नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे दो अनुभव को एक माता राधा रानी के दर्शन से संबंधित एक अनुभव को प्राप्त करेंगे। वही दूसरे अनुभव में हम एक यक्षिणी की फोटो, जो साधना के दौरान साधक महोदय द्वारा खींच ली गई है उसके बारे में उनके चित्र जो उन्होंने भेजे हैं और पूछा है कि क्या यह यक्षिणी ही है? उसको भी दिखाएंगे और अनुभव के बारे में भी ज्ञान प्राप्त करेंगे। चलिए शुरू करते हैं आज के इन दोनों अनुभव को।
पत्र – प्रणाम गुरुजी, गुरुजी, चरण स्पर्श। गुरु जी आप मेरे रतिप्रिया अनुभव पर साक्षात बैठे रतिप्रिया दिखी पर वीडियो बनाए थे। और अपना अमूल्य व मार्गदर्शन दिया था उसके लिए आपका धन्यवाद । साथ ही दर्शकों का भी आभार, गुरुजी कुछ प्रश्न भी है। कृपया पहले की तरह से शिष्य समझ कर मार्गदर्शन करें। गुरुजी मै गुरु मंत्र की दीक्षा ले चुका हूं और साधारण माता की पूजा सुबह ही कर पाता हूं। गुरु जी जो साधना करते हैं, भगवती या किसी भी देवता की उनके पास बहुत अनुभव होते हैं। कुछ तो बताना चाहते हैं और कुछ नहीं। गुरुजी एक और अनुभव जो मैं सब को बताना चाहता हूं, यह गुरुजी अक्टूबर महीने का है। गुरुजी हुआ यूं कि हमारा कॉलेज के बाद राधा रानी जाने का मन हुआ था। हमारा मतलब मैं और मेरे एक दोस्त! जो!
मेरी बड़ी बहन की तरह ही है गुरुजी, हम अपनी साधारण बोलचाल की भाषा में बरसाने में राधा रानी मंदिर को बोलते हैं। गुरु जी हमारे कॉलेज से राधा रानी मंदिर लगभग 22 किलोमीटर है। गुरु जी मैं जब छोटा था तब राधारानी गया था और तब सिर्फ मन मस्तिष्क में कुछ स्मृतियां ही थी। गुरु जी एक बार जो मेरे साथ जो मेरी मित्र थी, वह भगवान श्री कृष्ण को बहुत मानती हैं या यूं कहें कि वह अपने आप को उनके प्रति समर्पित भी कर चुकी है।
गुरु जी मुझे राधा रानी जाने की बहुत इच्छा हो रही थी। बहुत दिनों से मैंने उनसे कहा तो वह चल दी। रास्ते में उन्होंने कुछ बातें बताई कि वह कैसे धर्म की तरफ रुझान को प्राप्त की। उनका कर्म ईश्वर में विश्वास क्यों जरूरी है? ईश्वर में कुछ इस तरह की बातें उनकी थी। उनकी बातें ज्यादातर भक्ति मार्ग से जुड़ी हुई थी। कुछ मेरी समझ में आई है और कुछ नहीं आई। गुरुजी जब हम राधा रानी पहुंचे तो 4:00 बजे के आसपास मंदिर खुले भीड़ भाड़ भी थी जो कि स्वभाविक थी।
मंदिर 5:00 बजे खुलता है तो 1 घंटे उन्होंने कुछ चीजें वहां पर उपस्थित वृक्षों को प्रणाम वगैरह करवाया और उन पर दो पंछी उनको प्रणाम करते हैं। यह बताते हैं कि पुण्य आत्माएं हैं। यहां के वृक्षों के रूप में निवास कर रहे हैं। जो वह कह रही थी। मैं सुन रहा था। गुरुजी कुछ समय पश्चात पट खुले तो एक साथ भीड़ भाड़ अंदर आई। वहां की भीड़ जो थी वह। बहुत ही अधिक थी । मैं राधा कृष्ण के दर्शन के लिए गया था। एक अजीब सा अनुभव हुआ।
मुझे लगा वहां कोई नहीं है। मुझे राधा रानी की प्रतिमा में हलचल सी दिखाई दी। फिर वह प्रतिमा से अजीब सी हो गई। ऐसा लगा मैं बस अवाक सा खड़ा था। स्वयं राधा रानी मुझे देख रही थी। उनके मुख मंडल पर मुस्कुराहट थी। मैं एकदम से सुन्न था। मुझे नहीं पता था। क्या चल रहा है वहां पर कुछ नहीं? मैं कुछ याद नहीं रख पाया। मुझे जब मेरे मित्र ने आकर आवाज दी तब मुझे एहसास हुआ कि मैं यहां पर हूं। फिर गुरु जी मैंने राधारानी प्रतिमा को प्रणाम किया और फिर मैं अपने मित्र से कहा, चलो तो वह भी चलने लगी।
जैसे ही मैं बाहर आया। मैंने सोचा आज इनकी वजह से बृजभान किशोरी के साक्षात दर्शन हुए हैं। इनको चरण स्पर्श तो कर लू, फिर सोचा अगर इन्होंने पूछा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं तो मैं क्या जवाब दूंगा और क्या यह विश्वास करेंगी। शायद नहीं, तो मैंने सोचा चलो तभी उन्होंने मेरे पैसे मैं छुआ और मुझे शर्म सी आई क्योंकि बहुत लोग थे। वहां पर और कुछ नहीं देखा भी। मैंने बोला, आपने ऐसा क्यों किया, आप मुझसे बड़ी है।
आपको अपने गुरु के रूप में मैंने छुआ है और बोली कि मुझे एहसास हुआ है जब मैं आपके साथ होती हूं तो आपसे कुछ ऊर्जा निकलती मुझे महसूस होती है। मैं समझा नहीं और इस बात को खत्म करना चाहा। मैंने कहा, शायद ये पागल हो गई है। अब गुरुजी जब मैं घर आ रहा था तो उस समय राधा रानी के दर्शन के चित्र लगातार आ रहे थे। मेरे आंसू स्वता ही निकल रहे थे और रास्ते में मैं रोने लग गया। मेरे आंसुओं से मेरे मफ़लर जो मेरे अपने चेहरे को कवर करने के लिए मैंने बांधी थी। वह भी भीग गई तो उन्होंने पूछा कि संजू आपको क्या हुआ ? पूछा तो उसने बस फिर मैंने उन्हें बताया। अब अगली बार गुरूजी फिर मैं घर आया तो रात को सोने लगा। याद आया राधा रानी ने दर्शन दिए थे। कृष्ण जी ने क्यों नहीं और उसी रात सपने में वासुदेव जी के दर्शन मुझे हुए थे।
संदेश – आगे इन्होंने कुछ प्रश्न लिखे हैं जिनके उत्तर मैंने इनको ईमेल के माध्यम से दे दिए हैं। यह था इनका अनुभव जहां पर श्रद्धा के कारण इनको माता राधा रानी के दर्शन हुए ,जो कि एक अच्छा और शुभ संकेत है भक्ति की ओर मुड़ने का। अब हम लेते हम लोग अगले अनुभव को- क्या यह सच में यक्षिणी है जिसका फोटो इन्होंने दिया है। उन्होंने स्वयं साधना की थी और फोटो खींचा था। वही आपको मैं यहां पर दिखा रहा हूं। आप लोग भी बताइए कि क्या यह सच में यक्षिणी का चित्र या फोटो हो सकता है। तो पढ़ते हैं अनुभव को
पत्र – प्रणाम गुरु जी, मैं आपकी गाइडेंस में धनदा रतिप्रिया यक्षिणी साधना कर रहा हूं। आपने कहा था। घर से बाहर साधना के लिए मैंने एक 31 दिन का संकल्प पूरा किया था और फिर 7 दिन के लिए फिर वही पूरा किया। लास्ट डे, मुझे साधना वाले स्थान के साथ
वाली घर की छत पर , उसी से लगे हुए घर की छत पर यह चीज दिखाई दी है। अब यह नहीं पता। मेरा वहम है या कोई शक्ति है। आप पिक्चर देखकर बताइए कि यह क्या कपड़े हैं या कोई शक्ति है। अभी मैं 2 दिन का ब्रेक लिया था। आज से साधना शुरू करना चाह रहा हूं। तीसरी बार कुछ करने की कोशिश की है। लेकिन अभी सुबह बहुत बुरा सपना मुझे दिखाई दिया। मेरे शरीर में कीड़े पड़ रहे थे और अब मैं डर के उठ गया और समझ नहीं आ रहा कि साधना को कंटिन्यू रखू या अभी ब्रेक ले लूं।
साधना में कृपया मुझे मार्गदर्शन कीजिए
विद रिगार्ड इंस्पेक्टर जीएसटी एंड एक्सरसाइज।
संदेश – पूरी सफलता नहीं मिली। लेकिन बहुत ही विशेष अनुभव हुआ है जिसका चित्र इन्होंने भेजा है। यह पूछ रहे हैं क्या यह यक्षिणी हो सकती है?
तो देखिए! शक्तियां अगर अपना रूप दिखाना चाहती हैं तो अवश्य ही दिखा सकती हैं और फोटो में भी कैप्चर हो सकती हैं। यदि जब वह चाहे तो क्योंकि आप यहां पर साधना कर रहे हैं तो यह यह यक्षिणी हो सकती है। यक्षिणी का यह चित्र नजर आ सकता है और वह आभासी परीछाई के रूप में ही नजर भी आता है। अगर यह सच में यक्षिणी है तो आप निश्चित रूप से सिद्धि की तरफ बढ़ रहे हैं और इस तरह का बुरा सपना आना भी इसी बात का संकेत है कि आप सिद्धि की तरफ बढ़ रहे हैं। लेकिन सिद्धि आसानी से प्राप्त नहीं होती हैं।
हम सदैव ही बातें जानते हैं। कुछ ना कुछ कमियां रह जाती हैं जिसकी वजह से पूर्ण सिद्धि नहीं हो पाती। लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ कि कोई साधना की गई हो और उसका कोई फल ना मिला हो। सिद्धि किस रूप में आपको फायदा देगी? कौन सी चरण तक आप पहुंचेंगे यह सिर्फ आपके ऊपर निर्भर करता है। आपकी ध्यान क्षमता आपकी एकाग्रता और आपके साथ जो परीक्षा हो रही होगी। उसमें आप कितना सफल रहे कभी-कभी तो लोग जान ही नहीं पाते हैं कि उनके साथ परीक्षा हो रही होती है। और परीक्षा में वह कब सफल या असफल हो गए? बस आप इसी प्रकार कोशिश करते रहें और गुरु मंत्र! कभी भी नहीं छोड़े हमेशा गुरु मंत्र का जाप अवश्य करें। किसी तांत्रिक साधना को भी कर रहे तब भी और जो लोग भी गुरु मंत्र की पूरी दीक्षा कंप्लीट कर चुके हैं यानी कि उनका पूरा मंत्र जाप दशांश हवन सहित हो चुका है तो वह अब तांत्रिक साधनाएं शुरू कर सकते हैं। इस प्रकार से अब आप लोग अपने विचार रखें कि इस चित्र में। जो मैंने भेजा है क्या यह वास्तव में यह शनि है अथवा नहीं नीचे कमेंट करके आप लोग बता सकते हैं।
तो यह प्याज के दो अनुभव अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।