें यहां से भाग जाना चाहिए और चुपचाप वहां से वह महल के बाहर निकल आते हैं। कि तभी राजकुमार कहता है मुझे। इस सैनिक के घर जाना होगा तब तक तुम यहां से जाओ अपने आप को सुरक्षित रखकर तपस्या करो।
वह कन्या भी कहती है, तुम्हारा यह कहना सही है। मेरे साथ रहने पर तुम्हारे ऊपर बहुत सारी परेशानियां आ सकती हैं। और कन्या वहां से चली जाती है। इधर राजा राजकुमार दोनों गोपनीय वार्तालाप करते हैं। राजा राजकुमार को कहता है किसी भी प्रकार से इसकी साधना को पूर्ण करवाओ जब इसकी साधना पूर्ण हो जाएगी। तब?
निश्चित रूप से तुम इसके पति बनकर इसकी सारी सिद्धियां प्राप्त कर सकते हो और एक गोपनीय विधि से इसकी सिद्धि तुम्हारे शरीर के अंदर।
व्याप्त हो जाएगी। इसका प्रबंध मैंने कुछ तांत्रिकों के माध्यम से कर दिया है। तांत्रिकों के कहने पर ही मैंने। उस! बड़ी कन्या को मारने के लिए तुम्हें कहा था। क्योंकि? वह सिद्धि नहीं प्राप्त कर पाती सैनिकों का कहना था कि उसने तुमसे शारीरिक रूप से संबंध बना लिए हैं। इस कारण सिद्धि को वह प्राप्त करना चाहती है। उसे प्राप्त नहीं कर पाती। ऐसे में उसके जीवन का कोई मूल्य नहीं। तभी मैंने तुम्हें उसे मारने के लिए कहा था। तब राजकुमार कहता है, मैं भी उस से प्रेम करने लगा था। हम दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गई थी। अच्छा हुआ कि आपने मुझे सही समय पर इसके लिए इंगित कर दिया। और मैंने उसे मार दिया। अब मेरे सामने केवल यही कन्या है।
इसे मैं आसानी से सब कुछ प्राप्त कर पाऊंगा इसके पास भी।
शक्तिशाली सिद्धि है और यह अपनी बहन की तरह।
अपना ब्रम्हचर्य भी तोड़ने नहीं वाली क्योंकि मैंने जब इसके सामने प्रस्ताव रखा तो इसने अस्वीकार कर दिया।
इधर यह कन्या! दूसरी जगह जाकर तपस्या करने लगती है। वह भी उस राजकुमार को बिना बताए। क्योंकि इसका ऐसा सोचना था कि अगर! राजकुमार रूपी वह व्यक्ति उसके साथ रहा तो? राजा को पता चल जाएगा और राजा इस व्यक्ति को जरूर मरवा देगा इसी कारण से।
इस व्यक्ति को भी पता ना चले कि मैं कहां साधना करने गई हूं?
इस प्रकार से वह छोटी कन्या वहां से पर्वत शिखर में एक गोपनीय गुफा के अंदर जाकर। श्वेतारति भैरवी की साधना करने लगी।
इस प्रकार कई दिन बीते।
राजा उस राजकुमार को बुलाता है और कहता है कि?
उस कन्या के विषय में बताओ तो राजकुमार कहता है। उस दिन जब मैं आपसे वार्तालाप करने के लिए वापस आया था तभी से वह कन्या गायब है। पता नहीं वह कहां चली गई है?
तब राजा ने कहा, वह जरूर तपस्या करने गई होगी और तुम से दूरी उसने इसी लिए बनाई है। ताकि तुम्हारे ऊपर कोई संकट ना आए कहीं मैं? तुमसे कोई बदला ना ले लो क्योंकि वह यह बात नहीं जानती है कि तुम तुम मेरे ही पुत्र हो।
तब राजा ने कहा ठीक है, मैं सैनिकों को भेज देता हूं और इस पर्वतीय क्षेत्र में सभी जगह। पता लगाने की कोशिश की जाए कि आखिर वह कन्या कहां तपस्या कर रही होगी? तब! उस राजकुमार ने कहा, अगर आप सैनिकों के रूप में? उस कन्या का पता लगाने के लिए सेना को भेजेंगे तो वह ऐसी जगह छुप जाएगी। कि पता भी नहीं लगा सकते हैं? राजा ने कहा, यह बात तो तुमने सत्य कही? किस प्रकार से हम लोग उस कन्या का पता लगा सकते हैं? तब?
राजकुमार ने कहा, जितना मैं उस कन्या को जानता हूं। आप साधु के वेश में अपनी पूरी सेना की एक टुकड़ी को चारों तरफ भेजिए। और जब वह उसे देख ले तो भी उस पर हमला ना करें। चुपचाप वापस आकर हमें बता दें कि वह कहां पर बैठकर तपस्या कर रही है? राजा को राजकुमार का यह प्रस्ताव पूरी तरह पसंद आया और वह तैयार हो गए। इस बात के लिए सैनिकों की पूरी टुकड़ी को साधु के वेश में चारों तरफ से दिया गया। इधर कन्या!
गुफा के अंदर बैठकर भीषण तपस्या करने लगी। उसकी तपस्या इतनी ज्यादा तीव्र थी कि वहां से तरंगे चारों तरफ फैल रही थी।
स्थान! श्वेत प्रकाश से भरने लगा और अचानक से एक दिन एक। स्त्री वहां पर दौड़ते हुए आई।
तपस्या कर रही उस कन्या की आंखें खुल गई।
उस स्त्री से उसने पूछा। तब उस स्त्री ने कहा, मेरे पीछे बाघ आ रहा है। मेरी प्राण की रक्षा करो। मुझे बचाओ! तब वह!
कन्या! स्त्री को अपने पास! रोक कर कहती है। मैं अभी आपकी रक्षा करती हूं। सामने से बाघ बिल्कुल प्रत्यक्ष खड़ा था। तब कन्या ने भी अपनी श्वेत भैरव शक्ति को याद किया और।
उस बाघ के सामने उस से लड़ने पहुंच गई।
लेकिन? बाघ की गर्जना से।
वह! अचानक से। पीछे की ओर दूर जाकर गिरी
और उसकी सिद्धि भी पूरी तरह शान्त हो गई।
आगे क्या हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में। अगर यह जानकारी और कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।