Table of Contents

पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा भाग 2 में अभी तक आपने जाना की गोद राज का सामना जब उसकी नई नवेली वधू से होता है तो वह आश्चर्य में पड़ जाता है। इधर! उस कन्या के व्यापारी पिता और उसका मित्र! जब गोद राज के पास आते हैं। तो? और भी आश्चर्यजनक घटनाएं घट जाती हैं। अब आगे जानते हैं कि इस परिस्थिति का सामना गोद राज ने कैसे किया?

गोदराज और व्यापारी आपस में बात करने लगते हैं। गोद राज कहता है कि

आप की पुत्री की तरह दिखने वाली स्त्री, मुझे आप की पुत्री जैसी नजर नहीं आ रही है। ऊपर से आप बता रहे हैं कि आपकी पुत्री है अभी नहीं है । तो फिर मेरा विवाह हुआ किससे है?

इस पर? व्यापारी और उसका मित्र कहने लगते हैं। हमने जो अपनी आंखों से देखा है। अस्वीकार नहीं किया जा सकता। और इसी कारण से।

हमने आपको इस बारे में बताने की चेष्टा की है।

आपको ऐसा क्यों लगा कि आप के साथ जिस कन्या का विवाह हुआ है वह? मेरी पुत्री नहीं है।

इस पर गोद राज ने कहा। मैंने!

जैसे कि इसे छुआ। यह बिल्कुल ठंडी नजर आई।

इसके अलावा!

इसकी पुतलियां! बार-बार ऊपर नीचे नहीं होती हैं।

यह देखकर मैं आश्चर्य में पड़ गया।

कोई स्त्री?

अपनी पलकों के कारण अपने पति को अपना प्रेम!

अपनी लज्जा से व्यक्त करती रहती है। पर ऐसा यहां पर कुछ भी घटित नहीं हो रहा था। मैं जब? उसके करीब गया। तो उसके अंदर काम भावना स्पष्ट थी। लेकिन? लज्जा कहीं भी मौजूद नहीं थी।

मैंने देखा! इसका शरीर कुछ ठंडा सा है? इसके अलावा इसकी आंखों की पुतलियां ऊपर नीचे नहीं हो रही बल्कि एकटक मुझे।

देखती जा रही थी।

इसी उधेद्बुन मे उलझा हुआ था तब तक आप आ गए।

पर आप भी कह रहे हैं कि आप की पुत्री यह नहीं है।

अब क्या किया जाए?

सबसे पहले मैं इसी स्त्री से पूछता हूं कि यह कौन है?

गोदराज व्यापारी और उसका मित्र तीनों। कन्या के पास जाते हैं। स्पष्ट रूप से कहते हैं। हमने जान लिया है कि आप व्यापारी की पुत्री नहीं है। इसलिए अपना स्पष्ट रूप से परिचय दें।

कन्या भी मुस्कुराते हुए कहती है। आप लोगों ने बहुत देर में सब जाना है।

मैं सच में! व्यापारी की पुत्री नहीं हूं। मेरा नाम काम प्रिया है। मैं एक यक्षिणी हूं।

मेरा प्रयोग! उस तांत्रिक ने इस कन्या पर किया था। और कहा था कि तुम इसे अपने अधीन करके लेकर आ जाओ वशीकरण के द्वारा मैं इस स्त्री से विवाह करना चाहता हूं।

लेकिन उस दौरान! जब मेरी नजर आप पर पड़ी। तो मैंने ही यह प्रस्ताव तांत्रिक को दिया कि किसी तपस्वी व्यक्ति से अगर मेरा विवाह करा दिया जाए। तो मैं तुम्हारा काम पूरी जिंदगी सहजता से करती रहूंगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा। इसी कारण से आप पर। मैं मोह हो गई और मैंने तांत्रिक से! समझौता स्थापित कर लिया।

अब क्योंकि सात फेरे मैंने उस कन्या के शरीर में रहकर आप के साथ ले लिए हैं। इसलिए अब मैं आपकी पत्नी हो चुकी हूं। आपने स्वयं मेरी मांग भरी है।

इसी कारण से मैंने उसके शरीर को त्याग कर वास्तविक रूप धारण कर लिया है। अब वह कन्या! विवाह के लिए उस तांत्रिक ने अपने पास बुला ली है। जल्दी उसका भी विवाह उस तांत्रिक से हो जाएगा और मुझे भी तपस्वी के रूप में पति प्राप्त हो चुका है।

यह सुनकर गोदराज और व्यापारी आश्चर्यचकित हो गए। उनको समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या घटित हो गया?

क्या ऐसा भी होता है कि किसी यक्षिणी का विवाह एक मानव से हो जाए? किंतु यह तो वास्तविक रूप में घटित हो चुका था।

कामप्रिया अब अपने वास्तविक रूप में आ चुकी थी। गोदराज ने कहा, मैं तुम्हें स्वीकार नहीं करता। और यह कहकर गोदराज व्यापारी और उसका मित्र उस स्थान की ओर तेजी से गमन कर गए जहां तांत्रिक।

उस कन्या से विवाह करने वाला था।

सात फेरे के लिए तैयारी करता हुआ तांत्रिक अचानक से उत्तेजित हो जाता है जब वह! गोदराज और व्यापारी के साथ उसके मित्र को आते हुए देखता है।

तांत्रिक अपनी विशेष तरह की गुप्त शक्तियों को वार करने के लिए गोदराज पर भेजता है। गोदराज आज अपनी। मंत्र ऊर्जा के कारण अपनी चारों ओर माता त्रिपुर सुंदरी का कवच बना लेता है। शक्तियां आती तो है लेकिन? उसके नजदीक भी भटक नहीं पाती।

और शक्तियां चारों तरफ मंडराती ही रह जाती हैं।

तांत्रिक अपने हर गोपनीय मंत्र के द्वारा गोद राज पर आक्रमण कर रहा था लेकिन सफल नहीं हो पा रहा था।

हर प्रकार की शक्तियों का प्रयोग बल लगातार करता रहा। गोद राज नजदीक आता गया। गोद राज तांत्रिक के सामने खड़े होकर कहने लगा। तुम्हारी कोई भी तामसिक शक्ति मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती। मैं माता त्रिपुर सुंदरी का सेवक हूं। मां की कृपा से मेरे अंदर इतनी ऊर्जा विद्यमान है कि तुम्हारी कोई भी शक्ति मेरे सामने रुक ही नहीं सकती है। मुझे छूने की तो बात ही दूर है।

तांत्रिक समझ चुका था। अब कुछ नहीं हो सकता है। तांत्रिक ने वहां से भागने का प्रयत्न किया और वह वहां से भाग गया।

वह कन्या!

वहां पर खड़ी-खड़ी सब कुछ देखती हुई नज़र जाती है। उसे होश आता है। वह तुरंत अपने पिता की ओर देखकर कहती है पिताजी!

मै विवाह मंडप पर क्या कर रही हूं? आप लोग यह सब क्या करवा रहे हैं?

इस पर? व्यापारी। तेजी से अपनी कन्या की ओर दौड़ता है और उसे कहता है पुत्री तुम वशीकरण से बाहर आ गई हो। चलो अब घर चला जाए। इस प्रकार से कन्या, व्यापारी और गोदराज

अपने घर की ओर गमन करने लगते हैं।

घर पर जब गोदराज पहुंच जाता है तो देखता है वहां पर।

यक्षिणी पहले से ही खड़ी थी।

गोदराज उसे धमकी देते हुए कहता है। तुम्हारा विवाह मेरे साथ जबरदस्ती हुआ है। इसलिए यहां से चली जाओ। इससे पहले कि मुझे क्रोध आ जाए और मुझे माता त्रिपुर सुंदरी के मंत्रों का प्रयोग तुम पर करना पड़े।

लेकिन? वह थोड़ी देर उससे बहस करती है। पर कन्या जिसे सारी बातें पता हो गई थी। वह कहती है कि यह मेरे पति हैं। इसलिए तू यहां से चली जा तूने मेरे शरीर पर कब्जा करके यह कार्य तो कर लिया किंतु तू इनकी वास्तविक पत्नी नहीं है। मैं इनकी पत्नी! हूँ।

गोदराज भी उस कन्या को अपनी पत्नी स्वीकार करते हुए यक्षिणी से कहते हैं। हम दोनों को छोड़ दें, इसी में तेरी भलाई है।

पर यक्षिणी वहां से जाने का नाम ही नहीं ले रही थी।

आखिरकार गोदराज को माता त्रिपुर सुंदरी का मंत्र उच्चारित करना ही पड़ा। जैसे ही उन्होंने 7 बार उस मंत्र का उच्चारण किया। वह यक्षिणी चिल्लाते हुए वहां से गायब हो गई। अब केवल गोदराज और वह कन्या वहां पर रह गए। गोद राज ने कहा, तुम्हारा मुझसे विवाह हो चुका है। इसलिए अब तुम्हें छोड़ने का कोई लाभ नहीं। मैं तुम्हें सहर्ष अपनी पत्नी स्वीकार करता हूं। इसके बाद गोदराज और वह कन्या सुख पूर्वक रहने लगे।

लेकिन समय की चाल बदलने वाली थी। कुछ ही दिनों बाद अचानक से जब कन्या गोदराज के लिए भोजन पका रही थी। तभी।

उसके शरीर का। कुछ? हिस्सा

जलने लगता है शायद वह खाना बनाते समय ध्यान नहीं दे पाती है तभी उसके शरीर में आग लग चुकी है।

आग तेजी से उसके शरीर को पकड़ लेती है। वह दौड़ती है। कि गोदराज को बता सके। किंतु आश्चर्यजनक ढंग से जिस घर में वह थी। उस घर में सारे द्वार बंद हो जाते हैं। वह खिड़कियों की ओर दौड़ती है तो खिड़कियां भी बंद हो जाती है। कन्या चिल्लाने लगती है।

लेकिन उसकी कोई नहीं सुनने वाला होता है। इधर-उधर दौड़ते दौड़ते वह थक जाती है और इसी प्रकार पूरा शरीर उसका जलता रहता है।

जलने के कारण अंततोगत्वा उसकी मृत्यु हो जाती है।

आखिर उसकी मृत्यु कैसे हो गई? कैसे वह जल गई? हम लोग जानेंगे अगले भाग में। अगर आपको यह जानकारी और कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा भाग 4

error: Content is protected !!
Scroll to Top