मैं रूद्रेश बंधारा अपने ज्ञान एवं चर्चा विचारणा सिर्फ धर्म रहस्य युटुब चैनल को ही भेज रहा हूं किसी अन्य व्यक्ति को नहीं मैं अपना अपना परम पूज्य श्री सूरत प्रताप जी (गुरु महाराज) को दिनांक २३ जनवरी २०२१ को सुबह के ११:१५ को भेज रहा हूं।
मैं यहां प्रमाणित करता हूं कि मैं अपना ज्ञान एवं समस्त अनुभव पहले कहीं भी और किसी भी अन्य प्लेटफार्म पर प्रकाशित नहीं किया गया है यदि इस वीडियो में दिखाएं गई या इस्तेमाल हुई सामग्री को कोई उयोग करता है तो यह कानूनी अपराध है और इस पर दंड नीय कार्यवाही भी की जा सकती है
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम रुद्रेश बंधारा और मैं यहां पर अपना एक साधना से संबंधित अनुभव आप सब को बताना चाहूंगा मगर उससे पहले आपको सर्वप्रथम मेरी साधना करने का उद्देश्य और किन परिस्थिति के कारण मुझे यह साधना करनी पडी
यह बात जुलाई महीने से शुरू होती है मेरे पिताजी के अहित चाहने वाले बहुत है और उनकी नौकरी और हमारी रोजी रोटी पर नजर ग्रह रखते हैंऔर मेरे पिताजी के छुपे दुश्मन बहुत है क्योंकि वह बहुत ही प्रमाणिक हैं अपने काम के प्रति जो अन्य लोगों को रास नहीं आता इसी बात पर मेरे पिताजी के शत्रुओं ने 2012 से ही हमें परेशान करना स्टार्ट कर दिया था जिसकी पूरी व्यथा में गुरु जी को पहले से ही कह दी है और मैं मुख्य बात पर आता हूं जुलाई का महीना था और एक षड्यंत्र के अंतर्गत मेरे पिताजी को नौकरी से निकाल देने की पुरी साजिश रचना दुश्मनों ने आरंभ कर दिया था और वह अन्य कर्मचारियों से कहलाते थे कि वह हमें रिश्वत दे अन्यथा हम उसे नौकरी से निकालने का ऑर्डर जारी कर देंगे भले ही हम सभी नीति नियमों के विरुद्ध जाकर भी आप काम करेंगे फिर भले ही वह कोर्ट कचहरी के धक्के खाए जीत के आए मगर लेना या ना लेना और कितने विलंब से लेना है हम चाहे तो 1 महीने में मैं भी ले सकते हैं
और 1 साल के बाद मिले एक बात तो उसकी रोटी कपड़ा तो बंद ही हो जाएगा इस मंशा से मेरे पिताजी पर दबाव बनाया गया और एक तरफ मेरे बड़े भाई को पेट की तकलीफ शुरू हो गई इसके कारण वह कुछ खा पी नहीं सकते थे और शरीर में कमजोरी भी आ रही थी वह जितनी भी दवाई लेते हैं वह उन पर कार्य तो नहीं करती थी मगर उलटा दुष्प्रभाव दे जाती थी इन सभी से परेशान होगा मेरे भाई के मन में बहुत दुष्प्रभाव पड़ने लगा और वह आत्महत्या करने के विचार में भी थे वह इस हद तक परेशान हो गए थे मेरे भाई ने बहुत से डॉक्टर को दिखा तकरीबन 3 से 4 मगर उन्हें आराम नहीं मिल रहा था एक तरफ मेरे पिताजी पर रिश्वत देने का दबाव बढ़ता जा रहा था जो पैसा हमारा हक का था और हमारी मेहनत का था एक तरफ बहार से नौकरी चले जाने की परेशानी और दूसरी तरफ घर में मेरे भैया अपनी बीमारी का हवाला देते हुए घर के कोई काम ठीक से नहीं कर रहे थे और मुझे छोटा समझने के कारण मुझे कोई जवाबदारी वाला काम नहीं देता था और घर के काम में दिक्कतें आने लगी वह अपनी बीमारी का रोना रोते थे और वह भी भयंकर रूप से हम भी उनसे परेशानी हो रही थे कि इतने बड़े होते क्यों रो रहे हो मेरे भाई भी मुझे कह रहे थे
कि तुम अपनी गुरु मंत्र की मदद से मुझे ठीक क्यों नहीं कर रहे हो मैंने कहा गुरु मंत्र मेरे लिए ही करेगा और मेरे परिवार की रक्षा तो करेगा मगर जिस रूप से मेरी कर रहा है उस रूप से नहीं कर सकता वह जब रोते थे तो मुझसे उनका दुख देखा नहीं जा रहा था मैंने सोचा जो शक्तियाँ सिद्धियां जो मंत्र मेरे परिवार के कष्ट ना हटा सके और हां किसी काम की और मुझ पर भी उन्होंने उनके लिए साधना करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया और फिर मैं करता है क्या इतनी सब परेशानियां मेरे लिए शेर के समान थे और जब शेर पीछे होता है तो पहलवान से पहलवान इंसान भी चीते की रफ्तार से दौड़ता है फिर क्या था मुझे अपने गुरु मंत्र का 900000 जाप समाप्त करके हवन भी करना था यह सारी परेशानियां मेरे लिए जान के दुश्मन बने पीछे पड़े शेर के समान ही थी और इसे नेह मुझे कम समय में गुरु मंत्र का 900000 जाप करने में विवश किया
मैंने पहले अगस्त महीने में आने वाले गुप्त नवरात्रि में प्रतिदिन 10000 मंत्र जाप किया और उपवास भी रखा जो गुप्त नवरात्रि जी उसमें मुझे सपना है कि हमारे सबसे पुराने वाला घर था यानी जिस घर में मेरे रह रहा हूं उसकी पहले की दशा जो पुराना था घर मेरा वहां के पीछे से द्वार से बहुत सारी खून चूसने वाली दीमक और झेक के हवा में तैर रही हो वैसे हमारे घर में आने की कोशिश कर रही थी और मैं और पापा उनको रोक रहे थे मुझे क्या पता था कि यह बहुत बड़ी परेशानियों का सैलाब आएगा इसका संकेत है और गुरुजी भी अपनी बीमारी से पीड़ित थे और ईमेल का रिप्लाई भी नहीं दे सकते थे फिर मैंने सप्टेंबर महीने की 27 से 30 तारीख तक फिर से गुरु मंत्र की १०० — १०० माला जाप करना आरंभ कर दिया फिर अक्टूबर माह के पहले ही दिन यानी 1 st अक्टूबर से मैंने दोपहर के 2:00 बजे के समय गुरु मंत्र की १ oo मालाजाप करता था और रात्रि के 9:00 बजे के बाद फिर १०० माला जाप करता था इस तरह में 200 माला प्रतिदिन करने लगा था जिसमें मुझे 2 घंटे से ज्यादा समय लगता है आप अंदाजा लगा सकते हैं साडे दो घंटे मुझे लगते थे
और गुरु जी मैं आपको एक और बात कहना चाहता हूं जब आपने मुझे दुश्मनों को नुकसान पहुंचाने का एक तांत्रिक उपाय दिया था तो वह मंदिर जिस देवी के मंदिर में मैंने किया था वहां अपनी जाप करने को भी कहा था वह मंदिर आज 25 से 50 साल पुराना तो होगा और मैं और मेरा भाई वहां गए थे मेरे भाई जब उसकी तबीयत सही थी तब वह भी मेरे साथ सहायता के लिए आया थाकि तुम जिस कार्य को कर रहे हो उस कार्य में मैं भी जाप करके अपनी उर्जा सम्मिलित करूंगा यह बात उस समय की है जब मेरे भाई बीमार नहीं थे
जब हम जाप कर रहे थे तुम मुझे जाप करते समय ध्यान में माता की मूर्ति जो उस मंदिर में थी जिसमे में जाप कर रहा था उस में से एक अत्यंत रूपवती स्त्री माता की मूर्ति से बाहर निकलती ध्यान में नजर आए और वह मुझ से वार्तालाप करने लगी और उसने कहा प्रणाम साधक आप यहां जिस प्रयोजन से आए वह मैं अवश्य ही करूंगी आप चिंता ना करें मैंने उनसे पूछा कि आप हो कौन अपना परिचय दीजिए तो उन्होंने कहा कि मैं माता की गुप्त सेवीका योगिनी हूं मैंने कहा आपका नाम तो कहिए दोनों ने कहा कि मैं अपना नाम नहीं बता सकती हूं स्वयं क्योंकि हमें गुप्त रहने को माता का आदेश है उन्होंने कहा के साथ अब आप यहां आए तो कृपया यहां अपना गुरु मंत्र का जाप करो जरूर करिए इससे मुझे भी शक्तियां मिलेगी और उसी शक्ति से मैं आपका काम कर सकूंगी मैंने कहा आप तो यूं ही कह रही है तो आपका तो माता काली से सीधा ही संपर्क होता होगा और उनसे उर्जा भी आपको प्राप्त होती होगी और मुझे अपनी योगीनी बनने की कहानी भी कहिए
उन्होंने कहा कि यहां से 200 साल पहले यहां एक स्त्री तपस्विनी थी और वहां इतनी शक्तिशाली थी कि वह योगिनी स्वरूप को प्राप्त हो चुकी थी बाद में उसने तपस्या करके उच्च लोको में स्थान ग्रहण किया फिर उसने सोचा कि मुझे यहां लोगों की मदद करने के लिए भी कुछ करना चाहिए फिर उसने अपनी कुंडलिनी ऊर्जा से मुझे उत्पन्न किया जब उसने मुझे उत्पन्न किया तो वह भैरवी के समान तपस्विनी हो चुकी थी मैंने कहा कि आपको वह चढावे से शक्तियां नहीं मिलती लोग मन्नते पूरी करते हैं क्या उनसे आप तो शक्तियां प्राप्त नहीं होती तो उन्होंने कहा कि भोग पूजा और प्रसाद बहुत ही ना के बराबर ही उर्जा मुझे मिलती है मुझे उर्जा तभी मिलती है जब कोई जाप करेगा या हवन करें इस मंदिर में और माता कालीका से मुझे अपने लिए ही ऊर्जा मिल सकती है ज्यादा से ज्यादा मगर एक योगिनी के नीचे बहुत ही प्रकार की शक्तियां होती है जो उसके नीचे कार्य करती है उन्होंने कहा कि एक योगीनी के पास
50 से 70 आत्माएं
25 से 45 प्रेत आत्माए
20 से 35 चुड़ैल
15 से 21 जिन्न जिन्नात बेताल
25 यक्षीणि
होती है फिलहाल मेरे पास जितना मैंने तुम्हें बताया है मेरे पास इसकी 20% ही शक्ति है बाकी शक्ति मुझे अपने योगिनी पद बनाए रखने के लिए चाहिए होती है पहले हम 10 से 15 लाख जाप मैं तो हम प्रसन्न होती थी और 20 से 25 लाख के बीच हमारी सिद्धि होती थी मगर अब यह परिस्थिति हो चुकी है कि लोक साधना सिद्धि और उपासना छोड़ चुके हैं और लोगों में आध्यात्मिक ऊर्जा भी कम है अगर लोग आध्यात्मिकता को अपनाएंगे ही नहीं तो हमें भी उनकी ऊर्जा प्राप्त नहीं होगी और हम भी उनके लिए कार्य नहीं कर पाएंगे इसलिए हमें यानी योगीनीया आजकल कम जाप यानी 5 से 10 लाख मंत्र जाप में भी सिद्ध होना पड़ता है क्योंकि हम उसे सिद्धि का आभास नहीं करेंगे तो अब का साधक अपनी साधना छोड़ देगा और जाप का फल कोई और ही ले जाएगा पहले भारत जब आध्यात्मिक था तो उसे बुद्धि के मामले में कोई भी हरा नहीं सकता था क्योंकि जो इंसान आध्यात्मिक होता है उसकी बुद्धि अपने आप ही तीव्र होती है और वहां अपने सवालों का जवाब खुद ही ढूंढ लेता है और किसी का गुलाम नहीं होता है मगर आज की परिस्थिति क्या है यह आप जानते हैं
इस प्रकार गुरुजी मुझे गुरु मंत्र में अनुभव आना शुरू हो गए बहुत ही तीव्रता के साथ और मैंने ध्यान में ऐसी ऐसी गुप्त शक्ति देखी जिनका वर्णन कहीं पर भी आपको नहीं मिलेगा और जिनके बारे में आप भी नहीं जानते होंगे और एक बात गुरुजी जब भी मैं गुरु मंत्र का जाप करता था तो न जाने मेरे अंदर से मेरे दिल से ही जाने कोई विस्फोट हुआ है ऐसा मुझे तीन बार अनुभव हुआ ऐसा मुझे कब लगता था जब मैं गुरु मंत्र जाप करते करते मैं आधा जग भी रहा था और मुझे नींद भी आ रही थी और हां गुरु मंत्र जाप करते हो आप मुझे बहुत ही तीव्र नींद आती जी फिर भी मैं जागता रहता था सोता नहीं था और जाप करता रहता था तभी मुझे ऐसे अनुभव होते थे कि जाने मेरे दिल में विस्फोट हुआ है और मैं एकदम अपने आसन से उछल जाता था मेरा शरीर 100 किलो के ऊपर होने के कारण मैं आसन से बहुत ही ज्यादा नहीं उछलता था मगर जाने किसी ने मुझे पकड़ के कोई मुझे उठाने की कोशिश कर रहा हूं इस कदर मुझे झटके लगते थे
कृपया मुझे इसका अर्थ बताएं
और इस बीच मुझे उस परम शक्ति से मेरा संपर्क हुआ जिसका में नाम नहीं ले सकता हू मगर उनसे मुझे अपने कुछ ऐसे सवालो का जवाब मिला जो में कब सें ढूँढ़ रहा था
इस बीच मेंने उनसे कहा की मुझे यक्षिणी कैसी दिखती है तो उस शक्ति के द्वारा मुझे यक्षिणी के दर्शन हुए ध्यान में वह 10 चंद्रमा के समान खूबसूरत थी कांच जैसी आंखें थी और उनमें भी चमक हीरो जैसे होठ 100 कमल जैसे कोमल और गुलाबी
इस बीच मेरे पहने इंटरनेट से किसी बगलामुखी साधक का नंबर प्राप्त किया और उनसे संपर्क किया मेरे भाई ने उनसे संपर्क किया और अपनी व्यथा सुनाई फिर मेरे बड़े भाई ने मेरे पिताजी से कहा जी आप मेरे लिए हवन करवा दीजिए दवाइयां तो काम नहीं कर रही क्या पता दुआ ही काम आ जाए मेरे पिताजी ने पहले आनाकानी की और कहां तुम यहां हवनों के चक्कर में मत पडो मगर मेरे पिता जी के सामने मेरे भाई ने अपनी बीमारी की व्यथा बार-बार सुनाकर पिताजी को इस कदर मजबूर कर दिया कि उन्होंने पहले 18000 रु. का हवन कराने के लिए मना लिया पिताजी ने कहा ठीक है बेटा यह पैसे तुम्हारी खुशी के लिए ही मैं दे रहा हूं जो करवाना होगा मगर हमारा खून पीना बंद करो फिर जिस दिन हमने उन बगलामुखी साधक को हवन सामग्री लेने के लिए पैसे दिए उसे दिन उनके प्रादेशिक आरोग्य विभाग ने जिस अपार्टमेंट में वो रहते थे
वहां पर छापा पड़ गया यानी कोरोना का टेस्ट सबका अचानक ही करवाया और उस पूरी बिल्डिंग को सील करके क्वॉरेंटाइन कर दिया और उनकी कुछ सामग्री आनी बाकी थी यानी सामग्री भी पूरी नहीं थी हवन की और उनकी बिल्डिंग सील हुई वह अलग फिर पूरे 1 महीने तक यह काम रुका पड़ा इस दौरान मैंने गुरु मंत्र का हवन करना स्टार्ट कर दिया था क्योंकि वह मुंबई में रहते थे तो वहां पर महामारी से संबंधित कानून बहुत ही कड़क थे और मेरे यहां पर इतने नहीं थे फिर मैंने अपने गुरु मंत्र का हवन करना आरंभ किया उस दौरान मुझसे एक गलती हो गई थी मैंने पहले देवताओं के आह्वान मंत्रों की 1- 1 आहुति 1 -1 मंत्र बोल के डाल दो दी थी मगर जब गुरु मंत्र की बारी आई तो मैंने एक बार एक मंत्र बोलकर ज्यादा आहुति दे दी क्योंकि मैं ज्यादा समय से बैठ नहीं पा रहा था
क्योंकि जब भी मैं साधारण लोगों की तरह नहीं बैठपाता हूं जमीन पर पाल्ढी मार के मेरा बाये ओर के पैर के गुदा और जांघों के बीच की हड्डी मैं जो नस नाड़ियों है उनके बीच मुझे असहनीय दुख पैदा होना शुरू हो जाता है इसी कारण मैं ने प्रार्थना की कि हे मां मैं लंबे समय तक हवन में नहीं बैठ सकता हूं और मेरी हवन सामग्री ज्यादा लाने की भी सामर्थ नहीं है क्योंकि इतनी देर तक अग्नि लंबी जलाई रखनी हो उतनी ज्यादा लकड़ियां चाहिए होती है जो मेरे सामर्थ नहीं थी मैंने एक बार बोल कर एक से ज्यादा मंत्र की आहुतियां दे दी थी फिर मैंने मां से कहा कि आप भी मेरी परिस्थिति को समझते फिर मैंने आपसे इस बारे में बात की गुरुजी आपने कहा कि एक बार मंत्र बोलो तो एक ही आहुति डालो एक मंत्र बोलकर सारी
आहुतियां मत डालो मगर एक बार मंत्र बोलकर एक एक आहुति देना मेरे लिए संभव नहीं था फिर
मैंने माता का ध्यान लगाया और उनसे कहा कि मैं जिस प्रकार से हवन कर रहा हूं क्या वह मान्य है आपको फिर माता ने जवाब दिया कि तुम मनुष्य मुझे हजारों लड्डू का भोग चढ़ाते हो तो मैं क्या यह कहती हूं कि मेरी थाली में एक एक लड्डू डालो और कहो लो मा इसे स्वीकार करो वह तुम मुझे एक साथ ही देते हो तो क्या मैं यह अमान्य करती हूं ऐसा नहीं है पुत्र कुछ लोग तो हवन भी नहीं कर पाते हैं मगर तुमने हवन अपने सामर्थ्य के अनुसार किया और यही तुम्हारी एक प्रकार से परीक्षा ही थी जो तुमने दी और इसका फल भी में जरूर दूंगी बड़े-बड़े साधु संत सन्यासी जी की करोड़ों में आहुति दें तभी में प्रकट नहीं होती और जब कोई अपना भक्ति भाव से सिर काट के हवन में दें तो मैं प्रगट हो जाती हूं हवन करने का मुख्य कहानी यही होती है कि दूसरी दुनिया या दूसरे आयाम की शक्तियों को इस आयाम में आने के लिए एक द्वार निर्माण होना अति आवश्यक होता है और उसकी ऊर्जा हवन से ही बन पाती है संविधा तुम जिस कार्य के लिए दे रहे हो वह जब जलेगी तो उस से निर्मित ऊर्जा को कार्य क्या करना है इसके लिए होती है यह एक गूढ़ रहस्य है जो बड़े से बड़े तांत्रिकों वह भी नहीं पता है जो आज मैं तुम्हें कह रही हूं इसीलिए तुम किसी भी बात का शौक ना रखो कि तुम से किसी भी प्रकार की गलती हुई है तुम आगे अपना कार्य करो और देखो मैं तुम्हारे पीछे हूं और तुम्हारी सहायता करती रहूंगी तुम बस अपना कार्य जैसे चल रहा है वैसे ही करते रहो और अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही करो
इस तरह मैंने अपने गुरु मंत्र का हवन पूर्ण किया
धनतेरस को मैंने गुरु मंत्र का आखरी हवन किया था और घर में जो भी बदलाव हुआ और आगे क्या हुआ वह मैं अभि बता रहा हूं
गुरु जी मेरे पिताजी जो है बचपन से ही योगा करते हैं तकरीबन 17 साल की उम्र से और आज उनकी उम्र 52 वर्ष है वह अभी भी योगा करते हैं मगर वह माला जाप के बहुत ही विरुद्ध है और वह कहती हैं कि क्या बार-बार एक ही शब्द या वाक्य को जप ते रहना दिमाग थक जाता है दिमाग थक जाता है मेरा तो
मगर हैरानी की बात तब होती है जब गुरु जी मेरे पिताजी जब माता की रोज आरती वैसे भी हो करते ही हैं मगर उन्होंने दुर्गा सप्तशती का एकएक पन्ना रोज पढ़ना शुरू कर दिया और वह एक नियम भी पालते हैं कि सोने से पहले आधे घंटे वह वज्रासन में बैठते हैं मगर जब से मैंने गुरु मंत्र का अनुष्ठान पुरा किया है तब से वह जब भी वज्रासन में बैठते हैं वह मेरे गुरु मंत्र का जाप करते हैं मगर दक्षिण भारत की ध्वनि में मैंने कहा अपने पिताजी से आप तो पिताजी माला जपने पर विश्वास नहीं करते उन्होंने कहा बेटा अब वैसे भी बैठा ही हूं क्योंकि ना भगवान का नाम ही लिया जाए हो जब उन्होंने दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुरू किया यथासंभव तो उनके सारे काम आपने आप बनने लगे हैं और घर में पहले से शांति है
जैसे ही मेरे गुरु मंत्र का हवन पूरा हुआ और गुरु मंत्र के लिए खरीदी हुई हवन सामग्री में से लकड़िया थोड़ी बची थी तो मैंने सोचा कि क्यों ना इसी हिंदू नवीन वर्ष के प्रथम दिन से शिवा धात्री अप्सरा की सिद्धि करना स्टार्ट किया जाए
मैंने सोचा कि हवन सामग्री भी बहुत ही सस्ते है और लकड़ी अभी पड़ी है तो क्यों ना नए साल के दिन साधना आरंभ करके मैंने रात्रि के 10:00 बजे के बाद साधना कन्या प्रारंभ कर दिया फिर 21 माला जपते मुझे पहले पहले बहुत समय लगा और मेरा जाप 12:30 बजे खत्म हुआ और हवन करते करते मुझे रात्रि के 2:00 बज गए थे हवन मैंने कर लिया था मगर साधना किन्ही कारणों से भंग हो गई मेरी
मगर भाई दूज के दिन उस बगलामुखी साधक का फोन आया कि मैंने आपके बड़े भाई के लिए हवन करना स्टार्ट कर दिया है गुरु जी आप ही सोचिए जो काम पुरे 1 महीने से अटका हुआ था वह हवन करने के बाद कैसे चालू हुआ मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था और मैंने अपने भाई को कहां की तुम और बाकी लोग कहते हो ना कि मेरी गुरुजी की दी गई हुई साधना फेक होती है पूर्ण विधि विधान नहीं होता है मगर देखो आज परिणाम तुम्हारे सामने हैं वह भी आपको मान गया कि नहीं यह प्रमाणिक साधना देते हैं……
जिसको भी शिवा धात्री अप्सरा साधना करनी है उसका buy लिंक इस प्रकार है यहाँ क्लिक करे
गुरु मंत्र और चमत्कारी धात्री अप्सरा साधना सच्चा अनुभव 2 अंतिम भाग