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गुरु मंत्र साधना के विचित्र अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज दिन की एक और गुरु मंत्र की साधना के अनुभव को और मेरे शिष्य हैं। उनका यह अनुभव है और किन अनुभव से उन्होंने इस साधना को किया है। यही आज के इस पत्र के माध्यम से हम लोग जानने की कोशिश करेंगे तो चलिए पढ़ते हैं के पत्र को और जानते हैं। क्या अनुभव इनके जीवन में घटित हुआ था?

पत्र – नमस्कार गुरु जी, मैं आपका शिष्य आकाश पाल आपसे शारदीय नवरात्र से पहले दीक्षा ले चुका हूं और मैंने प्रथम नवरात्र में दीक्षा ग्रहण की और जप किया था. जप समापन चैत्र नवरात्र में किया था। नवमी के दिन मैंने पहला हवन किया था। इस प्रक्रिया में मुझे 6 महीने से ज्यादा लग गए। गुरु जी अब मैं आपको अपने अनुभव बताता हूं। सबसे पहले मैं मां भगवती का आभार व्यक्त करता हूं कि आप जैसे योग्य गुरु मुझे मिले हैं। मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे ऐसा महामंत्र मिला जो ब्रह्मांड की समस्त शक्तियों को अपने अधीन रखता है। ऐसा महामंत्र मुझे गुरु मंत्र के रूप में मिला। मै अपने नए घर में जप शुरू किया था। उस घर में कुछ किराएदार भी रखे हैं। ऊपर मेरी दीदी और जीजाजी रहा करते हैं। गुरुजी मेरी दीदी की नई-नई शादी हुई है और मेरे जीजा जी की पोस्टिंग भी यहीं पर है। इसी कारण वे हमारे घर पर ही रहते हैं।

मैंने अपना जाप एक अलग कमरे में करने के लिए एक अलग व्यवस्था बना रखी थी। मैं उस कमरे में जाप करता था और उसके सामने वाले रूम में ही सोता था। साधना के बाद मैं उस रूम को ब्लॉक कर देता था। गुरु जी मुझे सुबह 5:00 बजे के बाद रात का टाइम नहीं मिलता था। इसलिए मैं सुबह 4:00 बजे उठकर करता था। जाप करने से पहले जब मैं ने दीक्षा ली और 10 माला का जाप किया तो टाइम बच गया तो मैंने सोचा थोड़ी देर सो जाता हूं। मैं सो गया। मैंने सपने में देखा कि मेरी दीदी जो ऊपर रहती हैं। वह अपना सारा सामान लेकर मेरे साधना वाले रूम में आकर बोली कि अब मैं यही रहूंगी और अपने जीजा को मत बताना नहीं तो वह यहां आने नहीं देंगे। मैंने सोचा यह क्या हो गया। अब मैं साधना कैसे करूंगा। इसके बाद मेरा सपना टूट गया। उसके बाद मैंने जाप जारी रखा।

गुरु जी एक दिन मैंने जा पूरा करके आंखें खोली तो मुझे 10 फीट की ऊंचाई पर एक सफेद रोशनी देखें। मेरी आंखें खोलते ही वह गायब हो गई। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। फिर कुछ दिनों बाद उस रूम में किरदार जो किराएदार हैं उनके आने के कारण। वह रूम साधना के लिए मुझे छोड़ना पड़ा और जिस रूम में मैं सोता था उसकी मैंने साफ सफाई करके उसे साधना के लिए तैयार कर लिया। अब मैंने रात को भी जाप करना शुरू कर दिया। मैं जब रात को जप करता था तो मेरे कानों में कोई आकर जय माता दी। बोलता था। उस समय में आधी नींद में होता था। मैं सावधान हो जाता था और मैं उसका रिप्लाई भी जय माता दी। बोल कर ही देता था। गुरु जी मुझे बहुत डर लगता था। मगर मैं जॉप करता रहता था। जब मैं सोने लगता तो मुझे अपने रूम में किसी के होने का एहसास होता। मेरी नींद गायब हो जाती थी और डर लगता था। फिर पता नहीं कब नींद आ जाती। ऐसा मेरे साथ रोज होता। मेरी नींद रोज 2:00 से 2:30 के बीच जरूर खुलती थी और किसी। आसपास होने का है। एहसास होता था। मैं बहुत डरता था। गुरुजी।

एक दिन मैंने सपने में देखा कि मैं अपने पुराने घर में हूं और मेरे घर वाले बहुत चिल्ला रहे हैं। जब मैंने पूछा कि क्या हुआ तो बोले, छत पर चुड़ैल है तो मैं भागकर छत पर गया तो मैंने देखा कि एक औरत जिसने लंबा सा घुंघट किया हुआ है और खाट पर बैठी थी। वह मुझे देखते ही छलांग लगाकर बराबर वाली छत पर चली गई। फिर उसके पीछे मैं दौड़ा और इसके बाद वह गायब हो गए। मुझे तुरंत हनुमान जी के दर्शन हुए जो एक मूर्ति के रूप में गले में बड़े से पत्ते की माला पहने हुए और पूरे बदन पर सिंदूर लगाए हुए थे। इसके बाद मेरी आंख खुल गई और मैंने बगल में रखे मोबाइल की टॉर्च जला ही और हाथ जोड़कर हनुमान जी को प्रणाम किया। इसके बाद में सो गया।

इसके बाद रोज हनुमान चालीसा पढ़ कर सोता था। यह सपने आने फिर कम हो गए। गुरु जी मैं आपको बता दो मैंने हनुमान जी की 4 साधना कर रखी है जिसके पीछे एक उद्देश्य था। मेरी 2 साल में दो खंडित हो गई। मगर मैंने दो सफलतापूर्वक कर ली, लेकिन मेरा उद्देश्य पूरा नहीं हुआ, लेकिन हनुमान जी के अलौकिक दर्शन मुझे जरूर बात है और मुझे उस उद्देश्य के संबंध में दो उपदेश दिए जो कि यहां पर मैं नहीं बता सकता हूं। गुरु जी उन्होंने यह बातें मुझसे सीधी नहीं बोली थी। वह किसी और से बात कर रहे थे। मैं यह बात सुन रहा था। जाहिर सी बात है कि के उपदेश मेरे लिए ही है। मैं उस सपने को कभी नहीं भूल सकता। उनके दिव्य दर्शन की व्याख्या करना मेरी औकात के बाहर है। गुरुजी रूम में किसी के होने का एहसास बराबर होता था। मैं लाइट जला कर सोने लगा। गुरु जी मेरे घरवाले बताते हैं कि जिस जगह हमारा घर है वह कॉलोनी एक कब्रिस्तान पर बनी है।

पहले यहां कब्रिस्तान था तो मैंने सोचा कि शायद इसी वजह से यह सब होता होगा। कुछ दिनों बाद मेरे पापा के भाई जिनका हमारा कोई संबंध नहीं है। वो एक्सपायर हो गए। जिस कारण मुझे जॉप कुछ दिन के लिए रोकना पड़ा था। गुरु जी मुझे यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि इस बीच मेरा ब्रह्मचर्य टूट गया और मेरा नाइट फाल हो गया। मैंने मां से माफी मांगी और उसके दंड स्वरूप मैंने गुरु मंत्र का 10000 जाप और 11 पाठ दुर्गा सप्तशती करने की सोच अगले दिन मेरे फूफा और बुआ जी घर पर आ गए क्योंकि वे अपने बहू बेटे के साथ माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जा रहे थे। वह मुझसे चलने के लिए बोलने लगे। लेकिन मैं अपना जपू रा किए बगैर नहीं जाना चाहता था। मेरे घर वाले भी जिद करने लगे और कहने लगे कि माता के दर्शन नसीब वालों को मिलते हैं। यहां वही लोग जाते हैं जिन्हें माता बुलाते हैं तो मैंने सोचा कि मैं तो पापी हूं। मुझे मां ने क्यों बुलाया लेकिन गुरु जी बच्चा कुछ भी करें। मां तो आखिर मां ही होती है और इसे मां का आदेश मानकर चला गया।

गुरुजी वहां का नजारा बहुत ही सुंदर लगा मां के दरबार पहुंचने से। पहले मैंने पहाड़ी पर बैठकर जब सब लोग सो रहे थे, गुरु मंत्र का जाप किया और मां के दर्शन तक गुरु मंत्र का मन ही मन जाप करता रहा। गुरुजी मां की छवि मन में उतर गई और मुझे तो हर जगह मा ही दिखने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि घर ना जाऊं और यही माता के चरणों में पड़ा रहा। इसके बाद हम लोग घर आ गए। मैंने अपने वचन के अनुसार 1 दिन मंत्र जाप और 3 दिन सप्तशती के पाठ के जब मैं पाठ कर रहा था तो चौथे पाठ पर पहुंचा तो मुझे। अजीब से पीछे से आवाज आने लगे। मैंने देखा एक छछूंदर मेरे पास आई और मेरे आसन पर चढ़ने लगी।

मैंने उसे भगा दिया। मगर वह फिर से मेरे पास आने लगी। उसने मुझे आधा घंटे लगातार परेशान किया। इसके बाद वह चली गई। फिर मैं सोचने लगा। महीनों से जॉप कर रहा हूं। आज से पहले कोई छछूंदर नहीं दिखी। यह अचानक कैसे आ गई। मैंने सोचा अगर यह कोई साधारण छछूंदर नहीं है तो आखिरी पाठ पर जरूर आएगी और वही हुआ जैसे ही ग्यारहवां पाठ शुरू हुआ वह आ गई और मैंने आसन पर चढ़ने की कोशिश करने लगी। मैंने उसे भगाया, लेकिन वह बगावत पर उतर आई थी। मगर मैंने उसे चढ़ने नहीं दिया और जैसे तैसे वह पाठ मैंने पूरा किया। अपने लिए। ने माफी मांगी। इसके बाद मैंने जब जारी किया उस दिन के बाद वह कभी नहीं दिखी और 1 दिन में जप करके सोया हुआ था तो मां के दर्शन हुए एक मंदिर में जहां एक व्यक्ति मुझे बता रहा था कि यहां बकरी की बलि दी जाती है और यहां बनी के लिए बकरे लाए जाते हैं। माथा टेका करके छोड़ दिया जाता है, उन्हें काटा नहीं जाता। इसके बाद मैंने देखा मेरी चारों और मूर्तियां है।

लेकिन मैं सिर्फ एक ही मूर्ति के दर्शन कर पाया जो माता महाकाली की थी। मुझसे करीब 8 फीट की ऊंचाई पर बहुत ही अगले दिन मैंने देखा कि एक शेर जो कहीं से आ गया है, वह गली में भाग रहा है। उसे देखकर लोग इधर-उधर भाग रहे हैं और मैं एक पत्ली से गली में खड़ा था। वह शेर मेरे पास भागता हुआ आया तो मैं डर कर भागा। लेकिन मैं उस गली में छोटी होने की वजह से फस गया। शेर मेरे बिल्कुल पास आ गया और उसके बाद मेरा सपना टूट गया। सुबह उठा तो मां से क्षमा मांगी कि कोई गलती हो रही है तो मां मुझे माफ कीजिए और मैंने। उस मंत्र का जाप जारी रखा। अब गुरुजी चैत्र नवरात्र आ गए और मेरा जप  900000 पूरा हुआ। उसके बाद मैंने नवमी के दिन पहला हवन किया। उस रात को जब मैं सो गया तो 20 मिनट के बाद मेरी आंख खुली और मैंने देखा। एक काली परछाई मेरे सामने से हट कर मेरे पीछे गई है क्योंकि मैं यह करवट में लेटा हुआ था। यह देखकर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई और घबराहट होने लगी। मैं आंखें बंद करके वहीं लेटर आ मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं पीछे देखूंगी। कौन है, मुझे पसीना आने लगा। फिर मैंने हनुमान चालीसा पढ़नी शुरू की तो घबराहट कुछ कम हुई। फिर मैंने सोचा जो होगा देखा जाएगा। मैं उठा मोबाइल की लाइट जलाई तो कोई नहीं थोड़ी देर बाद सो गया। उसके बाद मुझे कोई अनुभव नहीं हुआ और मैंने हवन पूरा किया। गुरुजी मेरे कुछ प्रश्न है जो मुझे मेरी दीदी के रूप में सपना आया।

दीदी के रूप में जो सपना आया था, वह क्या था। दूसरा मेरे रूम में किसी के होने का एहसास क्यों होता था? कानों में जय माता दी। क्यों सुनाई पड़ता था। छछूंदर साधारण थी या कुछ तीन परीक्षाएं किसकी हो सकती हैं? मां के दरबार में आने के बाद जब भी मां को याद करता हूं तो उनके भजनों को गुण गाता है। मेरा मन और बहुत रोने का करता है। मैं आपसे नहीं रोता लेकिन मेरा दिल अंदर से बहुत रोता है। जिस कारण मेरी आंखों से आंसू आते हैं, जब भी मां वैष्णव को याद करता हूं, आंखें भर आती हैं, आंसू बहने लगते हैं। ऐसा क्यों गुरु जी गुरु मंत्र की राजसिक साधना  गुरुजी में राजसिक साधना के मन में सोचा था। इसमें क्या हो सकता है? बस गुरु जी अगर लिखने में कोई गलती हुई हो तो माफ कीजिएगा। मैं 10 महाविद्याओं में से मां के किसी एक सौम्य रूप की साधना करना चाहता हूं, जिसकी दीक्षा में जल्द ही आपसे लूंगा। मेरा नाम गुप्त रखें। धन्यवाद गुरु जी जय मां भगवती।

संदेश – पहला प्रश्न आपने पूछा। की दी का सपना देखे ज्यादातर जोगनिया और दिव्य शक्तियां आपके सगे संबंधियों का रूप लेकर ही आपके सपने में आती हैं ताकि आप उनसे सच्चा और सही व्यवहार कर सकें तो यह सब सपना है। वहां पर जिस स्थान पर पूजा करते थे वह स्थान व अपने रहने के लिए देवी शक्ति बनाना चाहती थी । दूसरा- आपके रूम में होने का एहसास किसी के भी वही बात है यानी देवी शक्ति का आना । कान में जय माता दी बोलना भी। माता की जय कारे लगाते उनके कई गण हैं जो आपके कान में आकर बोलते थे और आपके भी मुख से वही सुनना चाहते थे। छछूंदर साधारण नहीं थी। वह आपकी साधना को भंग करने और आपका ध्यान रोकने के लिए आई थी ताकि आपको सिद्धि की प्राप्ति ना हो जाए और उसमें लगभग सफल भी रही  और रही काली परछाई तो बहुत सारी ऐसी शक्तियां है। मां की सेविका, जो आपके साथ रहने लगती है जब आप माता का लगातार मंत्र जाप करते रहते हैं। इन से डरने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आपको अपने आप को और भी अधिक स्वछता पूर्वक साधना करने की आवश्यकता है।

मां का नाम आते आंसू बहने लगते हैं। इसका अर्थ है आत्मा मुक्ति के लिए तड़प रही है और वही रोती है जिसकी वजह से हमारे आंखों में भी कभी कभी आंसू आ जाते हैं। राज सिक  साधना का संकल्प आप उसी विधि से ले सकते हैं जो मैंने अपनी वेबसाइट में बता रखी है। आपके सारे अनुभव बहुत ही अच्छे शुद्ध है और निश्चित रूप से आपको आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाने वाले हैं । तो यह था गुरु मंत्र साधना का एक अनुभव। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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