नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज बात करेंगे एक विशेष साधना के विषय में और साथ ही साथ इनकी कथा के विषय में भी जानेंगे। हालांकि इस साधना के विषय में और अन्य चीजों को आर्यन दुबे जी ने हमें भेजा है और कहा है कि इसके बारे में आप वीडियो बनाना चाहे तो बना सकते हैं तो चलिए शुरू करते हैं। इस कथा के विषय में और साथ ही साथ विंध्यवासिनी नाम की एक महायक्षिणी जी के बारे में जो कि माता विंध्यवासिनी की ही शक्ति है। असल में माता विंध्यवासिनी कौन है सबसे पहले यह जानना आवश्यक है। भगवती विंध्यवासिनी आदिशक्ति मानी जाती है जो कि भगवान विष्णु की ही योग माया कहलाती हैं। जिन योग माया शक्ति के माध्यम से भगवान स्वयं पूरे जगत को अपने मोह में रखते हैं और कार्यों को संपादित करवाते हैं। यह वही शक्ति हैं इन की कथा के अनुसार
देवकी के आठवें गर्भ से जन्म में भगवान श्री कृष्ण को कंस से बचाने के लिए रातों-रात! यमुना नदी को पार कर गोकुल में नंद जी के घर पर पहुंचा दिया था।और इस दौरान जब उन्होंने उस! अपने पुत्र को यशोदा!के गर्भ से पुत्री को लेकर के यहां वापस आए यानी कि बच्चों की अदला-बदली की गई। योग माया ही वह कन्या थी। जो उनके साथ आई थी। भगवान की शक्ति योग माया मथुरा की जेल में आ चुकी थी। कंस ने देवकी की आठवीं संतान लड़की होने पर भी उसे मारने की कोशिश की। वह नवजात कन्या को देवकी और वसुदेव से छीन के ले आया। नवजात कन्या को पत्थर पर पटक कर मारने की कोशिश की।
हालांकि! वह यह कार्य पहले से करता चला रहा था। लेकिन जैसे ही उसने उस कन्या को पटक कर मारने की कोशिश की। वह कन्या अचानक से कंस के हाथ से छूटकर आकाश में पहुंच गई और उसे अपने दिव्य महा स्वरुप प्रदर्शित किया और कंस के वध की भविष्यवाणी की। उसने कहा है कंस? मैं चाहूं तो तेरा अंत अभी तुरंत कर सकती हूं। किंतु मैं ऐसा इसलिए नहीं कर रही क्योंकि भगवान विष्णु मानव रूप में जन्म लेकर अपनी लीला रचना चाहते हैं। इसीलिए मैं उनकी बड़ी बहन बनकर प्रकट हुई हूं।अब मैं तुझे कहती हूं कि तुझे मारने वाला। गोकुल में जन्म ले चुका है और वही तेरा वध करेगा जैसा कि हम जानते हैं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया था। लेकिन वह देवी जो कन्या के रूप में प्रकट हुई थी वह। मथुरा की जेल से। अपना दिव्य स्वरूप दिखाकर विंध्याचल पर्वत पर रहने के लिए चली गई।
इसके अलावा इनकी कथा यह आती है की श्रीमद् देवी भागवत के दशम स्कंध में सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने जब सबसे पहले अपने मन से स्वयंभू मनु और शत! रूपा को उत्पन्न किया था तब विवाह करने के उपरांत मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर 100 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती ने उन्हें निष कंटक, राज्य वंश वृद्धि और परम पद पाने का आशीर्वाद दिया था। वर देने के बाद महादेवी अपने विंध्याचल पर्वत पर लौट गई थी और सृष्टि के प्रारंभ से ही विंध्यवासिनी देवी की पूजा की जाती है। लेकिन? लोगों को इस विषय में कम ही ज्ञान है कि इनकी एक महत्वपूर्ण शक्ति है जो तंत्र की देवी कहलाती हैं। वह है विंध्यवासिनी महायक्षिणी .
महा यक्षिणी! बहुत ही अधिक शक्तिशाली और तंत्र की सबसे शक्तिशाली देवी है। इन की कथा इस प्रकार से प्राप्त होती है कि बहुत पहले एक शक्तिशाली तांत्रिक एक कन्या के विषय में सुनकर के इस विंध्याचल पर्वत पर आया। उसने एक कन्या के विषय में सुना था जो तंत्र विद्या में बहुत अधिक निपुण थी। उसकी शक्ति बहुत ही अधिक शक्तिशाली थी। अपनी तंत्र शक्ति के माध्यम से लोगों के कार्य बड़ी ही आसानी से कर दिया करती थी उसके दर्शन से लोग। अपने समस्त कार्यों को सिद्ध कर लेते थे। उसकी शक्ति को जीतने के लिए वह तांत्रिक जब उस कन्या के पास पहुंचा तो वह कन्या हंसने लगी और कहने लगी मैंने भगवती विंध्यवासिनी की महा यक्षिणी को सिद्ध किया हुआ है। इसलिए तू मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। इस पर उस तांत्रिक ने उस पर कृपया प्रयोग और अन्य चीजें करने की कोशिश की, किंतु उसमें वह सफल नहीं हो सका।
अंततोगत्वा उसने उस कन्या से माफी मांगी। और पूछा कि आप कौन हैं और यहां क्या कर रहे हैं तब उसने बताया कि मैं बचपन से ही माता विंध्यवासिनी के इस पर्वत पर आकर उनकी साधना किया करती थी। तभी एक दिन? विंध्यवासिनी महा यक्षिणी प्रकट हो गई और उन्होंने मुझे अपनी सिद्धि और गुप्त तंत्र का मार्ग बताया और कहा कि अगर तुम मेरे कहे अनुसार! साधना करती हो तो फिर तुम्हारे लिए कुछ भी संभव होगा। मैंने उनकी मात्र 21 दिन की साधना करके उनकी सिद्धियां प्राप्त कर ली है। उनकी शक्ति के कारण ही तुम्हारे कृत्या और शक्तिशाली भैरव प्रयोगों को भी मैं सह पाने में समर्थ हूं। मेरा कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला उनकी साधना से मुझे तंत्र विद्या में विशेष पारंगतता हासिल हो गई है।
इसी कारण से मैं अब अजेय हूं।मझे कोई पराजित नहीं कर सकता है। मेरे पास उनकी शक्ति है। इसी सामर्थ्य के कारण अब मैं बहुत अधिक शक्तिशाली हो चुकी हूं। तुम मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते हो? देख लो तुम्हारे किए गए शक्तिशाली तांत्रिक प्रयोगों को मैंने क्षणभर में नष्ट कर दिया है। तांत्रिक यह बात जानता था क्योंकि उसने अपनी तांत्रिक प्रयोगों में काली मिर्च फेंककर, कृत्या प्रयोग, भैरव, प्रयोग और अन्य गुप्त शक्तियों का प्रयोग उस पर किया था ताकि वह उसे बंदी बनाकर उसकी सारी शक्तियां और सिद्धियां छीन सकें।
लेकिन उसकी यह योजना पूरी तरह से असफल हो गई थी। इसी कारण से अब उसने उस कन्या का शिष्य बनना ही स्वीकार किया। वह कहने लगा मुझसे बहुत बड़ी गलती हो चुकी है। मैं आपकी सामर्थ्य को नहीं समझ सका। यह देवी कौन है जो विंध्याचल पर निवास करती हैं और अपनी शक्ति के कारण? देवी विंध्यवासिनी का नाम प्रशंसित कर रही हैं।इस पर वह कन्या कहने लगी। यह देवी विंध्यवासिनी की महा यक्षिणी है।यह महा यक्षिणी! कुछ दिनों की साधना में ही सिद्ध हो जाती हैं और फिर इनकी सिद्धि करके व्यक्ति इन्हें माता रूप में प्राप्त करके या फिर किसी अन्य रूप में प्राप्त करके इनकी समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर सकता है? इनकी कृपा हो जाने पर। यह व्यक्ति को तंत्र विद्या सिखा देती हैं।
मुझे तो यूं ही कई सारे मंत्रों का प्रयोग मालूम है जिनका प्रयोग करके मैं हर प्रकार के तंत्र प्रयोग कर सकती हूं। मैं चाहूं तो अभी तुम्हें यहां से तुम्हारे घर भेज सकती हूं। इतनी अधिक सामर्थ है मुझ में, इन छोटे-मोटे तांत्रिक प्रयोगों का तो मुझ पर असर ही नहीं पड़ने वाला है। इसीलिए अब तुम्हें सावधान होना चाहिए। वह तांत्रिक अब उस कन्या के पैरों में गिर गया और कहने लगा। मुझे भी यह तंत्र विद्या सिखाइए क्योंकि मैं चाहता हूं कि मुझे भी इस तंत्र विद्या का ज्ञान प्राप्त हो। मैं इसे अपने शिष्यों को सिखाऊंगा। इस प्रकार उस कन्या ने विंध्यवासिनी महा यक्षिणी की सिद्धि उस तांत्रिक को सिखाई जिससे वह तांत्रिक अत्यंत ही बलशाली सिद्ध हुआ।
वही विधि आज मैं आप लोगों के लिए लेकर के आया हूं। इसका लिंक आपको मेरे वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगा जहां से क्लिक करके आप इंस्टामोजो अकाउंट में पहुंच जाएंगे। वहां जाकर डिटेल भरकर आप इससे साधना को खरीद सकते हैं। यह मात्र 21 दिनों की साधना कोई भी स्त्री और पुरुष कर सकता है अगर उसमें? इसे करने की सामर्थ हुई तो अवश्य ही उसे सिद्धियों की प्राप्ति हो जाएगी क्योंकि यह कहा जाता है कि कोई भी साधना निष्फल हो सकती है। लेकिन विंध्यवासिनी की यह शक्तिशाली साधना कभी निष्फल नहीं जाती है और 21 में दिन देवी साक्षात उसके सामने प्रकट हो जाती हैं तो अगर आप लोग इस साधना को करना चाहते हैं तो इसका ज्ञान आपको मेरे इंस्टामोजो अकाउंट में जा करके मिलेगा। वहीं से साधना खरीद सकते हैं। यह था विंध्यवासिनी माता का संक्षिप्त परिचय और उनकी महायक्षिणी का ज्ञान। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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