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मां काली मोक्ष नहीं दे सकती अद्भुत अनुभव

मां काली मोक्ष नहीं दे सकती अद्भुत अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे एक साधक के अनुभव को जिस में हम जानेंगे कि उनके सबसे बड़े प्रश्न की माता काली मोक्ष नहीं दे सकती हैं और साथ ही मां तारा के अनुभव को भी इन्होंने यहां पर अपने पत्र के माध्यम से लिख करके भेजा है। चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं। इनके इस अनुभव एवं प्रश्न के विषय में ..
मां तारा अनुभव और प्रश्न- प्रणाम गुरुजी मेरा नाम रितेश कुमार है और मैं धनबाद स्थित बीआईटी सिंदरी में पढ़ता हूं। मैं आपका चैनल 4 साल से देख रहा हूं। मुझे आपका चैनल इतना अच्छा लगता है कि मैं सोने से पहले आप का वीडियो ईयर फोन में लगा कर सो जाता हूं। जिस भी दिन आपका वीडियो नहीं आता। मन छटपटाने लगता है। मैंने मां तारा का एक अनुभव देखा जो कि 14 दिन का है तो मैंने सोचा कि मैं भी यह साधना कर लूंगा। पर क्योंकि मैं दोस्तों से घिरा रहता हूं तो मैंने सिर्फ मंत्र मन में ही जाप करना शुरू कर दिया। पहले मैंने ओम नमः शिवाय का जाप किया और फिर ओम तारा तूरी स्वाहा का जाप करना शुरू कर दिया। मंत्र जाप करते समय मुझे यह आभास हुआ कि मैं यहां हवन नहीं कर रहा तो स्वाहा नहीं लगाना चाहिए और क्योंकि वह मां है। तो उसे डायरेक्ट नहीं बोलना चाहिए तो मैं फिर मंत्र इस प्रकार से जाप करने लगा। ओम मां तारा तूरी स्वाहा की जगह ओम मा तारा तूरी नमः मैंने इस मंत्र को केवल 2 दिन ही जपा था और फिर मैं बिजी होने के कारण जाप करना भूल गया तो मेरा अनुभव इस प्रकार से है कि मैं घर से हॉस्टल आ रहा था।
मैं स्टेशन पर 3:40 के आसपास उतरा लेकिन कोई भी ऑटो वाला डायरेक्ट सिंदरी के लिए नहीं आना चाहता था। यूं तो दिल्ली ऑटो मिलता है पर उस दिन ही नहीं मिल रहा था। सिंदरी के रास्ते में पाथरडीह नामक एक जगह है। ऑटो वाला वहां तक आने को तैयार था और बोला, वहां से ऑटो मिल जाएगा तो मैं ऑटो में चढ़ा। ऑटो वाले ने मुझे पाथरडीह में उतार दिया और यह बोल कर चला गया कि थोड़ी देर में और तो आ जाएगा, परंतु 40 मिनट बीत गए। कोई ऑटो नहीं आया। वह जो समय था, सर्दियों का समय था और सर्दी का समय में तो देर से ही सुबह होती है। और वह रात का समय ही जैसा लग रहा था। कोहरे से भरा हुआ पता नहीं उस समय मेरा ध्यान कहां गया था लेकिन क्योंकि वहां से 10 कदम दूर पर ही मां तारा का मंदिर है। मेरे मन में कुछ राहत सी हुई और मुझे याद आया। वह मंत्र तो मैंने मन ही मन मां तारा के मंत्रों का जाप किया। केवल 2 मिनट ही हुआ था कि एक ऑटो वाला आकर वहां पर रुक गया और अपनी ऑटो में बिठा लिया और वह ऑटो भी पूरा खाली था। मैंने मन ही मन मां का धन्यवाद किया और ऑटो में चढ गया। फिर वह मुझे कॉलेज के मेन गेट पर जाकर छोड़ दिया। उसने एक्स्ट्रा पैसे मांगे तो मैंने भी खुशी से दे दिए। बहुतों को दिए थे को इंसिडेंट लगता होगा।
मुझे भी एक पल को लगा था, परंतु यह एक बार हो सकता है। बार-बार नहीं। मेरे साथ यह घटना कई बार हुआ है। यहां तक की ट्रेन छूटने वाली थी। उसे भी मैंने मां की कृपा से पकड़ लिया। प्रश्न गुरु जी मैं बहुत दिन से दीक्षा लेना चाहता हूं। परंतु क्योंकि मैं लोगों से घिरा रहता हूं। हवन नहीं कर सकता। क्या कोई ऐसा मार्ग है जो केवल? ऐसा हो क्योंकि यह करूंगा तो बगल के लोगों को पता चल जाएगा और मैं गुप्त रहना चाहता हूं। समय आने पर लोगों की मदद करना चाहता हूं। मैं इतना गुप्त रहना चाहता हूं कि मेरे माता-पिता को भी यह पता ना चले क्योंकि जब भी मैं पूजा पाठ की बात करता हूं तो उन्हें लगता है। मैं सन्यासी बन जाऊंगा। वह यह इसलिए ऐसा सोचते हैं कि मैं दान बहुत करता हूं। चाहे मेरे पास ₹100 ही क्यों ना हो उसमें से ₹40 रखकर बाकी कोई मांगे तो मैं दे देता हूं।
प्रश्न दो- मां काली और मोक्ष, मेरी मुलाकात एक व्यक्ति से हुआ जो कि घर के सदस्य के समतुल्य है, परंतु उसके बारे में मैं नहीं बता सकता। वह सत्संग से दीक्षित है और आध्यात्मिक ही बातें करते हैं। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। जैसे कारण शरीर, सूक्ष्म, शरीर इत्यादि का तात्पर्य यह है कि हमारे शरीर के कई भाग हैं जो प्याज के छिलके के समान एक दूसरे के ऊपर चढ़े हुए हैं। इन सब को केवल साधनाओं के द्वारा ही जाना जा सकता है और हम सब शरीर ही मोक्ष पा सकते हैं तो चर्चा यह थी कि दिवाली का त्यौहार था और अगले दिन मां काली की पूजा होती है। क्या मां काली मोक्ष दे सकती हैं तो उन्होंने कहा कि वे देवता है जिसमें देव और देवी होते हैं। यह देवी अर्थात मां काली हमें मोक्ष नहीं दे सकती। यह सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ गुरुजी। उसने कहा, फिर परमात्मा ही मोक्ष दे सकते हैं। आगे उसने मां काली के संदर्भ में रामकृष्ण परमहंस के बारे में जो कि स्वामी विवेकानंद जी के गुरु जी थे। बताया कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस मां काली के भक्त थे और उन्होंने मां काली को प्रत्यक्ष देखा था और उनके हाथों से भोजन भी किया था।
फिर एक दिन एक व्यक्ति आता है जिनका नाम तोतापुरी महाराज है। उनसे कहा कि तुम ब्रह्म दीक्षा ले लो तो रामकृष्ण परमहंस जी बोले मेरी मां काली है मुझे इसकी क्या जरूरत है। महाराज जी ने जोर दिया तो मैं परमहंस जी ने कहा, मैं मां काली से पूछ कर बताऊंगा। फिर जब परमहंस जी ने मां काली से पूछा तो देवी ने कहा, वह जो दे रहे हैं, ले लो क्योंकि मैं तुम्हें इस संसार के सारी सुख दे सकती हूं। मोक्ष नहीं दे सकती। उस व्यक्ति ने जब यह प्रसंग सुनाया तो मेरा तो दिमाग ही ब्लैंक हो गया। लोगों के पैरों के जैसे जमीन की हिलती है वैसा ही परंतु मेरे माइंड में तो ब्रह्मांड ही हिल गया था क्योंकि अगर ऐसा है तो 10 महाविद्या में से सब एक हैं तो उनमें से कोई मोक्षदायिनी नहीं है। मुझे ऐसा मेरे मन ने कहा, गुरु जी मैं चाहता हूं। आप इस पर प्रकाश डालें और हम सबको मार्ग दिखाएं? धन्यवाद गुरु जी
सन्देश-तो देखिए आपने बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है और साथ ही आपके अनुभव से माता तारा की कृपा का भी दर्शन होता है। रही बात अगर कोई गुरु मंत्र का साधना करता है तो वह अगर हवन नहीं कर पाता है तो उसे दुगना जाप करना चाहिए। तो आप की पहली परेशानी इस प्रकार से हल हो सकती है। अब माता काली के विषय में बात करते हैं। देखिए सबसे पहले समझने की बात है। अधिकतर माता काली को लेकर लोगों के मन में बहुत ज्यादा संशय है और यह इसलिए है कि अधिकतर हम माता काली के कोई भी योगिनी स्वरूप को माता काली समझ लेते हैं लेकिन जब काली कहा जाता है? तो बात अलग है वहीं जब महाकाली कहा जाता है तो बात अलग हो जाती है। इस बात को ऐसे समझ है कि अगर हम यह माने कि काल को वश में रखने वाली संपूर्ण ब्रह्मांड को चलाने वाली और सबको मृत्यु देने वाली शक्ति अगर महाकाली हैं। अगर किसी कारण से वह धरती पर आती हैं तो पूरी धरती ही एक क्षण में जलकर भस्म हो जाएगी। उनकी तेज को संभालने की शक्ति किसी में भी नहीं हो सकती अब अगर!
गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस जी! जिस माता काली से बात करते थे और उनके हाथ का भोजन करते थे तो भोजन करने की सामर्थ्य केवल योगिनी शक्तियों तक ही सीमित है। उससे ऊपर नहीं तो अधिकतर ऐसा होता है कि कोई भी शक्ति जिसको हम बहुत अधिक प्रेम करते हैं। मानव रूप में उसकी सेविका शक्तियां हमको प्राप्त होती हैं जैसे कि किसी के ऊपर देवी का आना देवता का आना इत्यादि ऐसे- उदाहरण है इसीलिए उनके हाथों से भोजन भी किया और उनको भोजन परोसा भी, क्योंकि शरीर बहुत ही छोटी इकाई है। अब रही बात समझने की कि उन्होंने कहा, क्या था उन्होंने कहा ब्रह्म दीक्षा लो आखिर ब्रह्म दीक्षा है क्या? कौन ऐसी शक्तियां हैं जो ब्रह्म तत्व का ज्ञान देती है? तो केवल मूल परमात्मा और उनकी मूल प्रकृति यानी माता पराशक्ति ही ब्रह्म दीक्षा देती हैं और मुक्त कर देती। और यह जो मोक्ष है इसे हम परम मोक्ष कहते हैं, बाकी मोक्ष जितने हैं, वह पहले भी मैं बता चुका हूं कि एक मोक्ष होता है। स्वर्ग की प्राप्ति करना दूसरा मोक्ष होता है। अपने ईष्ट में विलीन हो जाना यानी जैसे हम साधना करते हैं, जिसकी साधना करते हैं। चाहे वह भगवान विष्णु या भगवान शिव हैं। उदाहरण के स्वरूप में तो उन्हीं में जाकर मिल जाना या उनके अंदर लीन हो जाना और स्वयं शिव स्वरूप हो जाना स्वयं विष्णु स्वरूप हो जाना। इसको हम महा मोक्ष कहते हैं और परम मोक्ष में हम ऐसी अवस्था या ऐसा प्रकाश बन जाते हैं जो परमात्मा में जाकर विलीन हो जाता है और हम परमात्मा हो जाते हैं। फिर कोई जिम्मेदारी नहीं रहती है तो मोक्ष भी तीन प्रकार के हैं और जिस मोक्ष को वह माता काली दे सकती थी, वो स्वर्ग था। माता महाकाली के रूप में महा मोक्ष की प्राप्ति हो सकती थी और वह अपने मूल स्वरूप यानी प्राकृतिक स्वरूप में माता पराशक्ति के रूप में अगर बदलती तो फिर वह पूर्ण मोक्ष जिसे कहते हैं दे सकती थी तो अधिकतर लोगों को चीजें समझने में कन्फ्यूजन हो जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या दसमहाविद्या मोक्ष नहीं दे पाएंगे? तो इस चीज को ऐसे समझे अगर आप 10 महाविद्या को महाविद्या स्वरूप में ही सिद्ध कर रहे हैं तो केवल विद्या की प्राप्ति होगी, लेकिन आप मोक्ष के लिए अगर उन्हें माता पराशक्ति का अंशा अवतार समझकर साधना कर रहे हैं तो आपको पूर्ण मोक्ष मिल जाता है इसीलिए मूल!रूप से मैं!
सबसे पहले साधक को गुरु मंत्र की दीक्षा देता हूं ताकि गुरु मंत्र की साधना करके उसके पूर्ण मोक्ष का मार्ग खुल जाए। अब इसके बाद वह जीवन में जो कुछ भी करता है। अपने कर्मों के हिसाब से कितनी भी बुरी गति को प्राप्त करता है तो भी उसे स्वर्ग रूपी मोक्ष या फिर महा मोक्ष यानी किसी इष्ट में अपना विलीनीकरण करना या फिर माता पराशक्ति का पूर्ण समर्पण है तो फिर शरीर के लिए अनंत मोक्ष को या पूर्ण मोक्ष को प्राप्त कर परमात्मा में विलीन हो जाना। तो इस बात को समझने में कई लोगों में काफी परेशानी हो जाती है। इसी तरह अब मैं आप लोगों से प्रश्न पूछता हूं। यह आपको संशय में डाल देगा और कमेंट बॉक्स में अपने अपने हिसाब से आप इसका जवाब दे सकते हैं। प्रश्न यह है कि गीता में भगवान ने यानी कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को परमात्मा स्वरुप में दर्शाया और अपने स्वरूप के दर्शन करवाएं। इसके बावजूद भी उसी वक्त अर्जुन को मोक्ष की प्राप्ति क्यों नहीं हो गई? अगर पूर्ण परमात्मा के दर्शन होते हुए तो फिर उसे मोक्ष की प्राप्ति तत्काल क्यों नहीं हुई?क्या इसमें संशय है और जो भी परमात्मा के दर्शन कर लेता है? क्या उसे पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो पाती है? इस पर अपने विचार दीजिए।
बाकी आपके अनुभव से यह स्पष्ट है कि कैसे जीवन में शक्ति हमें मदद करती हैं। चाहे वह छोटी हो या बड़ी बस आपको उन पर पूरा अपना ध्यान और समर्पण लगाने की आवश्यकता होती है। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/Rq6BMc7xXrk

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