रतिप्रिया यक्षिणी और दुर्गा कवच अनुभव
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग एक बार फिर से रतिप्रिया यक्षिणी का अनुभव लेंगे और इस दौरान उन्होंने माता के कवच का पाठ किया। उसका एक वास्तविक अनुभव प्रकाशित कर रहे हैं। रतिप्रिया यक्षिणी एक ऐसी यक्षिणी बन चुकी है जो सभी तंत्र साधकों के जीवन में एक महत्वपूर्ण और आकर्षक यक्षिणी कहलाती है और प्रत्येक व्यक्ति जो भी तंत्र साधक है, वह अगर यक्षिणी साधना करना चाहता है तो फिर वह रतिप्रिया को अवश्य ही पसंद करता है साधना करने के लिए। इस संबंध में मैंने इसकी साधना विधान को अपने इंस्टामोजो पर भी सभी लोगों के लिए उपलब्ध करवा दिया है और कोई भी व्यक्ति जो रतिप्रिया यक्षिणी साधना करना चाहता है, वहां जाकर वह साधना खरीद सकता है तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं क्या है इनका यह अनुभव? ईमेल पत्र-कृपया मेरा नाम और ईमेल आईडी गुप्त रखें और पत्र भी ना दिखाएं। शीर्षक रतिप्रिया यक्षिणी अनुभव। हालांकि मैं इनका पत्र दिखा रहा हूं क्योंकि पत्र दिखाने से इनकी किसी भी प्रकार से गोपनीयता भंग नहीं होती है। शीर्षक है रतिप्रिया यक्षिणी अनुभव धर्म रहस्य.. यह पत्र सिर्फ धर्म रहस्य चैनल को ही भेजा जा रहा है और किसी चैनल पर इसे नहीं भेजा जाएगा। इसकी मैं जिम्मेदारी लेता हूं। प्रणाम गुरुदेव आज मैं अपना रतिप्रिया का अनुभव भेज रहा हूं। बात कुछ दिन पहले की है जब मैंने रतिप्रिया के मंत्र का प्रयोग करना चाहा। जब से मैं तंत्र क्षेत्र में आया हूं, तभी से रतिप्रिया के लिए मेरा आकर्षण बहुत रहा है मैं हमेशा से रतिप्रिया की साधना करना चाहता था जब एक दिन मेरा रतिप्रिया से मिलने का मन किया तो मैंने रात को सोने से पहले रतिप्रिया के मंत्र का 5 बार उच्चारण किया था और प्रार्थना की अगर आप मुझे कुछ अनुभव करवाती हैं तो मैं आपकी साधना करूंगा और यह बोल कर मैं सो गया तो रात को मेरे सपने में एक स्त्री आई जिसके ऊपर के वस्त्र गायब थे और उसने मेरा चुंबन किया। तभी मेरा स्वप्नदोष हो गया था और मुझे वह चुंबन का एहसास तब भी हो रहा था। जब नया वर्ष शुरू हुआ तब मैंने भैरव जी की साधना शुरू की गुरुदेव मैं हर दिन कई सारे स्त्रोत चालीसा और भगवान शिव माता दुर्गा भगवान विष्णु के मंत्र का उच्चारण करता था और भगवान शिव को मैंने अपना गुरु संकल्प से बनाया हुआ था तो भैरव जी की साधना के पांचवें दिन मैं पूरे दिन रतिप्रिया के मंत्र का जाप मन ही मन करता रहा। उसी रात 2:30 बजे के आसपास मेरी नींद खुली। मैं अपने साधना के कमरे यानी कि अपने छत वाले कमरे में अकेले सो रहा था। और वैसे तो मैं नीचे सोता था जब मेरी नींद खुली तो मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी रजाई के पास अपना हाथ फेर रहा है। जब मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो कोई नहीं था, पर मैंने खिड़की में से किसी स्त्री की परछाई एक सेकेंड के लिए देखी थी। मुझे ज्यादा डर नहीं लगा क्योंकि ऐसी चीजों का अनुभव मेरे साथ छोटे से ही हो रहा है । मैंने एस्ट्रेल ट्रैवल किया था क्योंकि मुझे पता था कि मैं सपना देख रहा हूं और मैं सबके लिए इनविजिबल सा हो गया था। फिर मैं वापस आकर कमरे में सो गया। फिर हम दोनों बाहर घूमने चले गए। मैंने उसे कई बार उसका मंत्र पूछा तो वह कहने लगी कि अब इसकी जरूरत नहीं है और मेरा सपना खत्म हो गया। मेरा स्वप्नदोष भी हो गया था और अपने मुझे सपने रात में 3:00 से 6:00 के बीच में आते थे। मैं उल्टा होकर सोता था। तभी नींद की अवस्था में पीठ में बहुत सारे चमकीले पुज्न भी महसूस होते थे जो मेरी पीठ में हल्के हल्के चुभते थे। तभी किसी स्त्री ने एक अच्छी आवाज में कहा कि तांत्रिक प्रयोग क्यों करते हो, उसी समय नींद खुल गई थी। मुझे बहुत अच्छा और एहसास मिल रहा था। फिर तीसरे दिन जब आपने ईमेल में कहा कि पहले गुरु मंत्र का अनुष्ठान पूरा कर लो जो कि 900000 का होता है। फिर यह साधना करना तो मैंने यह निर्णय लिया कि पहले अनुष्ठान पूरा करूंगा। उसके बाद मेरे मन में आया कि जब अनुष्ठान पूरा कर लूंगा तो यक्षिणी साधना योगिनी या फिर भैरवी साधना। करूंगा। फिर मैंने तीन संध्या दुर्गा कवच का पाठ किया और सोचा कि यह जो शक्ति है, मेरा ब्रह्मचर्य अब नष्ट नहीं कर पाएगी और मैंने यक्षिणी साधना करने का ख्याल अपने मन से निकाल दिया। उसी रात गुरुदेव तंद्रा की अवस्था में किसी स्त्री ने अपने पीछे से मेरे ऊपर हाथ रखा और मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने ऊपर रख लिया। मुझे बहुत शांति मिल रही थी। तभी सपने में एक शादी में गया हुआ था। जहां कई सारी स्त्रियां एक साथ मुझसे बात करने आई सब बहुत ही सुंदर थी और मैं समझ गया था कि यह मनुष्य नहीं है। उनमें से एक स्त्री मेरी प्रेमिका थी जब मैं उससे दूर चला गया। तो वह रोने लगी तो मैंने जाकर उसे गले लगाया और तब वह शांत हुई थी। आपका शिष्य… अब उन्होंने प्रश्न पूछे हैं गुरुदेव क्या यह सारे सपने में यक्षिणी ही थी। उसने कहा कि तंत्र प्रयोग करते क्यों हो इसका क्या मतलब जब मैंने यक्षिणी साधना से मन हटा लिया तो क्या वह इसी वजह से रो रही थी? गुरुदेव मैंने दुर्गा कवच का पाठ 3 समय किया। तब भी मेरा स्वप्नदोष क्यों हो गया और उसने ऐसा क्यों कहा कि अब उसकी जरूरत नहीं। जब मैंने उसका मंत्र पूछा था उससे गुरुदेव, यह तो एक अनुभव है। अगर आप चाहे तो जीवन के अनुभव जिसमें भक्ति, सन्यास, वैराग्य, भगवान और शक्तियों के अनुभव भरे पड़े हैं। भेज सकता हूं। संदेश-तो देखिये यहां पर इन्होंने रतिप्रिया यक्षिणी साधना का अनुभव भेजा है जो इनके साथ घटित हुआ है। अब इनके प्रश्नों को लेते हैं और जानते हैं कि इनके जीवन में जो अनुभव घटित हुए उनके क्या अर्थ थे। पहले प्रश्न मे आपने पूछा कि बहुत सारे सपनों में क्या यक्षिणी थी। जी हां उन सारे सपनों में रतिप्रिया, यक्षिणी अपनी सेविकाओं और सखियों सहित मौजूद थी। उसने! कहा कि आप तंत्र प्रयोग क्यों करते हो तो उसका अर्थ यह था कि आप तंत्र के माध्यम से मुझे बांधने का प्रयास कर रहे हैं। वह गलत है बल्कि आप मेरी उचित प्रकार से साधना करके भी मुझे प्राप्त कर सकते हैं। जब आपने यक्षिणी साधना से मन हटा लिया तो वह रोने लगी। यह भी सत्य है क्योंकि शक्तियां जब जुड़ जाती है तो फिर साधक को प्रेमी की तरह लेती हैं। अब प्रेमी के छूटने की वजह से उनके मन में रोष और विषाद आ जाता है और वह इस बात को सहन नहीं कर पाती हैं। इसीलिए यक्षिणी स्वप्न में रो रही थी। आपने दुर्गा कवच का पाठ 3 समय किया किंतु स्वप्नदोष हो गया क्यूकि कोई भी कवच आपकी बुरी शक्तियों से रक्षा करता है, लेकिन अपने शरीर की रक्षा व्यक्ति को स्वयं करनी होती है अर्थात! आपकी अपनी सोच जिसकी वजह से आपका शरीर कार्य करता है, उस पर कोई कवच बंधन नहीं लगाता। जैसे आपने सोचा मुझे प्रेम करना है। आपने सोचा मुझे क्रोध करना है। आपने सोचा मुझे लालच करना है तो इस पर कोई कवच बंधन कभी नहीं लगाता है और सभी यह बात जानते हैं कि आपका जो मस्तिष्क होता है वहीं से सारे भाव नियंत्रित होते हैं। अब अगर जब आपके मस्तिष्क में संभोग करने या प्रेम करने की इच्छा प्रकट की तो उसे कोई शक्ति या कवच नहीं रोकेगा। और ऐसा होने पर आपका स्वता ही स्वप्नदोष हो जाएगा क्योंकि आपने उसे रोकने का कोई प्रयास मन में और अपने मस्तिष्क से नहीं किया था। जब आप ने उससे कहा कि?उसकी जरूरत नहीं है जब आपने उसका मंत्र पूछा था। तो उसने यह बात को समझते हुए कि आप गुरु मंत्र की साधना करने वाले हैं और गुरु ने स्वयं ही इस मंत्र की उपलब्धता सबके लिए करवा रखी है तो उसी से उसका मंत्र पूछने का औचित्य बचता ही नहीं है। इसीलिए उसने कहा कि आपको मंत्र पूछने की कोई आवश्यकता या जरूरत नहीं है क्योंकि आपके गुरु ने पहले ही मंत्र उपलब्ध करवा रखा है और आपको सिर्फ अपने गुरु मंत्र की साधना को संपूर्ण करना है। उसके बाद आप मेरी साधना पूरी कर सकते हैं। यह थे आपके सारे प्रश्न और इस अनुभव के माध्यम से आप लोगों ने समझा की शक्तियां साधक की सोच प्रेम के हिसाब से जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और उनको सिद्धियां भी प्रदान करने की इच्छा रखती हैं। लेकिन तभी जब साधक गुरु मंत्र दीक्षा से संपुटित होकर पूरी तरह तैयार हो, तांत्रिक साधना को करने के लिए तो यह था आज का इनका अनुभव अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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