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साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरुरी जानकारी 22

१. ॐ तत सत क्या है ?

इसमें सबसे पहले ॐ है | और ॐ जो है प्रणव है, ईश्वर का वाचक है, ब्रम्ह का वाचक है|  इसका उच्चारण ब्रम्हांड में स्वतः चलता रहता है|  बहुत से साधू संत इसके रहस्य के बारे में बताते है|  ये शब्द स्वयं उच्चारित है ब्रम्हांड में स्वयं व्याप्त है| जहा ॐ का पहला अक्षर अ है वो स्वयं ब्रम्हांड है|  और उ आत्म का प्रतीक है|  और म समस्त शक्तियों का केंद्र है | गीता में ओंकार को ब्रम्ह कहा गया है| और ॐ तत सत के रूप में उसी चीज़ को वर्णन करते है उसी की व्याख्या करते है|   पूर्ण ब्रम्ह और परमात्मा यूँ कहे अक्षर ब्रम्ह ये तीनो अलग अलग चीज़े नहीं है तीनो एक ही चीज़ है | उनमे कुछ भी अंतर नहीं है| 

ॐ तत सत का अर्थ होता है सर्वोच्च, पूर्ण और सत्य|  यानि ॐ जो सर्वोच्च है,  तत जो पूर्ण है, और सत जो सत्य है|  यानि की वो सब कुछ है|  अगर आप विस्तार से इसके बारे में जानना चाहते है तो आप श्रीमद भागवत गीता अध्याय १७ के २३ से लेकर २८ वे पद है उसमे भगवन श्री कृष्णा ने ॐ तत सत का विस्तार से विवरण दिया है| और एक ही परमात्मा को ३ नाम बताए है|  जो मूल तीन नाम है उन्होंने कहा की ३ नामो से उन्हें पुकारा जाता है  और वो तीन नाम अलग अलग है हालाकी यहाँ पर जो उन्होंने प्रश्न पूछा था वो स्वयं ही थोड़ा सा भटक गए है| 

ये कह रहे है की एक ब्रम्ह है, एक पूर्ण ब्रम्ह है और एक अक्षर ब्रम्ह है|  क्या ये तीनो अलग है? नहीं ये तीनो एक ही है|  एक ही को  तीनो में बताया गया है|  जैसे ॐ को ३ शक्तियों से आबद्ध माना जाता है | जब ॐ की शक्ति से ब्रम्हांड  की रचना होती है| तो ब्रम्ह जो है वो उत्पन करता है और ब्रम्हा की सारी शक्ति महा सरस्वती में विध्यमान है|  यानि वो सरस्वती शक्ति ही है जिसकी वजह से सारे ब्रम्हांड की रचना संभव हो पाती  है  इसलिए इन दोनों में कोई भेद नहीं है| इसलिए पहले  ही मैंने कहा था की  त्रिमूर्ति और त्रि शक्तिओ में कोई भेद नहीं है|  तीनो एक ही चीज़ है|  तप की उर्जाए है  तीनो| ब्रम्हा की  ऊर्जा  महा सरस्वती है| विष्णु की महा लक्ष्मी है|  और शिव की माता शक्ति है|  तो इनमे भी आप भेद नहीं कर सकते है| …..

अधिक जानने के लिए नीचे वीडियो देखिए

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