नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज जो मैं साधना बताने जा रहा हूं, इसे हम विश्व स्वरूप गुरु की साधना के नाम से जानते हैं।
जो सर्वोच्च रूप है जो आदि गुरु कहे जाते हैं, वह भगवान शिव हैं और उन्होंने ही गुरु शिष्य परंपरा स्थापित की है। जब हम उनका मूल विश्वरूप स्वरूप में साधना करते हैं तो उनकी कृपा से हमें योग्य और उत्तम गुरु की प्राप्ति होती है इसके अलावा! आपका अगर अपने गुरु से विशेष संपर्क स्थापित नहीं है तो भी आत्म तत्व के द्वारा बहुत ही उत्तम! अपने गुरु से संबंध स्थापित हो जाता है। गुरु की कृपा सीधी आपको मिलने लगती है। आपके गुरु से आपका जुड़ाव हो जाता है। इसके अलावा भगवान शिव की कृपा तो प्राप्त होती ही होती है।
जो लोग गलत गुरु पकड़ लेते हैं और उनके जीवन में फिर कष्ट आने लगते हैं। उनके लिए भी यह साधना बहुत ही उत्तम मानी जाती है। क्योंकि? कहते हैं ना – पानी पीजीए छान के और गुरु करिए जान के।
इससे स्पष्ट है कि हर व्यक्ति गुरु नहीं हो सकता। जो स्वयं। जिस मंत्र की साधना करता है वही मंत्र गुरु दीक्षा के रूप में अपने शिष्यों को देता है। वही उत्तम गुरु कहलाता है।
जो गुरु! ब्रह्म मंत्र को अपने शिष्यों को देता है। वह गुरु भी उत्तम कहलाता है।
गुरु का मंत्र सर्वथा, सर्वोच्च और महा शक्तिशाली होना चाहिए। कोई साधारण मंत्र देने वाला व्यक्ति। महान गुरु नहीं बन पाता है। क्योंकि? जब उसकी स्वयं की क्षमता कम है तो फिर वह अपने शिष्य की क्षमता कैसे बढ़ा पाएगा?
गुरु प्रदत्त विद्या आप को न सिर्फ भौतिक जीवन में सफल बनाती है बल्कि मृत्यु पर्यंत। उत्तम लोको को प्रदान करती है।
स्वर्ग को तो बड़ी आसानी से प्राप्त कर ले जाता है और अपने गुरु को प्राप्त करके वह मुक्ति को भी प्राप्त कर लेता है।
यह भी कहा जाता है कि गुरु स्वयं मृत्यु का देवता होता है। मृत्यु आखिर किस से इस जीवन के बंधन से, सामाजिक बुराइयों से। इसीलिए उत्तम गुरु इस जीवन की विशेष आवश्यकता है।
गुरु की पूजा अगर इस स्वरूप में आप करते हैं तो गुरु की शक्तियां बढ़ती हैं। इसके साथ शिष्य को ज्ञान की प्राप्ति होती है। तो आखिर यह साधना कैसे करी जाती है और इसके माध्यम से भगवान महादेव आपको गुरु रुप में कैसे प्राप्त होते हैं? आपके के अंदर वह कैसे विराजमान हो जाते हैं। अगर आपका स्वयं का एक गुरु है तो? इसीलिए इस साधना को अवश्य ही करना चाहिए और अगर आप गुरु को सही प्रकार से प्राप्त नहीं कर पाए हैं तो भी इस साधना को करके आप अपने गुरु का आशीर्वाद और स्वयं विश्व को महादेव का आशीर्वाद प्राप्त कर लेते हैं। इस साधना को करने के लिए आपको कुछ विशेष वस्तुओं की आवश्यकता नहीं होती। बड़ी साधारण और सरल तरीके से साधना आप कर सकते हैं।
साधना सामग्री में आपके पास!
सफेद रंग के वस्त्र होने चाहिए। आसन सफेद होना चाहिए। पुष्प भी आप लाल रंग का या पीले रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। गंगाजल के पास होना चाहिए दूध मिश्रित जल अपने पास रखें दीपक रुई, शुद्ध पारद का शिवलिंग या फिर नजदीक के किसी शिव मंदिर में जाकर भी आप इस पूजा को संपन्न कर सकते भगवान शिव या फिर अपने गुरु महाराज का चित्र भी वहां पर अवश्य ही स्थापित करें? अगर आपने गुरु कर रखा है तो गुरु महाराज का चित्र स्थापित करें। अगर अभी तक आपने कोई गुरु नहीं किया तो भगवान शिव का भी चित्र स्थापित वहां पर करें। भोग के लिए फल मिठाई मौली। वस्त्र पूजा के लिए। अर्पण करने के लिए अक्षत,जनेयू, एक नारियल और गुरु दक्षिणा जैसी आपकी सामर्थ्य हो, वह धन राशि के रूप में लेके जाएंगे। बाद में यह सारी चीज है। और दक्षिणा अगर आपका साक्षात गुरु है तो उसको अर्पित कर दे।
साधक अपनी इच्छा अनुसार! यथाशक्ति साधना कर सकता है इसके लिए दिशा उत्तर की होगी।
ध्यान जब करेंगे तो निम्न मंत्र का उच्चारण करेंगे। मंत्र है।
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम,द्दन्द्दातीतं गगनसदृशं तत्वम्स्यादिल्क्ष्यम |
एकं नित्यं विमलमचलं सर्व्धिसाक्षिभूतम,भावतीतं त्रिगुनरेहितं सद्गुरुं तं नमामि |
फिर? आसन के लिए बाजोट पर वस्त्र बिछाकर उस पर पारद शिवलिंग या जो भी मूर्ति या चित्र आपके गुरु का हो उसको स्थापित करें। फिर ध्यान मंत्र पढ़ते हुए पुष्प को अर्पित करें। आसन के लिए एक पुष्प अर्पित करें। फिर गुरु चरणों का ध्यान करते हुए उनके चरण धुलाई मानसिक रूप से कर सकते हैं। फिर चंदन आदि का लेप लगाए। पुष्प अर्पित करें।
मंत्र उच्चारण में आप शुद्ध आचरण का प्रयोग करके और
जो भी आपके पास सामग्रियां है,बहुत ही आसानी से और सरल विधि से इसका मंत्र जाप करें अंत में। गुरु को अपने शरीर में ध्यान लगाने के लिए कहें और स्वयं अपने गुरु को अपने अंदर स्थापित करें। फिर पूजा मंत्र जाप के बाद कम से कम आधा घंटा का ध्यान करें। अपने गुरु को ब्रह्मांड में देखें। ध्यान करने से पहले आप मंत्र जाप की समाप्ति पर गुरु को भोग और खीर मिठाई जो भी वह अर्पित करें। अर्पण के बाद में आप आचमन करके नारियल और मौली बांध के दक्षिणा उनके सामने रखें। बाद में अपने साक्षात गुरु को प्रदान करें।
अगर आपके पास कोई नहीं है तो शिव मंदिर में जा कर के आप इसको अर्पित कर सकते हैं।
मंत्र जाप के पश्चात यानी गुरु को मैं अपनी जो जप है उसको अर्पण कर रहा हूं। कृत्वा जपम गुरु अर्पण मस्तु बोलते हुए हाथ पर जल लेकर गुरु चरणों में अर्पित कर दें तो यह जाप आप गुरु को समर्पित करते हैं। अब! गुरु मंत्र जो यह वाला मंत्र है जिससे विश्व गुरु मंत्र कहते हैं। इसका जाप आपको करना है इसका कम से कम 21 माला जाप अवश्य करें।
मंत्र है ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं नमो भगवते विश्व गुरवे नमः।
इस प्रकार से इस मंत्र का उच्चारण 21 माला करना है और उसके बाद फिर आधे घंटे का ध्यान करना है। स्वयं को शिव स्वरूप समझ कर अपने अंदर गुरु को स्थापित करके मानते हुए मानसिक रूप से कि वह गुरु शक्ति मेरे अंदर आ चुकी है। मेरे गुरु मेरे अंदर आ चुके हैं और ध्यान करना है। बिल्कुल शांत वातावरण में आपको यह साधना करनी है। इससे आपके और आपके गुरु के संबंध अच्छे होते हैं। आपके लिए जीवन में सत्य की राह खुलती है और आपके समस्त पाप उसी क्षण नष्ट हो जाते हैं। गुरु कृपा से आप गुरु के सभी रहस्य को जानने लगते हैं गुरु के माध्यम से आपका और आपके गुरु का संबंध जुड़ जाता है आत्म रूप में। तो यह सरल और उत्तम साधना है और विशेष सिद्ध पक्षों में इस साधना को करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
इसके माध्यम से आपके शरीर की रक्षा भी होती है और किसी बुरी साधना का असर भी आपके शरीर से हटता है। परमात्मा को प्राप्त करने की यह सरल और संक्षिप्त विधि है, उसी ओर आपकी आत्मा बढ़ती है। तो अगर व्यक्ति सही प्रकार से गुरु पूजन नहीं कर पा रहा है। गुरु दूर है या फिर गुरु की शक्ति आपको? इतनी मात्रा में नहीं मिल पा रही है तो इस साधना को रुद्राक्ष की माला लेकर अवश्य ही जपते हुए करना चाहिए। और उसके बाद गुरु को दक्षिणा भेंट करने के बाद में आप कम से कम आधा घंटे का बहुत ही सरल और मन को शांत करके ध्यान अवश्य करें। इससे आपको अद्भुत ऊर्जा की प्राप्ति होती नजर आएगी। स्वप्न में भी आपको विशेष तरह के अनुभव हो सकते हैं। यह एक पूर्ण सात्विक साधना है और प्रत्येक व्यक्ति को करनी चाहिए। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।