साधकों के प्रश्न और उत्तर बहुत जरूरी जानकारी 77
१. गुरुजी ज्यादातर साधनाओं में कहा जाता है कि इतना जाप करें और दशांश हवन करें, तो सवाल ये है कि जाप न करके अगर पूरा हवन ही किया जाए तो क्या सिद्धि मिलेगी, या क्या होगा?
उत्तर :- देखिये जब हम मंत्र जाप करते है तो हम अपने आप को समर्पित करते है उस शक्ति के प्रति और जो हमारे अंदर ब्रह्माण्ड है वो जागृत होने की अवस्था प्राप्त कर लेता है | मंत्र की कम्पन ब्रह्माण्ड में भिखरते हुए साधक के समग्र चेतना पर भी उसका प्रभाव छोड़ती है, मंत्र ध्वनि शरीर स्थित स्थूल और शुक्ष्म शरीर पर भी अपना प्रभाव डालती है और साथ में शरीर में स्थित समस्त नदियों और चक्रो को भी प्रभावित करती है जिससे वो सब जागृत होने की अवस्था में आने लगते है, इसलिए मंत्रो का विशेष महत्त्व रहा है |
प्राचीन काल से ही ऐसा नियम रहा है की अग्नि जो है वो साक्षी होती है और अग्नि के माध्यम से जो भी हवन किया जाता है उसमे जो कुछ भी चढ़ाया जाता है वो अग्नि के माध्यम से उन देवती देवता को प्राप्त होता है | जिसके माध्यम से देवताओ की शक्तिया भी बढ़ती है और उसी शक्ति के माध्यम से साधक से सारे कार्य सिद्ध भी होते है इसलिए हवन करना महत्पूर्ण माना जाता है | अगर किसी कारण आप हवन नहीं कर पाए तो उस मंत्र की दुगनी संख्या में मंत्र जाप करने का विधान है लेकिन तंत्र साधनाओ में हवन करना अनिवार्य है |
२. किसी साधना के लिए मंत्र जाप की संख्या को गिनना जरूरी है क्या? क्या समय तय करके नहीं कर सकते, जैसे रोज 6 घंटे या रोज 8 घंटे या यथासंभव। जैसे पहले जमाने में ऋषि मुनि कठोर तप करते थे।
उत्तर :- देखिये तांत्रिक साधना में ऐसा विधान होता है की आपको नित्य एक निश्चित संख्या में मंत्र जाप करना है क्युकी केवल मंत्र जाप कर देना ही सब कुछ नहीं होता| जब तक मंत्र की पद्धति, उसकी क्रिया उस मंत्र के साथ नहीं जुड़ेगी तब तक सफलता प्राप्त नहीं होती है इसलिए जिस मंत्र की जिस प्रकार क्रिया पद्धति बताई जाती है उसके अनुसार ही करना चाहिए | वैदिक मंत्र में ऐसा नियम होता है की आपको एक निश्चित संख्या में मंत्रो का जाप करना है और निश्चित समय में ही साधना सम्पन करना है | इस प्रकार से शक्तिया भी बहुत अधिक उत्पन होती है लेकिन समय अधिक लग जाता है और इस प्रकार की साधना में किसी प्रकार का खतरा भी नहीं होता है |
३. अप्सरा साधना में कौन सी माला का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर :- अप्सरा साधना में अधिकतर सफ़ेद हकीक या स्फटिक माला का प्रयोग करने से साधना में ज्यादा अनुकूलता प्राप्त होती है |