हनुमान प्रत्यक्ष दर्शन हेतु साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो विशेष साधना लेने जा रहे हैं, इसका अनुरोध कई साधकों ने किया था। साधक हनुमान जी को सिद्ध करना चाहते हैं और हनुमान जी से संबंधित हालांकि मेरे चैनल पर पहले भी बहुत सारी साधनाएं दी जा चुकी है। किंतु हनुमान जी की प्रत्यक्ष दर्शन साधना और उन में होने वाले विभिन्न प्रकार के अनुभव विशेष रूप से साधकों को अवश्य होते हैं इसलिए सावधानी पूर्वक इन साधनाओं को साधकों को करना चाहिए।
आज हम लोग हनुमान जी के ही प्रत्यक्ष दर्शन की एक और शाबर मंत्र साधना के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे।
तो जैसा कि हम सभी जानते हैं अगर हनुमान जी की साधना करने का संकल्प आप ले रहे हैं तो सबसे पहले आपको भगवान राम के मंदिर में जाना चाहिए और उन्हें विशेष रुप से प्रणाम करते हुए।
उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि मैं आपके ही प्रिय हनुमान जी की साधना करने जा रहा हूं। प्रभु मुझे इसमें आज्ञा और आशीर्वाद प्रदान करें। यह आवश्यक है। अगर वहां जाकर आप सहस्त्रनामावली श्री राम भगवान की या शतक नामावली। या फिर भगवान राम के किसी भी मंत्र का 21 सौ बार उच्चारण करके फिर यह प्रार्थना करनी चाहिए। यह होता है सबसे पहला कदम हनुमान जी की साधना को शुरू करने का। क्योंकि? किसी के बंधन बांधे हनुमान जी नहीं बंधते लेकिन राम भक्ति और भगवान राम की आज्ञा वह कभी नहीं टालते हैं। पहले आपको भगवान राम की कृपा अवश्य ही उनकी छोटी सी साधना करके कर लेनी चाहिए। अब किसी भी मंगलवार के दिन से जब शुभ नक्षत्र रहो, अपने गुरु से गुरु मुख द्वारा मंत्र प्राप्त करले चाहे वह हनुमान जी का कोई भी मंत्र हो। शाबर मंत्र जल्दी सिद्ध होते हैं लेकिन हर वर्ष! इनको जगाना भी पड़ता है इसलिए अगर सिद्धि प्राप्त हो अथवा नहीं किंतु अगले वर्ष फिर आपको उस साबर मंत्र को जगा लेना चाहिए।
आप गुरु से आज्ञा प्राप्त कर गुरु को समुचित दक्षिणा देने के बाद अब हनुमान जी के इस साधना को शुरू करना आपके लिए सहज हो जाता है। आपको मंत्र का पता होता है पर अब आप केवल मंत्र का जाप करने के लिए तत्पर होते हैं। आवश्यक सामग्री की अगर बात की जाए तो हनुमान जी की साधना। लाल रंग की माला जिसमें आप चाहे तो हकीक की माला अथवा रक्त चंदन की माला। यह दोनों ही लाल रंग की होनी चाहिए का इस्तेमाल कर सकते हैं। अब हनुमान जी की साधना संबंधित सारे नियमों का पालन करते हुए। जैसे कि इस साधना को हम 41 दिनों का अनुष्ठान कहते हैं। साधक इन दिनों ब्रह्मचर्य व्रत रखे और हनुमान जी से संबंधित सारे नियमों का पालन करें। सर्वप्रथम रात्रि के समय शुद्ध होकर स्नान कर स्वच्छ लाल वस्त्र पहने एकांत स्वच्छ कमरे अथवा नदी का किनारा किसी मंदिर, राम मंदिर,गुफा इत्यादि किसी भी एकल स्थान में। कुशा या लाल रंग के ऊन का आसन बिछा ले। अगर साधक को मृगछाला और बाघम्बर मिल जाता है तो तो और भी उत्तम बात है।
जिस स्थान पर आप बिछाये उसके चारों तरफ शिंगरफ से एक गोला वृत्ताकार रूप में खींच ले।
अंदर बैठकर आपको। रोज रात्रि 12:00 बजे से इसकी साधना करनी है आप मंत्र की रोजाना।
19 माला जाप करेंगे और यह पूरे 41 दिन तक चलेगा।
साधना से पूर्व अपने माथे पर लाल रंग के सिंदूर का टीका अवश्य लगाएं। थोड़ी सी लॉन्ग इलायची अपने पास रखें और एकाग्र चित्त होकर। भगवान राम का ध्यान करने के बाद हनुमान जी का ध्यान गुरु ध्यान इत्यादि सब करने के बाद इनके मंत्र का जाप शुरू करें।
साधना प्रारंभ करने के 1 सप्ताह के भीतर ही इसका प्रभाव आपको देखने को मिल नहीं लगता है।
साधक के सामने अनेक डरावनी आकृतियां आने लगती हैं। साधक अपने इस सुरक्षा घेरे से कदापि बाहर ना निकले।
वरना उसे हानि उठानी पड़ सकती है। निडर होकर पूरे 41 दिन तक मंत्र का जाप करें। फिर हनुमान जी पहले स्वप्न में। बंदरों के रूप में आपको डराएंगे। काटेंगे और साधना भंग करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग करेंगे। उसके बाद साधक नहीं डरे तो साधक के स्वप्न में अथवा प्रत्यक्ष रूप में प्रकट हो जाते हैं और तब पूछते हैं तू क्या चाहता है? तब साधक उनसे विनती करें और वचन देने के लिए कहे। कि जब भी कभी मैं इच्छा करूं आप के मंत्र का केवल 108 बार जाप करु तब प्रकट होकर आप मेरी मनोकामना पूरी करें अथवा जिसके लिए मैं प्रार्थना करूं, उसकी मनोकामना पूरी करें।
और? उन्हें बाद में भोग के रूप में लड्डू अवश्य प्रदान करें लाल रंग के बूंदी के।
इस प्रकार हनुमान जी की कृपा साधक पर बनी रहती है और यह सिद्धि प्राप्त होने के बाद साधक। सभी प्रकार के अपने और दूसरे व्यक्तियों के कार्य सिद्ध कर सकता है। सिद्धि होने के बाद यह बात किसी को भी नहीं बताएं और सदैव जनकल्याण के लिए इनका इस्तेमाल करें अन्यथा सिद्धि नष्ट हो जाती है। अब जान लेते हैं इनके शाबर मंत्र को जो कि कुछ इस प्रकार से पढ़ा जाता है।
हनुमान जाग।
किलकारी मार ॥
तू हुकारे।
राम काज संवारे ॥
औढ़ सिंदूर सीता मझ्या का।
तूं प्रहरी राम द्वारे ॥
बुलाऊँ, तू अब आ
राम गीत तूं गाता आ
नहीं आये हनुमाना-/
तो राजा राम ॥
सीता मझ्या की दुहाई !
मन्त्र सांचा फुरै खुदाई ॥
इस प्रकार मंगलवार से शुरु करते हुए कुल अपने अनुष्ठान को 41 दिन का आपको सिद्धि की अवश्य ही प्राप्ति होती है। इस दौरान ब्रह्मचर्य का विशेष रूप से ख्याल रखें। स्वप्न में भी ब्रह्मचर्य ना टूटे अन्यथा कभी सिद्धि हासिल नहीं होती।
साधक अपनी पत्नी से दूरी बनाकर रखे हो सके तो किसी भी स्त्री को ना तो छुए ना उसके हाथ का बना खाना खाए। स्वयं अपना भोजन स्वयं ही निर्मित करें और जन से बिल्कुल दूरी बनाकर रखें। तभी आपको इसमें सफलता मिलती है। हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते हैं। तो यह था हनुमान जी की साधना का एक शाबर सिद्ध प्रयोग आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।