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होलिका अप्सरा साधना अनुभव

होलिका अप्सरा साधना अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम होलिका अप्सरा साधना अनुभव के विषय में ज्ञान प्राप्त करेंगे। भेजने वाले साधक महोदय का कहना है क्योंकि होली आ रही है। इसी कारण से उन्होंने जो यह साधना की थी। 1 वर्ष पहले उस साधना को उन्होंने जब किया था तो क्या अनुभव हुए थे हमे यही बताने के लिए आज उन्होंने ईमेल के माध्यम से अपना पत्र भेजा है तो चलिए शुरू करते हैं। इनके अनुभव को जानना कि आखिर होलिका अप्सरा साधना के दौरान इनके जीवन में क्या घटित हुआ था?

ईमेल पत्र -प्रणाम गुरु जी, कृपया मेरा नाम और पत्र को डिस्क्लोज ना करें क्योंकि मैं नहीं चाहता कि इस कारण से इस समय अथवा आने वाले भविष्य में मेरी सिद्धि के ऊपर कोई प्रभाव पड़े। किंतु मैं यहां पर दर्शकों के लिए और आपकी सेवा के लिए अपने इस अनुभव को प्रकाशित कर रहा हूं। आपसे यह मेरा विनम्र निवेदन है कि आप इस अनुभव को प्रकाशित करें ताकि अन्य साधक इस साधना से विशेष ज्ञान को प्राप्त कर सके। गुरु जी।

मैं आपको अपनी इस साधना के विषय में बताना चाहता हूं। जब आपने इसे 1 वर्ष पहले साधना के रूप में इसे डाला तो मैंने इसे आपके इंस्टामोजो से खरीदा था। तब जब मैंने इसकी विधि के बारे में ज्ञान प्राप्त किया किया कि केवल दो-तीन घंटे में ही सिद्ध हो सकती है तो मेरे मन में यह बात आई कि अवश्य ही मैं यह साधना करूं। इसीलिए मैं तैयार हो गया और इस साधना के लिए मैंने अपने आप को पूरी तरह से समर्पित कर दिया था।

अब क्योंकि आपके कहे अनुसार पूरी जानकारी नहीं दी जा सकती है। इसलिए विशेष बातों को छुपाते हुए मूल बात पर आता हूं। जब गुरु जी मैं इस साधना को करने के लिए खड़ा हुआ तो तकरीबन 15 मिनट बाद ही मुझे स्पष्ट आभास हुआ। किसी की पायलों की आवाज का। कान में आती हुई वह मधुर आवाज मेरा ध्यान भटका रही थी, लेकिन मैंने पूरी कोशिश जारी रखें कि किसी भी प्रकार से मैं इस साधना में अपना ध्यान ना भटकाऊ। हठयोग होने के कारण इसे करना बहुत ही कठिन कार्य था। तकरीबन मुझे 30 मिनट हो चुके होंगे तभी ऐसा लगा जैसे कि कोई अति सुंदर 16 सत्रह वर्ष की कन्या आकर मेरे सामने खड़ी हो गई है।

उसने मुझसे कहा। मैं तुमसे प्रेम करती हूं। मेरे गले लगो और वहीं पर गुरु जी मुझसे गलती हो गई। मैंने उसे गले लगा लिया और इसी के साथ मेरी साधना भंग हो गई। मुझे इस बात का होश ही नहीं था कि मैं मंत्रों का जाप कैसे कर रहा हूं। मेरी साधना भंग होते ही मुझे अपने चारों ओर का दृश्य दिखाई दिया। जब वह हंसते हुए मेरे सामने से गायब हो गई तब मुझे एहसास हुआ कि साधना के समय किस प्रकार से अपनी मानसिक स्थिति को नहीं बिगड़ने देना चाहिए? किंतु मुझसे तो गलती हो चुकी थी। अब मैं करता भी क्या? मैं अब निराश हो चुका था।

मैं इसी प्रकार अब अपने घर की ओर निराश होकर जाने लगा। मैंने सोचा क्या फायदा हुआ मेरी साधना तो भंग हो गई है। इस प्रकार मैं जब अपने घर पहुंचा तो मेरे परिवार में अगले दिन होली मनाने के लिए तैयारी लगभग पूरी की जा चुकी थी। पर मेरा मन उन सब बातों में बिल्कुल नहीं लग रहा था तो ऊपर छत वाले कमरे में जाकर मैंने सोना ही उचित समझा। मैंने उस दिन किसी से बातचीत भी नहीं की। सभी लोग यहां तक कि मेरी मां भी मुझसे कह रही थी। होली वाले दिन इस तरह मुंह बनाकर रहना क्या अच्छी बात है। किसी से तेरी लड़ाई हो गई है क्या? अब उन्हें मैं क्या बताता कि मैं तो साधना करने गया था लेकिन सफल नहीं हो पाया।

अब रात का खाना मैंने थोड़ी देर बाद खाया।

इतनी देर रात खाना खाने के कारण मम्मी को कुछ अजीब सा लग रहा था। उन्हें लग रहा था। शायद यह कहीं से लड़कर आया है। किंतु उन्होंने मुझे सिर्फ इतना कहा अपना ख्याल रखा करो। अगर भूख लगी थी तो पहले ही खाना खा लिया होता। इतनी देर रात खाने का क्या मतलब है? मैंने उन्हें कुछ नहीं कहा और अपने बिस्तर पर जाकर सो गया और लगभग आधे घंटे बाद ही मुझे तेज नींद आ गई और उसमें जो मैंने नजारा देखा। वह एक सुखद याद के रूप में आज भी मेरे मन में दौड़ता रहता है। मैंने देखा एक सुंदर सा तालाब था जहां पर बहुत सारी लड़कियां हंसी खेल में एक दूसरे पर पानी फेंक रही थी। वह सब की सब बहुत अधिक सुंदर थी।

उनको जब मैंने देखा तो बस देखता ही रह गया। सभी का सौंदर्य धरती की इंसान जैसा बिल्कुल नहीं था। उन सभी का रंग दूध जैसा सफेद और शरीर के अंदर से चमक साफ दिखती थी लेकिन उनके सारे वस्त्र।

जालीदार कपड़े के जैसे थे। मतलब कि आप शरीर के अंदर के भागों को बहुत अच्छी तरह बस नहीं देख सकते थे, लेकिन आप उन्हें लगभग देख सकते थे। या यूं कहें कि वह वस्त्र विहीन ही थी लेकिन वस्त्रों के साथ, अब उनके इस रूप और सौंदर्य में मैं खोया था तभी मेरी बाईं तरफ से एक कन्या आई। उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा, चलो जंगल की तरफ चलते हैं। जब मैंने जंगल में प्रवेश किया। तो वहां अद्भुत सुंदरता थी। सभी चीजें नीचे से ऊपर की ओर जा रही थी जैसे पेड़ के पत्ते जब टूटते हैं तो नीचे गिरते हैं पर वहां तो टूटे पत्ते, सब आसमान की ओर जा रहे थे।

हवा नीचे से ऊपर की ओर बहती थी। वहां बहुत ही सुंदर वातावरण था। पूरे वातावरण में एक विशेष तरह की खुशबू फैली हुई थी। तभी मैंने कई स्त्रियों को हवा में उड़ते हुए इधर उधर जाते हुए देखा।

मैं समझ चुका था, यह सभी इंसान नहीं है। मैंने उस लड़की से पूछने के लिए जैसे ही उसकी ओर मुंह किया, वह हंसने लगी और कहने लगी कि जो तुम सोच रहे हो। वह सत्य है तुम इस वक्त अप्सरा लोक में हो और यह स्थान केवल एक उच्च कोटि का साधक प्राप्त कर सकता है। तुमने साधना तो की लेकिन सफल नहीं हो पाए। शायद अगर सफल हो जाते तो मुझे प्राप्त कर पाते।

तब उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे हवा में उड़ा लिया और मैं उसके साथ जैसे किसी हेलीकॉप्टर में बैठकर दृश्य दिखाई देता है। उसी तरह वह मुझे उड़ाते हुए एक पक्षी की तरह चारों ओर के अति सुंदर दृश्य दिखा रही थी। तभी एक स्थान पर जलती हुई लकड़ियाँ बहुत ऊंची आग की लपटें प्रदर्शित कर रही थी। वह उसी स्थान पर पहुंची और कहने लगी। सब कुछ प्राप्त करना इतना आसान नहीं होता है। अब मैं तुमसे विदा लेती हूं और वह उस अग्नि में प्रवेश कर गई। मैं सिर्फ चिल्लाता रहा, रुक जाओ रुक जाओ! मैं इतनी जोर से चिल्लाया कि मैंने!

जब यह जोर से शब्द किया तो मम्मी कमरे में दौड़ते हुए आ गई और कहने लगी। क्या हुआ तो मैंने उनसे कहा कुछ नहीं लगता है। मैं सपना देख रहा था, पर मुझे उसके छूने और वह सारे दृश्य इतनी अच्छी तरह याद थे जैसे कि मैंने कोई 4K में फिल्म देखी हो।

आप का एक कथन तब मुझे याद आया। आपने कहा था कि जब भी कोई सपना बहुत ही सुंदर और अच्छी क्वालिटी में स्पष्ट रूप से दिखाई दें और उसमें होने का पूर्ण अनुभव हो तो वह सत्य होता है।

मैं उस होलिका अप्सरा के लोक में गया था।

तो यही था मेरा अनुभव उस साधना का अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो गुरु जी मुझे क्षमा कीजिएगा। धन्यवाद!

संदेश-तो देखिए यहां पर इनके जीवन में यह विशेष अनुभव घटित हुआ। साधना के बाद अवश्य ही अगर साधना में सफलता मिलती है तो अनुभव का स्तर कहीं उच्च कोटि का हो जाता है। प्रयास जारी रखना चाहिए और बार-बार प्रयास करते रहना चाहिए। तो अगर आपको यह अनुभव पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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