मधुमती योगिनी कथा और साधना भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। मधुमती योगिनी साधना भाग 2 में आपने जाना था कि किस प्रकार एक साधक माधव ने इस रहस्य को जाना कि कैसे मधुमती योगिनी को सिद्ध किया जा सकता है और अपने गुरु संजीवन के माध्यम से अब वह इस विद्या को प्राप्त कर लेता है और शुरू होता है एक रहस्यमई सफर इस साधना को सिद्ध करने का। तो इसके लिए माधव ने अपने गुरु से विशेष आज्ञा ली। गुरु ने कहा, इस दौरान तुम्हें अपने ब्रह्मचर्य और कठिन तपस्या की सिद्धि के लिए एकाग्र होकर पूरी तरह से साधना में लिप्त रहना होगा। इसके लिए तुम यहां से कुछ दूर एक कुटिया बनवा लो और वहां जाकर साधना शुरू कर सकते हो? सारी जितनी भी महत्वपूर्ण बातें होती हैं वह सब कुछ माधव के गुरु संजीवन ने उन्हें बता दी थी और अब माधव तैयार था। इस साधना को करने के लिए वह उसी स्थान पर जाकर कठिन तपस्या से साधना करने लगा। अब शुरू हुआ साधना के दौरान होने वाला खेल। साधना के तीसरे दिन अचानक से स्वप्न में उसे एक महा सुंदरी दिखाई दी जो कहने लगी। आओ मेरे साथ भोग करो। लेकिन माधव अपने आप पर किसी तरह वह नियंत्रण रख पाया और इस प्रकार वह साधना का दिन उसने संपन्न किया। साधना के अचानक से ही 11वे दिन एक भयानक राक्षसी उसकी छाती पर आकर बैठ गई और उसकी छाती को अपने नाखूनों से फ़ाड़ने लगी। इस प्रकार दर्द से कराहने लगा और जोर से चिल्लाने लगा। तब उसने देखा कि वह तो मंत्र जाप कर रहा था। इस प्रकार साधना को बंद कर लिया था, लेकिन उसने साधना फिर से जारी रखी और साधना करता चला गया। साधना के सारे दिवस पूर्ण होने के बाद भी सिद्धि नहीं मिली तब वह अपने गुरु के पास गया और कहने लगा। गुरु जी मुझे सिद्धि प्राप्त नहीं हुई है तो गुरु ने कहा, साधना को जारी रखो और क्या इस दौरान कोई विशेष घटना घटित हुई थी तो वह कहने लगा। हां गुरुजी एक राक्षसी मेरी छाती पर आकर बैठ गई थी। उसने नाखूनों से मेरी छाती पर वार करना भी शुरू कर दिया था और तब माधव ने अपनी छाती को भी अपने गुरु को दिखाया। गुरु भी आश्चर्यचकित थे सच में उसकी छाती पर निशान उभर आए थे। इस प्रकार गुरु संजीवन ने कहा कि साधना में किसी भी प्रकार की मुसीबत आए तो यह समझना चाहिए कि निश्चित रूप से सिद्धि प्राप्ति की ओर हम ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं और शक्तियां अगर रोकने में पूरी शक्ति लगाने लगे तो इसका मतलब यही होता है कि तुम्हें सिद्धि जरूर मिलेगी। ऐसे में सावधान होकर अपने ना मंत्रों को रोकना चाहिए। ना ही साधना करते करते अपना ध्यान भटका लेना चाहिए। इसीलिए तुम्हारी साधना भंग हुई थी तो जाओ फिर से तैयारी करो। इस साधना को पूर्ण करने की दोबारा, एक बार फिर से माधव उस साधना को शुरू कर दिया। साधना के 15वे दिन अचानक से एक कन्या उसके शरीर को आलिंगन करती है और इस। आलिंगन में। उसके शरीर से तीव्रता से वीर्य निकल जाता है। अब आलिंगन की इस प्रक्रिया में वह समझ ही नहीं पाता है कि उसके साथ क्या घटित हुआ है और अगले दिन वह जाकर अपने गुरु को बताता है। गुरु कहता है तुम्हारी साधना फिर से भंग हो गई है। जाओ इस साधना को विशेष मुहूर्त से फिर से शुरू करो। अब एक बार फिर माधव मन में यह कहता है, चाहे काम परीक्षा हो या भय की परीक्षा हो, मैं अब की बार असफल नहीं हौऊंगा वह गुस्से में आकर। कील के बने आसन पर बैठ जाता है और उस आसन पर बैठकर ही साधना करता है जिससे उसका शरीर दर्द से भरा रहे और वह अपने ध्यान को भी ना भटकने दे और इसी कारण से अब उसकी साधना भंग नहीं होती है। विभिन्न प्रकार की कामुक स्त्रियां और भयानक शक्तियां बार-बार उसे उसकी साधना से हटाने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन कोई भी इस प्रयोग में सफल नहीं हो पाता है। आखिरकार तीसरे महीने तीसरे प्रयास में उसे सफलता मिल ही जाती है। साधना के आखिरी दिन अचानक से सुबह के वक्त दौड़ती हुई मधुमती योगिनी उसके पास आकर उसके गले से लग जाती है और कहती है ऐसी कठिन तपस्या मेरे लिए किसी ने नहीं की। आज से तुम मेरे स्वामी हो। मैं आपको अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं। मधुमति के हाथ में दिव्य माला आ जाती है और वह माधव को वह माला पहना देती है। माधव कहता है कि आप मेरे साथ अब जीवन भर मेरी पत्नी बन कर रहिए। इस पर मधुमति कहती है, मैं तो आपकी हो ही चुकी हूं, लेकिन एक सलाह देती हूं। मैंने आपको देखा है। आप एक सांसारिक प्राणी के तरह जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। इसलिए अगर मैं एक सलाह दूं तो कृपया इस बात को सुनें तब माधव पूछता है। क्या बात है आप स्पष्ट रुप से कहिए। वह कहती है कि मैं आपके सामने सदैव। साथ रहूंगी लेकिन सभी के सामने स्पष्ट रूप से दिखना नहीं चाहती क्योंकि इससे गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है। बाकी तो आपकी मर्जी आप मुझे जो भी आदेश देंगे, मैं उसे तक्षण पूरा करूंगी। तब माधव कहता है आपको किस बात का डर है। मैं भी तो चाहता हूं कि संसार में सभी लोग मेरी पत्नी को देखें और एक बार देखने पर हजार बार सोचे कि इससे अधिक सुंदर स्त्री तो माधव की हो ही नहीं सकती थी। मधुमती योगिनी शांत हो जाती है और कहती है जैसी आपकी आज्ञा आपको भूख लग रही होगी चलिए मैं। आपके लिए भोजन निर्मित कर देती हूं और अपनी पत्नी को लेकर अब माधव अपनी कुटी के अंदर चला जाता है। वहां मधुमति उसके लिए उसकी पसंद के 56 भोगों को तुरंत ही दिव्य शक्ति से उत्पन्न कर लेती है और उसे खाने को देती है। इस प्रकार माधव कुछ दिन तक उसके साथ रहकर अब सोचता है कि क्या उसे एक अच्छे जीवन को जीना चाहिए तो मधुमती से पूछता है कि क्या कोई मार्ग है जिससे मेरा जीवन और भी अधिक? सुखमय हो सके तब मधुमति कहती है, चिंता मत कीजिए। मैं आपको सब कुछ प्राप्त करवा दूंगी। आप शहर के सबसे बड़े सेठ के पास जाइए और उनसे कहिए कि मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं और उनकी सेवा करना शुरू कर दीजिए। मैं रात्रि के समय आपके ही कमरे में प्रकट हो जाया करूंगी। तब माधव उस शहर के सबसे बड़े सेठ के पास जाकर कहता है। मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं और उनकी सेवा में लग जाता है। उसकी सेवा से प्रसन्न सेठ बहुत खुश होता है। रात्रि के समय जब वह कमरे में अकेला होता है तब मधुमती योगिनी उसके पास प्रकट होकर पत्नी के सारे सुख उसे प्रदान करती है और सुबह वह गायब होती है तो भी भोजन सामग्री बनाकर ही वहां से गायब हो जाती थी। इस प्रकार कुछ दिन बीतने के बाद अचानक से 1 दिन हृदय गति रुकने से उस सेठ की मृत्यु हो जाती है। और तब सभी लोग कहते हैं कि इनका वारिस कौन बनेगा? तभी वहां पर एक बहुत बड़े संत प्रकट होते हैं और वह कहते हैं कि यह माधव नाम का व्यक्ति ही इनकी सारी संपत्ति का अधिकारी है। आप सभी इसे ही अगला सेठ बना दीजिए क्योंकि सेठ जी ने ना तो विवाह किया था और ना ही उनकी दूर-दूर तक कोई रिश्तेदारी थी। इस प्रकार अगले ही क्षण शहर का सबसे धनी व्यक्ति माधव बन जाता है और जैसे ही अब वह सारा कामकाज संभालता है। मधुमति उसके सामने प्रत्यक्ष हो जाती है और उसकी पत्नी बनकर रहने लगती है। पास के सभी लोग माधव की इस पत्नी को हमेशा छुपी हुई नजरों से देखते रहते थे क्योंकि ऐसा सौंदर्य धरती पर मिलना ही संभव नहीं था। मधुमती योगिनी अपने सौंदर्य में बहुत ही उच्च कोटि की थी। सभी लोग माधव से पूछते थे कि कहां से आपने अपना विवाह किया है तो माधव हमेशा मुस्कुराते हुए चुप हो जाता था। 1 दिन मधुमति जब अपने स्नान कक्ष में स्नान कर रही थी तभी माधव के गुरु संजीवन उससे मिलने के लिए आए और किसी कारणवश वह दरवाजा अचानक से टूट कर गिर जाता है। मधुमती योगिनी को संजीवन नहाते हुए नग्न अवस्था में देख लेते हैं और अचानक से ही उनके जीवन में एक तूफान सा जाता है। वह घर जब वापस जाते हैं तो उन्हें बार-बार मधुमति का ही ख्याल आता है। अब उनके मन में कामवासना बहुत तीव्रता से जागृत हो चुकी थी। वह मधुमति को प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर जाने की इच्छा उनके अंदर पैदा हो गई थी। अब गुरु संजीवन ने क्या किया जानेंगे? 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