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श्यामा माँई और चमत्कारिक मुंड भाग 3

श्यामा माई और चमत्कारिक मुंड भाग 2 में अभी तक आपने जाना कि किस प्रकार से राजवीर नाम का एक व्यक्ति एक तांत्रिक गुरु से मिलता है और वह मुंड खोजने के लिए फिर आगे बढ़ जाता है । मुंड की शक्ति से वह वापस आकर अपने गुरु के पास गिरता है। अब आगे जानते हैंक्या हुआ? राजवीर और तांत्रिक गुरु में वार्तालाप आरंभ हुआ, राजवीर ने पूछा गुरुदेव ऐसा चमत्कारिक मुंड मैंने आज तक नहीं देखा जिसकी शक्ति किसी इंसान को उठाकर बहुत दूर फेंक दे।

इस पर आपका क्या कहना है? तब तांत्रिक गुरु कहते हैं मैं वह कहानी तुम्हें बताना चाहता हूं जो उस स्थान पर घटित हुई थी। तुमने जाना होगा जब मैंने तुम्हें यहां से भेजा था तो कहा था । माता श्मशान काली, जिनको अब मैं असली नाम यानी कि श्यामा माई के नाम से भी उनको जानते हैं ।उनको नमस्कार करने को कहा था। यह मैंने तुम्हें इसलिए कहा था ताकि तुम्हारे ऊपर कोई संकट ना आए।

यह वही स्थान है जहां पर श्यामा माई ने बहुत ही शक्तिशाली राक्षस का वध किया था। इस पर राजवीर ने अपने गुरु से पूछा गुरुदेव वह कहानी मैं सुनना चाहता हूं। मुझे बताइए आखिर यहां पर ऐसा क्या घटित हुआ था? जिसके कारण आपने मुझे ऐसे स्थान पर मां श्मशान काली को प्रणाम करने के लिए कहा था।

गुरु कहने लगे। जब त्रेता का युग था उस दौरान सभी जानते हैं कि भगवान राम और रावण के बीच में युद्ध हुआ था। रावण को जीतने के बाद जब भगवान राम लंका से अयोध्या वापस आ गए उस दौरान। जब वह अयोध्या में सभी बंधु बांधवों के साथ में उत्सव मना रहे थे । उसी दौरान माता सीता अपनी पूजा समाप्त करने के बाद भगवान राम के पास आई। उन्होंने कहा कि आप सब लोग यह किस प्रकार का उत्सव मना रहे हैं?

इस पर भगवान राम ने कहा -सभी लोगों का कहना है रावण को जीतना बहुत ही दुष्कर कर्म था। उसको जितना आसान बात नही थी। धरती का कोई भी मनुष्य उसे जीत नहीं सकता था। इसी कारण से मैं और मेरी समस्त सेना, सारे प्रजा जन सहित खुशी से उत्सव मना रहे हैं। देवी तुम भी हमारे साथ इस उत्सव में शामिल हो। माता सीता यह देख कर मुस्कुराने लगती हैं।

उनकी मुस्कुराहट को देखकर भगवान राम उनसे पूछते हैं कि क्या हुआ देवी ?आखिर इतना अधिक क्यों मुस्कुरा रही हो? इस पर माता सीता कहती हैं कि मैं तो यह जानती हूं कि आपने अभी इससे शक्तिशाली व्यक्ति को नहीं हराया है। आप अगर चाहे तो उसे हराकर मैं आपके सामर्थ्य पर गर्व रख सकती हूं। यह सुनने पर भगवान राम आश्चर्य में पड़ जाते हैं ।

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वह कहते हैं रावण से अधिक शक्तिशाली यहां दूसरा कौन है? इस पर देवी सीता उन्हें कहती हैं। प्रभु जब तक आप सहस्त्रानन को नहीं जीत लेते तब तक यह सब मनाना व्यर्थ है। क्योंकि सहस्त्रानन अत्यधिक शक्तिशाली है। वह किसी भी पुरुष से हार नहीं सकता। कोई भी पुरुष उसे हरा नहीं पाएगा। इसीलिए मैं चाहती हूं कि आप अपनी शक्ति का परीक्षण उसके ऊपर करें।

इस पर भगवान राम ने पूछा कि यह सहस्त्रानन कौन है? तो उन्होंने कहा सहस्त्रानन एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस है जो रावण से भी अधिक शक्तिमान है। आप उसे जीत करके आइए। भगवान राम अपनी सेना सहित सहस्त्रानन की खोज में निकल पड़ते हैं। सहस्त्रानन कुछ ही समय में युद्ध भूमि में आ जाता है।

जब भगवान राम उसका युद्ध के लिए आवाहन करते हैं। सहस्त्रानन कहता है यहां से चले जाओ वरना सबका मैं वध कर दूंगा। भगवान राम उस पर कई तरह की शक्तियों का प्रयोग करते हैं लेकिन सहस्त्रानन को कुछ भी नहीं होता। सहस्त्रानन हंसता है और अपनी महाशक्ति। किसी दैवीय अस्त्र का प्रयोग करता है। उसके बाद तुरंत ही सेना सहित भगवान राम उड़कर के अयोध्या में गिरते हैं।

सब के सब बेहोश होकर अयोध्या में पड़े होते हैं। यह देखकर माता सीता जब बाहर अपने आंगन में आती हैं तो क्रोध से भर जाती हैं। कहती हैं कि मेरे पति को किस प्रकार से? एक साधारण से राक्षस ने यहां पर भेज दिया। वह भगवान राम को जगाने की कोशिश करती हैं पर भगवान राम अचेत थे। सारी सेना इस प्रकार। वहां पर पराजित होकर पड़ी हुई थी इसे देखकर माता सीता को बहुत अधिक क्रोध आ जाता है।

क्रोध में भर जाने के कारण उनका वर्ण श्याम हो जाता है यानी कि वह काले रंग में परिवर्तित होने लगती हैं। धीरे-धीरे करके उनका स्वरूप काली का हो जाता है। गुस्से से चिल्लाती और दौड़ती हुई वह सहस्त्रानन के पास पहुंचती हैं। सहस्त्रानन के सारे सिर काट डालती हैं ।सहस्त्रानन सभी सिरों को भस्म कर देती हैं। एक मुख्य सिर जो माता के चरणों में गिर जाता है उसे वहीं छोड़ देती हैं ।

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इस प्रकार वापस आकर भगवान राम के पास आकर खड़ी हो जाती हैं। भगवान राम अब अचेत अवस्था छोड़ देते हैं और स्वयं उनके सामने प्रसन्नता पूर्वक कहते हैं । देवी तुमने माता काली का रूप धारण किया है। इसीलिए श्यामा स्वरूप में तुम्हारी वंदना होगी। इस प्रकार यह कथा समाप्त होती है।

इस पर राजवीर पूछता है गुरुदेव। तो क्या यह वही मुंड है जिस मुंड को मैं खोजने गया था। तांत्रिक गुरु हां में सर हिला देते हैं और कहते हैं राजवीर यह वही मुंड है जो कि सहस्त्रानन का एक बचा हुआ मुंड था । उसके अंदर इतनी अधिक शक्ति है जिसको तुम अभी अनुभव किए जब तुमने उसके मुंड को बाहर निकाला तो उसकी शक्ति के कारण तुम आज यहां आकर के गिरे हो ठीक उसी तरह जिस तरह से सहस्त्रानन ने अपनी शक्ति का प्रयोग करके भगवान राम को उठाकर के सेना सहित अयोध्या फेंक दिया था।

इस पर राजवीर आश्चर्यचकित हो जाता है और कहता है गुरुदेव फिर मैं उस मुंड को किस प्रकार से जीत लूंगा? और वह मुंड किस प्रकार से मेरी माता की रक्षा करेगा ? इसके बारे में भी मुझे आज बता दीजिए। तब तांत्रिक गुरु राजगीर से कहते हैं घबराने की आवश्यकता नहीं है। श्यामा माई की पूजा और उपासना करने से उस महा श्मशान में वह मुंडे शांत हो जाएगा। और दूसरी तरह की जो भी परीक्षाएं तुम्हारे सामने आएंगी उनमें तुम निश्चित रूप से सफल होगे मेरा विश्वास है।

क्योंकि तुम अपनी माता के लिए यह सारा कर्म कर रहे हो इसी कारण तुम्हारी सफलता निश्चित है। तांत्रिक गुरु कहता है। केवल और केवल एक सच्चा मातृ भक्त ही इस कार्य को कर सकता था। इसी कारण उस तांत्रिक ने, तुम्हारी माता को अभय दान दिया। क्योंकि वह जानने लगा था कि इसका कोई न कोई ऐसा शुद्ध पुत्र अवश्य है। जो इस कार्य को संपादित कर सकता है। उसे श्मशान भूमि को सहस्त्रानन के बचे हुए मुंड से मुक्त कर सकता है।

क्योंकि जब तक सहस्त्रानन का मुंड उस भूमि में है। वह भूमि कभी भी पवित्र नहीं हो सकती। जबकि वहां पर स्वयं माता श्यामा या माता श्मशान काली विराजमान रही हों। उन्होंने अपनी लीलाएं वहां पर रखी हो। यह सुनकर राजवीर अपने तांत्रिक गुरु को प्रणाम करता है और कहता है गुरुदेव मुझे आज्ञा दीजिए अब की बार मैं उस मुंड को बाहर निकाल लूंगा।

इस पर तांत्रिक गुरु उसे एक लोटा देते हैं। जल से भरे हुए उस लोटे को ले जाकर वह कहते हैं कि जब भी तुम उस मुंड को निकालना यह लौटा और इसका पानी उस मुंड के ऊपर डाल देना। जैसे ही तुम यह पानी डालोगे वह मुंड शांत हो जाएगा। उससे वचन प्राप्त कर लेना इसके बाद तुमको बहुत सारी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाएगी। मुंड बहुत अधिक शक्तिशाली है लेकिन उसके फेर में मत आना क्योंकि चमत्कारिक मुंड अक्सर व्यक्ति को भरमा देते हैं।

यह एक बहुत शक्तिशाली मुंड है। श्मशान में अघोरी और अन्य कापालिक विभिन्न प्रकार के मुंडो की साधनाएं करते हैं लेकिन किसी राक्षस का मुंड अभी तक किसी ने नहीं प्राप्त किया है। इसीलिए संसार में सबसे अधिक शक्तिशाली मुंड है यह।

सहस्त्रानन की शक्ति का वर्णन मैंने तुम्हें कर ही दिया है। इससे तुम अनुमान लगा सकते हो कि कितनी अधिक शक्ति मुंड में है। वह मुंड शक्ति से भरा हुआ है उसकी सामर्थ्य किसी भी अन्य मुंड से कई गुना अधिक है। जाओ अब अपने नए अभियान की तैयारी करो। लेकिन उससे पहले मां श्मशान काली की विशेष पूजा करके जाओ।

तांत्रिक गुरु राजवीर को माता श्मशान काली- मां श्यामा माई की पूजा के विषय में बताते हैं। उनके गोपनीय मंत्र भी देते हैं ताकि राजवीर बैठ करके उनकी पूजा और उपासना करें। 3 दिन तक लगातार एक निष्ठ होकर, राजवीर माता श्मशान काली-श्यामा माई की पूजा करता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त कर अब अपने अभियान की ओर चलता है। मुंड के पास पहुंचकर जैसे ही वह वहां पर अपने जल के लोटे को। उड़ेलना चाहता है, तभी मुंड जोर से हंसने लगता है। आगे क्या हुआ? हम लोग जानेंगे अगले भाग में अगर आपको यह जानकारी और कहानी पसंद आ रही है तो पोस्ट शेयर करें ।

श्यामा माँई और चमत्कारिक मुंड भाग 4

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