भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 7
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शक भाग 7 है। अब पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं कि उस जमीन की समस्या से आगे इनके जीवन में क्या घटित हुआ था।
ईमेल पत्र-प्रणाम गुरुजी तो अब मैं आगे के भाग को आपको भेज रहा हूं तो उस दिन जिस तरह भानु ने पहले हमारी जमीन की समस्या और फिर हमारे पैसों की समस्या ठीक कर दी। तब घर में सब बहुत खुश हो गए थे क्योंकि अब हमें हमारी जमीन भी बेचनी नहीं पड़ेगी और हमें। पैसा भी मिल जाएगा। जमीदार साहब हमें वह पैसा देखकर जैसे ही चले गए। मेरे बाबा और बड़े भैया भी उन पैसों को लेकर उस काम के लिए निकल पड़े। जहां हमें पैसे देने थे। अब घर में सिर्फ मेरी मां और मैं था तो मैं जल्दी से अपने कमरे की तरफ भागा, ताकि मैं भानु को अपने सामने बुलाकर उसका शुक्रिया अदा कर सकूं। पर मुझे उसे बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि जैसे ही मैंने कमरे का दरवाजा खोला देखा कि भानु पहले से ही वहां पर उपस्थित थी। इस बार उसके साथ कालनेमि भी आया था। उस समय भानु ध्यान मग्न अवस्था में मेरे बिस्तर के ऊपर बैठी हुई थी और कालनेमि भानु के ठीक सामने जमीन पर बैठा हुआ था। फिर मैंने कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया और जाकर कालनेमि के बगल में जमीन पर बैठ गया। उस समय भानु के शांत और उज्जवल चेहरे को देखकर मेरा मन खुशी से भर गया। मन में भानु के प्रति बहुत प्रेम उम्र रहा था तो मैंने खड़े होकर बड़े ही प्रेम के साथ भानु को आलिंगन कर लिया। उस समय मेरे मन में बहुत सुंदर सी एक अनुभूति थी जो मैंने कभी अनुभव नहीं की थी। पर ऐसा करने पर भानु का ध्यान टूट गया। उसने मुझे बैठने को कहा और अपने कोमल से आवाज में मुस्कुराते हुए बोली। अब तुम खुश तो हो ना प्रकाश मैं बोला हां, मैं बहुत खुश हूं। तुम्हारा धन्यवाद तो अब मैं और भानु एक दूसरे से बातें करते रहे। जैसे कि मैंने पूछा, तुम हमारे लोक में किस मार्ग से आती हो तब उसने बताया कि तुम्हारे घर के पीछे का यह जो तालाब है। इसी मार्ग से मैं तुम्हारे लोक में आती हूं। यहां तक कि जब सपने में तुम्हें हमारे अप्सरा लोक के दर्शन हुए थे तब मैं इसी मार्ग से तुम्हें हमारे लोक में ले गई थी सपने में तुमने उस पेड़ के नीचे जो बड़ा सा दर्पण देखा था, वह दर्पण तालाब से जुड़ा हुआ है। वह दर्पण कोई साधारण दर्पण नहीं बल्कि एक आयामी द्वार है जो एक लोक से दूसरे लोक तक तक जोड़ता है। तब मैंने भी बोला कि यह तो कोई भी इस मार्ग से तुम्हारे लोक में पहुंच जाएगा। तब बड़े ही प्रेम से मुस्कुराते हुए भानु बोली नहीं नहीं। यह तालाब वाला मार्ग केवल तुम्हारे तपोबल से जागृत हुआ है। इसलिए इस लोक के जीवो में से सिर्फ और सिर्फ तुम ही इस मार्ग से हमारे लोक जा सकते हो और वह भी केवल सूक्ष्म शरीर में अपने स्थूल शरीर से तुम इस मार्ग को पार नहीं कर सकते। फिर मैंने पूछा कि मान लो अगर मैं तुम्हारे लोक में अपनी स्थूल शरीर से 1 दिन बिता दूं तो क्या पृथ्वीलोक के समय चक्र के साथ कोई समस्या होगी? तब भानु ने बताया कि तुम्हारे ऐसा करने पर पृथ्वी लोक में 1 वर्ष तक का समय गुजर जाएगा और इतने समय तक अगर तुम अपने घर से लापता रहोगे तो समस्या तो होगी ही क्योंकि देव लोक का एक दिन तुम्हारे पृथ्वीलोक के 1 वर्ष के समान होता है। हमने ऐसी ही बहुत देर तक बातें की कब 2 घंटे गुजर गए। मुझे पता ही नहीं चला लेकिन समस्या तो अब शुरू होनी थी। मेरी मां कमरे के दरवाजे के बाहर आ गई और उन्होंने सुन लिया कि मैं किसी से बातें कर रहा हूं। वह चिल्लाई कि तू दरवाजा बंद करके इतनी देर से किससे बातें कर रहा है और दरवाजा खोलने को कहा, तब मैं घबरा गया। सोचा कि आज तो पकड़ा जाऊंगा पर भानू मुस्कुराए जा रही थी और कह रही थी कि मुझे दरवाजा खोल लेना चाहिए। मुझे कुछ पता नहीं किस मा के चिल्लाने की वजह से डरते हुए मैंने दरवाजा खोल दिया। अब वह जब अंदर आई तो ऐसे बर्ताव कर रही थी कि उन्हें मेरे अलावा कोई और देख ही ना रहा हो। असल में मैं भूल ही गया कि भानु तो कोई इंसान है ही नहीं, जिसे कोई देख सके। मां ने सबसे पहले मेरा फोन चेक किया कि मैं किसी लड़की से तो बात नहीं कर रहा था। मैंने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की पर उन्होंने नहीं सुनी। उन्हें लगा कि मैं झूठ बोल रहा हूं और मेरी बहुत अच्छे से पिटाई कर दी, यह सब कुछ देख कर भानु बस जोर-जोर से हंसे जा रही थी। फिर मां के जाने के बाद वह मुझसे कहने लगी। तुम्हारी मां सच में बहुत प्यारी हैं। तुम्हारा कितनी अच्छी तरह ख्याल रखती है उनके इस आचरण को तुम्हें? या तुम्हारे प्रति उनके प्रेम और आशीर्वाद को ही समझो क्योंकि इस संसार में ऐसे अनेक मनुष्य हैं जिन्हें यह भी सुख प्राप्त नहीं है। यह एक दिन था जिस दिन भानु की वजह से मेरे परिवार के लोग एक बड़ी समस्या से बाहर निकले थे और भानू की ही वजह से मुझे बहुत मार भी पड़ी थी। अब मैं एक और घटना के बारे में बताता हूं। एक बार मेरे पिताजी और बड़े भैया किसी काम से 2 दिन के लिए बाहर गए थे। घर में सिर्फ मैं और मेरी मां थे। तब रात के समय मां को बहुत बुखार आ गया। कुछ भी करने पर बुखार उतर ही नहीं रहा था। अब इतनी रात के समय हम कहीं जा भी नहीं सकते थे तो मैं चिंता में आ गया। मन ही मन में भानु से प्रार्थना कर रहा था कि वह मेरी मां को ठीक कर दे। अब माँ सो रही थी और उनकी देखभाल करते हुए कब न जाने मेरी आंख लग गई और मैं चेयर पर बैठे ही बैठे सो गया। अब रात गुजर कर जब और का समय हुआ तब मां ने ही मुझे जगाया।
मैंने उनका बुखार चेक किया तो देखा सब कुछ नॉर्मल है जैसे कुछ हुआ ही न हो। मैंने कहा कि चलो आखिरकार आपका बुखार उतर ही गया तब मां बोली, वह सब छोड़ पहले मुझे यह बता कि चंद्र ज्योत्सना कौन है और तेरा उस से क्या संबंध है। यह सब सुनने पर मैं चौंक गया। मैंने कहा कि मैं इस नाम की किसी को भी नहीं जानता और भला आप यह सब क्यों पूछ रही हैं। तब मैंने बताया। रात को मुझे एक बहुत अजीब सपना आया था। मैंने देखा कि मुझे बुखार था और मैं बिस्तर पर सो रही हूं। तब कोई लड़की की आवाज में मुझे मा-मा कह कर पुकार रही थी तो जब मैं ने आंखें खोली तो देखा कि मेरे सर के पास एक बहुत ही खूबसूरत सी लड़की खड़ी हुई थी। उस लड़की ने मुझे कहा कि आप चिंता मत कीजिए। मैं सब कुछ ठीक कर दूँगी ऐसा बोलने के बाद वह मेरे सर के पास बैठ गई। उसने अपने हाथों से मेरा सर उठा कर अपनी गोद में रख लिया और मेरे सर पर अपना हाथ फेरने लगी। वह बहुत प्रेम के साथ मुझे देख रही थी। मैंने पूछा कि तुम कौन हो बेटी और यहां क्यों आई हो तब उसने बड़े ही प्रेम से मेरे सिर पर चुंबन किया और मुस्कुराते हुए बोली, मैं चंद्र ज्योत्सना हूं और आप के यहां जो पुत्र है, इसकी वजह से ही मैं यहां आई हूं। आप मुझे अपनी पुत्री ही समझ सकती हैं। मैं उस लड़की से और कुछ पूछ पाती। इसके पहले ही उसने बताया कि अब आपको सो जाना चाहिए और ऐसा बोलने के बाद उसने मेरे चेहरे पर हल्के से फूंक मार दी। इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं। अब जब मेरी आंख खुली है तो देखा कि मैं सपना देख रही थी। अब तू मुझे सब सच सच बता, यह सब सुनने पर मैं समझ गया कि वह भानु ही थी जिसने मां को ठीक कर दिया था।
मैं मां से बोला, क्या फालतू की बातें कर रही हो, आप पता नहीं क्या-क्या उल्टे सीधे सपने आप देखती रहती हैं। मां ने बोला तो क्या मैं झूठ बोल रही हूं तब मैंने भी हंसते हुए मजाक में कह दिया। हां हां जरूर आपके सपने में आपकी बहू आई होगी। जिसने अपनी सास को ठीक कर दिया और एक बार की बात है जब हम लोग मेरे बड़े भैया की शादी के लिए लड़की देख रहे थे। तो एक अच्छे घर की लड़की के साथ भैया की शादी तय हो गई पर भानू ने मुझे बताया था कि इस लड़की के साथ अपने भैया की शादी मत होने देना। यह तुम्हारे भैया का जीवन खराब कर के रख देगी। तब मैं और मेरे कुछ दोस्त उस लड़की के ऊपर कुछ दिन नजर रख कर देखें कि वह तो पहले से ही 3 लड़कों को अपने चक्कर में घुमा रही थी। तब भैया के इस रिश्ते को लेकर हम और आगे नहीं बढ़े और भानू की वजह से मेरे भैया की भी जिंदगी बच गई। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं। जब भानु ने हमारे परिवार की एक सदस्य की तरह मदद की थी।
अब मैं सभी साधक भाइयों और बहनों से कहना चाहूंगा। कि जिनके पास भी ऐसी शक्ति की सिद्धि है या फिर कोई इन शक्तियों की साधना के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले यह याद रखें कि अगर आपको इनसे अपना कोई काम करवाना है तो हर वक्त अनुरोध करें। कभी भी उन्हें आदेश ना दे। हर पल उन्हें अपने परिवार के सदस्य की तरह सम्मान दें, क्योंकि अगर आप सम्मान और स्नेह देंगे। तभी सम्मान पाएंगे। अप्सरा साधना के संबंध में कुछ और बताना चाहता हूं कि आप लोग मा या बहन के रूप में इनकी साधना करें तो यह जल्दी सिद्ध हो जाएंगी। पर हो सके तो आप लोग पत्नी या प्रेमिका के रूप में इनकी साधना करें। चाहे ज्यादा समय ही क्यों ना लगे क्योंकि अधिकतर अप्सराएं साधक के ऊपर केवल अपना अधिकार समझती हैं और पत्नी या प्रेमिका के रूप में सिद्ध होना ज्यादा पसंद करती हैं। जब तक आपको सिद्धि प्राप्त नहीं होगी तब तक ही केवल नियम में रहना होता है। एक बार सिद्धि प्राप्ति के बाद तो कोई नियम होता ही नहीं है। तब आप उस शक्ति के साथ इसी लोक के किसी लड़के की तरह घुल मिल सकते हैं और उसे छू सकते हैं। आलिंगन कर सकते हैं। बहुत से लोग बोलते हैं कि अप्सरा साधना में नॉनवेज खाने से दूर रहना चाहिए। पर ऐसी कोई बात नहीं है।
अगर आप अपने मन के ऊपर पूरा नियंत्रण रख सके तो जैसे मैं एक बंगाली हूं तो हमारे यहां खाने में मछली का उपयोग बहुत ज्यादा होता है। तो मेरे साधना काल में मैं तो वह सब कुछ ही खाता था जो हम बंगाली लोग आमतौर पर खाते हैं। केवल अपने मन को हर वक्त नियंत्रित रखने की कोशिश करें और उसे हर पल ब्रह्मचर्य के प्रति अनुरक्त रखें। स्त्रियों का सम्मान करें और भूल कर भी कामवासना में ना फंसे अंत में माता पराशक्ति से यही प्रार्थना करूंगा कि चैनल से जुड़े हुए मेरे हर एक साधक भाई अपनी साधना में सफल हों। अगर मुझे समय मिला तो मैं आगे के पत्र में आप सभी को मां दुर्गा और मां काली के दिव्य परमधाम के बारे में बताऊंगा जो मुझे भानू ने बताए हैं। तब तक के लिए आप सभी को और हम सबके प्रिय गुरु जी को मेरा प्रणाम
संदेश-तो देखिए यहां पर इन्होंने अपना यह अनुभव भेजा है जिसके माध्यम से साधक। साधना के रहस्य को समझ सकते हैं जिसमें अप्सरा साधना में किस प्रकार से आपको जीवन बिताना चाहिए और क्या आपके अंदर व्यवहार होना चाहिए। इस अनुभव के माध्यम से सीखने को आप सभी को मिल रहा है। तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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