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होली त्योहार पर ज्वाला यक्षिणी साधना

होली त्योहार पर ज्वाला यक्षिणी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक विशेष साधना के विषय में ज्ञान प्राप्त करेंगे जिसे हम होली की रात्रि को। अवश्य ही कर सकते हैं और यह साधना एक सात्विक साधना है जो कि मनुष्य के जीवन में उनके कष्टों को न सिर्फ नष्ट करती है बल्कि आगे के जीवन को सुगम सरल बनाने के साथ आप अगर उच्च कोटि के साधक हैं तो मात्र एक रात्रि में पूर्ण सिद्धि प्रदान भी कर सकती है। इस साधना के विषय में हम आज जानेंगे। यह साधना एक गुप्त यक्षिणी की है। इनकी साधना केवल होली की रात को की जा सकती है। जिस दिन होली जलाई जाती है। यानी कि जिस दिन होलिका दहन होता है यह उस रात्रि को की जाने वाली साधना है। इस साधना के विषय में हमें केवल गुरु शिष्य परंपरा में ही जानने को मिलता है तो आइए जानते हैं इस गुप्त और दुर्लभ साधना के विषय में। कि आखिर यह साधना हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण हो जाती है और वर्ष में केवल एक ही रात्रि को इस शक्ति को कैसे जगाया जा सकता है? तो सबसे पहले हमें इस यक्षिणी के विषय में जानना होगा जिनकी यह साधना है।

आप लोगों ने होली के विषय में कई सारी कथा और कहानियां सुनी होंगी। लेकिन एक कथा के अनुसार जब भगवान शिव बैरागी होकर अपनी साधना में बैठ गए थे उस दौरान माता पार्वती और शिव का मिलन करवाने के लिए सभी देवी देवता, यक्ष, गंधर्व, किन्नर इत्यादि सब यही चाहते थे कि माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हो जाए, लेकिन भगवान शिव को उनके ध्यान से हटाना किसी के लिए भी संभव नहीं था। तब देवराज इंद्र ने कामदेव को यह कार्य सौंपा और उनसे कहा गया कि आपको कुछ भी करके भगवान शिव की तपस्या तोड़ देनी है और उनके अंदर काम भाव जगा कर विवाह के लिए उन्हें प्रेरित कर देना है।

इस दौरान! जब वह अपना धनुष उठा कर चलने लगे। तभी वहां पर मौजूद कुबेर जी ने कहा कि यह तो अपना कार्य करेंगे ही किंतु इनकी सहायता के लिए मैं अपनी एक सर्वश्रेष्ठ यक्षिणी को भी भेजना चाहता हूं जो कामदेव की पीछे रहकर सहायता करेगी क्योंकि मुझे पता नहीं क्यों ऐसा आभास होता है कि भगवान शिव के क्रोध का भाजन शायद कामदेव को ना बन जाना पड़े। इसीलिए अब सावधानीपूर्वक कामदेव को आगे के कदम बढ़ाने चाहिए। कामदेव ने हंसते हुए कहा, किसी भी देवी देवता या संसार में मौजूद किसी भी पुरुष में इतनी सामर्थ्य नहीं है जो मुझे रोक कर दिखा सके। मुझे किसी की आवश्यकता नहीं है। तभी रति ने कामदेव से कहा, आपका इस प्रकार सोचना गलत है। आप सावधानीपूर्वक जाइए और कामदेव अपने दुर्लभ पुष्प बाणों के साथ वहां से निकल गए। तभी कुबेर जी ने रति से कहा। तुम्हें आवश्यकता पड़ सकती है। इसीलिए मैंने ज्वाला यक्षिणी का आवाहन कर दिया है। यक्षिणी तुरंत वहां पर प्रकट हो गई और रति से कहने लगी। तुम चिंता मत करो, मैं कामदेव के पीछे जा रही हूं और इनकी रक्षा करूंगी। इस प्रकार कामदेव तब तक मन की गति से भगवान शिव के सामने पहुंच चुके थे और उन्होंने अपने बाणों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। जब तक यक्षिणी वहाँ पहुंचती तब तक भगवान शिव अपनी क्रोध नेत्र को खोल चुके थे और कामदेव यक्षिणी के सामने ही भस्म हो गए।

यक्षिणी को इस बात से बहुत धक्का पहुंचा कि वह कुबेर जी के कहने पर भी उसकी रक्षा नहीं कर पाई।

समय बीतता गया भगवान ने कामदेव को रति के कारण दोबारा जीवित होने का वरदान दिया। रति कि इस प्रकार वेदना को देखकर ज्वाला यक्षिणी ने कहा रति मुझे इस बात का बहुत दुख है। कि मैं कामदेव की रक्षा नहीं कर पाई इसलिए मैं कुछ अपनी तरफ से देना चाहती हूं।

तब रति ने कहा कि कामदेव का खत्म होने का यह दिन होली के रूप में मनाया जाएगा। जगत में इसे होली के त्योहार के रूप में माना जाएगा और जिस प्रकार होलिका दहन में बुरी शक्तियों का नाश हो गया था। इसी प्रकार कामदेव के मन का बुरा तत्व इसमें नष्ट हो गया है किंतु कामदेव को सब बुरा समझेंगे। इसलिए कुछ ऐसा करो कि जगत का कल्याण हो और इनका नाम भी अमर रहे। ज्वाला यक्षिणी ने कहा, मैं अब होलिका के भीतर मौजूद रहूंगी और जो भी मुझे अपने घर लेकर जाएगा, मैं उसकी आधी समस्याओं का नाश कर दूंगी और अगर वह सच्चे हृदय का प्राणी हुआ तो मैं उसे धन संपदा वैभव देने के साथ सिद्धि भी प्रदान करूंगी। कहते हैं उसी दिन से होली की अग्नि में ज्वाला यक्षिणी का वास रहता है। लेकिन ज्वाला यक्षिणी को जब तक आवाहन देकर स्थापित नहीं किया जाता है, उनका पूजन नहीं किया जाता है तब तक उनकी सिद्धि प्राप्त नहीं की जा सकती है।

यानी जहां पर भी होलिका दहन हो रहा हो, उस स्थान पर आपको कुछ तांत्रिक क्रियाएं करके इनकी साधना करनी होती है। फिर घर आकर आपको आगे का कार्य संपादित करना होता है। इससे ज्वाला यक्षिणी प्रसन्न हो जाती है और जीवन की 50% समस्याएं वह उस दिन नष्ट कर देती है। हर वर्ष यह कार्य करने से आपके जीवन में कई तरह का सुधार होता है और अच्छा साधक यक्षिणी को साक्षात सिद्ध कर सकता है। यक्षिणी अगर पूर्ण प्रसन्न हो जाएं तो एक यक्षिणी सेवा में भी साधक को प्रदान कर सकती हैं और विभिन्न प्रकार की दुर्लभ सिद्धियां तो वह देती ही हैं क्योंकि यह एक सात्विक साधना है। इसलिए कोई भी इस साधना को कर सकता है। रोग नाश, दुर्भाग्य का अंत करने, ग्रह बाधा को नष्ट करने

जीवन में सुधार लाने, व्यापार को बढ़ाने, नौकरी इत्यादि प्राप्त करने के लिए भी वह ज्वाला यक्षिणी का आवाहन कर सकता है। इसलिए इनकी साधना होली पर जरूर गोपनीय तरीके से बिना किसी को बताए करनी चाहिए। इस साधना को आप कैसे करेंगे। इसका मैंने पूरा विवरण अपने इंस्टामोजो अकाउंट में दे दिया है। इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में आपको लिंक मिल जाएगा। वहां से क्लिक करके आप इस साधना को इंस्टामोजो में जाकर अपना मोबाइल ईमेल आईडी इत्यादि भरकर खरीद सकते हैं।

इस साधना को आप होली पर अवश्य करें क्योंकि इसे कोई भी व्यक्ति कर सकता है और हर वर्ष होली के दिन इसे जरूर करें ताकि आपकी 50% समस्याओं का हल केवल एक मात्र 1 दिन की साधना से ही हो जाए तो प्रत्येक व्यक्ति को इस साधना को करना चाहिए और निश्चित रूप से इससे कल्याण होता है।

क्योंकि यह वरदान स्वयं रति देवी को यक्षिणी ने दिया है। इसलिए आप सभी इस साधना को जरूर करें और अपने साथ अपने परिवार का कल्याण करें।

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