जिन्न साधना बिगड़ने का दुष्परिणाम 2 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। जिन साधना बिगड़ने का दुष्परिणाम आज भाग 2 में हम जानेंगे कि इनके पिता के साथ आगे क्या घटित हुआ था? नमस्कार गुरु जी, पिछली बार मैंने आपको बताया था कि कैसे गांव वालों ने मेरे पिता को रोकने की कोशिश की लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जिन कितना अधिक शक्तिशाली होता है। उसे रोकना किसी के बस की बात बिल्कुल नहीं होती। मेरे पिता ने लड़की की गर्दन पकड़ ली थी। वह सांस तक नहीं ले पा रही थी और उन्होंने तुरंत ही उस लड़की को अपने कंधे पर उठा लिया और लेकर वहां से भागने लगे। आप लोगों को यकीन नहीं होगा कि मेरे पिता के लिए उस लड़की को लेकर भागना ऐसे था जैसे क्रिकेट की कोई गेंद हो यानी वजन जिसका सामान्य नजर आ रहा हो और इसके बावजूद भी वह चीते क। तेजी से वहां से भागे थे। उनकी गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा के करीब रही होगी। इसी से आप अनुमान लगा सकते हैं कि सारे गांव वाले बस उन्हें खड़े देखते ही रह गए और वह उस लड़की को लेकर वहां से गायब हो गए। वह उसे लेकर एक जंगल में पहुंचे जहां उन्होंने एक पेड़ पर उसे लटका दिया। इस प्रकार उसी पेड़ पर बैठ कर उसके साथ गलत काम करते थे और यह सब गांव वाले लगभग 1 दिन बाद समझ गए। उस स्थान को घेर लिया गया। जहां पर वह बैठे हुए थे और उस लड़की को बांधकर उन्होंने रखा था। चारों ओर से लोगों ने कहा, इसे जिंदा जला दो क्योंकि यह जिन है यह कोई इंसान नहीं है। पर कुछ लोग कहने लगे कि लड़की तो बेचारे बेमतलब मारी जाएगी। इसलिए ऐसा करना ठीक नहीं होगा। कुछ लोगों ने चुपके से फॉरेस्ट गार्ड को बुला लिया और उनके पास जो जानवरों को बेहोश करने वाली डॉट होती है, उन्होंने उसी का ही प्रयोग करने के लिए कहा। नजदीक पहुंचकर फॉरेस्ट गार्ड ने वह फायर मेरे पिता के ऊपर कर दिया। उनके शरीर में डॉट चुभ गई और इस प्रकार वह नीचे आकर गिरे, लेकिन उन्हें बिल्कुल भी चोट नहीं लगी थी। उन्होंने अपने शरीर से वह डॉट निकाल बाहर की और इसी के साथ में तेजी से गार्ड की ओर बढ़े। उन्होंने उस गार्ड के पास आकर कहा, तूने यह अच्छा नहीं किया। मुझे इसके शरीर में रहना पसंद है और तू मुझे रोका है। मैं तेरी जान ले लूंगा। उन्होंने बस इतना ही कहा और उसके बाद। फॉरेस्ट गार्ड को हवा में उठा लिया और दूर उठा कर फेंक दिया। तभी गांव वाले उस फॉरेस्ट गार्ड की जान बचाने के लिए अपने अपने हथियार लेकर मेरे पिता पर टूट पड़े। पर मेरे पिता की शक्ति बहुत ज्यादा थी। उनके सामने पूरे गांव वाले कुछ भी नहीं कर सकते थे। वहां से उन सभी को पीट कर भागने लगे, लेकिन अब डॉट का असर होने लगा था। थोड़ी दूर भागने के बाद अचानक से वह एक जंगल वाले गहरे स्थान में बैठ गए। और वहीं पर बेहोश होकर गिर गए। कुछ देर बाद गांव वाले उस स्थान पर पहुंचे जहां पर मेरे पिता बेहोश पड़े हुए थे। गांव वालों ने कहा, इसे अभी बांधकर जिंदा जला दो, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ करते गांव के प्रधान ने कहा, ऐसा करना ठीक नहीं होगा। हो सकता है। जिन इस बात से बहुत ज्यादा नाराज हो जाए और इसकी वजह से वह बहुत बड़ा। कोई नुकसान हमारे गांव के लोगों को पहुंचा सके। ऐसी कोई परिस्थिति पैदा ही नहीं होने देनी चाहिए। तब गांव वालों ने प्रधान से पूछा, इसका क्या विकल्प है? क्या कोई ऐसा मार्ग है जिससे हम इनके अंदर से जिन को बाहर निकाल सके तब उन्होंने कहा, मेरे पास एक ऐसे तांत्रिक का पता है जो बहुत ही उच्च कोटि का साधु है। चलो सभी लोग उसके पास चलते हैं। गांव के सारे लोगों ने अपने-अपने वाहनों के द्वारा एक जंगल के अंदर बने हुए प्राचीन मंदिर में उसी स्थान पर गए जहां पर साधु बाबा रहा करते थे। वह एक उच्च कोटि के तांत्रिक थे और वनदुर्गा देवी की साधना करते थे। देवी दुर्गा की उन्हें सिद्धि प्राप्त थी। इसी कारण से वह सिद्ध बाबा नाम से भी जाने जाते थे। उनके पास पहुंचकर प्रधान जी ने कहा, बाबा एक बहुत बड़ी समस्या हमारे सामने आ चुकी है। एक व्यक्ति है जिसके ऊपर जिन का साया है। और उसने एक लड़की को बहुत ज्यादा परेशान किया है। उसकी इज्जत लूटी और गांव वालों को बेरहमी से पीटा है। उसकी स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। हम उसे लेकर आए हैं। अभी वह बेहोश है, लेकिन इससे पहले कि उसे होश आए। आप कुछ ऐसा तंत्र प्रयोग करें कि उसके ऊपर से उस बुरी शक्ति का प्रभाव नष्ट हो जाए। तब तांत्रिक साधु बाबा मेरे पिता के पास पहुंचे। उन्होंने कहा, आप सभी लोग आटा तिल और कुछ तांत्रिक सामान जो उन्होंने लिखवाया था वह सब मंगवा लिया। उन्होंने एक विशालकाय यंत्र बनाया और उस! निर्मित यंत्र के बीच में मेरे पिता को लिटा दिया गया। अब उन्होंने गंगा जल अभिमंत्रित जल उन पर छिड़कना शुरू कर दिया तभी मेरे पिता की चिर निद्रा टूट गई और उन्हें होश आ गया। वह उस यंत्र के बीच में बैठे थरथर कांपते हुए कहने लगे। बाबा मेरी जान बचा लो। उस जिन में मेरे दिमाग पर भी कब्जा कर लिया था। आप उससे मेरी रक्षा कीजिए। केवल 15 मिनट बाद वह फिर से वापस आ जाएगा और तब मैं कुछ भी नहीं कर पाऊंगा। तब बाबा ने कहा, वह चाहे कितना भी शक्तिशाली हो देवी दुर्गा की शक्ति के आगे उसकी एक नहीं चलने वाली आज मैं तुम्हें इस परेशानी से मुक्त कर दूंगा। उन्होंने अपने मंत्र जाप जारी रखें। वहां पर रात्रि का समय होने लगा था और जैसा कि मैंने बताया जिन अब तेजी से उनके शरीर के अंदर दाखिल होने की कोशिश करने लगा और जैसे ही उसने इनके शरीर के अंदर प्रवेश किया। मेरे पिता जोर से चिल्लाए और कहने लगे। मेरा शैतानी नमाज पढ़ने का समय हो चुका है। अगर कोई मुझे रोकेगा तो अपनी जान से हाथ धोएगा। तब वहां पर साधु तांत्रिक ने कहा, तू अपना काम करता रहे मुझे अपना काम करने दे। फिर जिन जोर से चिल्लाया, मैं तुझे जान से मार दूंगा और उस घेरे से बाहर निकलने की जिन ने कोशिश की, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया। वह गुस्से से बोला जिस दिन मैं इसके शरीर से बाहर निकला तेरी जिंदगी का आखरी दिन होगा और इस प्रकार उस दिन मंत्रों से अभिमंत्रित जल छिड़कने कर उस जिन आत्मा को मेरे पिता के शरीर से निकाल दिया गया। लेकिन उसका दुष्प्रभाव बहुत बड़ा पड़ चुका था, जिससे निकलना असंभव था। मेरे पिता बाहर तो आ गए लेकिन उनकी मानसिक हालात बिगड़ चुकी थी। इसके बाद उन्हें फिर मानसिक रोग चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। लेकिन वहां उनका इलाज चलता रहा और 1 दिन उनकी मृत्यु हो गई? मैं यह बात समाज से इसीलिए छुपाता हूं ताकि मैं बता सकूं। कोई भी साधना जब आप करते हैं। खासतौर से तांत्रिक और शक्तिशाली साधना है। उसके परिणाम कुछ भी निकल सकते हैं। हम अपने प्रियजनों को खो सकते हैं। यही मेरे पिता के साथ हुआ था। उनकी एक साधना ने आखिरकार उनके प्राण ले लिए। इसलिए जब तक अपने गुरु से आप गुरु मंत्र सिद्ध ना कर ले और इसके लिए तैयार ना हो जाए कि कोई भी तांत्रिक साधना करने आप योग्य हो चुके हैं। कभी ऐसी तांत्रिक साधनाएं न करें। अन्यथा मेरे पिता की तरह आपको भी भुगतना पड़ेगा। इसीलिए मैंने यह ईमेल गुरु जी को भेजा ताकि प्रत्येक व्यक्ति तक यह बात का संदेश पहुंच सके। आप सभी दर्शकों को प्रणाम गुरुजी को साष्टांग दंडवत प्रणाम! तो देखिए यहां पर इन्होंने जिन साधना के दुष्परिणामों को बताया और अगर आपने गुरु मंत्र नहीं लिया है। गुरु मंत्र को अच्छी प्रकार अनुष्ठान पूरा कर सिद्ध नहीं किया है तो तांत्रिक साधनाएं शुरू मत करिए क्योंकि इसकी वजह से आप बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं। आप सभी का दिन मंगलमय हो धन्यवाद! |
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