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यक्षिणी से विवाह सत्य अनुभव भाग 4

यक्षिणी से विवाह सत्य अनुभव भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अभी तक हमने यक्षिणी से विवाह सत्य अनुभव भाग 3 तक जाना था। अब आगे के भाग के विषय में इस पत्र के माध्यम से जानते हैं।

नमस्कार गुरु जी सबसे पहले दर्शकों से माफी चाहूंगा कि मुझे पत्र भेजने में थोड़ी देर हो गई तो पिछली बार मैंने आपको बताया था कि वह लाल साड़ी पहने स्त्री उस तांत्रिक के घर के बाहर थी। आखिर वह कौन थी? अब तांत्रिक जब उसके पास वह पहुंचा तो देखा कि यह तो वही स्त्री है जो कि उस घर में रहती है और पूरे गांव में सबसे ज्यादा सुंदर और समझी जाती है। लेकिन यह यहां पर क्या कर रही है और साधना के दौरान इस प्रकार से। भ्रमित करने के लिए क्यों आई है इसलिए सीधे तांत्रिक महोदय ने कहा, तुम्हें लोक लज्जा नहीं है। तुम नई नवेली वधु हो और इस प्रकार रात्रि को मेरे घर में आने का क्या तात्पर्य है? तब उसने कहा, आप जो कर रहे हैं उसे तुरंत रोक दीजिए। आप जो रहस्य पता करना चाहते हैं, उससे मुझे काफी परेशानी हो सकती है और अगर मुझे परेशानी हुई तो फिर आप भी इस से नहीं बच पाएंगे। यह सुनकर तांत्रिक महोदय कहने लगे। तू होती कौन है मुझे इस प्रकार समझाने वाली मैं उस कुवे का रहस्य पता कर रहा था।

वह कुआं। जिसमें मैंने एक स्त्री को देखा था। मैं उसके बारे में ही पता करने के लिए यहां पर बैठा हुआ हूं। लेकिन अगर इस प्रकार से तुम मुझे भ्रमित करोगी तो मैं अपना कार्य सिद्ध नहीं कर पाऊंगा। अब प्रश्न यह था। की तांत्रिक आगे क्या करता?

तांत्रिक कुछ शक कर रहा था इसलिए उसने तुरंत ही। अपने हाथ में लाल सिंदूर जो ले रखा था वह उस स्त्री के ऊपर फेंका और तभी अचरज भरी नजरों से उसने देखा। सामने की स्त्री बदल चुकी थी। उसके हाथ में एक खड़ग था। वहां खड़ग लिए हुए एक शक्तिशाली देवी जैसी लगती थी। अपने वास्तविक रूप में आकर वह जोर-जोर से हंसने लगी और कहने लगी। वाह तांत्रिक महोदय तूने तो आखिर मुझे अपने वास्तविक रूप में ला दिया देख ले। यही मेरा वास्तविक रूप है और मुझे कुछ भी करने की सामर्थ्य प्राप्त है। अगर मैं चाहूं तो अभी इसी क्षण तेरा बलिदान देवी पर चढ़ाकर और अधिक सिद्धियां प्राप्त कर सकती हूं, पर मैं ऐसा नहीं करूंगी क्योंकि मैं बुरी नहीं हूं।

तब तांत्रिक ने कहा देवी आप जो भी हो। लेकिन आपके यहां आने का कारण क्या है और इस प्रकार किसी परिवार की बहू बनने का मूल कारण क्या है। इसके विषय में मुझे बताइए क्योंकि आपके बताए बगैर मुझे इस बारे में कोई भी जानकारी कहीं से प्राप्त नहीं हो सकेगी। आप कृपया मुझ पर कृपा कीजिए। मैं चाहता हूं कि आप मुझे बताएं कि किस प्रकार से आप इस मानव जीवन में आ चुकी है और आपका परिचय क्या है? तब उस स्त्री ने हंसते हुए कहा। अच्छा चल ठीक है अब मैं तुझे वास्तविकता बताती हूं।

जिस पुरुष के साथ मेरा विवाह हुआ है, असल में वह मेरा पति रह चुका है। पूर्व जन्म में उसने मेरी आराधना की थी और पत्नी रूप में मुझे सिद्ध किया था। इस सिद्धि के बाद मैं उसके साथ रहने लगी और जब उसकी मृत्यु हुई तब से मैं इंतजार कर रही थी कि कब इसका पूर्व जन्म होगा और आखिरकार 400 वर्ष बाद इसने फिर से पृथ्वी पर जन्म लिया। और मैं भी अपने यक्षिणी लोक से यहां आ गई।

और यहां आकर मैं इस बात का इंतजार करने लगी कि कब इसे मेरे बारे में अपनी याददाश्त वापस आएगी पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। अपितु यह तो पूजा पाठ भी पूरी तरह छोड़ चुका था? पूर्व जन्मों की सारी बातें यह भूल चुका था। अब मैं सोचने लगी। अगर इसने मेरा आवाहन नहीं किया तो मैं इसके जीवन में प्रवेश कैसे कर पाऊंगी। लेकिन क्योंकि मैं इसकी पत्नी रह चुकी हूं। इसलिए मैं चाहती थी कि अब मैं इसके जीवन में किसी भी प्रकार से प्रवेश करू। तब एक दिन में एक वृक्ष पर बैठी। यह सब कुछ सोच ही रही थी कि पता चला कि इस व्यक्ति का विवाह इस गांव में एक लड़की के साथ तय हो चुका है। मेरे लिए एक अच्छा अवसर था। मैं पहले उस लड़की के शरीर में प्रवेश कर गई, लेकिन वह मेरी ऊर्जा सहने लायक नहीं थी इसलिए! मैंने यह किया कि अपनी कुछ शक्तियां उस कन्या को प्रदान की और मैं वचन के माध्यम से ही उसके जीवन में प्रवेश कर सकती थी। जब वह स्वयं ही मुझे अपने जीवन में प्रवेश दे। इसीलिए मैं वृक्ष से नीचे उतर कर आई और मैंने इस लड़की से पानी मांगा। तब इस लड़की के मन में मैंने ही भावनाएं डाली ताकि वह मुझसे कुछ मांगे और उसने मुझे कहा। कि मेरी हर एक इच्छा इस प्रकार से पूरी हो और नवलखा हार प्राप्त हो। मैंने उसके लिए तुरंत ही नौलखा हार प्रस्तुत कर दिया बदले में मैंने इस से वचन लिया। यह हंसते-हंसते अपने पति को मुझे दान कर दी और इसी के साथ इसका होने वाला पति जो कि पूर्व जन्म में मेरा साथी था। अब! मेरा पति बन सकता था इसीलिए जब यह वचन लेने के बाद वह यहां से चली गई तो फिर मैं इसके घर पहुंची। और मैंने वह हार इसके घर में रख दिया। अब मैं यह बात जानती थी कि बिना इसके।

यह विवाह संपन्न हो ही जाएगा। लेकिन जरूरी बात यह है कि मैं इसे अपने रास्ते से हटा दूं, लेकिन इस बिचारी की कोई गलती नहीं है। इसीलिए मैंने सोचा कि इसे जल द्वार के द्वारा अपने लोक में तब तक निवास करने दूं। जब तक मैं अपने पति के साथ मनुष्य रूप में रहूंगी और मैंने कुवे के जल में इसे कैद कर दिया। यह कुवे के जल से इधर देख तो सकती है और किसी को दिखाई भी पड़ सकती थी, लेकिन मेरी दुनिया में प्रवेश नहीं कर सकती थी वह तब तक यक्ष लोक में निवास करती रहेगी।

इस प्रकार से यक्ष लोक में रहने लग गई। लेकिन क्योंकि वह यह सारी बात जानने लग गई थी। इसलिए कुवे के जल के माध्यम से बार-बार कोशिश करने लगी कि कोई उसे उस दुनिया से इस दुनिया में देखे। अब तुमने यही प्रयास यहां पर जारी रखा है और उस कुवे के माध्यम से रहस्य को जानना चाहते हो। मैं तुम्हें यह स्पष्ट रूप से बता दूं कि मैं किसी भी प्रकार से अपने पति को नहीं छोड़ने वाली और उस कन्या को भी आजाद नहीं करूंगी। उसे वहां कोई समस्या नहीं है और जब तक मैं मानव रूप में अपने पति के साथ विद्यमान रहूंगी तब तक वह कन्या भी यक्ष लोक में रहकर आनंदित जीवन व्यतीत करेगी, लेकिन इस जीवन में वह प्रवेश नहीं कर पाएगी क्योंकि इसके पति पर वास्तविक रूप में मेरा ही अधिकार है। उस कन्या को अपने लोक में भेजकर मैंने उसकी जगह स्वयं वधू का रूप धारण कर लिया और आ गई। इनके घर जहां सासू मां के माध्यम से मैंने प्रवेश किया और आज मैं इस घर की बहू हूं। मैं तुमसे एक बात स्पष्ट रूप से कह देना चाहती हूं। इस सत्य को कहीं उजागर मत करना और मेरे रास्ते में कभी मत आना क्योंकि मैं जितनी सौम्य हूं, उतनी ही ज्यादा उग्र हूं। यह खड़ग मैंने यूं ही नहीं धारण कर रखा है। मैं देवी मां काली के साथ कई बार राक्षसों के संहार के लिए युद्ध में भी सम्मिलित हुई थी। इसलिए किसी का भी वध करना मेरे लिए एक छोटी सी बात है किंतु अपने पति से दूर रहना मेरे लिए संभव नहीं है और यही कारण है कि मैं अब इस जन्म में अपने पति को प्राप्त करने के लिए पूर्व जन्म की यात्रा भी तोड़ कर इस जन्म में आ चुकी हूं। तो? यह मेरी कथा है अब तांत्रिक महोदय, यह सब सुनकर आश्चर्य में पड़ जाते हैं। उन्हें तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। आखिर कोई कैसे मनुष्य बन सकता है किंतु वह तो सामने सब कुछ साक्षात होते हुए देख रहे थे। तांत्रिक महोदय ने एक निर्णय लिया था। आखिर तांत्रिक महोदय ने क्या किया जानेंगे। हम लोग अगले भाग में तो अगर आपको जानकारी और कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

यक्षिणी से विवाह सत्य अनुभव भाग 5

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