साधुओं का जिन्नो से युद्ध पांचवा अंतिम भाग
लगभग 40,000 की सेना अब पूरे गोकुल को घेर चुकी थी और इसके साथ ही उनके पास बहुत सारे तांत्रिक मौलवी और उनकी जिन्नो की फ़ौज थी। वहां पर सभी शस्त्र और अस्त्र और संयुक्त नागा साधुओं को देखकर कमांडर ने कहा, रात तक रुकना चाहिए। हम रात में ही हमला करेंगे। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस वक्त की स्थिति को देखकर उन सभी सैनिकों के मन में कितना डर होगा और जैसे ही रात हुई और सभी साधु और वहां की जनता सोने लगी। तब सबसे पहले कमांडर ने अपने मौलवी तांत्रिकों को बुलाया और कहा कि आप सभी जिन्नों की पूरी फौज इस क्षेत्र में छोड़ दीजिए और ऐसा मायाजाल रचिए जिससे हम इनको आसानी से हरा सके और यहां लाशों के ढेर लग जाए।
केवल लड़कियों को छोड़कर सब को जान से मार दिया जाए। अब सारे तांत्रिक मौलवी इत्यादि तैयार थे। उन्होंने अपने जिन्नों की शक्ति का प्रयोग किया। जिन्होंने वहां पर भयंकर कोहरा कर दिया। इसके अलावा वहां पर वह नागा साधु के रूप में ही प्रकट हो गए थे। इससे अब किसी को यह नहीं पता चल पा रहा था कि कौन असली साधु है और कौन एक जिन्न है? और साथ ही
अब कमांडर ने अपनी पूरी 40,000 की फौज उतार दी। उस क्षेत्र में और बाकी महावन क्षेत्र में रुकी हुई थी। यानी कि कुल 80000 की फौज रुकी हुई थी अभी तक और अब आगे का आधा फौज इस युद्ध को लड़ने के लिए। गोकुल में प्रवेश कर गया। तुरंत ही वहां पर युद्ध शुरू हो गया। लेकिन नागा साधु इस बात को नहीं जान पा रहे थे कि उन्हें किसे मारना है जब सामने साधु ही उनसे युद्ध कर रहा हो तो फिर वह इस बात को नहीं समझ पा रहे थे। थोड़ी देर बाद लगभग 2000 नागा साधु मारे गए। यह बात बहुत देर बाद नागा रूद्र भैरव समझ में आई। उसे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। कब तक कई सारे वार? नागा रूद्र भैरव पर भी कर दिए गए थे। पूरी तरह लहूलुहान नागर रूद्र भैरव अब उस ओर जाने लगा जहां पर माता की वह पूजा किया करता था। वहां पर पहुंचकर वह माता के आगे गिर गया और उनसे कहा माता अब आपके ही हाथ में मेरा यह जीवन और इन सभी कन्याओं सहित इन बूढ़े और बच्चों की जाने हैं। हम सभी मारे जाएंगे, कोई जीवित नहीं बचेगा। अब आप आइए रक्षा कीजिए, आपको ही आना पड़ेगा तब माता एक बार फिर से ऊर्जा रूप में वहां पर उसके सामने प्रकट हुई और कहने लगी। पुत्र संसार की मर्यादा के कारण मैं साक्षात तो नहीं आ सकती, लेकिन फिर भी मैं तुम्हारे सारे नागा साधुओं को अद्वितीय योगिनी विद्या और भैरव शक्ति पूर्ण रूप से प्रदान करती हूं। अब इस क्षेत्र में वह घटित होगा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। जाओ तुम सारे युद्ध करो और इस क्षेत्र को इन बुरे आक्रांताओ से। हर प्रकार से छुडा लो। रही बात इन दिनों की तो यह इस दुनिया के नियम से परे हैं। इसीलिए इनके लिए मैं अपनी योगिनी शक्तियों को प्रकट करती हूं और उसके बाद नागा साधु एक बार फिर से युद्ध के लिए खड़े हो गए और अति भयानक युद्ध होने लगा।
उस युद्ध में प्रत्येक नागा साधु के अंदर बहुत अधिक ऊर्जा और शक्ति मौजूद थी। उनकी गति उनकी तीव्रता उनकी हूँकार दौड़ने वार करने की शक्ति। जैसे जंगल में नया शेर अपने शिकार को दबोचने के लिए उस पर बड़ी ही तीव्रता से कूदता है। वैसा ही कुछ देखने को मिल रहा था। धीरे-धीरे लाशे गिरनी शुरू हो गई। इधर, जिन्होंने इन साधुओं पर हमला करना शुरू किया और साधुओं को पकड़ने लगे कि तभी वहां पर भयंकर हुंकार के साथ एक महा शक्तिशाली काली स्वरूपा देवी प्रकट हो गई और उनके नाक से और मुंह से हजारों की संख्या में वहां पर शक्तियां योगिनी रूप में प्रकट होने लगी। वह सभी अत्यंत क्रोध से भरी हुई थी। चारों तरफ जितनी अधिक संख्या में जिन्न थे उनको खाने के लिए और चबाने के लिए उतनी ही हजार योगनियाँ प्रकट हो गई थी। सबने जनों को पकड़ पकड़ कर आना शुरू कर दिया। उनको वह भोजन बनाने लगी। इधर मौलवी यह सब देख रहे थे। वह पूरी कोशिश तो और भी ज्यादा जिन्नों को उस क्षेत्र में भेजने लगे। लेकिन अब इन शक्तिशाली योगिनी शक्तियों के आगे किसी की कुछ भी नहीं चलने वाली थी। धीरे-धीरे करके उसे क्षेत्र में एक भी जिन्न जीवित नहीं रहा। सबका भोजन उन शक्तिशाली योगिनी देवियों ने खाकर बना लिया। लेकिन सांसारिक जीवन की मर्यादा के कारण उन्होंने किसी भी सैनिक को नहीं मारा। क्योंकि सांसारिक नियम के हिसाब से केवल मनुष्य ही मनुष्य। के साथ कुछ भी कर सकता है क्योंकि यह कलयुग है कलयुग में मनुष्य के हाथ में ही सब कुछ है। देवी देवता दखलंदाजी नहीं करते हैं। लेकिन नागा साधुओं के पास भैरव और योगिनी शक्तियां उनके शरीर के अंदर विद्यमान थी। इसलिए उन्होंने चारों और भयंकर उत्पात मचा दिया।
एक एक सैनिक को कई टुकड़ों में काटकर उन साधारण से दिखने वाले साधुओं ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए महाकाल का रूप ले लिया था।कोई भी सैनिक उनके सामने तीन क्षणों से ज्यादा नहीं रुक पाता था। इतनी ही देर में वह सैनिक की हत्या कर देते थे केवल! 1-2 हजार नागा साधुओ ने सुबह का प्रकाश निकलने तक 40000 यवन सेना को नष्ट कर दिया था। अब वहां पर लाशों के ढेर पड़े हुए थे। यह देखकर कमांडर घबरा गया। वह अपने बचे कुचे 2००-4०० सैनिकों से घिरा हुआ और उन तांत्रिक मौलवी और उनके साथ उनके चेलों को लेकर वहां से भागना शुरू हो गया। जल्दी ही वह पूरे गोकुल से बाहर निकल गया और महावन में जाकर अपनी सेना के पास खड़ा हो गया और फिर सेना में यह बात बताई गई कि किस प्रकार से वहां पर 40,000 की एक शक्तिशाली अफगानी फ़ौज को नेस्तनाबूद कर दिया गया है। किसी के पास भी इन प्रश्नों का उत्तर नहीं था कि कुछ सौ सैनिकों के माध्यम से कैसे नागा साधुओं ने? इतनी बड़ी 40,000 की सेना को समाप्त कर दिया था। अब यह बात कमांडर जानता था इसलिए उसने तुरंत पत्र लिखकर अहमद शाह अब्दाली को सूचित किया।
लेकिन इस दौरान उनकी सेना में हैजा फैल जाने से बहुत सारे सैनिकों की मृत्यु भी हो गई है। तभी से इतिहास में यह घटना पूरी तरह दब गई और इस बात को कोई नहीं जानता कि उस सशस्त्र नागा साधु की सेना ने कितनी बड़ी तबाही अहमद शाह अब्दाली की सेना के साथ की थी। केवल आज हमें जो इतिहास प्राप्त होता है, उसमें लूटपाट और इस घटना को दबाने के लिए हैजा फैल जाने की बात बताई जाती है, तो ऐसे इतिहास को छुपाया गया और वास्तविकता को नहीं बताया गया क्योंकि अगर इसे बता दिया जाता तो जनता में आक्रोश आता उनके अंदर लड़ने की भावना पैदा होती जिसकी वजह से वह युद्ध में कभी नहीं हारते और विश्वास करते कि उनका भी कोई रक्षक है और अगर वह खुद युद्ध के लिए खड़े हुए तो किसी को भी हरा सकते हैं तो यह थी एक वास्तविक घटना जो कि मथुरा वृंदावन क्षेत्र में गोकुल नामक स्थान पर नागा साधुओं के द्वारा घटित की गई थी और कहते हैं। इसके बाद सिद्ध हो करके सिद्ध भूमि में हमारे प्रमुख नागा रूद्र भैरव प्रवेश कर गए थे क्योंकि माता ने उन्हें सिद्धो की जगह में स्थान दिया था।
तो अगर यह कहानी आपको पसंद आई हो तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।