नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आया हूं ज्वालामालीनी मँत्र साधना वैसे तो माता परा शक्ति के विभिन्न रुप मांने जाते हैं उन्हें में से माता का एक स्वरुप है माता का ज्वाला मालिनी स्वरुप यह अग्नि स्वरुप है माता का अग्नि तत्व का प्रतीक मानी जाती है यह लाल वस्त्र के परिधान पहन कर इनकी साधना की जाती है और जैन धर्म में भी माता के ज्वाला मालिनी स्वरुप का वर्णन आता है । जैन धर्म में भी माता के ज्वाला मालिनी स्वरुप की साधना की जाती है इनकी साधना से दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है और सर्व बाधा मुक्ति प्रधान करती है यानी कि यह आपकी सारी परेशानियां खत्म कर देते हैं दिव्य दृष्टि के लिए आपको इनकी साधना लंबे समय तक करनी होती है और माता की सिद्धियों के लिए एक दुर्गा तँत्र आता है इसीमे ज्वाला मालिनी सिद्धि उच्च स्तरीय सिद्धि मानी जाती है। हर प्रकार के विभिन्न विपत्ति से आप की यह रक्षा करती है और इनका स्त्रोत्र आपके विघ्न का नाश करती है यहां पर मैं आपको बड़े स्त्रोत्र की साधना नहीं दे रहा हूं मैं इनके मंत्र की साधना दे रहा हूं । यहां पर आपको इसके प्रभाव से अगर आपके ऊपर किसीने कृत्या प्रयोग किया है तो आप उससे बच जाएंगे अगर आपके शत्रु नहीं किसी भी प्रकार का आपके ऊपर तंत्र किया है या फिर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं. तो यह आपकी रक्षा सुरक्षा करता है बुरे ग्रहों के प्रभाव से भी यह मंत्र आपकी रक्षा करता है इनका जो स्त्रोत्र है आपको उसकी 108 बार पाठ करना चाहिए यह 41 दिनों तक करनी चाहिए और जो मैं आपको मंत्र दे रहा हूं आपको उसकी एक किससे 51 माला करनी चाहिए क्योंकि इस तरह की जो साधना होती हैं वह निश्चितता नहीं होती इसलिए हम आपको मानक रुप में इतना बताते हैं क्योंकि जितने भी बड़े देवी देवता होते हैं आपकी श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्ना होते हैं ना कि आपने कितना जाप किया है इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता अगर उन्हें प्रसन्न होना होगा तो एक बार के जाप में भी हो जाएंगे और अगर उन्हें नहीं होना होगा तो सालों साल करने पर भी नहीं होंगे अगर आप इनकी साधना करना चाहते हैं तो आपको पूर्णिमा का दिल नवरात्रि होली दशहरा दीपावली से शुरु कर सकते हैं जैसा कि लोग पूछते ही हैं कि कौन सा दिन उनके लिए शुभ होगा तो आप इन दिनों से अगर करेंगे तो आपके लिए बहुत ही शुभ होगा और आपकी सिद्धि की संभावना भी बढ़ेगी अगर आप ऐसे करना चाहते हैं तो आप इन दिनों से शुरु कर सकते हैं इससे आपको माता की प्रसन्नता प्राप्त होती है अगर आपके जीवन में धन बाधा आ रही है तो भी आप इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं जिसके पास कम समय हैं वह 21 माला का संकल्प ले कर करे और जिनके पास थोड़ा सा ज्यादा समय है वह 51 माला का जाप कर सकते हैं संकल्प के आधार पर धन बाधा और आर्थिक प्रयोग के लिए आपको करना क्या होगा की आपको पहले और बाद में भी माता के श्री सूक्त का पाठ करना होगा इस मंत्र के प्रभाव से आपको त्रिकाल सिद्धि और दिव्य दृष्टि की प्राप्ति होती है इससे आप भूतकाल मे और भविष्य काल में क्या होने वाला है ज्ञात कर सकते हैं सबको अलग प्रकार से इसकी सिद्धि होती है कुछ लोगों को संभावनाएं होने लगती है कि क्या होने वाला है और कई बार ऐसा होता है कि आपकी आंखों के सामने वह दृश्य दिखाई देने लगता है जो होने वाला होता है और तीसरे तरीके से आपको माता स्वयं बताने लगती हैं कि क्या होने वाला है या जिस भी व्यक्ति के साथ आप हैं उसके बारे में माता स्वयं आपको बता देते हैं कि ऐसा हो सकता है और यह होने वाला है लेकिन फिर भी आप जान लीजिए कि त्रिकाल सिद्धि प्राप्त करने के लिए आपको बहुत ही लंबे समय तक इनकी साधना करने होगी और अगर आप किसी विशेष कार्य के लिए करना चाहते हैं तो आप 41 दिन के लिए इनकी साधना कर सकते हैं या फिर अगर आपको दिव्य दृष्टि या भूतकाल या भविष्य काल का ज्ञान या भविष्य में होने वाली घटना का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आपको यह नहीं सोचना होगा कि आप कितना जाप करें बस आपको लगातार जाप करते रहना होगा और जीवन भर आपको इसी मंत्र का जाप करना होता है तब धीरे-धीरे माता आप के अंदर ऐसी ऊर्जा उत्पन्न कर देती है कि देवता तक आपके अधीन हो जाते हैं देवता आपके सामने समर्पित होने लगते हैं आपके पास आने जाने लगते हैं आपसे मिलने लगते हैं आपसे बातें करना शुरु कर देते हैं अगर आपने लगातार 5 से 10 वर्ष तक इनकी बिना रुके साधना की है तो। कहते हैं कि इनके साथ ही इनके पीठ सिंहासन शाक्ति यवनी देवी का भी पूजन करते रहना चाहिए। यहां पर मैं आपको इनका मंच बताता हूं जो इनकी पीठ सिंहासन शक्ति देवता हैं यह केवल उनका आवाहन मत्र है। आवाह्न मँत्र: ॐ नमो भगवते बद्दमानदे पदा गोलोक आदि असँख्य बह्रमाण भुवनशाथाय् शँशाक शँख गोश्रीर कर्पुर ध्वल गात्राय निलाम्बोधी जल्ध पट कत्वसवरुपाय व्याधी कर्माय निरमुलछेद्न कराय जाती जराय मरणाय विनाशनाय सँसार कान्ता रोण मुल अचिन्तबलपराकर्माय अति प्रतिमाहचक्रराय त्रिलोकेश्वराय निखील्म भुवन कारकाय् सर्व सत्य हिताय निज भक्ताय् अभिष्ट फलप्रदाय भक्तधिनाय् सुरासूरेन्द्व आदि मुकुट कोटि दुष्टिवाय पीठाय अन्नत युगनाथाय् देवाधीदेवाय् धर्मचक्र भीषणाय् सर्वविघा परमेश्वराय कुविघा विघ्न प्रदाय निर्विघ्न कारकाय् तत्वापाय पँकजाय श्रेवानी यवनी देवी शासन देवते।। इस तरह से आपको पढ़ना चाहिए अगर आप चाहें तो इनका मूल स्त्रोत्र भी पढ़ सकते हैं पर वह काफी बड़ा होता है अब बातें हैं माता के मूल मंत्र पर जिसे के करने से आपको वह सारे कार्य सिद्ध होते हैं जो मैंने ऊपर बताएं हैं तो मैंने आपको समय और दिन बता ही दिया है कि आपको किस दिन से शुरु करना है अब आपको इन की साधना करने के लिए लेना है और उसके ऊपर माता ज्वाला मालिनी का चित्र या प्रतिमा को स्थापित कर लेना अगर आपको ज्वाला मालिनी माता का यंत्र प्राप्त हो जाए तो आप उसको भी स्थापित कर सकते हैं वहां पर आप एक दीपक प्रज्वलित करें अगर आप अखंड दीपक प्रज्वलित नहीं कर सकते तो और अगर आपको लंबे समय तक साधना करनी है तो आप उतने समय तक दीपक को जलने दीजिए जितना समय तक आपकी साधना चलती रहेगी उसके बाद अगर दीपक खुद से बुझ जाता है तो कोई बात नहीं इसमें आप महिला रुद्राक्ष की लिए सकते हैं वह सर्व सुलभ माला है और शुभकारी भी है आप किसी भी साधना में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग कर सकते हैं या फिर आप रक्त चंदन की भी माला का प्रयोग कर सकते हैं और आप लाल कंबल के आसन पर बैठकर यह साधना करेंगे। इनका मंत्र ईस प्रकार से होगा मँत्र: ॐनमो भगवती ज्वाला मालिनी गुधगपरिव्रते हु फट् स्वाहा ।। यह इनका एक मंत्र है आप इनको जब सकते हैं और मैं आपको इनका दूसरा मंत्र भी बता देता मँत्र: ओम नमो भगवती ज्वाला मालिनी देवी सर्वभूत संघारकारीके जातवेदसि जलन्ती प्रज्वलन्ति ज्वल ज्वल प्रजंवल हू रं रं हुं फट्।। मैं आपको इसका एक तीसरा मंत्र भी बता रहा हूं यह बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध मंत्र है आप इसका भी प्रयोग कर सकते हैं। मँत्र: ॐ ह्री श्रीं क्लीग सिंहेश्वरी ज्वालामुखी जुम्भणी सत्मभीनी मोहिनी वशीकरणी परधनमोहीनी सर्वारिष्टनिवारीणी शत्रुगणसँघारिणी सुबुद्धिदायनी ॐ अं क्रों हि त्राहि त्राहि क्षोभय क्षोभय अमुकं मे वश्य कुरु कुरु स्वाहा।। इनमें से जो भी आपको सही लगे आप उसी मंत्र को ले सकते हैं और इसका करन्यास् और षड्गन्यास ईस प्रकार से करेगे ॐ नमो के बाद अगुष्ठाभ्याम् नम ईस प्रकार से तर्जनी अनामीका मध्यामा कनीष्ठा नम बोलेगे। फिर शिरसे स्वाहा फिर ज्वालामालीनी मँत्र। आपको 21 से 51 माला जाप करना होगा अगर आपको कोई विशेष कार्य करवाना है तो आप 41 दिन की साधना कर सकते हैं माता की और अगर आपको इनकी पूर्ण सिद्धि चाहिए तो इनके मंत्रों का जाप करते रहना होगा आपको जीवन भर और अगर आपको विशेष प्रकार की सिद्धियां चाहिए तो आपको जाकर श्मशान में यह साधना करनी होगी विशेष प्रकार की विधियों के साथ और अगर किसी के ऊपर भूत प्रेत पिशाच चुडेल पिशाच आ गए हैं तो आप सात बार यह मंत्र फड़के उसके सर पर हाथ रखेंगे तो वह ठीक हो जाएगा अगर इस प्रकार से आप करेंगे तो आपको विभिन्न प्रकार की सिद्धियों के प्राप्ति होगी माता ज्वाला मालिनी का स्वरुप अग्नि स्वरुप है अग्नि रूप प्रधान है मां का इसमें और जैन धर्म में भी इनके इस स्वरूप की पूजा होती है और माता का जो यहां स्वरुप है वह अत्यंत ही दिव्य है और चमत्कारी के और भक्तों को हर प्रकार का ऐश्वर्य वैभव प्रदान करता है अगर आपको यह साधना पसंद आई हो तो धन्यवाद। |
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ज्वालामालिनी देवी मंत्र साधना
Dharam Rahasya
MPDRST( मां पराशक्ति धर्म रहस्य सेवा ट्रस्ट) -छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है वैबसाइट का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l मै स्वयं भी प्राचीन इतिहास विषय में PH.D (J.R.F रिसर्च स्कॉलर) हूँ इसलिए प्राचीन रहस्यों का उद्घाटन करना मेरी हॉबी भी है l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें अपने अनुभवों को प्रकाशित करवाने के लिए धर्म रहस्य को संबोधित और कहीं भी अन्य इसे प्रकाशित नही करवाया गया है date के साथ अवश्य लिखकर ईमेल - [email protected] पर भेजे आशा है ये पोस्ट आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर ,शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें l धन्यवाद