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लाल बेताल साधना और रहस्य

लाल बेताल साधना और रहस्य

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक ऐसी साधना का ज्ञान प्राप्त करेंगे जिसे हम लाल बेताल की साधना के नाम से जानते हैं। इसे गुप्त बेताल भी कहते हैं। इसके विषय में लोगों को जानकारी का अभाव है तो चलिए जानते हैं। इस साधना का ज्ञान और इस साधना को मैंने आप सभी के लिए इंस्टामोजो पर भी उपलब्ध करवा दिया है।

तो आप उसे वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में। वहां से क्लिक करके इसे खरीद भी सकते हैं और 21 दिवसीय इस साधना को कर भी सकते हैं तो इस विषय में सबसे पहले जो कथा आती है। वह इस प्रकार से है कि भगवान शिव के कारण ही लाल बेताल का प्रादुर्भाव हुआ था। सबसे पहले जब!

राक्षसों के साथ देवी माता युद्ध कर रही थी तो उस दौरान शुंभ और निशुंभ के पास भगवान शिव का वरदान था। इसी कारण से उन्हें कोई मार नहीं सकता था। देवी मां का जब उनसे युद्ध शुरू हो गया तब देवी ने शिवदूती के रूप में भगवान शिव को दूत बनाकर उन दोनों राक्षसों के पास भेजा था और भगवान शिव उनके पास जाकर कहने लगे कि तुम्हें अगर अपने प्राण प्रिय हो तो यहां से पाताल लोक को लौट जाओ। लेकिन शुंभ और निशुंभ अपने मद में पूरी तरह भरे हुए थे। उन्होंने कहा, आप और नारायण वचन में बंधे हैं। इसलिए आप दोनों ही हम दोनों का वध नहीं कर सकते हैं। इसलिए हम दोनों अजर और अमर है संसार में इतनी बड़ी कोई और शक्ति नहीं है जो आप दोनों से भी ज्यादा शक्तिशाली हो और हमें पराजित कर सके।

इसीलिए अब हम आपकी बात को नहीं मानेंगे और त्रिलोक विजेता बनकर रहेंगे। यह बात भगवान शिव ने उन्हें अच्छी तरह समझाया कि देवी से युद्ध ना करो। यह तुम्हारी मृत्यु के रूप में ही प्रकट हुई है। लेकिन शुम्भ निशुम्भ कहां मानने वाले थे क्योंकि शुंभ और निशुंभ ने यमराज को जीत लिया था इसीलिए। वहां जितने भी असुर मारे जाते थे, उन्हें फिर से जीवन दान देकर युद्ध में प्रस्तुत कर देते हैं। इसी कारण से उन्हें लगता था कि वह देवी से भी कभी पराजित नहीं होंगे क्योंकि उनकी सेना तो मरने के बाद फिर से जीवित कर दी जाएगी क्योंकि यमदेव तो उनके वश में है। इसी कारण से वह भयभीत नहीं है। युद्ध! क्षेत्र में माता के गणों पर प्रहार करके शुंभ और निशुंभ ने कईयों को घायल कर दिया और उनका रक्त चूने लगा। कई सारे पराजित भी हो गए। इस कारण से यह देखकर भगवान शिव को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने स्वयं युद्ध क्षेत्र में उतर कर वहां देवी के गणों के रक्त को पड़ा हुआ देखा। तब तक शुम्भ और निशुंभ ने अपने मरे हुए सारे सैनिकों को वापस जिंदा कर दिया था क्योंकि यमदेव उनके वश में थे। इसी कारण मृत्यु आकर भी पुनर्जीवन वापस आ जाता था।

इससे भगवान शिव ने शिव गणों और देवी गणों को पुनर्जीवित करने के लिए और साथ ही साथ उनकी सहायता के लिए वहां पर झुक कर उन गणों के रक्त को उठाया और अपने कमंडल में भर लिया और फिर भगवान शिव ने उस कमंडल का रक्त जमीन में एक बार फिर से गिराया और उसी से हजारों की संख्या में वे बेतालों की उत्पत्ति हुई। यह सारे क्योंकि लाल रक्त से पैदा हुए थे। इसी कारण से इनका रंग लाल था और इन्हें लाल बेताल के नाम से जाना गया। लाल बेताल अजर थे और उनको मारने पर भी फिर से वह जीवित तो हो जाते थे। इसी कारण से देवीगण भी राक्षसों का पूरा नियंत्रित करके वध करने लगे। इसी कारण से उस समय लाल बेताल बहुत सारी संख्या में प्रकट हो गए थे। जब युद्ध समाप्त हो गया, उसके बाद यह सारे गण भगवान शिव के पास आकर खड़े हो गए और लाल बेताल भगवान शिव से प्रार्थना करने लगे कि हे देव अब हमारे लिए क्या आ गया है? तब भगवान शिव ने कहा जाओ तुम सभी पृथ्वी लोक में वास करो और वहां शिव भक्तों की सदैव रक्षा करो। माता के भक्तों का रक्षण और सम्मान करो। इससे तुम्हारी सद्गति होगी और फिर से मुझ में स्थान प्राप्त होगा।

इसी कारण से तभी से लाल वेताल जिन्हें गुप्त बेताल भी कहते हैं, पृथ्वी पर विचरण कर रहे हैं। इन को सिद्ध करके अतुलनीय शक्तियां प्राप्त की जा सकती हैं। यह बहुत अधिक शक्तिशाली होते हैं और विभिन्न प्रकार के कार्यों को संपादित करने की शक्ति इनके अंदर होती है। लेकिन जो भी व्यक्ति इन्हें सिद्ध करना चाहता है, उसे इनकी जानकारी होनी आवश्यक है और भगवान शिव का भक्त भी उस व्यक्ति को होना आवश्यक है ताकि बेताल सिद्धि में उसे कोई परेशानी ना हो। कोई भी देवी और शिव भक्त बेताल साधना कर सकता है। लाल बेताल से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं होती है। यह! बेताल सिद्धि जब होती है तो मनुष्य रूप में बेताल प्रकट होता है और जीवन भर के दास की तरह साधक के सारे कार्यों को संपादित करता है। वेताल की सिद्धि होने पर वह छाया की तरह अदृश्य रूप में साधक के साथ सदैव बना रहता है और प्रतिपल उसकी रक्षा भी करता है। प्रकृति अस्त्र-शस्त्र उस मनुष्य का कुछ भी अहित नहीं कर सकते हैं। ना तो उसके जीवन में दुर्घटना होती है और ना ही उसकी अकाल मृत्यु संभव है। ऐसे साधक के जीवन में संकटों का नामोनिशान नहीं रहता है। वह वेताल को आदेश देकर क्षण भर में ही अपने समस्त शत्रुओं को परास्त करने का साहस रखता है। उसका जीवन कहते हैं निष्कंटक और निर्भय होता है। लोहे की कठिन दीवारें भी उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकती।

यहां तक कि जिन्हें बेताल की सिद्धि हो जाती है वह किसी और के विषय में यानी भविष्य में जो कुछ भी उसके साथ हो सकता है, उसका तत्काल और प्रमाणिक उत्तर देने से वह भविष्य दृष्टा बन जाता है और वह तत्काल किसी भी व्यक्ति का भविष्य बताने में सक्षम माना जाता है। इतना ही नहीं बेताल की संपूर्ण सिद्धि हो जाने पर वह बेताल के कंधों पर बैठकर के अदृश्य तक हो सकता है। इतना ही नहीं वह एक स्थान से दूसरे स्थान में क्षण भर में आ और जा सकता है और उसके इन कार्यों में पहाड़ नदी समुद्र कभी भी बाधा नहीं बन सकते। ऐसा साधक कठिन से भी कठिन कार्य बेताल के माध्यम से संपन्न कर सकता है।

शक्तियों का वर्णन क्या किया जाए वह व्यक्ति चाहे वो किसी भी कितनी भी दूर स्थित व्यक्ति को उसके पलंग सहित उठाकर अपने पास बुलवा सकता है और उसे वापस लौटा भी सकता है। यह कोई भी गोपनीय से गोपनीय सामग्री ला सकता है। बेताल सिद्धि प्रयोग सफल हो जाने पर साधक, अजय ,साहसी, कर्मठ और अकेला ही हजार पुरुषों के समान कार्य करने वाला व्यक्ति बन जाता है।

इस साधना को पुरुष और स्त्री दोनों ही संपन्न कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति इन साधनाओं को संपूर्ण कर सकता है। बस उसे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि जो इनकी साधना में डरता है, उसे बेताल सिद्ध नहीं होता क्योंकि बेताल निर्भीक शक्ति है और ऐसे किसी व्यक्ति के पास वह नहीं रुकती है। जो भी भयभीत हो या डरता हो। इस प्रकार मैंने आपको इस साधना के विषय में बताया है और इस साधना को अगर करना है या इसके विषय में पूरी जानकारी चाहिए तो आप इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दे रखा है। वहां से आप इस साधना को इंस्टामोजो में जाकर खरीद सकते हैं और इस साधना को गोपनीय रूप से करके सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। यह था  आपका वीडियो यदि आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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