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अघोरी विद्या और श्मशान की चुड़ैल भाग 1

अघोरी विद्या और श्मशान की चुड़ैल भाग 1

 धर्म रहस्य में आपका स्वागत है ।  आज मैं आप लोगों के लिए एक ऐसी कहानी लाया हूं जो आज से शायद सौ डेढ़ सौ साल पहले घटित हुई हो, लेकिन जिनके साथ घटित हुई थी, वह अघोरी विद्या में पारंगत थे।  और उनके जो पोते हैं सुकेश जी जिनके पास यह विद्या थी।  उन्होंने इस विद्या के बारे में बताया था । अपने दादा जी के माध्यम से उन्होंने  जाना था इन सब चीजों को , वह कहानी जो है आप सभी को बता रहा हूँ।   उन्होंने यह कहानी मेरे को भी भेजी है यह कहानी मैं आप लोगों के सामने प्रस्तुत कर रहा हूं, किस प्रकार इस विद्या को सिद्ध किया जाता है । इस विद्या में एक चुड़ैल होती है और उसके साथ आप का विवाह संपन्न होता है ,और यह अधिकतर खतरनाक साधना मानी जाती है l क्योंकि इस तरह की साधना में शक्तियां बहुत ज्यादा मिलती है, लेकिन डर भी बहुत ज्यादा होता है। इस प्रकार की साधनाओ में  गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती ,गलती करने पर शक्तियां आपको जान से भी मार सकती है, भिन्न-भिन्न प्रकार की चीजें आपके साथ कर सकती हैं । चलिए अब मैं आपको कहानी बताता हूं कि किस प्रकार से सुकेश जी ने अपने दादाजी के बारे में बताया था l सबसे पहले जब मैं उनसे मिलने गया था तब यह आज से काफी सालों पहले की बात है, उस वक्त वह भी अघोरी विद्या में पारंगत होने की वजह से जितने भी अघोरी तरह की साधनाएं होती है वह किया करते थे l हालांकि  तामसिक साधनाएं बहुत ज्यादा तीव्र होती थी उस जमाने में l अब इस तरह  की साधना लोग नहीं करते हैं और अब सात्विक साधनाए भी अघोरी लोग करते हैं। लेकिन वह जो बताते हैं कि उनके दादाजी ने जो की थी l उनके दादाजी से उनके पिताजी को और उनको यह साधना प्राप्त हुई l यह शक्तियां प्राप्त हुई थी l उनके दादाजी जब पहली बार इस विद्या को सीखने गए  ,उनके साथ क्या घटित हुआ और किस प्रकार से वह सिद्धि के नजदीक पहुंचे थे, मैं आपको आज कहानी के माध्यम से  बताने की कोशिश करूंगा l उन्होंने जो जो बताया है मैं आपको बताता हूं । सबसे पहले हम जान लेते हैं कि उनके पिताजी का नाम क्या था ?उनके पिताजी का नाम विशंभर नाथ था l वह काफी ज्यादा धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे और इधर उधर की विद्या सीखने की कोशिश किया करते थे।  जब भी इस तरह की चीजें होती है तो लोग विशेष स्थानों का चयन करते हैं l वहां जाकर के विद्याओं को सीखने की कोशिश करते हैं । वह 1 दिन बाजार गए हुए थे यूं ही समान खरीदने , उस समय छोटे-छोटे बाजार हुआ करते थे ।  जब वह बाजार  गए थे तब वहां पर लोग साधु संत को वह कुछ ना कुछ दान दक्षिणा  दिया करते थे।  वही दान दक्षिणा  दिए जा रहे थे उन्हीं में से एक  अघोरी दाहिने हाथ में मल लिए चलता हुआ जा रहा था , तो वह भी दक्षिणा मांगता या यूं कहिए किसी से भी भोजन के लिए कहता, कोई भी उसे देख कर के दूर से ही दुत्कार देता l इस वजह से उसको देख कर के लोग घबरा रहे थे ,क्योंकि वह ऐसी चीज  हाथ मे करके चल रहा था l वास्तव में अघोरी विद्या में यही होता है वह समाज से बिल्कुल कटा होता है l इससे सामने वाला अघोरियों के भावों को नहीं समझ सकता तो वह चलता जा रहा था । जिस भी दुकान पर वह जाता वहां मांगने की कोशिश करता लेकिन कोई उसे भिक्षा नहीं देता, क्योंकि दाहिने हाथ में उसके मल था l मल रखने की वजह से दूर से ही लोग उससे दुत्कार देते थे।  तो इस विशंभर  नाथ जो इनके दादाजी हैं, यह भी इसी जगह से सामान ले रहे थे, अचानक से वह ठीक इनके सामने आ गए और अघोरी ने सीधे इनसे कहा कि मुझे कुछ भिक्षा दे दो कुछ भोजन दे दो, ताकि मैं रात के लिए भोजन बना सकू दाहिने हाथ में इसके मल देखकर इनको बड़ा आश्चर्य हुआ l लेकिन फिर भी इनके मन में एक भाव आया कि इस तरह के जो लोग होते हैं अधिकतर अपनी इस तरह की माया लेकर चलते हैं।  चलो क्यों ना इन्हें में दे ही देता हूं भिक्षा, भले ही इनके हाथ में मल है ,तो क्या हुआ मल का मुझे क्या करना है, उन्होंने अपने झोले में से जो भी सामान उन्होंने खरीदे थे l उसी में से उन्होंने निकाल कर के कुछ सूखे हुए मेवे की कोई चीज थी उन्होंने खाने के लिए उसे दे दी l सूखे हुए मेवे का उनके पास एक पैकेट रहा होगा । तो उन्होंने उस अघोरी से कहा कि अपना झोला खोल दीजिए मैं इसके अंदर ये डाल देता हूं और कुछ बचा कर के घर ले जाऊंगा शायद होली  का त्यौहार पास था l इस वजह से जो सूखे फल होते हैं उन सूखे फलों का प्रयोग ज्यादा होता था उस जमाने में, सूखे फलों में से बहुत सारी चीजें जो उनके पास थी वह सारी चीजें उन्होंने उसके झोले में डाल दिया अपने हिसाब से, अघोरी ने उनको देखा उनके माथे को देखा और उनकी माथे की लकीरों को देखा और मुस्कुराकर कहने लगा कि इतने सारे यहां लोग हैं लेकिन सभी दुनियादारी में है ,फिर भी तू दुनियादारी से अलग है मैं तुझे कुछ देना चाहता हूं और उन्होंने जो मल पकड़ा था देकर उनसे कहा कि तुम अपना हाथ आगे करो तुम्हें मैं यह देता हूं।  तो यह घबरा गए और उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं ले सकता, बाबा कुछ भी दे दो मगर मैं यह नहीं ले सकता l वह कहने लगे नहीं बेटा तू यह ले मेरी इच्छा है, मैं तुझे यह देना चाहता हूं । मैं दिल से तुझे यह देना चाहता हूं तू यह ले उन्होंने कहा कि यह कैसी मुसीबत सामने आ गई, भला में अघोरी के मल को अपने हाथ में कैसे ले सकता हूं । लेकिन अघोरी ने कहा बेटा  यह ले ले और ऐसा मौका तुझे दोबारा नहीं मिलेगा ले ले ।पता नहीं क्या सोच कर उन्होंने कहा कि चलो मैं आगे चलकर हाथ धो लूंगा इन को संतुष्ट करना जरूरी है। जब मैंने इनके लिए इतना किया तब यह भी कर के देख लेते हैं पता नहीं किस प्रेरणा से उन अघोरी के हाथ में जो मल था, अपने हाथ में ले ली और फिर अघोरी ने कहा मुट्ठी बंद कर लो अब और बड़ी मुसीबत क्योंकि अघोरी के कहे अनुसार अब अभी तो सिर्फ मल उन्होंने हाथ में ही लिया था, अब मल को मसलना या दबाना भी था , अगर वह दबाते तो उनका हाथ पूरी तरह गंदा हो जाना था लेकिन वह इतनी विनम्रता से बोल रहे थे उनमे इतना अधिक  तेज था उन्होंने इस तरह उनसे बोला तो फिर उनकी बात को यह मना नहीं कर पाए । अब वह आगे चल पड़े उन्होंने आगे थोड़ी दूर पर देखा कि कुआं है l मैं वहां जाकर अपने हाथ धो लूंगा, यह सोचकर उन्होंने अपनी मुट्ठी बंद कर ली और फिर अघोरी ने कहा जाओ अब तुम खुश हो जाओ ,इतना कहकर के वह अघोरी वहां से चल दिए । अघोरी  वहां से चला गया तो उन्होंने  तेजी से दौड़ कर के  इधर-उधर देखने लगे कि कहीं किसी ने देखा तो नहीं मल मैंने हाथ में पकड़ा है । इस तरह की हरकत और इस तरह की चीजें की और बहुत तेजी से वह दौड़े जिस तरफ कुआं था । जिससे  कि जल्दी से जल्दी जाकर मैं अपना हाथ धो लूं  ताकि मैं इस गंदगी से बच जाऊं । वह किसी तरह वहां से भागते हुए उस कुएं के पास पहुंचे और पानी जैसे ही उन्होंने अपने बाएं हाथ में लिया और डालने की कोशिश की । अपना हाथ खोला तो उसके अंदर काफी मात्रा में हीरे निकले वो कम से कम उन्हें 7 या 8 हीरे उनके हाथ में नजर आए, वह अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाए।  उनको कुछ समझ में नहीं आ रहा था, कि यह कैसे संभव हो गया यह क्या था अघोरी ने मुझे जो मल दिया था ।वह मल नहीं बल्कि हीरे दिए, यह कैसे हो सकता है, मैं अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहा हूं।  वह ऐसा सोचने लगे और इधर-उधर देखने लगे कि किसी ने उन्हें देखा तो नही  कोई भी वहां नहीं था ।किसी ने देखा भी नहीं कि इस तरह की चीजें हुई उनके साथ, यह उस ओर दौड़े, जिस और अघोरी गया था, उनके पास  जाकर के उनसे माफी मांग लूं कि मैंने मन में पता नहीं क्या-क्या गलत विचार सोच लिया और उनसे जाकर माफी मांगनी चाहिए । वह उस ओर दौड़े लेकिन कहीं कुछ दिखाई नहीं पड़ा तभी उन्हें एक लाल कपड़ा गिरा हुआ दिखा । उन्होंने उस लाल कपड़े को उठाया और सोचने लगे कि यही लाल कपड़ा मैंने उनके झोले में भी देखा था । यानी यह बाबा जी के झोले का एक छोटा-सा टुकड़ा था । उसको देख कर के यह सोचने लगे कि चलो बाबा जी की निशानी के रूप में यही मुझे मिल गई है ,इसे मैं अपने पास रख लेता हूं और उन्होंने उसी लाल कपड़े के अंदर लपेट के वही रख लिए । 7 या 8 हीरे जो उन्हें मिले हुए थे।  उस कपड़े के अंदर बांध दिए थोड़ी दूर जाने के बाद उन्होंने फिर से सोचा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि यह सब कुछ माया  है और जैसे वह मल दिखा था वह एक माया थी उसी तरह हीरे भी नकली हो ऐसा हो सकतेहै। तब उन्हें लगा कि मुझे किसी ना किसी जोहरी को जाकर के यह दिखा देना चाहिए और उन्होंने एक हीरा निकाला और अपनी जेब में रख लिया । कुर्ते में डाल लिया और फिर वहां से आगे चल दिए उस स्थान की ओर जहां पर एक जोहरी रहता था।  नगर का प्रसिद्ध जोहरी वह था । जगह पर जा करके उन्होंने उस जोहरी को हीरा दिखाया । उन्होंने धीरे  से कहा यह कितने मूल्य का है कितने का बिकेगा । इस तरह की बातें उन्होंने । जौहरी ने  देखा तो वह आश्चर्य से चौक गया उसने जब उस हीरे की जांच की तब कहा कि कहां से पा गए विशंभर नाथ इस हीरे को क्योंकि उस जमाने में एक दूसरे को दोनों बहुत अच्छी तरह से जानते थे। तो उस जोहरी ने कहा विशंभर नाथ इस हीरे को कहां पड़ा हुआ पा गए यह तो असली है । अगर चाहो तो मुझे यह हीरा  मुझे बेच  दो इसके बदले मैं तुम्हें सोने के सिक्के दे दूंगा और असली सोने के सिक्के मैं आपको दे दूंगा । मुझे यह हीरा दे दीजिए। अब इनको कुछ समझ में नहीं आया इन्होंने कहा एक व्यक्ति इस हीरे का मूल्य 20 सोने के सिक्के लगा रहा है।  मैं इस हीरे को इसे दूं कि ना दूं यह सोचने लगे फिर उन्होंने कहा मेरे पास 6 और रखे हुए हैं यानी की हीरे जो है 6 और रखे हुए हैं । आशा करता हूं कि यह एक हीरा मैं इसे दे ही देता हूं हीरे का 6 टुकड़ा अब मेरे पास रहेंगे ही । चलो इसे बेच देता हूं जिससे मेरे पे से शक भी हट जाएगा कि कोई ऐसी चीज थी मेरे पास । उन्होंने वह जोहरी को दे दिया। जोहरी ने बड़ी खुशी के साथ तुरंत 20 सिक्के निकालें और उन्हें एक पोटली में  रख कर दे दिया और  कहा यह लीजिए 20 सोने की मोहरे आप तो आज से मालदार हो गए । देखिए कहां पड़ा हुआ मिल गया वह हीरा, जौहरी उनसे पूछने लगा कि आपको यह कहां से मिला । वे कहने लगे कहीं नहीं बस ऐसे ही रास्ते में चलते हुए पड़ा हुआ था और मुझे मिल गया तो जोहरी कहने लगा अरे भाई आप तो बड़ी किस्मत वाले हैं, इस तरह की चीजें आपके साथ हो जाती है । अरे काश हमारे साथ भी ऐसा कोई चमत्कार होता और उन्होंने वह हीरा अपने पास रख लिया । इस प्रकार से विशंभर नाथ ने जोहरी को हीरा दिया और फिर वह अपने घर की ओर चलने लगे तभी उनको अजीब सा महसूस हुआ, लगा उनके पीछे कोई चल रहा है।  उनको यह समझ में नहीं आ रहा था कि क्या चीज है क्या नहीं है ? उस वक्त के बारे में कुछ अनुमान नहीं लगा पा रहे थे क्योंकि आज जो उनके साथ घटित हो रहा था, वह बड़ा ही आश्चर्यजनक था।  फिर उन्होंने इधर-उधर देखा कोई नजर नहीं आया वह आगे चलते गए, फिर से कोई नजर नहीं आया धीरे-धीरे करके घर पहुंच गए । घर में विशंभर नाथ जी और उनकी पत्नी वहां पर थी और  सुकेश जी के पिता जी उस वक्त काफी छोटे रहे होंगे शायद 3 या 4 साल के तो इस अवस्था में उन्होंने फिर अपनी पत्नी से कहा कि भोजन बना दो ,आज मैंने कोई नई  चीज प्राप्त की है ,मैं तुम्हें दिखाता हूं । उनकी पत्नी ने उनके लिए भोजन बनाया । रात को और सब लोग बैठ करके भोजन खाने लगे फिर खाना खा लेने के बाद में विशंभर नाथ जी ने अपनी पत्नी से कहा चलिए आप मेरे साथ । मैं आपको कुछ दिखाना चाहता हूं । उनकी पत्नी ने कहा ठीक है जरूर दिखाइए फिर वह दोनों अंदर कमरे में चले गए, दरवाजा उन्होंने बंद कर लिया ,इसी समय इनके पिताजी ने जो बहुत छोटे थे चार पांच साल के रहे होंगे उन्होंने झांक करके देखा और उनकी बातें भी सुनी । उन्होंने जब झांक कर देखा तो पता लगा कि वह आपस में बातें कर रहे हैं । उन्होंने एक पोटली खोली जिसमें से सोने के सिक्के थे । वह अपनी पत्नी को दिखा रहे थे । उनकी पत्नी काफी खुश हो गई और उनकी पत्नी कहने लगी यह तो बहुत अच्छी बात है । यह तो आपने बहुत बड़ा काम कर दिया अब  विशंभर नाथ जी बोले कि यह तो कुछ भी नहीं है । फिर उनकी पत्नी ने कहा ऐसा और क्या पा लिया आपने उन्होंने अपनी सारी कहानी बताई किस प्रकार से उन्हें एक अघोरी  मिला था ।  उसके बाद तो उनकी पत्नी ने कहा मुझे आप वह हीरे भी दिखाइए । तब उन्होंने वह पोटली अपनी पत्नी को खोलकर दिखाइ, उसमें 6 हीरे अभी भी थे और वह 6 हीरे देखकर उन्होंने कहा की, अगर एक हीरे के 20 सिक्के मिल सकते हैं, तो 120 सिक्के सोने के हमारे पास हो जाएंगे लेकिन उन्होंने कहा नहीं, विशंभर नाथ जी ने कहा कि जोहरी ने मुझे ठगा है । कोई भी इतनी आसानी से तुरंत हीरो को नहीं ले लेगा, इसका मतलब हमें पता नहीं है इस हीरे का मूल्य, हीरे की कीमत बहुत ज्यादा है । इसीलिए मैंने सिर्फ एक ही हीरा बेचा है और आगे से हम बड़ी सावधानी से बाकी हीरो को बेचेंगे । उससे सिक्के खरीदेंगे तो यह कह कर के उनकी आपस में बातें हो गई।  रात को जब दोनों लोग सोने लगे तभी कहते हैं कि अचानक से उसकी पत्नी बहुत चिल्लाने लगी और एकदम से उठ बैठी । बगल में लेटे विशंभर नाथ  ने कहा क्या बात है ,आपको क्या हुआ आप इतनी जोर से क्यूँ चीखी ? क्या कोई सपना तो नहीं देखा है।  तो वह कहने लगी कि एक अघोरी है जो श्मशान में बुला रहा है आपको और मैं कह रही हूं नहीं जाना नहीं जाना और वह कह रहा है आ जाओ । मैं पूरी कोशिश कर रही हूं आपको पकड़कर के खींचने की और आप झटका देकर के दूर चले गए । मैं कहने लगी कि मैं आपको कसम देती हूं अपनी और मैं कुछ बोलने वाली थी वैसे ही मेरी किसी ने गर्दन दबा दी । मुझे सास लेने में परेशानी होने लगी और शब्द निकलने बंद हो गए मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी । मैं  प्रयास कर रही थी कि कुछ बोल पाऊं, लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोल पा रही थी । उसी अवस्था में मेरा सपना टूट गया , मुझे लग रहा है आपको कोई श्मशान में अघोरी बुला रहा है । उसकी कोई बुरी खतरनाक शक्ति है जो मेरी गर्दन दबा दी थी,  ताकि मैं आपको कसम देकर रोक ना दूं । इस तरह से उनके साथ यह सब घटित हुआ । अगले दिन उनके द्वार पर एक बार फिर से एक लाल कपड़ा उन्हें मिला, जैसा लाल कपड़ा उन्हें पहले प्राप्त हुआ था। इस बात को देखकर विशंभर नाथ चौक गए और वह यह सोचने लगे कि यह सब क्या है। अब क्या उसकी पत्नी की कही जाने वाली बात सच तो नहीं होने वाली है या कोई ऐसा संकेत है जिसको मैं समझ नहीं पा रहा हूं l अब इसके बाद क्या हुआ यह मैं आपको इसके अगले भाग में बताऊंगा।

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