चांदनी परी साधना अनुभव भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक ऐसा अनुभव हम को प्राप्त हुआ है जो मेरे द्वारा ही बताई गई एक साधना के विषय में है और इस। अनुभव को भेजने वाले अपना नाम और पता गोपनीय रख रहे हैं तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं क्या है यह चांदनी परी साधना का अनुभव? नमस्ते गुरुजी मैं हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले का रहने वाला हूं। मैं अपने मामा की एक सच्ची घटना को यहां पर बताना चाहता हूं। हालांकि आज के युग में इन बातों पर कोई विश्वास नहीं करता है। किंतु एक बात मैं अवश्य ही कहना चाहता हूं और वह यह है कि आप पता नहीं कहां से इतनी अधिक गोपनीय साधना लेकर आ जाते हैं जिसका मैं कितना भी धन्यवाद कहूं, वह सरल नहीं होगा। क्योंकि आप ऐसे गुप्त तंत्र प्रयोगों और साधना को किस प्रकार इकट्ठा करते होंगे, यह आप ही अपनी मेहनत से जान सकते हैं। लेकिन आपकी सभी साधना है, प्रमाणिक होती हैं। इसी का एक उदाहरण मेरे मामा जी रहे थे। लेकिन इस घटना पर लोग विश्वास नहीं करेंगे किंतु मेरा कार्य तो सिर्फ बताना है। गुरुजी! मेरे मामा जी जब कुंवारे थे। यह तकरीबन आज से 30- 40 साल पहले की घटना है। तब एक बार मेरे मामा। ऊना जिले के 1 सरोवर यानी कि तालाब जो कि एक गुरुद्वारे के निकट स्थित है। वहां पर जाकर अपने दोस्तों के साथ बैठा करते थे। ऐसे ही 1 दिन की बात है जब वह! अपने दोस्तों के साथ बैठकर मौज मस्ती कर रहे थे। वह रात! एक ऐसी रात थी जब पूरा चांद निकला होता है यानी वह पूर्णमासी का चांद था। वह दिन भी शुक्रवार का था। जब रात के करीब 11-12 बज गए थे। तब उन्होंने अपने दोस्तों से कहा, मैं यहां थोड़ी देर और बैठना चाहता हूं। तुम लोगों को अगर जाना हो तो चले जाओ। उनके दोस्तों ने उन्हें वहीं छोड़कर वहां से जाना उचित समझा। पता नहीं उस दिन उनके मन में क्या चल रहा था कि वह उस स्थान पर बैठे रहे। शायद उनकी जिंदगी बदलने वाली थी। इसी कारण से वह उस दिन उस तालाब के किनारे बैठ कर पता नहीं क्या सोच रहे थे? सभी लोग वहां से चले जाते हैं। पूरी चांद की रात होने की वजह से वह स्थान पूरी तरह से साफ साफ दिखाई पड़ रहा था क्योंकि चांद की रोशनी ऐसी होती है जिसमें सब कुछ दिखाई पड़ता है। वह स्थान जिस स्थान पर वह बैठे हुए थे कि तभी उनकी नजर। चांद की ओर गई वह लेटे-लेटे उस चांद को देखने लगे। लगातार कई घंटों तक वह चांद को देखते रहे। अचानक से उन्हें अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ। और चांद से एक! जालीदार कपड़े पहने अति श्वेत रंग की स्त्री नीचे उतरती हुई उसके सामने उतर रही थी। और वह उस सरोवर में उतर गई और वही अठखेलियां खेलने लगी। मामा यह देखकर आश्चर्य में पड़ गए थे। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि आज उन्हें कुछ ऐसा देखने को मिलेगा। स्वर्ग से कोई परी उतर कर धरती पर आ गई थी और उस तालाब में तैर कर नहा रही थी। उसके जालीदार कपड़े उसके पूरे शरीर को साफ साफ स्पष्ट कर रहे थे। उसका दूधिया रंग शरीर पर एक अलग ही चमक दर्शाता था। वह चारों तरफ पानी में उछल कूद मचाती रही। मेरी मामा वही छुपकर उसे लगातार देख रहे थे। और उसे देख कर उनके हृदय में जो भी बातें आई होंगी लेकिन उनका मन साफ था। तभी पता नहीं कहां से उस परी की नजर मेरे मामा पर पड़ गई। और गुस्से से वह पानी में तैरती हुई इनकी ओर कुछ ही सेकंडो में पहुंच गई। यह बहुत अधिक घबरा गए और इन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली। यह देखकर शायद उस परी का गुस्सा कुछ कम हुआ होगा। और वह बाहर निकल कर आई। उसने इनके हाथों को इनकी आंखों पर से हटाया और कहने लगी। तुम कौन हो यहां इस प्रकार रात में क्यों बैठे हो? तब उन्होंने कहा, मैं तो यहां यूं ही आता जाता रहता हूं। पर तुम कौन हो तुम इस दुनिया की नहीं दिखाई पड़ रही हो क्योंकि तुम्हारा रूप, रंग और वस्त्र यहां के बिल्कुल नहीं है। मामा ने देखा कि उसके पूरे शरीर पर। एक जालीदार वस्त्र था जैसे मच्छरदानी का कपड़ा होता है जिससे शरीर के सारे अंदरूनी अंग बिल्कुल स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। इसलिए वह अपने आप पर संयम रख पा रहे थे। यही बहुत बड़ी बात थी। उस परी ने कहा, मैं यहां हर 100 वर्ष बाद आती हूं और आज वह दिन था जब तुम्हारी पृथ्वी के 100 वे वर्ष का दिन होता है। मैं पिछले 100 वर्ष पहले यहां पर इस तालाब में आई थी। चांद की चांदनी जब धरती पर पड़ती है तो? 100 साल बाद हम किसी अपनी पसंदीदा जगह पर उतर जाते हैं। आज वही दिन था। मैं 100 साल बाद यहां पर आई हूं। मेरे मामा के लिए यह एक बहुत बड़ा आश्चर्य था। उन्होंने सोचा अगर यह 100 साल पहले आई थी तो अब तक! तो शायद मैं एक बार जन्म ले कर फिर दोबारा पैदा हो चुका होता। इसलिए उन्होंने उससे कहा, तुम बहुत अधिक सुंदर हो काश तुम्हारी जैसी कोई लड़की मुझे मिलती जिससे मैं शादी कर पाता। यह सुनकर उस परी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। उसने कहा ठीक है, मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहती हूं और उसने इनके। आंखों के बीच में अपनी उंगली रख दी और उसके बाद जो हुआ उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। वह अपने आपको एक ऐसी जगह पाते हैं जो बहुत अधिक खूबसूरत थी। चारों तरफ झरने तालाब और विभिन्न रंग के पशु पक्षी। सभी खुश नजर आते थे। वहां की स्त्रियां एक वस्त्र पहने ठीक इसी अप्सरा या परी के जैसी ही नजर आ रही थी। ऐसी सुंदर जगह को देखकर मेरे मामा ने कहा, यह क्या है तब उसने कहा, यह मेरा रहने का स्थान है जहां से मैं आई हूं। मैं तुम्हें कुछ गोपनीय बातें बताती हूं। उसने कहा मेरा एक मंत्र है इस मंत्र को तुम जब जपोगे तो मैं तुम्हारे पास खींची चली आऊंगी लेकिन केवल! पूर्णिमा की रात को ही जब पूरा चांद खिला होगा। और इस प्रकार उस परी ने अपनी उंगली हटा ली और मेरे मामा अब! इस दुनिया में वापस आ चुके थे। उन्होंने जो कुछ देखा था उस पर उन्हें यकीन नहीं हो रहा था, किंतु सामने खड़ी हुई परी सब कुछ स्पष्ट कर रही थी। उन्होंने उस पर इसे कहा। तुम अभी रुको और मेरे साथ और बातें करो। तब परी ने कहा, सुबह होने तक मैं चली जाऊंगी। लेकिन तब तक मैं तुम्हारे साथ रह सकती हूं और उस परी ने मेरी मामा का हाथ पकड़ा और वहां चारों तरफ कई सारी जड़ी बूटियों की जानकारी दी। उनके कुछ गोपनीय मंत्र भी बताएं और कहा कि इस बीमारी में इसका इस्तेमाल करना उस बीमारी में उस औषधि का इस्तेमाल करना और इस मंत्र का जाप करना। मेरे मामा उस दिन वैद्य बनकर तैयार हो रहे थे। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उन्हें बैठे-बिठाए एक परी और वैद्य बनने की सारी जानकारी फ्री में ही मिल जाएगी। लेकिन उस दिन उसकी किस्मत बहुत अच्छी थी। अब उन्होंने उस पर इसे कहा कि तुम इस दुनिया में। अगर हमेशा रहो तो क्या होगा? तब उसने कहा, मैं भी तुम्हारी तरह बूढ़ी हो जाऊंगी। इसलिए हम अपनी जगह वापस चले जाते हैं। जिस वजह से हमेशा हम कुंवारे ही बने रहते हैं। मेरे मामा जी उस पर फिदा हो चुके थे। उन्होंने अपने दिल की बात तुरंत ही उसे बता दी और कहा कि तुम्हारे बिना शायद मैं नहीं जी पाऊंगा। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। हालांकि शायद यह मेरी औकात के बाहर की बात है लेकिन जो मेरे दिल में है, मैं ही आपसे कह रहा हूं। क्या? आप मुझे इस काबिल समझती हैं कि आपको मैं अपनी जिंदगी में अपनी पत्नी बनाकर रख सकूं। वह परी मुस्कुरा कर कहने लगी। तुम्हें मुझे सिद्ध करना होगा तभी यह सब कुछ संभव हो पाएगा। लेकिन अगर तुम ऐसा नहीं कर पाए तो सब किया कराया पानी में चला जाएगा। मेरी आने का केवल एक ही मार्ग है और वह है चंद्रमा की किरणें और केवल! शुक्रवार के दिन जब पूर्णिमा हो तब अगर तुम मुझे पुकारते हो अथवा किसी भी पूर्णमासी को मुझे मेरे मंत्रों का आवाहन कर रात भर चांद को देखते हुए पुकारते हो तो मैं आऊंगी। और तुम से अवश्य ही सिद्ध हो जाऊंगी।
तब शायद तुम अपनी। इस मनोकामना को पूरी कर पाओगे उसके अलावा मुझे पाना बहुत ही कठिन है। इसके लिए तुम्हें बहुत कठिन तप करना पड़ेगा। तब? मेरे मामा ने कहा, ठीक है, मैं अवश्य ही ऐसा करूंगा। परी ने कहा, तुम अपनी आंखें बंद करो। और जब मेरे मामा ने आंखें बंद की। तभी उसने उन्हें छुआ। फिर मामा ने जब अपनी आंखें खोली तो वहां पर कोई भी नहीं था। मामा परेशान हो गए वह चारों तरफ। मजनू की तरह उसे ढूंढने लगे, लेकिन वह कहां दिखने वाली थी? उसकी कही बात के अनुसार अब अगली पूर्णमासी का उन्हें इंतजार करना था और तभी वह उसे वापस शायद अपनी दुनिया में ला सकते। आगे क्या हुआ, मैं आपको अगले भाग में बताऊंगा नमस्कार गुरु जी!
संदेश-तो देखिए यहां पर इन्होंने परी साधना का विवरण प्रस्तुत किया है जो इनके मामा के साथ घटित हुआ था। अगले भाग में हम लोग इस कहानी के आगे के पहलू को जानेंगे तो अगर आज की कहानी और यह घटना आपको पसंद आई हो तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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