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देवी मां ने पीटा सास ससुर ननद देवर और पति को सच्चा अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। क्या कभी ऐसा हो सकता है कि हम?

स्वयं ही अपनी गलतियों के लिए ईश्वर द्वारा दंडित किए जाएँ या कोई जब गलत कार्य करें तो उसका दंड ईश्वर किसी रूप स्वरूप में आकर दे। ऐसा ही कोई अनुभव!

एक साधिका के स्वयं के दर्शन में देखने को आया है और उन्होंने अनुभव यहां पर भेजा है। चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं कि क्या है अनुभव और किस प्रकार से? इनके जीवन में यह दृश्य देखने को इन्हें मिला था।

पत्र – प्रणाम गुरु जी, मैं अपने सभी अनुभव अपनी मर्जी से केवल धर्म रहस्य चैनल पर सांझा कर रही हूं। और किसी दूसरे चैनल पर यह मेरा अनुभव प्रसारित नहीं होगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी है। गुरु जी मैं आपको जो बता रही हूं, यह चमत्कार मैंने नहीं देखा बल्कि पूरी सोसाइटी ने भी देखा है। गुरुजी जब हमारी आंखों के सामने किसी को बेरहमी से पीटता है तो हम कोशिश करते हैं लड़ाई रोकने की। लेकिन जब देवी मां ने अपने भक्तों के साथ हो रहे अत्याचार का बदला पूरी सोसाइटी और रिश्तेदारों के सामने लिया, जिसमें पूरे परिवार को जमकर पीटा। तो उस सोसाइटी का कोई भी व्यक्ति देवी मां की भक्त बहू की सास ससुर ननद देवर को बचाने के लिए आगे नहीं आया। मां की भक्त बहू के पति को देवी मां के हाथों पीटते हुए लोग देख रहे थे। सोसाइटी का कोई भी देवी मां का गुस्सा शांत करने की कोशिश तक नहीं कर रहा था क्योंकि हम सब लोग यह देखकर बहुत खुश हो रहे थे बल्कि सोसाइटी के लोग आपस में बात करते हुए यही बोल रहे थे कि देवी मां ने इस परिवार के साथ बहुत ही अच्छा किया है। इस परिवार के साथ ऐसा ही होना चाहिए था। तो कोई दबी आवाज में कहता की देवी और मारो इस परिवार को सभी लोग खुश हो रहे थे। मजे ले रहे थे। गुरुजी बात 2012 की है। मेरी शादी से पहले हमारी पड़ोसन जो बिहार से हैं। उसने अपने बड़े बेटे की शादी की और आप तो जानते ही हैं। बिहार में लोग आज भी दहेज लेते हैं। हमारी पड़ोसन भी दहेज का एक लालची परिवार था। हम लोग यह सोचते थे कि जब पूरा परिवार दिल्ली शहर में रहता है तो बहू गांव से लेकर क्यों आए हैं। पूछने पर परिवार के लोग कहते थे कि गरीब किसान की बेटी है। बिचारी का पिता अब नहीं रहा। अकेले मां ने खेतों में काम कर के लड़की को पाला है। यह सुनकर पूरी सोसाइटी के लोग सोचते वाह कितने अच्छे लोग हैं। हर लड़की को ऐसा ही परिवार मिले मगर हकीकत इसके एकदम उलट थी। आखिर दहेज के लालची लोग! तो कब का बहू ऐसे लोगों के बीच में ज्यादा समय तक वह बहुत खुश कैसे रह सकती थी? वह भी तब जब दहेज में कुछ नहीं लाई हो, मुंह दिखाई पर जब बहू को देखा गया था तो वह दूध के जैसे गोरी और सेहतमंद थी। पर जैसे जैसे दिन गुजरे बहुत काफी कमजोर और दुबली पतली कमजोर नजर आने लगी। कभी उसके चेहरे पर चोट के निशान होते तो कभी हाथ में चोट के निशान नजर आते थे। कभी उसके रोने की आवाजें भी सुनाई देती थी। देखते ही देखते उस देवी की भक्त बहू का घर से बाहर निकलना तक बंद हो गया था। सब लोग समझ गए कि घर की चारदीवारी के अंदर उसके साथ उसके सास ससुर ननद देवर और पति उसका क्या हाल करते हैं? हम सब लोग पूरे परिवार को कोसते थे।

हम सबको बहू के हाल पर बहुत तरस आता था। मेरी आंटी ने बताया कि एक बार बहू छत पर कपड़े सुखा रही थी और आंटी अपनी छत से बहू को आवाज लगाकर उसका हाल पूछने ही वाली थी कि तभी उसकी लालची सास अपने बेटे के साथ वहां पर आई। दोनों मां-बेटे ने बहू को पकड़ा और कमरे में लेकर गए। आंटी ने बताया कि मैं प्रार्थना कर रही थी कि उसके साथ कुछ बुरा ना हो तब भी घर से बहू के रोने और सास और पति के चिल्लाने की आवाजें आने लगी। मन करता था कि पुलिस को फोन करके बुला दूं, मगर कोई दूसरों के मामले में नहीं पड़ना चाहता था। हम सब लोग बेचारी बहू की हालत देख परिवार के लोगों को गालियां देते और बहू की सलामती की देवी मां से प्रार्थना करते थे। यह लोग बहू को परेशान कर उसकी मां पर दबाव डाला करते थे कि अपनी बेटी को अगर खुश देखना चाहती हो तो गांव की जमीन हमारे नाम कर दो। अनपढ़ गांव की गरीब बिन मां बाप की लड़की को यह लोग बहू बनाकर इसीलिए लाए थे कि विरोध करने वाला कोई आदमी बहू के परिवार में नहीं था। ना बाप ना भाई सिर्फ लड़की की मां थी। पूरे लालची परिवार ने उसका जीना हराम कर रखा था। कुछ साल बाद मेरा परिवार वहां से कहीं और शिफ्ट हो गया था तो एक बार मुझसे मिलने मेरी आंटी आई और बातों ही बातों में जब आंटी ने बताया कि तुम लोग तो वहां से चले गए। तुमने उस परिवार का तमाशा मिस कर दिया था। बाई गॉड दिल खुश हो गया। क्या बताऊं तुम्हें पूरा मोहल्ला खुशी से झूमता नजर आया। जब देवी मां ने पूरे परिवार की जूते चप्पल से पिटाई कर दी थी। वह भी बारी-बारी कैसे दहेज के लालची परिवार की कुटाई हुयी आंटी ने इस तरह से बताया?

जब इस लालची परिवार के दूसरे लड़के यानी बहू के देवर की हल्दी की रस्म हुई जिसके बाद देवी का कीर्तन चल रहा था, जिसमें रिश्तेदारों से लेकर पूरी सोसाइटी के लोग देवी के कीर्तन में शामिल होने के लिए आए थे। पूरा लालची परिवार कीर्तन में शामिल था। बस देवी मां की भक्त बहू नहीं थी। लेकिन जब बहू की सास ने माता के कीर्तन में मां की ज्योत की थाली उठाकर आरती करना शुरू किया तो देवी मां ने पूरे परिवार को प्रसाद देना भी शुरू कर दिया। देवी मां के कीर्तन में आई मेरी दूसरी एंटी जो एक पंजाबन है और काफी सेहतमंद है उन पर देवी आ गई। लालची परिवार को अपने हाथों से प्रसाद देना शुरू कर दिया जिसकी शुरुआत हुई सास की आरती से थाली लेकर खड़ी हुई थी। वह सामने तब तेरी मां ने सास के हाथों से अपनी चौथ की थाली को छीनकर ज्योत को बुझा दिया और सास को सबके सामने बालों से पकड़कर पीटना शुरू कर दिया और कहा कि नहीं चाहिए मुझे तो तेरी पूजा। तेरी हिम्मत कैसे हुई अपने हाथ से मेरी ज्योत जलाकर उतारने की सोने की कड़े जो तू ने अपनी बहू के हाथों से उतारकर पहने हैं। हिम्मत कैसे हुई तेरी उसको बालों से पकड़कर पीटने की। सास ने देवी का गुस्सा शांत करने के लिए जब महंगी साड़ी भेंट की तो मेरी आंटी जिन पर देवी आई थी उन्होने उसके दो टुकड़े करके सास के मुंह पर फेंक कर मारा और कहा, तुम मुझे अपने जैसा लालची समझती हो।

बुला अपनी बहू को लोग भी तो देखें कि तेरे परिवार ने दहेज के लालच में बिन मां की बेटी का क्या हाल किया है जब सास ने बहू को सबके सामने लाने से मना कर दिया। तब देवी ने कहा, मैं भी देखती हूं तू कैसे बहू को सबके सामने? लेकर नहीं आएगी। फिर देवी मां ने ससुर का नंबर लगाया। ससुर को पीटते पीटते हुए उसके कपड़े तक फाड़ डाले। फिर ननंद को भी पीटा। फिर देवर को भी पीटा जिसकी शादी होनी थी और अंत में पति को पीटा। फिर देवी ने कहा कि मैं तब तक नहीं जाऊंगी। जब तक तू बहू को सबसे सामने नहीं लाओगे। अपना तमाशा बनता देख सास ससुर ननद देवर पति जब देवी की भक्त बहू को घर से बाहर लेकर आए तो मेरी आंटी बोली।

हम तो बहू की हालत देखकर हैरान रह गए। जब बहुत दुल्हन बन कर आई थी, तब क्या थी और अब किस हाल में थी। देवी ने अपनी भक्त बहू को प्यार करते हुए कहा, बेटी मैं इस दिन का इंतजार कर रही थी जब तेरे देवर की शादी हो। ताकि पूरी दुनिया और रिश्तेदारों के सामने इनकी हकीकत और तेरे साथ हो रहे अत्याचार को सारी दुनिया देखे। यह लालची लोग सोचते थे कि तुझे घर से बाहर किसी के सामने आने ही नहीं देंगे। तो कभी किसी को पता ही नहीं चलेगा कि हम दहेज के लिए अपनी बहू को कितना परेशान किया करते हैं, पर यह सब भूल गए कि मेरी नजरों से कुछ नहीं छुपता। सब रिश्तेदारों सोसायटी में रहने वाले लोग को किस दिन पति ने किस बात पर अपनी पत्नी को थप्पड़ मारा। किस दिन ससुर ने ताना दिया। किस दिन ननंद देवर ने अपनी भाभी को दहेज के लिए परेशान किया। कब से कब तक उसको भूखा रखा गया। किस दिन इसको जलाया जाने की कोशिश की। देवी ने दिन महीने साल सब कुछ बताया और कहा कि अगर आज के बाद इसको कोई तकलीफ हुई तो मैं फिर आऊंगी। तुम इसको बहू बना कर लाए थे, नौकरानी बना कर रखा है।

आज से इसके मांगने से पहले ही इसकी हर जरूरत को लाकर दो खाना कपड़े सब पहले से तैयार होने चाहिए। जहां इसको कोई तकलीफ हुई। मैं फिर आऊंगी। बस वो आखिरी दिन था, उसकी तकलीफ का। और अब तो परिवार में किसी की हिम्मत ही नहीं है। बहू के आगे चू भी करने की, यहां तक कि उसका पति भी अपनी पत्नी को हाथ लगाने में डरता है। अब काफी समय बीत गया है और अब उसके दो बच्चे भी हो गए हैं। अपनी आंटी से यह सारी बातें सुनकर मैं उसको मिलने गई तो उस बहू के तो तेवर ही बदल गए थे। वह खा खा कर मोटी भैंस बन गई थी। आज किसी की मजाल जो उसे सुई उठाने तक को बोल दे घर का काम करना तो बहुत दूर की बात है। बस देवी की कृपा उस पर इसी तरह बनी रहे और वह इसी तरह खुश रहे जय माता दी।

संदेश- तो देखे यहां पर इन्होंने एक अनुभव को साझा किया है और यह अनुभव सच में मां के किसी योगिनी शक्ति के उस स्त्री पर आकर अपने रक्षक! स्वरूप को दिखाने और उस स्त्री की रक्षा करने से संबंधित एक अच्छा और दुर्लभ अनुभव है। इसके माध्यम से यह भी विश्वास पैदा होता है कि अगर आपकी भक्ति सच्ची है तो माता किसी न किसी प्रकार से आपकी रक्षा और सुरक्षा अवश्य करती है और पाप करने वालों को अवश्य ही दंड देती हैं।

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