Table of Contents

कैसे हुयी थी भगवान राम की मृत्यु

पुराणों के अनुसार भगवान श्रीराम की अपने पुत्र लव और कुश से मुलाकात ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में हुई थी. धोबी के कहने पर भगवान राम द्वारा देवी सीता को अयोध्या से निकाले जाने के बाद लक्ष्मणजी माता सीता को ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में छोड़ गए थे. इस स्थान को सीताबनी के नाम से भी जाना जाता है. इसी स्थान पर माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था.भगवान राम की मुलाकात के बाद माता सीता इसी आश्रम में बने एक कुंड में समा गई थीं. माता सीता के जीवन त्याग के बाद श्रीराम अपने पुत्रों के साथ अयोध्या लौट गए थे. अयोध्या में लव और कुश को पुत्रों के रूप में स्वीकार करने के बाद भगवान श्रीराम के जीवन का क्या हुआ इसके बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है. भगवान श्रीराम के जीवन का अंत किस प्रकार हुआ इसका जिक्र भी वाल्मीकि रामायण में नहीं है.भगवान श्रीराम के अंत का जिक्र पद्म पुराण में मिलता है. पद्म पुराण के अनुसार, माता सीता के धरती में समा जाने के बाद श्रीराम ने लव और कुश को राज्य का कामकाज संभालने हेतु परिपक्व किया. माता सीता के बिना श्रीराम का जीवन ऐसे ही चलता रहा. एक दिन अयोध्या में एक बुद्धिजीवी ऋषि प्रभु राम से मिलने के लिए आए. ऋषि से मुलाकात के दौरान भूमि पर बैठकर श्रीराम ने उनकी बातें सुनी. ऋषि और भगवान राम की मुलाकात के दौरान लक्ष्मण दरवाजे पर पहरा दे रहे थे, ताकि गृह में कोई प्रवेश न कर सकें.

पुराणों के अनुसार, ऋषि के भेष में काल देव राम से मिलने आए थे. काल देव, भगवान राम को स्मरण कराना चाहते थे कि पृथ्वी पर उनका समय अब खत्म हो गया है. भगवान राम और काल देव की वार्तालाप के दौरान ही महर्षि दुर्वासा महल में पहुंचते हैं तत्काल श्रीराम से मुलाकात की अनुमति मांगते हैं. हालांकि लक्ष्मण दुर्वासा को समझाते हैं कि भगवान राम इस वक्त किसी ऋषि से गोपनीय बातचीत कर रहे हैं.

लक्ष्मण की बातों को सुनने के पश्चात भी महर्षि दुर्वासा नहीं मानते हैं और गुस्से में आ जाते हैं. लक्ष्मण पर क्रोधित होकर महर्षि दुर्वासा कहते हैं कि अगर उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया तो वह लक्ष्मण को श्राप दे देंगे. इस स्थिति में लक्ष्मण समझ नहीं पाते हैं कि वह अपने वरिष्ठ भाई की आज्ञा की अवहेलना करें या महर्षि का श्राप सहें.भाई और महर्षि के श्राप की दुविधा के बीच लक्ष्मण इस बात को समझ जाते हैं कि पृथ्वी पर उनके जीवन का अंतिम समय आ गया है. इसके बाद लक्ष्मण सरयू नदी में समा जाते हैं और एक बार फिर अनंत शेष का रूप धारण कर लेते हैं.

इस प्रकार हुआ श्रीराम अवतार का अंत
काल की गोपनीय बातें सुनने के बाद श्रीराम अपने अवतार को समाप्त करने की तैयारी कर रहे होते हैं, इसी दौरान उन्हें लक्ष्मण के सरयू नदी में समा जाने की जानकारी प्राप्त होती है. लक्ष्मण के बाद श्रीराम भी अदृश्य देवों के साथ सरयू नदी में समा जाते हैं. इसी के साथ ही भगवान विष्णु के श्रीराम अवतार का अंत होता है.

error: Content is protected !!
Scroll to Top