श्रापित बाग की सच्ची घटना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। सबसे पहले अंग्रेजी नव वर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आशा करता हूं कि यह वर्ष आपके लिए सुखद और मंगलकारी रहेगा तो नए वर्ष में मैं एक स्वयं अपने ही परिवार के सदस्य का अनुभव लेकर के आया हूं। अनुभव आंखों देखी घटना है और यह घटना 80 के दशक की है। उस वक्त जब स्वयं मेरे पिताजी। अपनी मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। उस वक्त उनके साथ उनके ही पास में जो उन्होंने एक घटना घटित होते हुए देखी। उसी को मैं आज आप लोगों को बताने जा रहा हूं। क्योंकि स्वयं के अनुभव काफी अच्छे आप लोग मानते हैं और इन के माध्यम से अलग तरह की ही जानकारी देखने को मिलती है तो आज का जो अनुभव है यह उत्तर प्रदेश राज्य के पीलीभीत जिले में स्थित एक तहसील हर किशनपुर की घटना है। वहां पर? जब मेडिकल की पढ़ाई के दौरान मेरे पिताजी गए हुए थे तो जहां पर वह रहते थे। वह तहसील हर किशनपुर के नाम से विख्यात थी।
वहां पर जब वह रह रहे थे तो एक घटना उस समय काफी ज्यादा चर्चित रही थी और उसी घटना को उनके मुख से सुनकर आज मैं आप लोगों के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं।
यह घटना एक ऐसे बाग की है जो कि आम के पेड़ों से लदा हुआ था। लेकिन उस बाग की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि जिस परिवार को यह बाग मिली हुई थी, उसके अतिरिक्त वहां पर किसी का भी जाना संभव ही नहीं हो पाता था। लेकिन परिवार के सदस्यों की आर्थिक आय की जब समस्या उत्पन्न हुई तो उस बाग को बेचने का विचार उस परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया। यह वह समय था जब आम के बगीचे। यूं ही लोगों के लिए खुले रहते थे। वह दौर ऐसा था जब आम बेचा नहीं जाता था बल्कि यूं ही खा लिया जाता था। आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर इस परिवार ने आम का बगीचा बेचने का निर्णय लिया।
लेकिन एक घटना वहां पहले से ही। चर्चित थी। इस बाग की रक्षा कोई लाल बाबा करते हैं। असल में इनके ही किसी पूर्वज का नाम लाल बाबा था जो कि हनुमान जी के विशेष भक्त थे। उन्होंने पूरी जिंदगी उसी बाग में रहकर हनुमान जी की भक्ति की थी। और? कि उनके नियंत्रण में यह बाग थी इसलिए वह उसकी रक्षा सदैव करते रहते थे। और मृत्यु के बाद भी शायद यह सिलसिला जारी रहा।
यह बात इतनी खौफनाक कैसे बन गई? इससे पहले इस परिवार के पहले के पूर्वजों ने इस बाग को जब बेचने का प्रयत्न किया तो जिस व्यक्ति को बाघ बेची गई शाम के वक्त ही उसकी असामयिक मृत्यु हो गई। इसके कारण से यह बाग नहीं बिक पाई। दोबारा जब इसका प्रयास किया गया तो भी जिस व्यक्ति ने बाग के पहले पेड़ पर प्रहार किया, उसकी भी तत्काल वही मृत्यु हो गई। इसी कारण से यह बाग श्रापित माना जाने लगा था, लेकिन आर्थिक स्थिति की समस्या के कारण अब इस परिवार के अन्य सदस्यों ने। अपने पूर्वजों की गलतियों को ना देखते हुए इसे बेचने का निर्णय लिया था।
अब उन्होंने एक मुस्लिम व्यक्ति से इस बारे में बात की। क्योंकि बाग का मूल्य मात्र ₹4000 रखा गया था, इसलिए इसको खरीदने के लिए सभी तत्पर थे। उनमें से एक मुस्लिम व्यक्ति ने कहा, मैं यह 27 बीघे की बाग आपसे खरीदना चाहता हूं क्योंकि आप मात्र ₹4000 में इसे बेच रहे हैं। यह बहुत ही कम दाम था। इस दाम पर इतनी बड़ी जमीन मिलना भाग्य की बात थी। हालांकि उसने भी यह कहानी सुनी हुई थी कि इनके पूर्वजों द्वारा जब इस बाग को बेचने का प्रयास किया गया तो खरीदने वाले की मृत्यु हो गई। किंतु व्यक्ति पुरानी बातों से भयभीत नहीं होता है।
इसलिए उसने इसे खरीदने के लिए हां कह दिया। और जब उसने यह जमीन खरीद ली तो फिर चला कुल्हाड़ी लेकर अपने 7 लोगों के साथ। उन 7 लोगों ने अलग-अलग पेड़ों पर वार किया। जिस व्यक्ति ने पहला वार किया उसका हृदय गति बंद होने से वही असामयिक निधन हो गया। दूसरे ने भी यही किया तो उसकी भी मृत्यु हो गई। तीसरा चौथा पांचवा छठा व्यक्ति जिस जिस ने वार किया वह सभी उसी समय वहीं पर मृत्यु को प्राप्त हो गए। अब आखरी वार उस मुस्लिम साहूकार ने किया। और जैसे ही उसने वार किया। अचानक से हृदय गति रुकने से उसकी भी मृत्यु हो गई। यह देखकर परिवार स्तब्ध रह गया। क्योंकि जो पिछली पीढ़ी में घटित हो चुका था वह अब उनकी आंखों के सामने घटित हुआ था यह बात!
जलती हुई आग के धुवे जैसी चारों तरफ फैल गई। पूरे इलाके में यह शोर मच गया कि यह बाग श्रापित है और इसे जो भी व्यक्ति खरीदेगा, उसकी मृत्यु अवश्य ही हो जाएगी। लेकिन कुछ लालची व्यक्ति जिन्हें। इन घटनाओं से सबक नहीं मिला था। उन्होंने इसे खरीदने का प्रयास जारी रखा और इसका एक ही रिजल्ट सामने आता उनकी मृत्यु के साथ।
यह बात एक अत्यंत ही गरीब व्यक्ति जो कि एक बनिया था। उसे पता चली। उसकी भी आर्थिक स्थिति बड़ी ही खराब थी। माता काली का भक्त होने के कारण वह मां काली की विशेष आराधना किया करता था।
उसने जब यह बात सुनी कि केवल मात्र ₹4000 में इतनी बड़ी आम की बाग मिल रही है तो उसने इसे खरीदने का निर्णय लिया। हालांकि उसने यह बात सुन रखी थी।
जब उसने यह प्रस्ताव इस परिवार को रखा तो परिवार भी स्तब्ध होकर कहने लगा। तुम्हें अपनी जिंदगी प्यारी नहीं है क्या किंतु? उस व्यक्ति ने कहा, मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। मृत्यु से अच्छा है कि जब तक मैं जियूं कम से कम इस बाग का मालिक तो कहलाता रहूं।
इसलिए मैं आपकी बाग खरीदना चाहता हूं।
परिवार ने भी इस बात की रजामंदी दे दी और सोचा शायद! इसका श्राप अब तो समाप्त हो ही जाएगा।
तब उस व्यक्ति ने एक तांत्रिक के पास जाकर अपनी समस्या बताई। उसने कहा, आप माता काली को जो काला चोगा अर्पित करते हो उस चोगे को हाथ में पहन कर। 50 मुसलमान व्यक्तियों के साथ पूरी बाग को एक साथ कटवाने के लिए वहां पर पहुंचे। उस तांत्रिक की बात को मान कर अब उस गरीब बनिए। व्यक्ति ने उस बाग में प्रवेश किया। उन सभी के हाथों में काले कपड़े के दस्ताने थे जो माता काली को अर्पित किए जाते थे और मां काली के मंत्रों का उच्चारण करते हुए हाथ में कुल्हाड़ी लिए 50 व्यक्ति उस बाग के अंदर पहुंच गए। बनिए ने कहा, अगर मृत्यु आनी है तो सिर्फ मेरी आएगी। तुम लोगों में से पहला प्रहार केवल मैं करूंगा। और मुख्य पेड़ पर पहुंचकर जैसे ही बनिए ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई सामने से एक लाल कपड़े पहना व्यक्ति साक्षात प्रकट होकर उनके सामने आ गया। उसकी लंबाई एक पेड़ के बराबर थी। गुस्से से चिल्लाता हुआ। वह कहने लगा निकल जाओ मेरे इस क्षेत्र से यह मेरा स्थान है। अगर तुम में से किसी ने भी एक भी पेड़ पर वार किया तो मैं सबकी जान ले लूंगा।
बनिया व्यक्ति समझदार था। उसने उस व्यक्ति से पूछा, अच्छा मुझे बताओ मेरी मृत्यु कब होगी? तब उस लाल कपड़े पहने व्यक्ति ने कहा, तेरी मृत्यु आज से कुछ वर्ष बाद होगी। यह सुनकर बनिया अपनी चतुर बुद्धि लगा कर कहने लगा, ठीक है मैं तो अब इस पेड़ को काटकर ही जाऊंगा। क्योंकि आपने ही कहा है मेरी मृत्यु अभी नहीं है। जब मेरी अभी मृत्यु नहीं है तो भला आप मुझे कैसे मार सकते हो? तब? उस! व्यक्ति ने कहा, मेरा नाम लालबाबा है। मैं कई सौ वर्षों से इस बाग की रक्षा कर रहा हूं और कोई भी मेरी इच्छा के विरुद्ध यहां से एक पत्ता भी नहीं ले जा सकता। मैं तुझे रोक लूंगा।
लेकिन बनिए ने उनकी बात की ओर ध्यान नहीं दिया और पेड़ पर वार कर दिया। बनिए को कुछ भी नहीं हुआ।
बनिए की कारस्तानी देखकर बाकी 50 मुसलमान व्यक्ति। जोकि लकड़हारे थे, सबने वार करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में पूरी बाग कट गई और किसी भी व्यक्ति को कुछ भी नहीं हुआ। लाल बाबा वहां से हट चुके थे। बनिए ने कहा, जब मृत्यु नहीं आनी है तो भला कोई शक्ति उनका कुछ बिगाड़ क्यों पाएगी जब मां काली की शरण है तो उन्हें कुछ भी नहीं हो सकता है। इस प्रकार मां को पूरी तरह से अपनी जिंदगी समर्पित कर व्यक्ति ने जब यह कार्य किया तो वह उसमें सफल हो गया। इस सच्ची घटना से आप समझ सकते हैं कि मां के प्रति पूर्ण विश्वास से निश्चित रूप से जीवन में असंभव कार्य भी संभव किए जा सकते हैं। उसी बाग में जब बनिए ने पहली बार गन्ना बोया तो इतना बढ़िया और उच्च स्तर का गन्ना हुआ कि उससे उसके सारे कर्जे समाप्त हो गए। एक बार गन्ना बो कर 12 वर्षों तक वह गन्ने को काटता रहा।
यानी कि वह जमीन इतनी अधिक उपजाऊ थी और दैवीय शक्तियों से भरी थी कि उसका फायदा उसे पूरे 12 वर्ष तक मिलता रहा। मेरे पिताजी ने इस घटना को। उस जगह रहने वाले कई लोगों के साथ में देखा था और उन्होंने मुझे इसके बारे में बताया था। वही सच्ची घटना आज मैं अनुभव के माध्यम से आप लोगों को बता रहा हूं। तो यह था एक सच्ची घटना जो व्यक्ति माता की शक्ति पर पूर्ण विश्वास रखता है और मृत्यु तक नहीं डरता है। निश्चित रूप से उसके जीवन में कभी भी असफलता उसके पास नहीं आ सकती है।
जब महाकाल और महाकाली की कृपा हो। तो फिर उसके जीवन में कुछ भी कार्य असंभव नहीं है। इसीलिए तो कहा जाता है काल उसका क्या बिगाड़े जो भक्त हो महाकाल का?
आशा करता हूं कि आज का वीडियो आपको पसंद आया होगा। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।