साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 61
१. क्या गुरु मंत्र का जाप घर में किया जा सकता है ? क्या गुरु मंत्र की ऊर्जा दूसरे के शरीर में प्रवाहित होती है ? क्या गुरु मंत्र से भौतिक समस्या का समाधान होता है ?
उत्तर :- आप गुरु मंत्र का जाप घर पर भी कर सकते है, इसमें कोई समस्या नहीं है | गुरु मंत्र की ऊर्जा दुसरो की शरीर में प्रवाहित होती है जब आप किसी के संपर्क में आते है या किसी से हाथ मिलाते है | हाथो के माध्यम से ऊर्जा उस व्यक्ति को प्राप्त हो जाती है और आपकी ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है | गुरु मंत्र के द्वारा भौतिक समस्या का भी समाधान होता है लेकिन उस स्तर में नहीं उसके लिए तंत्र साधनाओ का ज़्यादा प्रयोग किया जाता है |
२. क्या मंदिरों में नकारात्मक शक्तियां नहीं होती है ? मंदिर में बहुत लोग पूजा पाठ करने के लिए आते है तो उनको ऊर्जा हमसे प्राप्त नहीं होगी ?
उत्तर :- देखिये जो घर में गैस होती है उसकी ऊर्जा से हम रोटी पकाते है अगर उसी गैस में छेद कर और उसमे आग गिरा दे तो वो गैस फट जाएगा | वही हाल होता है मनुष्य का भी आत्मा के द्वारा धारण की गई ऊर्जा चाहे मंत्रों के द्वारा हो या कर्मो के माध्यम से हो उसके बाद वो व्यक्ति जिस तरीके से उस ऊर्जा का प्रयोग करता है अपनी इन्द्रियों के माध्यम से वो ऊर्जा उसी रूप में रूपांतरित हो जाती है सकारात्मक या नकारात्मक में अगर व्यक्ति गलत कर्म करने लग जाए तो वो उस ऊर्जा का नकारात्मक प्रयोग कर के दुसरो का विनाश ही करता है |
३. सब कहते है “नॉन-वेज” खाने से शरीर में क्रोध लोभ की अधिक मात्रा में उत्पत्ति होती है | तो फिर कुछ मांसाहार करने वाले बहुत शांत स्वभाव के अच्छे विचारों के कैसे है ?
उत्तर :- जो मांसाहार करने वाले है और जो जीव को स्वयं काट कर पका कर उसको ग्रहण करते है आप उनका स्वभाव और उसके भीतर क्रोध हिंसा के भाव गति को देखिएगा और दूसरी जगह ‘नॉन-वेज’ बर्गर खाने वाले व्यक्ति से मिलिए आपको उन दोनों के स्वाभाव में अंतर नजर आएगा | लेकिन भोजन तो दोनों “नॉन – वेज” ही रहे है | एक किसी को मार कर खा रहा है उसके अंदर दुसरो को मारने का भाव प्रकट हो रहा है और वही दूसरी और एक व्यक्ति सिर्फ उसको भोजन के रूप में ले रहा है और उसके अंदर कोई भाव नहीं आ रहा है तो मूल बात ये है हम जिन चीज़ो का भक्षण कर रहे है उनके भाव को हम धारण कर लेते है ऐसा नहीं है की “नॉन-वेज” खाने वाले गलत होते है लेकिन उस जीव के भाव वो धारण अवश्य करते है |
अब अगर कोई शांत स्वाभाव का है, जो योग साधना साधना करता है और अगर वो इस प्रकार का भोजन ग्रहण करता है और उसने अच्छा स्वभाव बना कर रखा है तो उसके अंदर वो ऊर्जा भोजन के रूप में जाकर वापस बहार आ जाएगी | उसका कोई अधिक प्रभाव उस पर पड़ेगा नहीं |