नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज हम बात करेंगे देवों के देव महादेव भगवान भोलेनाथ शिव शंकर के परम प्रिय पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय की जो भगवान शिव को अत्यंत ही प्रिय है। समस्त सृष्टि शिव मयी है सृष्टि के सृजन से पहले और सृष्टि के विनाश के बाद भी केवल शिव ही रह जाते हैं ऐसा मानना जाता है कि ब्रम्हा ने सृष्टि की रचना की पर जब सृष्टि का विस्तार नहीं हो पाया तब उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या की तब भगवान शिव अर्धनारीश्वर स्वरूप वहाँ प्रकट हुए और उन्होंने अपने शरीर से अपनी शक्ति शिवा को अलग कर दिया ।
इस प्रकार सृष्टि की रचना के लिए शिव दो भागों में विभाजित हो गए क्योंकि दो के बिना सृष्टि रचना असंभव है शिव और शक्ति दोनों एक ही हैं और यह पांच प्रकार के कार्य करते हैं जो ज्ञानमय है ।सृष्टि की रचना करता है, सृष्टि का भरण पोषण करता है, सृष्टि का विनाश करना, सृष्टि को परिवर्तनशील बनाना, सृष्टि से मुक्ति प्रदान करना और सृष्टि के विनाश के समय केवल भगवान रुद्र ही शेष रहते हैं । कहा जाता है कि सृष्टि के आदि मे महाशिवरात्रि को शिव का ब्रह्म रूप से रुद्र रूप में अवतरण हुआ था । इसी समय दिन प्रलय की प्रदोष स्थिति में तांडव नृत्य करते हुए अपनी क्रोध की ज्वाला से समस्त संसार को भस्म कर दिया इसलिए महाशिवरात्रि और कालरात्रि को पर्व के रूप में मनाने की प्रथा चली आ रही है ।
शिव को सहस्त्र मुखी भी कहा जाता है यानि एक हजार मुंह वाला, परंतु यह विशेष पंचमुखी रूप में ही रहते हैं । इन्हीं पांचों मुखओ के जरिए यह सृष्टि को चलाते हैं इनका प्रियं अंक भी पांच है ।शिव मध्य गामी है वह ना देवताओं के हैं और ना ही असुरों के, जो भी चाहे उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है । वह आशुतोष भगवान शिव है । शुन्य से अन्य संख्याएँ तक पांच सबसे बीच की संख्या है शिव पांच तत्वों के देव है और इंद्रियां भी पांच होती है और शिव इंद्रियों के भी स्वामी हैं । इनका प्रिय मंत्र ओम नमः शिवाय है इसमें भी पांच ही अक्षर है इसलिए यह पंचाक्षर मंत्र है और अगर इसमें ओम भी जोड़ दिया जाए तो यह षडक्षर मंत्र बन जाएगा यानी कि ओम नम शिवाय तब यह और भी अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली मंत्र बन जाता है।
इसकी साधना विधि है कि आप अपने घर में एक पारद शिवलिंग लाकर स्थापित करिए और उसकी पंचोपचार पूजा करिए और विधि पूर्वक उसकी पूजा आराधना करिये । लाल कंबल के आसन पर रुद्राक्ष की माला लेकर बैठ कर रात्रि के 9 बजे से आप 12 बजे तक ओम नमः शिवाय का जाप करें। आपको यह लगातार तीन महीने तक करना होगा इस से प्रसन्न होकर भगवान शिव आपको किसी भी रुप में दर्शन दे सकते हैं और आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगे । याद रखे कि भगवान शिव का पूजन माता पार्वती के साथ ही करें और अगर आपके साधना काल में आपके कमरे में सांप आ जाए तो उससे डर नहीं और ना ही उसे मारें । इससे आपको सिद्धि प्राप्ति होगी अगर आपको यह जानकारी और साधना पसंद आई है तो धन्यवाद।।