पिशाचिनी साधना और गुरु मंत्र रक्षा भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक पत्र के माध्यम से हम पिशाचिनी साधना और उसके अनुभव के विषय में ज्ञान प्राप्त करेंगे। साथ ही गुरु मंत्र से क्या परिवर्तन आया यह भी जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं और पढ़ते हैं इनके पत्र को।
नमस्ते गुरुजी मेरा नाम अमिताभ है। कृपया मेरे नाम के अतिरिक्त कोई डिटेल साझा ना करें ताकि मेरे विषय में किसी को कुछ पता ना लगे। गुरु जी मैंने आपसे पिछले महीने ही गुरु दीक्षा ली है। इससे पहले मैंने यूट्यूब के माध्यम से कई तरह की साधनाये करने की कोशिश की जिनमें में सफलता भी प्राप्त किया। उन्हीं में से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण जो साधना थी, वह मेरे लिए एक पिशाचिनी की साधना रही, जिसमें मैंने विशेष प्रकार के अनुभव प्राप्त किए थे। गुरुजी उन्ही अनुभव को मैं आज आपको लिख कर भेज रहा हूं और इसके बाद फिर कैसे मैंने? आपसे गुरु दीक्षा ली और उसका क्या प्रभाव पड़ा, यह भी दर्शकों को अवश्य ही बताऊंगा। गुरु जी यह मेरा पहला पत्र है। दूसरा पत्र भी मैं जल्दी ही भेज दूंगा। गुरु जी यह बात आज से 1 वर्ष पहले की है। जब यूट्यूब के माध्यम से मैंने यह जानकारी पता करी कि विभिन्न प्रकार की तांत्रिक साधनाएं की जा सकती है। मेरा मन इन साधना को करने के लिए।
पूरी तरह से व्याकुल हो गया क्योंकि मुझे दूसरी दुनिया के बारे में जानने का एक जो मन होता है, वह बहुत अधिक बेचैन हो गया था। इसीलिए मैंने यह साधना करने की सोच ली। लेकिन हर जगह गुरु की बात सब लोग कह रहे थे। मैंने सोचा अगर गुरु ही सब कुछ करता है तो फिर इंसान क्या कर पाता होगा। यह सिर्फ बेकार की बातें हैं। व्यक्ति को स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करना चाहिए। इसीलिए मैंने बिना गुरु के ही साधना करने के विषय में सोचा। मैं निर्भीक हूं और इस बात के लिए मैं कभी भी घबराता नहीं कि मुझे अगर श्मशान में भी जाना पड़े। वहां होना पड़े तो मुझे जरा सा भी डर नहीं लगता है। इसी कारण से मेरे मन में कभी भी डर ही नहीं। तो मैं भी ऐसी किसी भी साधना को करने के लिए पूरी तरह से तैयार था। इसी वजह से मेरे मन में साधना के लिए कोई डर मौजूद ही नहीं था। तब मैंने सोचा कौन सी ऐसी साधना है हैं, जिन्हें किया जा सकता है तब पता चला कि कर्ण पिशाचिनी और इसी तरह की अन्य पिशाचिनी साधना। काफी अच्छी है जो जल्दी सिद्धि प्रदान करती हैं। यह शक्तियां निम्न कोटि की मानी जाती हैं। इसलिए इनके सिद्धि जल्दी हो जाती है। यही सोचकर मैंने एक पिशाचिनी को चुना। गुरु जी इसका विवरण मैं आपको अलग से भेज दूंगा। लेकिन दर्शकों की जानकारी के लिए मैं यह बता दू कि वह कर्ण पिशाचिनी नहीं है जिसके विषय में ज्यादातर लोग सोचते हैं कि उसे सिद्ध किया जाय यहां पर जिसकी साधना मैंने की वह एक अलग तरह की। पिशाचिनी थी। इसके लिए मुझे साधना करने का पूरी जानकारी इकट्ठा करनी पड़ी और कई जगह से मैंने जब इन जानकारियों को इकट्ठा किया तब मुझे यह जानकारी प्राप्त हुई। पूरी जानकारी लेने के पश्चात अब मैं तैयार था।
इस साधना के लिए शुभ नक्षत्र और सारे साजो सामान के साथ मैंने एक रात्रि को इसकी साधना अपने ही घर में शुरू करने के विषय में सोचा। फिर मैंने यह साधना अपने घर में एक बंद कमरे में शुरू की, क्योंकि सभी साधनाओ में ऐसा कहा जाता है कि एकांत होना अनिवार्य है तो कमरा अगर बंद रखा जाए तो उससे बड़ा एकांत कहीं और नहीं मिल सकता। जिस कमरे में मैं पूजा करता था उसी कमरे में मैंने वहीं पर बिस्तर भी लगा लिया था ताकि साधना जब खत्म हो और शरीर थक जाए तो वही जाकर आराम से लेट कर सो जाऊं। मैं अपने लिए स्वयं भोजन बनाता था। क्योंकि वैसे भी मैं परिवार से दूर अकेला रहता हूं। नौकरी के सिलसिले में। इस तरह से मेरी जिंदगी चल रही थी क्योंकि दिन कि मेरी ड्यूटी है इसलिए रात पूरी खाली होती है और ज्यादा कुछ काम भी ऑफिस में नहीं रहता। इसलिए मेरे लिए साधना करना आसान था। अब मैंने साधना शुरू की पहला दिन जब मैं उठा तो पैरों में काफी दर्द था। तब मुझे पता चला कि साधना और पूजा करना कोई आसान काम नहीं है। घुटनों में दर्द हो जाता है। लगातार इस तरह बैठे रहकर साधना करने से अक्सर घुटनों और पैरों में दर्द शुरू हो जाता है। जो लोग भी नए साधक हैं। उनके साथ ऐसा होता ही है। तब मैंने पैर सीधे कर काफी देर अपने पैरों की मालिश की और तब जाकर सोया।
इस प्रकार पहली रात्रि तो बिना कुछ अनुभव के ही गुजर गए। ऐसे ही तीन-चार रातें और मेरी गुजर गई और इसी के साथ मेरे अंदर अब अविश्वास पैदा होने लगा। कि यह सब चीजें एक धोखा है और यूट्यूब और बाकी जगह लोग व्यू पाने के लिए ही इन सब चीजों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। लेकिन मैंने सोचा चलो करते रहते हैं। आखिर कितने दिन तक अनुभव नहीं होगा। कम से कम एक बात तो पता लग ही जाएगी कि इन बातों में कितनी सच्चाई है। इनका वास्तविकता से कितना लेना देना है? किस प्रकार तकरीबन मेरी 11 रातें निकल चुकी थी? उस रात अचानक से जब मैं जॉप कर रहा था तो मेरे पीछे से किसी काले साए के गुजरने का एहसास मुझे हुआ। यह पहली बार था जब मुझे कोई अलग तरह का अनुभव हुआ था। मेरा ध्यान बार-बार बंद आंखों से ऐसा महसूस होता जैसे कि कोई पूछे मेरे घूम रहा है। तब मैंने सोचा अगर कोई कमरे में आ गया है तो चुपके से मैं आंखें खोलकर मंत्र जाप करते हुए देख लेता हूं और मैंने अपनी आंखें खोल दी और झटके से मंत्र जाप करते ही पीछे मुड़कर देखा। पर वहां तो कोई भी नहीं था। फिर मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। कुछ देर तो सब कुछ सामान्य रहा। अबकी बार तो मुझे स्पष्ट एहसास हुआ कि जैसे मेरे पीछे कोई चलकर गया है। इसी के? साथ आज पहली बार मुझे हल्का सा डर लगा लेकिन तब मैंने सोचा कि जो चीज दिखती नहीं, वह भला मेरा क्या बिगाड़ सकती है?
गुरु जी एक बात बता दूं पता नहीं क्यों लेकिन मेरे अंदर बहुत आत्म बल है। मुझे किसी भी चीज से डर लगता ही नहीं। लेकिन साधना में पहली बार हल्का सा डर मुझे लगना शुरू हो गया था। क्योंकि जो चीज दिखाई ही ना दे वह क्या करेगी और कैसे करेगी। इसके बारे में कोई अनुमान लगाया ही नहीं जा सकता। मैं साधना करता रहा। तभी अचानक से मुझे मेरे गले गले में हिचकिचाहट सी मौजूद हुई और ऐसा लगा जैसे गला फंस रहा है। मंत्र मै गलत तरीके से बोलने लगा। यह पहली बार अजीब सा हुआ मेरे साथ और तब मैंने थोड़ी देर रुक कर शांति से सांसे ली और फिर से मंत्र जाप करना शुरू किया कि तभी पहली बार किसी की उंगलियां मैंने स्पष्ट महसूस की जो कि मेरी गर्दन के पीछे के हिस्से को छू कर गई।
यह मैं बिल्कुल सत्य बात कहता हूं। गुरु जी वह बिल्कुल स्पष्ट एहसास था। जब कोई आपकी गर्दन के पीछे के भाग को छूकर जाता है तो आप पहचान सकते हैं कि कोई आपको छू कर गया है। यह बिल्कुल सत्य घटना है जो उस दिन फर्स्ट अनुभव के रूप में मैंने खुद महसूस की। इस बात से मैं इतना घबरा गया कि मैंने आंखें खोल कर पीछे पलट कर तुरंत देखा, लेकिन कमरा तो अंदर से बंद था। अगर कोई चूहा या अन्य कोई बिल्ली इत्यादि जानवर भी छू कर जाता तो भी स्पष्ट एहसास अलग तरह का होता पर यह तो किसी स्त्री के उंगलियों के होने का एहसास था। यह मेरे लिए बिल्कुल ही अजीब सी बात थी। कभी भी इस तरह का अनुभव मेरे जीवन में घटित नहीं हुआ था। इतना सटीक इतना स्पष्ट जैसे कि किसी इंसान ने अच्छी तरह से छुआ हो। उससे मुझे हल्की सी गुदगुदी भी लगी थी। इसलिए एक बार तो मैंने सोचा कहीं कोई चूहा ऊपर चढ़कर मेरे गर्दन के हिस्से में तेजी से तो नहीं गुजरा लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। अब मुझे पहली बार डर लगा था लेकिन इसी प्रकार मैंने मंत्र जाप कंप्लीट किया और उसके बाद सो गया। सुबह के समय अचानक से मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। मैंने दरवाजा खोला सामने लंबे बालों वाली एक स्त्री खड़ी थी। जो कि देखने में डरावनी लग रही थी, उसके बाल चेहरे के ऊपर थे और पैरों तक पूरे लंबे थे। मैं घबरा कर पीछे हट गया। इसके बाद क्या हुआ गुरुजी अगले पत्र में मैं आपको बताऊंगा? नमस्कार गुरु जी
तो देखिए यहां पर इन्होंने पिशाचिनी साधना के अनुभव को भेजा है। अगले भाग में आगे की कहानी को जानेंगे तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है। लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।