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कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष भाग 3

कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि हमारी कैलाश मंदिर एलोरा की कहानी चल ही रही है यह भाग 3 है । इसमें अभी तक आपने जाना है कि किस प्रकार से एक तांत्रिक व्यक्ति जो है अपनी साधना को करना चाह रहा है । अपनी साधना में वह सफल भी हो रहा था लेकिन अचानक से गलती होती है ।और नागिन का पति मर जाता है उस नागिन ने बदला लेने की पूरी ठानी ली और भद्रा तांत्रिक को उसकी साधना में एक बाधा बन के उपस्थित हो गई । और वह कुएं में गिर के अपने आप को सहानुभूति पूर्वक उसके पास लाने की कोशिश करने लगी और इस प्रकार जब उसे भद्रा अपने पास ले आया । तब उसने अपना मायाजाल रचा लेकिन भद्रा यह जानने की कोशिश करता है कि यह कौन है और इसका क्या अतीत है । भद्रा अपनी तंत्र शक्ति का प्रयोग कर रहा होता है जैसे ही वह अपनी तंत्र शक्ति का प्रयोग करने की कोशिश करता है उसी समय वह उसे पकड़ कर रोक लेती हैं और कहती हैं । अब जानते हैं कि आगे क्या हुआ जब उसने उसे रोका और पूछा कि क्या बात है तुमने मुझे क्यों रोक रही हो आखिर क्या कारण है । जो तुम अपने रहस्य को जानने नहीं देना चाहती । भद्रा ने उससे कहा तब वह नागिन दुखी स्वर में रोते हुए बोली गलती मेरी है मैं नहीं चाहती कि मैं आपकी नजरों में और भी अधिक गिर जाऊं ।भद्रा ने पूछा क्या बात है आप खुलकर के सारी जितनी भी कहानी है विस्तार पूर्वक मुझे सुनाइए । मैं जो भी आपकी सहायता होगी अवश्य ही करूंगा ।

तब वह कहने लगी पहले आप मुझे वचन दीजिए कि आप मुझे अपने घर से नहीं निकालेंगे और मेरी जो भी समस्या होगी उसको ध्यान पूर्वक सुनकर उसका निश्चित रूप से कोई ना कोई हल निकालेंगे । उसकी बात को सुन कर भद्रा ने कहा ठीक है मैं आपको वचन देता हूं मैं आपको घर से नहीं निकाल लूंगा तो बताइए क्या बात है । वो कहती हैं मैं एक व्यापारिक की लड़की हूं हमारे ही घर में कार्य करने वाले एक लड़के से मेरा प्रेम प्रसंग हो गया था मैं उसे बहुत ही अधिक पसंद करने लगी । लेकिन घरवालों को इस संबंध में कुछ भी अच्छा नहीं लगा वह क्रोधित हो गए इस पर वह उसे जान से मारने की धमकी देने लगे और घर से और काम से भी निकालने की कुचेष्टा करने लगे । लेकिन मैं उसे प्रेम करने लगी थी इस वजह से मैंने उसके साथ भागने का निर्णय लिया । पता नहीं प्रेम क्यों अंधा होता है और वास्तविकता नहीं जानता है जब मैं उसके साथ भागने को तैयार हुई तो उसने कहा जितने भी गहने और सोने-चांदी की सामग्री वह सब ले लो । वैसे भी शादी विवाह पर तुम्हें यह सब मिलना ही था मैंने सोचा चलो ठीक है मैंने अपने घर में रखे हुए सारे वस्त्र और आभूषण ले लिए । और मैं उन्हें लेकर के उसके साथ भागने लगी रात्रि के समय हम लोग इस जंगल में पहुंचे और विश्राम करने के लिए हमने एक मचान पेड़ के ऊपर बनाई ताकि जंगल में रात गुजर सके । और अगले दिन हम पास के ही किसी नगर में जा कर के वहां व्यवस्थित रूप से रहने का कोशिश करने लगे । लेकिन जब मैं सुबह उठी तो आश्चर्य से सराबोर हो गई मुझे पहली बार ऐसा हुआ कि एक व्यक्ति दूसरे को धोखा देते हैं । वह मेरे सारे सोने चांदी के गहने वस्त्र आभूषण सारे लेकर भाग गया था और मुझे यहां अकेला छोड़ गया था । उसका शायद यही उद्देश्य रहा होगा ।

मैं किसी भी प्रकार से अब वापस नहीं जा सकती ना मुझे समाज स्वीकार करेगा ना नहीं मेरा परिवार । मैंने एक बहुत बड़ी गलती कर दी है और यह कहते हुए वह नागिन जोर-जोर से रोने लगी । वह अपना मायाजाल तीव्रता से फैला रही थी । उसकी बात को सुनकर भद्रा बड़ा आश्चर्य चकित रह गया । भद्रा ने कहा मानव इतने बुरे कैसे होने लगे क्या कलयुग का यही असर है और मानव ऐसा करने लगे हैं । भद्रा ने कहा तुम चिंता मत करो तुम मेरे साथ रह सकती हो लेकिन याद रखना मैं जो भी तुम्हें कार्य सोपू उसको बड़ी ही तीव्रता के साथ में और बिना कोई गलती किए ही तुम्हें करना होगा । अगर तुमने इसमें कोई भी किसी भी प्रकार की गलती की तो फिर मैं तुम्हें अपने घर से निकालने को बात्त्ये हो जाऊंगा । भद्रा ने यह सोचा था कि उसको कार्यों को करने में इस कन्या के द्वारा सहायता मिलेगी और उसकी साधना सहजता से संपन्न हो जाएगी ।इसलिए भद्रा तांत्रिक ने उसे अपने पास रखने की आज्ञा प्रदान कर दी । लेकिन वह नागिन तो यही चाहती थी कि किस प्रकार से वह उस भद्रा को मार सके यद्यपि वह भद्रा को छू नहीं सकती थी और भद्रा भी स्वयं तांत्रिक होने के बाद भी पूरी तरह से ब्रह्मचारी था । इस कारण से वह स्वयं भी उसे ना छूने की प्रतिज्ञा लिए हुए था तो इस प्रकार से दोनों साथ रहने लगे । अब नागिन ने सोचा कि किस प्रकार से वह उसका नाश कर सके उसने सोचा सबसे सरल माध्यम है । इसे भोजन में विश देना । उसने शाम को बनाए गए भोजन में एक रात अपना जहर मिला दिया और उसे कहा कि यह भोजन आप करिए । मैंने आज विशेष रूप से सुंदर से सुंदर खीर आपके लिए बनाई है । भद्रा ने कहा ठीक है रख दो मैं सुबह खा लूंगा जिस वक्त मेरी साधना संपन्न हो जाएगी और साधना के दौरान तुम मेरी रक्षा करो । कोई आए तो उसे रोको । और इस प्रकार से किसी प्रकार से मेरे साधना को पूर्ण होने में सहायता प्रदान करो । और मैंने तुम्हारे लिए मेरी बगल में दूसरी कुटिया बना दी है आप उस कुटिया में जाकर के विश्राम कर सकती हो ।

बाकी कार्यों के लिए मैं आपकी सहायता लेता रहूंगा भद्रा की बात सुनकर वह मुस्कुराते हुए दूसरी वाली जो जिस झोपड़ी का निर्माण भद्रा ने उसके लिए करवाया था । उसमें जाकर के रहने लगी भद्रा भी खुश था क्योंकि उसके सारे कार्य संपन्न हो रहे थे । सुबह के समय भद्रा जब साधना करके उठा तो उसे अपने अंदर अजीब सी शक्ति महसूस हो रही थी वह खीर की और बढ़ा लेकिन अचानक से रुक गया । और सोचने लगा कि वह खीर क्यों खाए ऐसा विचार उसके बाद पहली बार आ रहा था । शायद मंत्र साधनाओं का असर होता है तब व्यक्ति स्वयं ही ऐसी बातें सोचने लगता है जो उसके लिए उपयुक्त नहीं होती है । उसने सोचा यह खीर इतनी सुंदरता से बनी हुई है इसे उसे खाना तो चाहिए ।लेकिन क्यों ना इससे पहले किसी ऐसे जीव को दिया जाए जिसकी वजह से वह जीव भी उसकी रसास्वादन को ले सके । क्योंकि बहुत ही सुंदर वह खीर देखने में लग रही थी भद्रा ने वह खीर निकाली और थोड़ी सी खीर पास ही आ रही हिरनी को देने की कोशिश कि । उसने सोचा पहले मैं इसे भोजन करा दूं हल्का सा फिर मैं खाऊंगा । क्योंकि शरीर के लिए भोजन करना हमेशा ही बुरा होता है जीवन में कुछ भी बांटते रहने से वह चीज बढ़ती है । साथ ही साथ आदमी में शुभता की बहुत सारी चीजें भी आने लगती है मन पवित्र होने लगता है । और जीवन में अध्यात्म की ओर तेजी से अग्रसर होता है । भद्रा मंत्र साधना की वजह से शुद्ध होता जा रहा है तो यही शुद्धता आज उसकी जान बचाने वाली थी । उसने वह हिरण को खीर खिला दी जैसे ही हिरण ने खीर खाई वह तुरंत ही गिर पड़ा और तड़पने लगा । उसे देख कर के भद्रा बहुत ज्यादा परेशान हो गया । भद्रा ने कहा अभी इसने खीर खाई और इतनी जल्दी इसके साथ ऐसा क्यों होने लगा क्या मेरी साधना में कोई कमी है ।

मेरी उपासना में कहीं कमी रह गई जिसकी वजह से इस बिचारे जीव को ऐसा भुगतना पड़ रहा है । क्योंकि मैंने अपना भोजन का पहला भाग से दे दिया बहुत ही ज्यादा दुखी होने की वजह से भद्रा ने उस बात की और उसका ध्यान ही नहीं गया की क्या भोजन में कुछ मिला हो सकता है । उसने वह खीर फेंक दी और कहा जो भोजन किसी जीव को संतुष्ट कर ना सके वह भला मुझे क्यों संतुष्ट करेगा । और उसने जाकर के उस हिरनी के मस्तक पर अपना हाथ रखा और अपनी गोपनीय यक्षराज मंत्र जिस मंत्र की वह साधना करता था उस मंत्र का जाप करने लगा । जाप करने के थोड़ी ही देर बाद अचानक से तीव्रतम ऊर्जा उसके शरीर में प्रवाहित हुई और वह ऊर्जा उस हिरण में प्रवेश कर गई । फिर अचानक से उठ बैठा और कुदता हुआ सा उधर से भाग कर चला गया । अब भद्रा सोचने लगा लगता है उसमें शक्तियां आने लगी है उसने अभी अभी मृत प्राय से हो चुके हिरण की जान की रक्षा की है । और अब वह शक्तिशाली होने की तरफ बढ़ रहा है मुस्कुराता हुआ वह फिर से साधना और अगले दिन की तैयारी में जुट गया । थोड़ी देर बाद नागिन अंगड़ाई लेते हुए उठी और सोची अब तक तो भद्रा का काम तमाम हो चुका होगा । वह उसके पास आई और आश्चर्य से उसे देखने लगी । भद्रा को देखकर वह बोलने वाली थी तभी उसने उस खीर को देखा जो समाप्त हो चुकी थी । जिस पात्र में उसने रखी थी वह यह देखकर के आश्चर्यचकित हो गई । उसने सोचा ऐसा कैसे संभव है कि मेरे तीव्रतम जहर से भी यह तांत्रिक बच गया । इसमें भोजन किया लेकिन उसके शरीर पर जहर का कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्या तंत्र मंत्र की साधना की वजह से यह इतना शक्तिशाली होता चला जा रहा है  कि मेरे दिए गए भोजन को भी पचा गया ।

जो पूरी तरह से विशाक था उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । वह यह बार-बार सोचती थी कि उसके ज्यादा जहरीला प्राणी इस पृथ्वी पर नहीं है । फिर उसके जहर का प्रभाव इसके ऊपर क्यों नहीं पड़ा है । नागिन ने सोचा अब लगता है कोई और विधि ही अपनानी होगी मुझे कुछ ऐसा करना होगा जिसकी वजह से इसकी मृत्यु अवश्य ही हो जाए । फिर उसने अपनी एक नई योजना का निर्माण करना शुरू कर दिया उस योजना में उसने अब धीरे-धीरे करके भद्रा के समस्त कार्यों में सहयोग देना आरंभ कर दिया । लकड़िया लाना हवन के लिए भोजन बनाना पानी लाना अन्य अन्य सभी प्रकार की चीजें वह करने लगी । भद्रा को रोकने का एक तरीका उसे समझ में आ चुका था जब भद्रा साधना कर रहा हो अगर उसके मस्तिष्क के बीचो-बीच अगर वह काट ले तो निश्चित रूप से भद्रा मर जाएगा । क्योंकि जीवन ऊर्जा प्राकृतिक के मध्य ही सदैव स्थित रहती है । वह इस तंत्र मार्ग के बहुत सी बातें जानती थी उसने सोचा कि अगर इसे काट ले वहां पर तो निश्चित रूप से भद्रा मारा जाएगा । और उसका बदला पूरा हो जाएगा और यह सोचकर अब वो वहां पर उपस्थित रहने लगी । कि कब वह साधना में बैठेगा भद्रा तांत्रिक साधना में बैठ गया और उसने अपनी चारों तरफ सुरक्षा घेरा भी लगा लिया । लेकिन जब वह सुरक्षा घेरा लगा रहा था तो छोटी सी जगह पर इसने हल्का सा गड्ढा कर दिया था । तो गड्ढे में वह जगह की स्थिति का पानी और उसने चकरी गोला बनाया था । उस जगह पर हल्का सा छेद हो गया था उसने अत्यंत ही सूक्ष्म रूप धारण किया और उससे अंदर वह प्रवेश कर गई । केवल उतनी ही जगह में उतनी ही छोटी अवस्था में वह धीरे-धीरे करके उसके शरीर पर चढ़ने लगी और धीरे-धीरे करके उसकी नाक से ऊपर होते हुए उसके ठीक-भ्रकुटी के बीच में आ गई । और अब काटने की उसने कोशिश करनी शुरू कर दी ।

उसने सोचा अब यहां पर अगर तीव्रतम वेग से वह काटेगी तो जहर के कारण निश्चित रूप से भद्रा तांत्रिक की मृत्यु हो जाएगी । साथ ही साथ उसने गोपनीय नाथद्वारा शक्ति का भी प्रयोग करने की सोची । नाथद्वारा शक्ति ऐसी शक्ति होती है कि अगर कोई इच्छाधारी नाग किसी ऐसी शक्ति को काटता है जिसकी वजह से उसके कारण उसकी मृत्यु हो जाए । तो उसकी जीवन ऊर्जा की और मंत्र की शक्तियां वह प्राप्त कर सकता है । उसने इस विधि का आवाहन किया और नाग शक्ति उसका साथ देने के लिए उसके शरीर में प्रवेश करने लगी और धीरे-धीरे करके 108 नाग शक्तियां उसके शरीर में प्रवेश कर गई । मार्ग सरल था उसे सिर्फ उसके मस्तिष्क के यानी कि भ्रकुटी पर काटना भर था । उसके काटने से उसका सारा तंत्रिए ज्ञान शक्ति साधना सारी की सारी नागिन में आज आने वाली थी नागिन का पहले से ही यह उद्देश्य था । नागिन यह सोचकर हंसने और मुस्कुराने लगी और कहने लगी कि नाग के मारे जाने से उसे इतना फर्क नहीं पड़ता उसे फर्क पड़ रहा था कि वह उसका सारा तंत्र ज्ञान ले सके । यक्ष सेना की शक्तियां भी वह धारण कर सकें सब कुछ वह कर सके । इसलिए उसने जैसे ही मंत्र जाप भद्रा का खत्म हुआ और वह मंत्र जाप की शक्ति थोड़ी सी छीन्न हुई और वह अपनी आंखें खोलने के लिए तैयार हुआ । सामने एक विशालकाय नागिन को देखा नागिन ने तुरंत से बहुत ही तीव्रतम स्वर्ग में उसके ठीक भ्रकुटी के बीच में काट लिया । भद्रा इस वेग को सह नहीं पाया और कुछ भी समझ पाता या कुछ भी अपनी रक्षा सुरक्षा कर पाता उससे पहले ही वह पृथ्वी पर धड़ाम से एक और गिर गया । इस पर नागिन ने मानवीय रूप धारण कर के जोर-जोर से हंसने लगी और धीरे-धीरे करके उसके शरीर के अंदर सारी शक्तियां भद्रा की तंत्र शक्ति यक्षराज सेना सहित सब कुछ उसके अंदर शरीर में समाहित होने लगा ।वह अपनी शक्ति से अत्यधिक ही शक्तिशाली होने लगी ।उसकी शक्तियां अब चरम पर पहुंचने लगी और धीरे-धीरे करके वह महानतम शक्ति के रूप में वहां पर खड़ी हुई सी नजर आई । अब आगे क्या हुआ भद्रा तांत्रिक के साथ क्या हुआ नागिन ने क्या किया यह सब हम जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष भाग 4

 

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