अघोर विद्या शमशान की चुड़ैल भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है । अभी तक आपने अघोरी विद्या और शमशान की चुड़ैल भाग-1 पढ़ा है और उसमें आपने जाना कि किस प्रकार से सुकेश जी के दादा जी यानी कि विशंभर नाथ जी को एक विशेष तरह का अनुभव होता है । जिसमें एक अघोरी अपने एक हाथ में मल के रूप में कुछ उन्हें देता है और वह चीज हीरे में बदल जाती है । उनमें से एक हीरे को वह जोहरी के पास बेच देते हैं । बेचने के बाद उन्हें 20 सोने की अशरफिया उन्हें प्राप्त होती है । और घर में एक राहत सा बन जाता है और उनकी पत्नी उस विशेष चीज से प्रभावित होती है और हीरो को बेचने की बात करती हैं ।लेकिन उनके पति यानी कि विशंभर नाथ जी कहते हैं कि ऐसा करना ठीक नहीं है क्योंकि मुझे लगता है कि जो जोहरी था । उसने मुझे कम कीमत में यह हीरा लिया है उसका मूल्य बहुत अधिक है । और बहुत ज्यादा भी हो सकता है और यह चीजें प्राप्त कर लेने के कारण से उनके मन में विशेष प्रकार की जिज्ञासा थी । रात को जब विशंभर नाथ की पत्नी होती है तो उन्हें अजीब सा महसूस होता है कि उनकी कोई गर्दन दबा रहा है । और सुबह के समय विशंभर नाथ को लाल कपड़ा उनके घर के बाहर मिलता है तो इतना अभी तक आप लोगों ने जान लिया है । चलिए अब इससे आगे की कहानी को जानते हैं क्या उनके साथ आगे घटित हुआ ।
तो जैसे कि उन्हें एक बार फिर से लाल कपड़ा उनके घर के बाहर दिखाई दिया तो विशंभर नाथ जी ने सोचा कि जरूर कोई ना कोई एक संकेत है । क्योंकि इसी तरह उन्हें एक लाल कपड़ा मिला था जब वह एक अगोरी से मिले थे और उन्होंने उसका पीछा किया था । अब सवाल यह था कि उन्हें लाल कपड़ा क्यों मिल रहा है ।विशंभर नाथ जी के एक मित्र थे जिनका नाम दीनानाथ जी था । दीनानाथ जी उनके काफी अच्छे दोस्त थे यूं कहिए कि उनके लंगोटिया यार थे । इस वजह से उनको वह सारी बातें बताया करते थे । शाम की बैठक में वह उनके घर चले जाते हैं और दीनानाथ जी के घर पर जाकर के वह उनका दरवाजा खटखटाते हैं । तो दीनानाथ जी की पत्नी दरवाजा खोलती है । तो विशंभर नाथ जी उनकी पत्नी को प्रणाम करते हुए कहते हैं भाभी जी दीनानाथ जी अगर हो तो मैं उनसे बात करना चाहता हूं । इस बात से दीनानाथ कहते हैं क्या मेरी आज्ञा लेकर ही अंदर आओगे और हंसने लगते हैं । विशंभर नाथ कहते हैं नहीं यार बात यह नहीं है बात कुछ और ही है अगर तुम्हारे पास समय हो तो कपड़े पहन लो हम लोग यूं ही थोड़ा बाहर टहलने निकलते हैं । फिर दिनानाथ जी ने कहा अगर ऐसी बात है तो आओ अंदर थोड़ा पानी तो पी लो कम से कम । विशंभर नाथ जी अंदर चले जाते हैं और वहां भाभी जी उन्हें पानी वानी देकर थोड़ा मीठा खिलाती है ।
फिर दीनानाथ जी अपने कपड़े कुर्ता पहन लेते हैं इस प्रकार विशंभर नाथ और दीनानाथ घर से बाहर निकल आते हैं । विशंभर नाथ किसी एकांत स्थान पर चलने लगते हैं दीनानाथ कहते हैं क्या बात है भाई । आज बहुत ही समय बाद तुम्हें मेरी याद आई है और इस तरह से तुम मेरे पास विशेष तरह का प्रयोजन लेकर आए हो । और मुझे तुम एकांत स्थान पर ले जाना चाहते हो ऐसी बातें तुम मुझे बचपन में बताया करते थे । जब कोई विशेष चीज प्राप्त हो जाया करती थी । विशंभर नाथ कहता है हां बात कुछ ऐसी ही है कहते-कहते गांव का मंदिर आ जाता है और वहां से जंगल शुरू हो जाता है । जैसे ही जंगल शुरू होता है विशंभर नाथ जी कहते हैं हम अब एकांत स्थान पर पहुंच चुके हैं तुम्हें कुछ बातें बतानी है । फिर विशंभर नाथ के साथ घटित हुई वह सारी बात उनको बताते हैं दीनानाथ कहता है कि यह अघोरी बाबा का चमत्कार है । और वह जो लाल कपड़ा है उस कपड़े में । मैं तुम्हें बताता हूं तुम लाल कपड़े में काली मिर्च बांध करके एक पोटली बना लेना उस पोटली को रात के समय उसे घर के दरवाजे से फेंक देना जिस दिशा की ओर पोटली तुम्हें सुबह मिले उसी दिशा की ओर हम लोगों को चलना होगा मेरा यह सोचना है ।
विशंभर नाथ ने पूछा यह कोई किसी तरह की तांत्रिक विद्या है क्या । तो दीनानाथ ने कहा हां ऐसा हमारे पूर्वज लोग किया करते थे इससे पता लग जाता है कि अगर कोई शक्ति तुम्हें बुला रही है तो वह किस कारण से तुम्हें बुला रही है ।विशंभर नाथ कहते हैं वास्तव में मैं बहुत ज्यादा शुक्रिया अदा करना चाहता हूं उस अघोरी का जिसकी वजह से मेरी जिंदगी बदल गई है । और अब मैं तुम्हें अपने साथ इसलिए ले रहा हूं कि मैं तुम पर पूरी तरह से विश्वास करता हूं । दीनानाथ जी कहते हैं दोस्ती का भरोसा यूं ही नहीं तोड़ा जाता है मैं तुम्हारे लिए अपनी जान भी दे सकता हूं दोस्त ।इस प्रकार दोनों दोस्त फिर घर की तरफ वापस आ जाते हैं । दीनानाथ की कही हुई बात को फिर विशंभर नाथ रात के समय वही प्रयोग करते हैं और वह पोटली जिसमें काली मिर्च बांधकर के जो रात के समय उन्हें घर के दरवाजे के बाहर फेंकने थी फिर वह फेंक देते हैं रात को । हल्का सा एक तूफान आता है जिसकी वजह से उन्होंने पोटली जिस तरफ से की थी । वह दिशा ना हो करके किसी और दिशा में वह पोटली उड़ करके पहुंच जाती है ।
फिर सुबह जब विशंभर नाथ जी उठते हैं पता चलता है की पोटली उत्तर दिशा की ओर काफी दूर चल करके दिखाई पड़ती है । जो रास्ते में पड़ी हुई थी अब अपने दोस्त दीनानाथ के पास जाते हैं और कहते हैं कि मुझे यह स्थान पता लगा है जहां पर वह पोटली उड़ती हुई रात को तूफान की वजह से पहुंच गई । दीनानाथ कहता है कि हमें उसी और जाना होगा मुझे लगता है कि १०० परसेंट हमें कुछ ना कुछ उस तरफ जरूर मिलेगा । ऐसा कहकर के विशंभर नाथ जी दीनानाथ को साथ ले लेते हैं और उस और बढ़ने लगते हैं । फिर कुछ दूर जाने के बाद उन्हें शक होता है कि इधर तो शमशान पड़ता है तो फिर उस शमशान की ओर बढ़ते चले जाते हैं । क्योंकि वह उत्तर दिशा में था अधिकतर श्मशान 10 विशा में होते हैं लेकिन यह शमशान बहुत पुराना था । और पहले जो श्मशान बना हुआ था यह पुराना वाला श्मशान बना हुआ था नया वाला शमशान दूसरी जगह बनाया हुआ था ।तो इस पुराने श्मशान में अधिकतर कभी कभी कबार जो है अघोरी या विशेष प्रकार तांत्रिक देखे जाते थे । दीनानाथ ने कहा मुझे लगता है कि मेरा शक बिल्कुल सही है । और इसी और हमें कुछ ना कुछ देखने को मिलेगा ।
दीनानाथ और दिसंबर दोनों 5 या 7 किलोमीटर का सफर कर चुके थे एक घने स्थान पर पहुंचते हैं जहां चारों तरफ बबूल के पेड़ लगे हुए थे । बबूल के पेड़ के नीचे बैठा हुआ एक व्यक्ति साधना सा कर रहा लगता है उसको देख कर के विशंभर नाथ और दीनानाथ एक दूसरे को देखते हैं । और सोचते हैं जरूर कुछ ना कुछ विशेष तरह का राज इसमें है । वह उसकी ओर बढ़ते हैं और चुपचाप खड़े होकर के उसे देखते रहते हैं थोड़ी देर बाद उसकी पूजा संपन्न हो जाती है । और वह अपने लोटे से पानी बबूल के पेड़ में डालता है और उठ कर खड़ा हो जाता है लंबी लंबी सांसे लेता है और अपना जो भी उसे जो भी उसे भोजन मिला था हल्का सा ले करके उसे अपने हाथ में खाने लगता है । जब भी विशंभर नाथ देखते हैं वह अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गया है तो फिर उसके पास पहुंच जाते हैं । और वह उस बाबा को प्रणाम करके कहते हैं कि बाबा आप मुझे कुछ राज की बातें बता सकते हैं । फिर वह पूछता है कि हां क्या बात है तो वह कहता है कि मुझे एक लाल कपड़ा मिला है वह कपड़ा किसी अघोरी बाबा का है क्या कोई ऐसा तंत्र या ऐसी विद्या जानते हैं जिसकी वजह से उस लाल कपड़े से बाबा तक पहुंचा जा सकता है ।
फिर वह तांत्रिक बना व्यक्ति जो अघोरी के जैसा ही लग रहा था हंसने लगता है और कहता है आपको जरूर हमारे गुरु मिले होंगे वह ऐसे ही चमत्कार दिखाते हैं । क्षणों में किसी भी आदमी को करोड़पति बना देते हैं लेकिन सच्चा करोड़पति वही है जो उनसे विद्या ले पाए इस पर विशंभर नाथ और दीनानाथ एक दूसरे को देखते हैं और पूछते हैं । आपके कहने का हम अर्थ नहीं समझे हैं फिर वह अघोरी बोलता है कि चलो तुम थोड़ी दूर हमारे साथ । बातचीत करते करते तुम्हें कुछ बातें बताता हूं फिर विशंभर नाथ और दीनानाथ उनके साथ चलने लगते हैं । और वह अघोरी व्यक्ति बोलता है कि जिन्हें आपने देखा वह एक सिद्ध पुरुष है और वह बहुत बड़े अघोरी है अघोर विद्या में उनकी बराबरी कोई नहीं करता । जो उनकी शक्तियां उनके पास है सब शक्तियां उनकी गुलाम सी बनी रहती है वह कभी-कभार ही कहीं कहीं नजर आते हैं । मजे की बात यह है क्योंकि कभी भी किसी की जिंदगी में प्रवेश कर जाते हैं और उसे अगर वह उनको समझ में आया तो बहुत कुछ उन्हें दे देते हैं । औघढ़ दानी है । वह विशंभर नाथ दीनानाथ कहते हैं कि हां यह बात सच है ।
विशंभर नाथ बोलते हैं कि उन्होंने मुझे कुछ चमत्कार दिखा दिया है जैसे कुछ भी करके आप मुझे उनका पता बताइए । तो वह अघोरी बोलता है कि मैं खुद उनका पता नहीं लगा सकता तो भला आप लोग कैसे पता लगाएंगे । हम लोगों में इतनी माया शक्ति मौजूद नहीं है लेकिन फिर भी अगर आप लोग मेरा एक काम करें शायद मैं आपकी मदद कर सकूं । तो फिर विशंभर नाथ और दीनानाथ कहते हैं कि हां आप जो भी बोलेंगे हम करेंगे तो । वह अघोरी बोलता है कि मेरी एक तांत्रिक क्रिया है किसी को कोई सहयोगी ना होने के कारण मैं हमेशा उस क्रिया असफल हो जाता हूं । आप मेरी उसमें सहायता कर दीजिए अगर वह शक्ति सिद्ध हो गई तो मैं आपको उस शक्ति से पूछ कर के जरूर उस गुरु का पता बता दूंगा । विशंभर नाथ और दीनानाथ कहते हैं कि ऐसी कौन सी सिद्धि आप कर रहे हैं फिर वह अघोरी कहता है कि यह सब बातें बताई नहीं जाती है । लेकिन आप लोग मेरी सहायता कर देंगे तो निश्चित रूप से मैं आप लोगों की मदद जरूर कर दूंगा । यह मैं आप लोगों को वचन देता हूं ।विशंभर नाथ ने कहा ठीक है हमें कब और क्या करना होगा वह अघोरी कहता है कि यहां से कुछ ही दूर पर एक विशाल पीपल का पेड़ है मैं उसी जगह पर रहता हूं और बैठा रहता हूं और उसी जगह पर साधना भी करता हूं जो कि शमशान से थोड़ा सा लगभग सो कदम की दूरी पर ही है ।
इसलिए वह जगह मैं अपनी साधना भी किया करता हूं तो मैं अमावस की रात को वहां पर एक साधना करूंगा । आप लोग वहां पर आ जाइएगा । और जो जो मैं कहूं वह वह आप लोग करते रहिएगा विशंभर नाथ कहते हैं कि ठीक है मैं चमत्कार देख चुका हूं । और सच में अघोरीयो में शक्ति होती है आंखों ही आंखों में दीनानाथ को हां कहते हैं और दीनानाथ भी उनकी हां में हां भर देता है । इस प्रकार से विशंभर नाथ और दीनानाथ दोनों घर लौट आते हैं और अमावस की रात की प्रतीक्षा करते हैं । इस बात की वह तैयारी करने लगते हैं जब भी अमावस की रात आएगी हम उस अघोरी के पास जाएंगे । और जो भी वह कार्य सोपेगा हमको वह कार्य करना होगा और हम करेंगे । इसी तरह से कई रातें बीत गई और वह अमावस का दिन आ गया । जैसे ही शाम हुई विशंभर नाथ और दीनानाथ दोनों लोग अपने-अपने घरों से निकल लिए और साथ में उन्होंने मशाले और कुछ मिट्टी का तेल भी ले लिया । ताकि रात्रि अगर ज्यादा हो जाए तो हम लोग मशाले जला कर वापस आ जाएंगे कि वह समय भयभीत करता था । हर क्षेत्र में रात को लोग निकलना पसंद नहीं करते थे बहुत सी ऐसी बुरी शक्तियां होती थी ।
वह शरीरों पर कब्जा कर लेती थी । या कोई गलत घटना ना हो जाए । कोई डाकू किसी को लूट ना ले उस समय डाकू लोग भी हुआ करते थे । इस वजह से विशंभर नाथ और दीनानाथ ने अपने साथ मशाले भी रख ली थी दो-तीन चाकू भी रख लिए थे अपनी सुरक्षा के लिए । कुछ भोजन का सामान भी वह अपने साथ लेकर गए वह सब सामान उन्होंने अपनी पोटलीयो में रख लिया था । धीरे-धीरे करते हुए वह दोनों गांव से बाहर निकलते हुए उसके स्थान पर पहुंचे । शमशान के बिल्कुल नजदीक था और उस स्थान पर पहुंच कर उन्होंने उस अघोरी को देखा अघोरी शराब बकरे का मांस वगैरा लिए बैठा हुआ था । विशंभर नाथ और दीनानाथ उसे देख कर चौक गए थे विशंभर नाथ ने कहा क्या तुम यूं ही कोई तांत्रिक क्रिया करने वाले हो या कोई सिद्धि के लिए । फिर अघोरी ने कहा हां मैं बहुत बड़ी तांत्रिक विद्या करने वाला हूं मैं ऐसी शक्ति को पैदा करूंगा जो सब कुछ करने में मेरे लिए समर्थ होगी । अब कुछ ना कुछ हमें उसके लिए करना ही होगा मेरी काफी दिनों की साधना पूरी हो चुकी है । और यह आखरी अमावस है मेरी ।अमावस को यह सिद्धि मुझे मिल जाएगी अगर आप लोगों ने मेरा अच्छा सा सहयोग किया । इस पर उन्होंने कहा हमें क्या करना होगा । उसने कहा कि आप दोनों ऐसा करना जब मैं मंत्र बोलता जाऊं ।
शराब और बकरे का मांस डालते रहना और आखिरी समय में आप लोगों को एक विशेष क्रिया करनी है । तो उन्होंने पूछा कि कौन सी विशेष क्रिया करनी है हमें । तो वह कहने लगे कि आप में से किसी एक को अपना वीर्य उस अग्निकुंड में डालना होगा और दूसरे को अपना रक्त डालना होगा । आप दोनों में एक निर्धारित कर लीजिए कि इसमें से ऐसा कौन करेगा विशंभर नाथ ने कहा की मैं अपना रक्त डालूंगा क्योंकि मैंने चमत्कार देखा है ।दीनानाथ अपने शरीर कटने से बचना चाहते थे इसलिए दीनानाथ ने कहा ठीक है अगर आप ऐसा कह रहे हैं यह सुनने में तो बड़ा ही अजीब लगता है । लेकिन फिर भी मैं अपना वीर्य इसमें डाल दूंगा । इसलिए अजीब सी शर्तों को देखकर अघोरी हंसने लगा । और अघोरी ने कहा कि अवश्य ही तुम दोनों सफल होंगे । इस प्रकार रात के अंधेरे में बहुत ही तेज हवाएं चलने लगी और वह अघोरी अपनी साधना को करता रहा । भीषण हवाएं चारों तरफ चल रही थी विशंभर नाथ और दीनानाथ इस क्रिया को करते हुए डर रहे थे । उन्हें पहली बार एहसास हो रहा था कि तांत्रिक क्रिया कितनी खतरनाक होती है रात घनघोर होती चली जा रही थी । 12 से 1 के बीच का समय रहा होगा अचानक से बिजली कड़की और एक बिजली सी चीज हवन कुंड में गिर गई । जहां पर उन्होंने लकड़ियों का हवन कुंड बनाया हुआ था काफी विशालकाय हवन कुंड था ।
और लकड़ी सुबह तक जलते हुए भी खत्म होने वाली नहीं थी । क्योंकि उसकी लंबाई चौड़ाई काफी ज्यादा थी । विशंभर नाथ और दीनानाथ उसमें मटन और शराब डालते जा रहे थे ।जैसे-जैसे अघोरी मंत्र बोलता वह दोनों किनारे बैठ कर उस हवन कुंड में शराब और मटन डालते जाते अघोरी थोड़ी ही देर बाद चिल्लाने लगा । उसने कहा वह आ गई वह आ गई विशंभर नाथ और दीनानाथ दोनों चौक गए । क्योंकि उन दोनों को कुछ नजर नहीं आ रहा था अघोरी ने कहा सुनो मैंने तुमसे जो कहा था । वह सब करने का समय आ चुका है आखरी आहुति के रूप में मुझे एक का रक्त और एक का वीर्य चाहिए । विशंभर नाथ ने तुरंत ही अपनी उंगली को चीरा लगा दिया और खून उस हवन कुंड में गिराने लगे ।दीनानाथ से तुरंत सुरक्षा से ही अपने वीर्य का उत्पादन किया और उसे एक कटोरे में गिरा कर फिर उस कटोरे को उन्होंने सीधा-सीधा उस कुंड में समर्पित कर दिया । इसी समय भयानक आवाजें आई मैं जो बोली वह सुनो और गलत जवाब दिया तो मैं मार दूंगी मैं जो बोली वह सुनो और गलत जवाब दिया तो मैं मार दूंगी । दो बार इस तरह से आवाज आई विशंभर नाथ और दीनानाथ दोनों डर के मारे कांपने लगे ।
अघोरी ने कहा जो तेरी इच्छा हो वह पूछ उसने कहा मैं किसकी पत्नी मैं किसकी मां मैं किसकी सिद्धि । अघोरी ने कहा मैं यहां सिद्धि करने के लिए बैठा हुआ हूं इसलिए तू मेरी सिद्धि है । और अघोरी ने इशारा विशंभर नाथ और दीनानाथ की तरफ किया विशंभर नाथ कुछ बोल नहीं पाया दीनानाथ ने भी कुछ जवाब नहीं दिया । तो उस को चुड़ैल गुस्सा आ गई उसने कहा मैंने तुमसे कहा था जवाब नहीं दोगे तो मार डालूंगी । लेकिन सबसे पहले मैं इन दोनों को नहीं तुझको मारुंगी क्योंकि तूने मुझे कुछ नहीं दिया और सिद्धि चाहता है तू । अघोरी ने कहा नहीं यह दोनों बोलेंगे जल्दी से जल्दी दोनों बोलेंगे । अघोरी ने एक बार फिर से कहा विशंभर नाथ दीनानाथ बोलो जल्दी दोनों को कुछ समझ में नहीं आया और वह दोनों इस बात से घबरा ही गए थे । तभी एक श्मशान में काले रंग का धुआं उन्होंने देखा । वह धुआ बहुत तेजी के साथ दीनानाथ और विशंभर नाथ से टकराया ।
जैसे ही दोनों से टकराया दोनों वहां से भाग लिए । अघोरी चिल्लाने लगा भागो नहीं तुम तो मरोगे और मुझे भी मरवाओगे । लेकिन विशंभर नाथ और दीनानाथ वहां से भागते हुए जंगल से अपने गांव की ओर बहुत ही तेजी से भागने लगे । अघोरी चिल्लाने लगा मुझे मत मारो मुझे मत मारो और एक भयंकर सा वातावरण वहां हो गया । सुबह-सुबह गांव के लोग वहां पहुंचे तब उन्होंने अघोरी के सिर को गायब पाया । सिर्फ और सिर्फ उसका धड़ वहां पूजा करता हुआ दिखा । यानी कि उसका सर गायब था विशंभर नाथ और दीनानाथ भी साथ में थे । दोनों ने एक दूसरे की और देखा और आश्चर्य से चकित हो गए । उन्होंने कहा हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई है हमें यहां से भागना नहीं चाहिए था । यह साधना में बहुत बड़ी गलती हो गई है हमारी वजह से अघोरी मारा गया है । अब क्या हो सकता है कुछ भी नहीं । फिर उन्होंने और गांव वालों से मिलकर अघोरी की लाश को अंतिम क्रिया को संपन्न किया । घर आने पर विशंभर नाथ घर में सोच ही रहे थे । रात्रि के समय तभी अचानक से उन्होंने अपनी छाती के ऊपर किसी को बैठे हुए महसूस किया । इधर दीनानाथ अपने बिस्तर पर सो रहे थे और उनको ऐसा लगा कोई नाखूनों से उनके शरीर को अपनी नाखूनों की रगड़ दे रहा है । पूरे शरीर में उनके रगड़ महसूस हुई यह सब क्या था । हम जानेंगे भाग 3 में । धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो ।