12 ज्योतिर्लिंगों की पौराणिक और तांत्रिक कथाएं अघोरा तांत्रिक 5 वां अंतिम भाग
तभी वहां पर एक बूढ़ा आदमी प्रकट हुआ। उस बूढ़े आदमी ने अघोरा से कहा, यह बैल बहुत ही खतरनाक है। मेरे गांव में इसने बड़ी ही हलचल मचा दी। तुम्हें इसके सामने से हट जाना चाहिए। यहां रहकर तुम केवल इस के कोप का भाजन बनोगे। और तुम्हारी मृत्यु भी हो सकती है। तब अघोरा ने कहा, बाबा यह शमशान तो भगवान शिव की कार्य स्थली है। इसलिए मैं इस स्थान को छोड़कर नहीं जाऊंगा। मैं अपना जाप यहीं बैठकर पूरा करना चाहता हूं। तब उस बाबा ने कहा, चल ठीक है लेकिन अगर तेरी मृत्यु हो गई तो तू! कैसे अपने लक्ष्य को कैसे प्राप्त करेगा?
तब अघोरा ने कहा, अगर भगवान शिव की यही इच्छा हुई तो कोई समस्या नहीं है पर मैं अपना जॉप नहीं छोड़ने वाला। और अघोरा उसी स्थान पर एक बार फिर से जाकर बैठ गया। गुस्से से दौड़ता हुआ बैल चारों तरफ अपनी। ऊर्जा! दिखा रहा था।
वह अपने क्रोध से यह उस स्थान के सभी पशु पक्षी पेड़ पौधों सभी को डरा रहा था। उसका सामर्थ्य बहुत अधिक था।
10 व्यक्ति भी उसे पकड़ कर रोक नहीं सकते थे। इतना अधिक हष्ट पुष्ट और बलवान वह बैल था।
बीच मार्ग में अघोरा को साधना करते देख कर एक बार फिर से वह बैल बड़ी ही तेजी के साथ अघोरा की ओर लपका। अघोरा ने उसे देख लिया। लेकिन अपने मंत्र जाप को नहीं छोड़ा! एक बार फिर से बैल ने उसे जोरदार टक्कर मारी। अघोरा के शरीर से खून निकलने लगा। अघोरा दूर जाकर गिरा।
लेकिन? फिर से वह उठ कर आया और अपने उसी स्थान पर। घायल शरीर के साथ बैठकर जाप करने लगा।
इसके बाद एक बार फिर से वह बैल गुस्से से भरकर अघोरा की ओर तेजी से दौड़ता हुआ आया अघोरा भगवान शिव के मंत्रों को जोर-जोर से पढ़ने लगा। क्योंकि वह जानता था। अबकी बार शायद यह उसकी आखिरी टक्कर होगी। क्योंकि इतना अधिक शक्तिशाली बैल अगर अपने जोर से मुझे हमला कर यहीं पर दबा दें तो मैं मृत्यु को प्राप्त हो जाऊंगा।
या फिर अगर इसके सींग मेरे शरीर में घुस गए तो भी मैं मारा जाऊंगा? लेकिन मैं भगवान शिव की प्रार्थना और पूजा नहीं छोड़ सकता। मुझे मालूम है मैंने ब्रह्म हत्या की थी।
और उनके पाप से मैं मुक्ति प्राप्त कर चुका हूं। किंतु भगवान शिव की इस लंबी यात्रा में अभी तक मैंने उन परमेश्वर के दर्शन नहीं किए। अब जब तक उन्हें प्राप्त नहीं कर लेता, मेरा जीवन संपूर्ण नहीं हो सकता। अगर उनका नाम लेते हुए मुझे मृत्यु भी आ जाए तो भी क्या बात? ऐसी मृत्यु तो भाग्यशाली लोगों को मिलती है। यही सोचते हुए एक बार फिर से अघोरा उसी स्थान पर बैठकर दृढ़ता पूर्वक बैल के सामने आ जाता था।
बैल एक बार फिर से गुस्से से फूँकारता हुआ। अघोरा की ओर लपका। अबकी बार उसने अघोरा के छाती में अपने सींग घुसा दिए।
उन सींगों के कारण।
उसकी त्वचा फट चुकी थी।
सींग शरीर के अंदर घुस चुके थे।
अब अघोरा ने यह बात समझ ली थी कि उसका अंतिम समय आ चुका है।
लेकिन उस दौरान भी उसने! मंत्र जाप नहीं छोड़ा।
और? इसी के साथ अघोरा बेहोश हो गया।
जब अघोरा को होश आया तो उसने सामने बैल को खड़ा पाया। बैल कहने लगा। तुम्हारी जैसी भक्ति मैंने आज तक नहीं देखी। मेरी सींग से भी तुम नहीं डरे। तुम कितने अधिक? सामर्थ्य वान हो। इतनी अधिक दृढ़ प्रतिज्ञा लिए हुए बैठे हो। कौन हो तुम अपने बारे में बताओ? तब अघोरा ने कहा। आप कौन हैं जो मनुष्य की बोली में बोल सकते हैं, मैं समझ गया आप कोई साधारण बैल नहीं है। आप कोई दिव्य शक्ति है, कोई यक्ष होंगे?
क्या मैंने सही कहा? मेरा नाम अघोरा है, मैं यहां भगवान शिव के दर्शन की प्राप्ति हेतु और अपने पापों से मुक्ति के लिए बैठा हूं।
तब उस बैल ने कहा, मैं सब जान गया। मुझे तुम्हारा भूत!
स्पष्ट दिखाई देता है।
तुमने? कई सारी ब्रम्ह हत्याएं इस जन्म में की थी। और इससे पूर्व भी कई जन्मों में कई सारे पाप किए हैं। लेकिन मेरे द्वारा घायल किए जाने के साथ ही अब तुम उन सभी पापों से मुक्त हो चुके हो। मैं कोई यक्ष नहीं हूं।
मैं एक साधारण सा सेवक हूं अपने भोलेनाथ का।
अघोरा ने कहा, आप साधारण तो हो ही नहीं सकते? आप जो भी हैं मुझे अपने वास्तविक रूप में दर्शन दीजिए। इतना कहते ही अब अघोरा के सामने साक्षात!
नंदी महाराज खड़े थे। नंदी महाराज ने हंसते हुए कहा, मैंने तुम्हारी पूरी परीक्षा ली है। भगवान शिव के कहने पर ही मैंने तुम्हारी पूर्व परीक्षा ली है। अब तुम शिवलोक को प्राप्त करते हो? और देखो इस आकाश की ओर जहां से मेरे स्वामी अब तुम्हें साक्षात दर्शन देंगे। अघोरा ने अपनी आंखें उठाकर देखा तो महा विशालकाय रूप में भगवान शिव साक्षात सामने खड़े थे।
पूरी पृथ्वी को घेरे हुए महा विशाल रूप में भगवान शिव उसके सामने साक्षात हो चुके थे। भगवान शिव ने कहा। तुम्हारी यात्रा तुम्हारे अच्छे कर्म और तुम्हारा पुण्य! सब मैंने!
तुम्हें प्रसाद रूप में देने का निर्णय कर किया है। अब तुम मेरे साथ मेरे ही लोक में निवास करोगे? पृथ्वी पर भी। अघोर पद्धति से बहुत सारे लोग।
पूजा और पाठ किया करेंगे और उन्हें सिद्धियां भी अवश्य ही प्राप्त होंगी। लेकिन जो भी अघोरी। मेरी साधना किसी? बुरे कर्म के लिए करेगा उसकी मुक्ति नहीं होगी। सिर्फ सत्कर्म करने वाले को ही मैं सिद्धि प्रदान करूंगा और सभी अघोरियों को। मेरा लोक प्राप्त होगा।
बस उस अघोरी को अधर्म करने से बचना होगा। मैं तुम्हें स्वयं में लीन करता हूं और आशीर्वाद देता हूं कि इस पृथ्वी पर जो भी व्यक्ति अघोरी बनकर अच्छे कर्म करेगा, वह साक्षात मेरे लोक में निवास करेगा और उसे सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होंगी। इस प्रकार! भगवान शिव ने अघोरा को स्वयं में स्थान दिया। और जीवन से मुक्त कर दिया। इस प्रकार यह कथा यहीं पर समाप्त होती है। अघोरा ने न सिर्फ अपने पापों से मुक्ति प्राप्त की बल्कि भगवान शिव के लोक को भी प्राप्त किया।
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