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स्वपनेश्वरी देवी साधना अपने हर प्रश्न का उत्तर जानने के लिए

इस साधना के लिए मंत्र सिद्धि, प्राणप्रतिष्ठायुक्त स्वप्नेश्वरी यंत्र तथा
स्वप्नेश्वरी देवी का चित्र साधना कक्ष में होना चाहिए। यह यंत्र तांबे या चांदी
के पत्तर पर बना हुआ होना चाहिए। स्वप्नेश्वरी देवी के चित्र को फ्रेम में
जड़वाकर रख लेना चाहिए तथा उस चित्र अथवा यंत्र की मंत्रसिद्धि, प्राणप्रतिष्ठा
की जा सकती है।
यह साधना प्रत्येक व्यक्ति को करनी चाहिए, जो साधक ऊंचे स्तर की
साधना नहीं कर पाते या जिन्हें इतना अवकाश नहीं मिलता, उन्हें स्वप्नेश्वरी
साधना संपन्न करनी चाहिए। जिससे वे जीवन में स्वयं का तथा दूसरे लोगों
का कल्याण कर सकें।
साधना प्रारंभ करने से पूर्व अक्षत, कुंकुम या केसर, जल का लोटा,
दीपक, अगरबत्ती पहले से ही तैयार करके रख देनी चाहिए। यह साधना
सोमवार से प्रारंभ की जाती है। यह मात्र पांच दिन की साधना है। इसमें नित्य
101 मालाएं फेरनी आवश्यक हैं। इस साधना में अकीक की माला का ही
प्रयोग किया जाता है, अन्य मालाएं वर्जित हैं। यह साधना दिन या रात्रि में
कभी भी की जा सकती है। साधक चाहे तो 50 मालाएं दिन में तथा 51
मालाएं रात्रि को भी फेर सकता है। इस प्रकार दिन-रात में दो बार में पूर्ण जाप
हो जाना चाहिए।
सोमवार को साधक स्नान कर धोती पहनकर उत्तर दिशा की आर मुह
करके बैठ जाए। सामने लकड़ी के बाजोट (चौकी या पटरा) पर पीला रेशमी
वस्त्र बिछा दे और उस पर स्वप्नेश्वरी देवी का यंत्र व स्वप्नेश्वरी देवी का चित्र
स्थापित कर दे। इसके बाद अलग बर्तन में स्वप्नेश्वरी देवी के यंत्र को पहले
जल से, फिर कच्चे दूध से तथा पुनः जल से धो-पोंछकर बाजोट पर रख द।
किसी पात्र में यंत्र को स्थापित कर दे। यह पात्र तांबे का, स्टील या चादा का
ही सकता है। फिर कुंकुम या केसर से तिलक करे। सामने अगरबत्ती व दीपक

जलाए दूध का बना प्रसाद चढ़ाए और फिर एकनिष्ठता से ध्यान करे:
ध्यानम्
स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च ॥
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शयः॥
फिर नीचे लिखे मंत्र की एक सौ एक मालाएं नित्य जपे:
मंत्र: ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वप्नेश्वरी ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं क्रीं ॐ

स्वपनेश्वरी यंत्र



इस प्रकार नित्य 101 मालाएं मंत्र जाप करे। पांच दिनों तक साधक जमीन
पर सोए, एक समय भोजन करे।
पांच दिन तक मंत्र जाप के बाद छठे दिन इसी मंत्र की मात्र शुद्ध घृत से
1000 आहुतियां दे। फिर पांच कुमारी कन्याओं को भोजन कराए तथा उन्हें
यथोचित वस्त्र, दान आदि देकर संतुष्ट करे। इस प्रकार करने पर साधना संपन्न
मानी जाती है।
व्यावहारिक प्रयोग-
जब भी कोई समस्या आपके सामने हो और उसका हल नहीं मिल रहा हो
तो साधक मंत्र जाप करके अपनी समस्या एक कागज पर लिखकर रात्रि को
सिरहाने रखकर सो जाए। रात्रि को स्वप्नेश्वरी देवी स्वप्न में ही उस समस्या
का हल स्पष्ट रूप से बता देती है, जिससे साधक को निर्णय करने में आसानी
होती है। साधक चाहे तो किसी भी व्यक्ति की समस्या इसी प्रकार हल कर
सकता है।
यह स्वप्नेश्वरी साधना उन लोगों के लिए ज्यादा उपयोगी है जो लॉटरी,
सटटा या शेयर मार्केट में रुचि रखते हैं। यदि साधक को लगातार खराब स्वप्न
आएं तो उसे ‘रात्रिसूक्त’ का नियमित पाठ करना चाहिए एवं शयन करने से
पूर्व अपने हाथ-पांव धोकर ही बिस्तर पर जाना चाहिए। साधना काल में
सफलता के लिए ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है ।

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