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हिडिंबा देवी कथा और साधना

हिडिंबा देवी कथा और साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। दर्शकों की मांग पर और एक विशेष शिष्य की कहने पर मैं आप लोगों के लिए आज देवी हिडिंबा की साधना और उनकी कथा को ले के उपस्थित हुआ हूं। इनकी साधना करने से अतुलनीय बल, मायावी इंद्रजाल की शक्तियां और अद्भुत सामर्थ्य प्राप्त होता है। व्यक्ति अतुलनीय तेजस्वी और महा शक्तिशाली बन जाता है। देवी हिडिंबा मूल रूप से मनाली के जो कुल्लू है वहां जो अपना हिमाचल प्रदेश का एक भाग है, वहां पर इनका एक मंदिर भी स्थित है और इस क्षेत्र की यह कुलदेवी भी मानी जाती हैं तो पहले इनकी जानकारी लेते हैं। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मनाली में ही स्थित है हिडिंबा देवी का मंदिर जो कि पांडवों से जुड़ा हुआ है, यह उस समय की बात है जब जुए में सब कुछ हारने के बाद धृतराष्ट्र और दुर्योधन ने पांडवों को वर्णावत के लिए भेज दिया था। लेकिन इसके बाद जब उन्हें जीवित जलाने की योजना बनाई गई तब पूरा महल खाक हो गया। लेकिन यह लोग बच निकले और सुरंग के रास्ते से भागे थे। उन्होंने नाव से गंगा नदी को पार किया और दक्षिण की ओर बढ़े थे। कौरव ही सोचते रहे कि पांडवों की मौत हो गई है। यहां से बच निकलने के बाद पांडव कौरवों की नजर से बचने के लिए जंगलों में वनवास काटते रहे और धीरे-धीरे वह इस क्षेत्र में आ गए। यह क्षेत्र उस समय राक्षसों का क्षेत्र माना जाता था।
जब सभी लोग चलते चलते थक तो उन्हें प्यास लगी थी तो महाबली भीम पानी लेने के लिए गए। जब वह पानी लेकर वापस आए तो देखा माता कुंती सहित सभी भाई थक कर सो चुके हैं। भीम इस तरह अपनी माता और भाइयों को जंगल में जमीन पर सोते देख कर बहुत दुखी हुए उस जंगल में हेडिम्ब नाम का एक राक्षस अपनी बहन हिडिंबा के साथ रहता था। उस वक्त हिडिंबा भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी। उसने जब पांचों पांडवों को देखा तो उन्हें खाने की इच्छा उसके अंदर तेज हो गई। लेकिन बलशाली और सुंदर भीम को देख कर उसे उस से प्रेम हो गया और जब उसे उनसे प्रेम हो गया तो उसने अपने माया रूप से भीम के पास जाकर बैठ गई। लेकिन भीम उस पर ध्यान ही नहीं दिए। तब माता कुंती ने उससे पूछा तो उसने अपना सत्य बता दिया और कहा कि अभी हिडिंबा जाएगा थोड़ी देर बाद हिडिम्ब आ गया और वह क्रोधित था कि उसकी बहन ने आखिर इन मानवों को क्यों नहीं मार डाला। इन मानवों का अगर वध कर देती तो भोजन की काफी व्यवस्था हो जाती। फिर भीम और हिडिंब राक्षस में बड़ी देर भयानक युद्ध हुआ और भीम ने उसका वध कर दिया। तब हिडिंबा ने कहा, मैं आपको चाहती हूं। आप से विवाह करना चाहती हूं लेकिन भीम ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। लेकिन कुंती के समझाने पर कि अब इसका दुनिया में और कोई नहीं है और यह कह रही है कि इसने मन से तुम्हें अपना पति मान लिया है। इसलिए अब तुम इससे विवाह करो। इस प्रकार कुंती और युधिष्ठिर के समझाने पर भीम ने गंधर्व विवाह हिडिंबा के साथ कर लिया।

युधिष्ठिर ने एक शर्त रखी कि दिन भर तो आप भीमसेन की सेवा में रहेंगी। रात्रि होते ही भी हमारे पास वापस लौट आएगा और इसके अलावा एक शर्त और है और वह यह है कि आपको भीम को एक पुत्र देना होगा और यह? भी पुत्र होने तक ही रहेगा। इसके बाद हम लोग अपने अलग रास्ते पर चले जाएंगे। इसलिए इस बात को समझते हुए भी ना चाहते हुए भी हिडिंबा ने यह शर्त मान ली और वचन दिया कि पुत्र होते ही वह पांडवों को छोड़ देगी और भीमसेन से अपना नाता हटा लेगी इस प्रकार 1 वर्ष के बाद एक अति सुंदर बालक पैदा हुआ जो कि सिर से पूरी तरह गंजा, उसके सिर पर बाल नहीं थे। इसे इसी कारण घटोत्कच नाम दिया गया और वह अद्भुत शक्तिशाली और मायावी था। पैदा होते ही वह एक नवयुवक में बदल गया। तब उसने कहा, मेरे लिए क्या आज्ञा है तब उन् सब ने कहा कि तुम इस पूरे वन क्षेत्र में तपस्या करो और मायावी सिद्धियां प्राप्त करो। अगर भविष्य में कभी तुम्हारी जरूरत पड़ी तो तुम्हें बुला लिया जाएगा इस प्रकार! घटोत्कच तपस्या करने और इंद्रजाल की विधियां सीखने के लिए उस क्षेत्र में तपस्या करने लगा। इधर देवी हिडिंबा भी अपने स्वरूप को त्याग कर मानवी बन गई थी। इसलिए उन्होंने भी तपस्या करना ही उचित समझा। इस प्रकार वह भीषण तपस्या करती रही। उनकी तपस्या के प्रभाव से धीरे-धीरे वह मानव से देवी बन गई और इसी कारण से वह देवता तुल्य हो गई। मनाली में देवी हिडिंबा का एक बहुत ही बड़ा और भव्य मंदिर है। इसको तीर्थयात्री और उधर घूम कर जाने वाले अवश्य ही, इस मंदिर का दर्शन करते हैं। कहते हैं कि मंदिर के भीतर एक प्राकृतिक चट्टान है जिसके नीचे देवी का स्थान माना जाता है। चट्टान को यहां स्थानीय भाषा में डूढ कहते हैं, इसलिए देवी को डूंगरी देवी भी कहा जाता है। देवी को ग्राम देवी के रूप में पूजा जाता है। और यह जो मंदिर है यह विशालकाय देवदार वृक्षों के नीचे चार छतों वाले पैगोडा शैली में बना हुआ मंदिर है। इसका निर्माण कुल्लू के शासक बहादुर सिंह ने 1526 से 1569 ई0 में करवाया था। दीवारें पहाड़ी शैली में बनाई गई है। यहां पर इनकी कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है और यह देवी के विशाल स्वरूप को दर्शाया गया है।

इनकी साधना के विषय में और इस क्षेत्र की कुलदेवी होने के कारण ही इनकी पूजा का विशेष विधान है। लेकिन हम यहां पर बात कर रहे हैं। इनकी तांत्रिक साधना के विषय में और सिद्धि के विषय में अगर देवी हिडिंबा की तांत्रिक साधना की जाय तो यह अद्भुत शक्ति और सामर्थ्य प्रदान कर सकती हैं। कोई भी व्यक्ति अद्भुत शक्ति संपन्न हो सकता है। उसके अंदर कई मानवों की शक्ति आ जाती है। आज की स्थिति में अगर महाभारत से तुलना की जाए तो एक व्यक्ति में 100 पुरुषों की शक्ति आ जाएगी। यानी जो मनुष्य जितने अधिक ताकतवर होते हैं उनकी एक साथ शक्ति उस पुरुष के अंदर आ जाएगी। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि वह कितना अधिक बलवान हो जाता है। इसके अलावा दूसरी सिद्धि देवी की कृपा से जो प्राप्त होती है, वह है वायु गमन विद्या यानी की हवा में उड़ सकने की स्थिति जिसकी वजह से एक व्यक्ति कहीं से भी कहीं उड़ कर पहुंच सकता है। तीसरी शक्ति है मायाजाल रखने की क्षमता इससे व्यक्ति जो जैसा होता है, यह जैसी स्थितियां होती हैं। उनको बदलकर के भ्रम के रूप में आपको कुछ और ही दिखा सकता है। उदाहरण के लिए घटोत्कच ने विशालकाय रूप धर लिया था और सभी को वह मारता चल रहा था। जिधर बाण चलाए जाते उधर लगते नहीं और जिधर मृत्यु का कारण होता सैनिक उधर ही दौड़ते थे। यानी कि आपके सामने का पूरा वातावरण बदल जाएगा। अगर माया का प्रयोग किया जाए। आपको वह चीजें दिखाई देंगी जो है ही नहीं। और जहां होगी वहां पर कुछ और नजर आयेगा इसी कारण से किसी को भी मारना सरल हो जाता है। इस तरह की मायावी विद्या से व्यक्ति पूरी तरह भ्रमित हो जाता है। भ्रम की इस विद्या को हम जानते हैं और माया शक्ति के रूप में इसे संसार में जाना जाता है तो इस तरीके की जो सिद्धियां है वह हिडिंबा देवी की साधना से आती है। इसके अलावा हिडिंबा देवी की साधना करने वाला व्यक्ति अधिक भोजन करता है। सामर्थ्यशाली होता है। तीव्र बुद्धि होती है और एक पत्नी और एक पति के प्रति समर्पण रखता है।

और कोई व्यक्ति अगर इन संभावनाओं को छोड़ता है तो उसकी सिद्धि भी चली जाती है क्योंकि राक्षसी होने के बावजूद हिडिंबा देवी पूर्ण तरह से एक सती स्त्री थी। इनकी शक्ति और सामर्थ्य को हासिल करने वाला अद्भुत शक्तिशाली होता है। एक विशेष बात क्योंकि जब मैं भी इस क्षेत्र में इस मंदिर के दर्शन के लिए गया था तो मैंने एक बात बहुत विशेष महत्व पूर्ण तरीके से नोट की थी कि स्त्रियों की सुंदरता बढ़ाने के लिए भी अगर कोई हिडिंबा देवी साधना करता है तो अद्भुत रूप से वह स्त्री सुंदर हो जाएगी। इस उदाहरण को मैं बता नहीं सकता हूं, लेकिन आप समझ सकते हैं कि मेरा इशारा किस तरफ है। उस वक्त अद्भुत सुंदरता पैदा हो जाती है। और यह मायाजाल की तरह भी होता है और लगातार साधना करने वाले के लिए वास्तविक रूप में भी घटित हो जाता है। इस साधना को अगर आप खरीदना चाहते हैं तो इंस्टामोजो में मैंने लिंक दे दिया है। इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में वहां से क्लिक करके आप इसे इंस्टामोजो स्टोर से जाकर खरीद सकते हैं। यह थी महाभारत की हिडिंबा देवी की कथा और साधना अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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