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दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 1

दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 1

नमस्कार दोस्तों रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि मैं हमेशा आपके लिए अनसुनी कहानियां और मठो की जितनी भी मंदिर और मठ हमारे देश में स्थापित हुए हैं । उनकी हजारों साल पुरानी जो भी उनकी किवदंतीया हैं कहानियां हैं वह जो एक दूसरे के मुंह से लोगों ने सुनी हैं । उनके बारे में कथाएं लेकर आता रहता हूं । तो इसी संदर्भ में मैं आज आपके लिए दिल्ली के कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर वहां पर जब कभी किसी जमाने में एक मठ का निर्माण हुआ था । वहां पर भी पूजा-पाठ और बहुत ही साधना लोग किया करते थे । वही की एक अनसुनी कथा मैं आपको बताने जा रहा हूं । यह भाग 1 है और आगे भी भाग आप पढ़ते रहेंगे । जैसा कि भाग-2 भाग-3 इस तरह से । तो इसमें जो व्यक्ति हैं उनका नाम था सेवाराम उन्होंने यहां पर हनुमान जी की साधना की थी । और यह स्थान प्रसिद्ध है तो आज सबसे पहले हम यह जानेंगे कि स्थान है कहां पर और साथ ही साथ इसका क्या महत्व रहा है इतिहास में । और इसकी जो है कहानी क्या है वह भी जानने की कोशिश करते हैं । चलिए शुरू करते हैं कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ की अनसुनी कथा भाग एक  । जैसे कि हमारे देश में आप जानते हैं कि प्राचीन मंदिर अगर उनके बारे में बात की जाए तो उसमें दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध स्थान है कनॉट प्लेस वहां पर एक हनुमान जी का मंदिर है । जो बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है और काफी मान्यता है ।

यहां पर और यहां पर जो मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमान जी की मूर्ति है वह स्वयंभू है । स्वयंभू का अर्थ होता है जो खुद से उत्पन्न हुई हो कोई ला करके ना प्रतिस्थापित वगैरा ना किया गया हो । स्वयं भगवान हनुमान जी की वहां पर प्रतिष्ठित हुई थी । तो यह कहानी और यह जो स्थिति है वह कैसे हुई क्योंकि प्राचीन समय में जो हमारा दिल्ली था यह इंद्रप्रस्थ होता था । इंद्रप्रस्थ वह स्थान था जहां पर कौरव पांडव रहा करते थे । तो पांडवों ने ही यहां पर पांच हनुमान मंदिरों को प्रतिष्ठित किया था । यानी कि पांच मंदिर यहां पर बनवाए गए थे । उन्हीं पांच  मंदिरों में से यह एक मंदिर माना जाता है यह इस तरह से समझा जाता है इस चीज कोऔर बाद में जो है आगे समय आया तो आमेर जयपुर के जो महाराजा थे । के तत्कालीन उनका नाम मान सिंह और जय सिंह द्वितीय थे । यह अकबर के समय की बाते है उसके बाद का समय या मुगलों की काल की बातें हैं । तब इन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था । यही नहीं यहां यह स्थान इसलिए भी बहुत ज्यादा है । हनुमान जी की प्रसिद्धि के लिए क्योंकि यहां पर ही सबसे ज्यादा सुनने में बहुत ही आनंदित करने वाली एक रचना है जिसका नाम में हनुमान चालीसा । वो हनुमान चालीसा की रचना भी इसी जगह पर हुई थी । और क्योंकि इंद्रप्रस्थ नगर जो है वह यमुना नदी के किनारे पर स्थित है ।

और पांडवों के समय में यानी की जब महाभारत का समय था उस वक्त इसको बसाया गया था । तब कौरव हस्तिनापुर में ही राज किया करते थे । और कुरु वंश की यहां पर परंपरा थी और जो हमारे धार्मिक ग्रंथ हैं । उनके आधार पे पांडवों में जो द्वितीय भीम को जो है हनुमान जी का भाई माना जाता है । यानी कि भीम जी जो थे वायु पुत्र वायु शक्ति के प्रतीक थे । और हनुमान जी भी वायु शक्ति के प्रतीक है तो वायु पुत्र ही दोनों कहे जाते थे । इसलिए जो है दोनों को भाई भाई माना जाता था । और हनुमान जी ने तो परीक्षा भी ली थी भीम की इस संबंध में । तो यहां पर जो पांच मंदिर थे । उसी आधार पर इस मंदिर का निर्माण हुआ था । यहां पर जो भक्ति काल था हमारे देश में उस वक्त तुलसीदास जी दिल्ली की यात्रा पर आए थे । तब उन्होंने इस मंदिर के दर्शन किए थे । और इसी स्थान पर सोचिए कि सबसे प्रसिद्ध रचना जो आज सुनने में अति उत्तम और सर्वोत्तम है । वो है हनुमान चालीसा उसकी रचना यहां पर उन्होंने की थी । तो यहां पर मुगल सम्राट ने उन्हें अपने दरबार में चमत्कार दिखाने का निवेदन भी किया था । उनसे कहा था कि अगर आप में दम है आपकी पूजा भक्ति में दम है और आप राम और हनुमान जी को मानते हो अगर यह सब चीजें सच है । तो कोई चमत्कार दिखाइए । तो तुलसीदास जी ने यहां पर हनुमान जी की कृपा से सम्राट को संतुष्ट कर दिया था ।

और उन्हें चमत्कार दिखाया था । तो सम्राट ने ही प्रसन्न होकर इस मंदिर के शिखर पर इस्लामी चंद्रमा सहित जो इस्लामी चंद्रमा बना हुआ है उसके सहित गिट कलश को यहां पर समर्पित किया था । इसी कारण से अनेक मुस्लिम आक्रमणों के बावजूद भी किसी भी मुस्लिम आक्रमणकारी ने इस इस्लामी चंद्रमा का मान रखते हुए कभी भी इस मंदिर पर हमला नहीं किया । तो यह बहुत ही ज्यादा स्पेशल बात है कि एक ऐसा मंदिर जिसको स्वयं मुसलमानों ने पूरी तवज्जो दी । और उसको अपनी ही शरण में ले लिया तो यह एक ऐसा मंदिर है । इसलिए यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है और इसकी हनुमान चालीसा की शक्ति समझिए । हनुमान जी की शक्ति समझिए । कि उनको भी अपने साथ उन्होंने शामिल कर लिया । तो यहां की जो गर्भ ग्रंथ दीवार है । वहा हनुमान जी के साथ बहुत से देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हुई हैं । और जो आमवेद के राजा मानसिंह थे । जिनके बारे में मेंने अभी बताया मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में उन्होंने इसका विस्तार किया था । इसी प्रकार जयसिंह द्वितीय जो थे । जब जंतर मंतर का वह निर्माण कर रहे थे तभी उन्होंने इस मंदिर की इमारत को और भी ज्यादा सुधारा था  उसको बनाया था । और यह दोनों निकट ही स्थित है । और धीरे धीरे इस मंदिर में अब बदलाव भी आते रहे है । जो सबसे बड़ी जो विशेषता है कि यहां पर श्री राम जय राम जय जय राम मंत्र का सबसे लंबा चलता रहा है । तो यह सबसे बड़ी जो है विशेष स्थिति सबसे बड़ी बात है ।

यानी कि यहां पर 24 घंटे अटूट जाप चलता है यह जाप है श्री राम जय राम जय जय राम मंत्र यही है । यहां पर इससे पहले भी जो है लोगों ने पूछा था कि यह मंत्र शब्द है और उसके बारे में आपने बताया नहीं । तो उसमें मैंने यह कहा था कि इसमें श्री बीज लगा हुआ तो यह श्री शब्द आगे जब राम जय राम जय जय राम होता है । तब यह पूर्ण तेराह अक्षर का मंत्र बन जाता है । और काफी जो है विदेश से मेरे पास इस तरह से ईमेल आए थे । तो इस संबंध में बताने के लिए तो बहुत ही दुर्लभ और बहुत ही शुद्ध मंत्र है । श्री बीज का यह मंत्र है श्री शक्ति को यह समर्पित है । साथ ही साथ भगवान राम की इसमें जय जयकार हो रही यह मंत्र भगवान राम को पूरी तरह से समर्पित किया गया है । बीज मंत्र के हिसाब से बहुत ही शक्तिशाली बीज मंत्र है । और स्वयं बहुत ही बड़े संत थे उनके द्वारा रचित मंत्र है उसको जपा जाता है । और अपने आप पूरे विश्व में प्रसिद्ध है । और यहां कहते हैं कि 1 अगस्त 1964 के समय से लगभग लगातार यह मंत्र का जाप अनवरत चल रहा है । मतलब बंद नहीं किया गया है और विश्व का सबसे लंबा जाप इसे कहा जाता है । इसकी रिकॉर्डिंग जो है गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल की गई । यानि कि श्री राम जय राम जय जय राम इस मंत्र को लगातार पढ़ते रहने से जो है निश्चित रूप से भगवान रामचंद्र की पूरी कृपा आपको प्राप्त होती है । और इस मंत्र की शक्ति से आप हनुमान जी की कृपा साथ ही साथ प्राप्त करते हैं । तो यह एक विशेष बात है यहां की । तो यह कनाट प्लेस में जो हनुमान जी का मंदिर है यहां पर एक दूसरी सबसे विशेष बात जो है वह यह है कि यहां पर फूलों का बाजार बहुत बड़ा सा लगा हुआ है । 15 सालों से फूलों का बाजार यहां पर लगता आया है । और अब कहते हैं कि यहां पर करोड़ों अरबो रुपयो का निर्यात हो रहा है फूलों का ।

तो लगभग कहते हैं कि 649 करोड़ और उसके बाद 290 करोड पिछले साल का यहां से और केवल दिल्ली से लगभग 100 करोड का निर्यात यहां से फूलों का हुआ है । तो यह बहुत ही सुंदर बात है और इसकी वजह से जो है अद्भुत चमत्कार हमको देखने को मिलता है की कितनी प्रकार से भगवान रामचंद्र में लोगों की आस्था है । और लगातार इसकी प्रसिद्धि लगातार फैलती चली जा रही है तो यह था । इस मंदिर की विशेषता जिसको आपको जानकर बड़ी खुशी हुई होगी । अब यहां कि हम बात करेंगे सेवाराम जी की । हनुमान जी की साधना के बारे में । और साथ ही जानेंगे इस दुर्लभ कहानी को और आनंदित होंगे इस कहानी से । तो यह कहानी बहुत ही वर्षों पुरानी है कब की है इस संबंध में कोई ज्ञात नहीं हो पाता है । की किस समय यह कहानी शुरू की गई होगी यह कथा हुई होगी या सेवाराम जी ने किस प्रकार हनुमान जी के यहां पर साधना की होगी । लेकिन इतना आता है कि यह मुगलों से भी पहले और तुर्को से भी पहले की कहानी है । उस समय किसी समय यहां पर हनुमान जी का मठ मंदिर था । और वहां पर हनुमान जी की साधना की जाती थी । क्योंकि हमारे इतिहास में बहुत ज्यादा फेरबदल किया गया उससे बदला गया और उसके बारे में कोई जिक्र नहीं किया था वह चीजों के बारे में तो इस वजह से ऐसी चीज है जो वह छोटी छोटी मोटी कहानियां सब छिप गई । पर इनके नजदीक गांव था वहां पर सेवा राम नाम के व्यक्ति रहा करते थे ।

ऐसी किंवदंती है इस मंदिर में पुजारी जी थे । उनसे हनुमान मंत्र की दीक्षा ली थी । असल में बात यह थी कि सेवाराम जी अपने कार्यों से बहुत ही कुछ करने की कोशिश करते थे । लेकिन उनके कोई कार्य नहीं बनते थे । उनके कार्यों के ना बनने के कारण उन्हें बहुत ही ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही थी । आर्थिक रूप से बहुत ही अधिक समस्याएं यहां पर उनको आ रही थी । और चूकी यह ऐसा युग था जब वस्तु विनिमय हुआ करता था । यानी कि पैसे रुपयों इतना इस्तेमाल नहीं होता था उस समय जिसे आप कोई चीज चाहिए तो उसके बदले में कोई दूसरी चीज देनी होती थी । तो क्योंकि पैसा तो हर चीज में उपयोग होता है । लेकिन अगर आप कोई चीज किसी से लेना चाहते हैं या किसी को कोई चीज देना चाहते हैं । तो वस्तु विनिमय प्रणाली में अगर उसको वह चीज नहीं चाहिए । तो आप से उसकी बात नहीं बन पाएगी । यानि कहने का मतलब है कि अगर आपके पास गेहूं हो रखा है और आपको किसी से कपड़े धुलवाने के लिए देना है । और उसके पास गेहूं भरा पड़ा हुआ है वह गेहूं क्यों लेने वाला है । तो वह क्यों आपके कपड़े धोएगा । तो इस प्रकार से जो परंपरा थी । वस्तु विनिमय प्रणाली चला करती थी । तो पैसा ना होने के कारण जब पैसा नहीं होते थे । तो उनकी स्थिति धीरे-धीरे करके बिगड़ती चली जा रही थी । तो वह 1 दिन हनुमान मंदिर में आए और राम नाम जपते हुए रोने लगे । उनको देख कर के वहां के जो पंडित जी थे । उन्होंने उन्हें अपने पास बुलाया और कहा क्या समस्या है ।

किस वजह से तुम इतने परेशान हो । तो सेवाराम जी ने कहा कि मेरी आर्थिक स्थिति बहुत बिगड़ी हुई चल रही है । और जल्दी ही मुझे अपनी कन्या का विवाह भी करना है । और इसके लिए काफी धन की आवश्यकता होगी । मेरे पास धन के कोई मार्ग नहीं है । और मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं इसलिए राम नाम की आस में यहां तक आया हूं । और हनुमान जी से प्रार्थना कर रहा हूं कि कुछ वो मेरे लिए करे । तब पंडित जी ने उन्हे कहा की आप मेरी एक बात सुनिए । सबसे पहली बात तो आप ये जान लीजिए कि कुछ भी किए बिना कुछ भी प्राप्त नहीं होता है । इसलिए आपको कुछ करना है । तो सिर्फ प्रार्थना करने से कार्य नहीं बनेगा । प्रार्थना उसकी ही सुनी जाती है जो स्वयं कार्य करता है । तो आपको कार्य करना होगा । इस कार्य को करने के लिए आपको हनुमान जी की अरदास राम चंद्र जी के नाम से लगानी होगी । और इसके लिए मैं आप को गोपनीय मंत्र दूंगा । तो आप इन मंत्रों का जाप कीजिएगा और इस मंत्र के जाप से आपको निश्चित रूप से हनुमान जी की सिद्धि होगी । फिर आप जब जो भी कार्य करेंगे उस कार्य में आपको सफलता धीरे-धीरे मिलती चली जाएगी । और आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाएगी । लेकिन एक बात ध्यान रखिएगा इसके साथ में और भी शक्तियां प्रकट हो सकती हैं । और उनसे आपको डरना भयभीत नहीं होना है । और इस प्रक्रिया को आपको पूरा करना है । इस संबंध में मैं आपको जो भी गोपनीय मार्ग होगा जो अपनी गोपनीय विद्याए होगी किस प्रकार से आपको साधना हनुमान जी की करनी है ।

वह सब निश्चित रूप से आपको जानना होगा । और उसको उसी तरीके से पालन भी करना होगा । तो फिर सेवाराम जी ने कहा पंडित जी मैं तैयार हूं । आप तो यहां हनुमान जी की रोज साधना करते हैं । तो मुझे दुर्लभ मंत्र हनुमान जी का प्रदान कीजिए । तो उनकी बात सुनकर सेवाराम जी को पंडित जी ने गुरु दीक्षा दी और दीक्षा में वह मंत्र प्रदान किया और साथ ही साथ उसकी विधि बताई । उस विधि और उसका नियमावली है उसको जानने के बाद में सेवाराम जी अपने घर को गए । और घर को जाने के बाद में उन्होंने इसी स्थान पर जहां पर हनुमान जी की साधना वह मंदिर में किया करते थे यानी पंडित जी करते थे । उसी स्थान पर रात्रि को पूजा करने के लिए कहा कि । के आपको रात्रि कालीन यहां आकर के पूजा करनी होगी एकांत स्थल पर । मैं जो है यहां से चला जाया करूंगा आप वहां पर अकेले रहा कीजिएगा । और मैं जो मंत्र आपको बताया हूं उसकी आपको कड़ी साधना करनी है । उसके बाद जब आप कोई कार्य करें तो आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी । तो सेवाराम जी ने बिल्कुल पंडित जी की बात उसी तरह मानी और उन्होंने साधना करने के बारे में सोचा । लेकिन सबसे पहले क्योंकि सेवाराम जी को कहा और बताया गया था पंडित जी के द्वारा । की सबसे पहले रामचंद्र जी की साधना जरूर थोड़ी सी कर लीजिए ।

भगवान शिव की साधना जरूर कर लीजिए । इसके बाद हनुमान जी की साधना कीजिए । ताकि आपको निश्चित रूप से सफलता हासिल हो । और उनकी कृपा से हनुमान जी को भी आना पड़ेगा । वरना हनुमान जी इतनी आसानी से नहीं आएंगे । और आपकी बहुत ही कड़ी परीक्षा ले लेंगे । तो इस प्रकार से इनके कहने पर सेवाराम जी ने सबसे पहले उन्होंने भगवान शिव की आराधना शुरू की । और भगवान शिव के मंत्रों का ओम नमः शिवाय मंत्र का उन्होंने रोज 5000 की संख्या में 7 दिन तक जाप किया  । और उसके बाद उनका हवन किया । इसके बाद अब उन्होंने रामचंद्र की साधना शुरू की । ॐ रम रामाय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्होंने एक लक्ष्य जाप यानी कि एक लाख जप को संपन्न किया । और उसके बाद फिर रामचंद्र जी के हवन को किया । और वहां पर हनुमान जी को उनके चरणों में बिठा कर के और रामचंद्र जी की बड़ी सी प्रतिमा स्थापित की । और उस स्थान पर उन्होंने बैठकर के हवन किया और यह दोनों ही क्रिया सहजता से संपन्न हो गई । अब उन्होंने जाकर के पंडित जी से कहा कि मेरी यह यह प्रक्रिया कंप्लीट हो चुकी है ।

मैं यह संपन्न कर चुका हूं अब मुझे आज्ञा दीजिए । और इस कार्य हेतु मुझे आशीर्वाद वगैरा प्रदान कीजिए । तो सेवाराम जी की प्रार्थना पर पंडित जी ने कहा ठीक है आज से आप अगले मंगलवार का दिन होगा उस दिन से आपको हनुमान जी की साधना शुरू करनी होगी । और सबसे पहले जाकर के हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कीजिए वहां पर मूर्ति रख दीजिए । और जो मूर्ति होगी वह लड्डूओ की बनी होगी और याद रखिएगा कि आप जब साधना शुरू करेंगे तब तक हनुमान जी की मूर्ति हटनी नहीं चाहिए । तो उन्होंने उसी स्थान पर लड्डू से जो है हनुमान जी की मूर्ति बना दी । लेकिन कमाल हो गया उस रात में जैसे उन्होंने हनुमान जी की मूर्ति लड्डू से बनाई इतने सारे बंदर आ गए और सारा वह लड्डू चट कर गए । और हनुमान जी की मूर्ति वहां से गायब हो गई । तो ऐसे करने से जैसे ही मंगलवार का दिन सुबह शुरू हुआ सेवाराम जी घबरा गए । और उन्होंने जाकर पंडित जी के पास जाकर कहा कि वह हनुमान जी की मूर्ति तो गायब हो गई है । तो सेवाराम जी ने कहा वह तो होना ही था । परीक्षा का पहला चरण आपको मिल गया है । आपको इससे जो है लड़ना होगा । मैं आपको इसके संबंध में मार्ग बताऊंगा । तो वह मार्ग क्या था हम लोग जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 2

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